जय सांई राम।।।
एक छोटे से दिल की एक छोटी सी कहानी
सुनो आज मेरी कलम से एक कहानी,
जिसमे ना कोई राजा है ना कोई रानी,
ना दुनिया का कोई झमेला है ना कोई ग्लानि,
ये तो है एक छोटे से दिल की एक छोटी सी कहानी,
रहता था वो कहीं एक नदी के किनारे,
पहाड़ों के बीच थी वो जगह कुछ वीरानी,
अकेला रहता था वो वहाँ,
ना कोई दोस्त, ना माँ बाप, ना ही कोई दादी या नानी,
बस कुछ उड़ते पंछी, बेज़ुबान जानवरो को ही जानता था वो,
कुछ हरे भरे पेड़ और एक छोटी सी झोंपड़ी पुरानी,
कई बार नदी के किनारे बैठा बैठा सोचा करता था वो,
इस नदी की तरह चुपचाप और अकेली है मेरी ज़िन्दगानी,
कुछ नया नहीं है मेरी ज़िन्दगी मे,
जैसे ठहर गया हो मेरे जीवन की नदी का पानी,
बस यूँ ही एक दिन सोचते हुए कुछ दूर निकल गया,
वहाँ चलते चलते दिखा उसे एक झरना,
झरने पर पहुँच, अचानक नदी मे एक जोश सा आ गया,
मानो छा गई हो उसके पानी मे रवानी,
उस नदी का नया रूप देख वो छोटा सा दिल भी बोल उठा,
मेरा ठहराव भी खत्म हो सकता है, मुझमे भी आ सकती है वो जवानी,
जीवन के हर मोड़ पर कुछ नया है, कई गहरे राज़ हैं,
ये सब मिला है उसको जिसने इस झरने की तरह गहराईयों मे जाने की ठानी,
ज़िन्दगी एक मंज़िल पर रुकना नहीं, हर वक्त एक नए रास्ते पर चलते जाना है,
चाहे छोटी हो या बड़ी, ज़िन्दगी से पहले खत्म नहीं होनी चाहिए इस ज़िन्दगी की कहानी।
क्यों दोस्तो कुछ हो जाये। चलो सौपों आज से यह ज़िन्दगी बाबा के चरणों में और शुरू करो अपनी ज़िन्दगी की एक नई कहानी।
ॐ सांई राम।।।