जय सांई राम।।।
जीवन सारी ऋतुओं के लिए है
एक व्यक्ति के चार बेटे थे। उसकी इच्छा थी कि उसके पुत्र जीवन में कोई भी निर्णय जल्दबाजी में लेने की गलती न करें। किसी भी परिस्थिति में वे खूब सोच-समझकर ही कोई नतीजा निकालें। इसके लिए उस व्यक्ति ने चारों बेटों को एक सबक देने की ठानी।
उस व्यक्ति ने अपने बेटों को बुलाया और कहा कि वे दूसरे राज्य में स्थित उसके नाशपाती के बाग को देखने जाएं। लेकिन साथ ही यह निर्देश भी दिया कि वे अलग-अलग ऋतुओं में वहां जाएं और फिर वापस लौटकर अपने अनुभव बताएं। पहला बेटा शीत ऋतु में, दूसरा बसंत ऋतु में, तीसरा ग्रीष्म और चौथा शरद ऋतु में पतझड़ के दौरान नाशपाती का बाग देखने रवाना हुआ। अलग-अलग वक्त पर जब वे लौट कर आए, तो पिता ने उनसे पूछा कि उन्होंने क्या-क्या देखा? शीत ऋतु में बाग देखने गए पुत्र ने कहा- नाशपाती के पेड़ बहुत भद्दे, टेढ़े-मेढ़े दिख रहे थे। उनमें फल तो क्या पत्ते तक नहीं थे। ऐसे बाग का क्या लाभ?
बसंत ऋतु में बाग देखने पहुंचे पुत्र ने अपना अनुभव बताया। उसने कहा- नाशपाती के वृक्षों पर अच्छे फल लगने के आसार नजर आ रहे थे। उन पर कलियां और फूल दिखाई दे रहे थे। ग्रीष्म ऋतु में बाग देखने गया पुत्र अपने भाइयों से पूरी तरह सहमति नहीं था। उसने कहा, पेड़ तो बहुत ही सुंदर, खुशबूदार और फलों से लदे थे। शरद ऋतु में बाग पहुंचे पुत्र ने कहा कि उसने नाशपाती के ऐसे सुन्दर वृक्ष कभी नहीं देखे थे। नाशपाती के पेड़ पर पके हुए फलों की भरमार थी और चारों तरफ माधुर्य और मादकता दृष्टिगोचर हो रही थी।
चारों पुत्रों के अनुभव सुनकर पिता ने कहा कि वे सभी अपनी-अपनी जगह ठीक हैं। उनके अनुभवों में अंतर इसलिए है, क्योंकि सबने नाशपाती के जीवन काल का केवल एक मौसम देखा है। नाशपाती के पेड़ के जीवन की एक ऋतु को देखकर बाकी ऋतुओं में पेड़ कैसा था, इसका अन्दाजा नहीं लगा सकते। इसी प्रकार किसी व्यक्ति से सिर्फ एक बार मिल कर उसके पूरे जीवन और व्यवहार के बारे में नहीं जाना जा सकता। पेड़ के जीवनकाल की पूरी जानकारी चारों ऋतुओं को मिलाकर जुटाई जा सकती है। इसी प्रकार किसी व्यक्ति से एक मुलाकात उसके बारे में सब कुछ नहीं बताती। और फिर पेड़ के जीवन काल की सारी ऋतुएं प्रति वर्ष खुद को दोहराती हैं, इसलिए उसकी जानकारी करना थोड़ा आसान है। लेकिन किसी व्यक्ति विशेष के बारे में पूरी जानकारी तभी मिल सकती है, जब हम उस व्यक्ति के ज्ञान, दर्शन, विचार, उसका दूसरों के प्रति आचरण, व्यवहार कैसा है- यह सब जानें। एक व्यक्ति के जीवन के बारे में कोई नतीजा सुख-दुख, प्रसन्नता, प्रेम आदि विभिन्न अवस्थाओं में उसके व्यवहार आदि का आकलन करके ही निकाला जा सकता है।
पर यह भी ध्यान रखें कि हर ऋतु का हमारे जीवन में अपना महत्व है। अगर शीत ऋतु को देखकर कहें कि यह ऋतु कष्टदायक है, तो बसंत ऋतु से मिलने वाले सुख को खो बैठेंगे। एक ऋतु से मिलने वाले कष्ट को आधार मानकर, दूसरी ऋतुओं से मिलने वाले आनन्द को क्यों नष्ट करें, उससे क्यों वंचित हो जाएं। अगर किसी मौसम में शरीर को कुछ कष्ट होता है, तो इस पीड़ा को हम किसी व्याधि का सूचक मान सकते हैं। अपने आप को बचाने के लिए पीड़ा एक जरूरी यन्त्र है। पीड़ा से हमें यह ज्ञान होता है कि कहीं हमारे शरीर में कुछ गड़बड़ है और तब हम कुछ चिकित्सा आदि करते हैं। अगर हमारे शरीर में पीड़ा न होती, तो हमें यह भी न पता चल पाता कि कब हमारी चमड़ी जल गई या कब हमारा हाथ छिल-कट गया। इससे हमें हर परिवर्तन या घटना में सुसंबद्धता का भी पता चलता है। कहने का अभिप्राय यह है कि बेशक ऋतुएं अलग-अलग हैं, पर एक ऋतु के आगमन पर ही दूसरी ऋतु का भविष्य टिका हुआ है। अगर गर्मी न हो, तो बरसात भी नहीं होगी। वर्षा नहीं होगी, तो शीत में वह बात कहां रह जाएगी।
ॐ सांई राम।।।