Join Sai Baba Announcement List


DOWNLOAD SAMARPAN - Nov 2018





Author Topic: SMALL STORIES  (Read 225696 times)

0 Members and 15 Guests are viewing this topic.

Offline Ramesh Ramnani

  • Member
  • Posts: 5501
  • Blessings 60
    • Sai Baba
Re: SMALL STORIES
« Reply #195 on: August 18, 2007, 11:51:17 PM »
  • Publish
  • जय सांई राम।।।

    सभी बच्चों को पता है कि खरगोश और कछुवे के बीच जो दौड़ हुई थी उसमें खरगोश हार गया था। हारने के बाद भी खरगोश नें कछुवे को चिढ़ाना नहीं छोडा। जब भी वह कछुवे को देखता तो उसपर हँसने लगता। भगवान में नें तुम्हारी पीठ की जगह पेट लगा दिया है, खरगोश, कछुवे को देखते ही कहता। कछुवा इससे बहुत दुखी हुआ और उसने खरगोश से बात करना भी छोड़ दिया।

    एक दिन खरगोश एक किसान के खेत में चुपके से घुस गया। उसने खेत से एक लाल- लाल गाजर तोड़ा और कचर-कचर खाने लगा। किसान का बेटा पास ही पेड़ के नीचे सो रहा था। खरगोश की आहट से उसकी नींद खुल गयी। वह चुपके से उठा और खरगोश को चोरी-चोरी गाजर खाते देख, उसे बहुत गुस्सा आया। उसने अपनी गुलेल से खरगोश पर निशाना साधा। लेकिन खरगोश नें किसान के बेटे को गुलेल उठाते देख लिया था। खरगोश “सर पर पाँव” रख कर सरपट भागा। बच्चों हँसों मत! खरगोश नें कोई सचमुच सर पर पाँव थोडे ही रखे थे। सर पर पाँव रखना एक “मुहावरा” है जिसका मतलब होता है बहुत तेज भागना। वादा करो मुहावरा किसे कहते है आज अपनी टीचर से तुम जरूर पूछोगे।

    भागते हुए, खरगोश खेत से किसी तरह बाहर निकला लेकिन पास कीचड़ भरे तालाब में गिर पड़ा। खरगोश जब दलदल में धसने लगा तो वह बहुत ड़र गया और जोर जोर से रोने लगा। उसकी आवाज सुन कर बहुत से जानवार इकट्ठे हो गये। किसी की हिम्मत नहीं हो रही थी कि वह खरगोश को बचाये क्योंकि दलदल बहुत खतरनाक था और बहुत से जानवर उसमें फँस कर मारे गये थे। तभी कछुवा वहाँ आया। खरगोश को इस हाल में देख कर उसे बहुत दुख हुआ, आखिर खरगोश से उसकी पुरानी दोस्ती थी। लेकिन उसने खरगोश को सबक सिखाने के लिये जोर जोर से हँसना शुरु कर दिया। खरगोश और भी जोर से रोने लगा। बोला मैं यहाँ मुसीबत में हूँ और तुम मुझ पर हँस रहे हो। लेकिन तुरंत उसे अपनी गलती का अहसास हो गया। उसने कछुवे से माफी माँगी और कहा कि मुझे समझ में आ गया है कि किसी पर हँसना अच्छी बात नहीं है। कछुवा इस पर बहुत खुश हुआ और उसने खरगोश को माफ कर दिया। फिर कछुवे नें तालाब के किनारे उगे सरकंडे उखाडे और खरगोश की ओर बढाये जिन्हें खरगोश ने जोर से पकड लिया। कछुवे नें जोर लगा कर खींचा और तब खरगोश दलदल से बाहर निकल आया। खरगोश और कछुवा अब पक्के दोस्त हो गये थे।

    अपना सांई प्यारा सांई सबसे न्यारा अपना सांई

    ॐ सांई राम।।।
    अपना साँई प्यारा साँई सबसे न्यारा अपना साँई - रमेश रमनानी

    Offline Ramesh Ramnani

    • Member
    • Posts: 5501
    • Blessings 60
      • Sai Baba
    Re: SMALL STORIES
    « Reply #196 on: August 20, 2007, 12:02:36 AM »
  • Publish
  • जय सांई राम।।।

    खोटे सिक्के
     
    काशी में एक पंडित जी रहते थे। उनकी धार्मिक पुस्तकों की एक छोटी सी दुकान थी। उसी की कमाई से परिवार का खर्च चलता था। जिस जगह पंडित जी रहते थे, वहां एक ऐसा व्यक्ति था जो पंडित जी से सबसे ज्यादा पुस्तकें खरीदता था। वह उधार भी नहीं करता था। किताबों का मूल्य वह उसी समय चुका देता था। एक बार पंडित जी किसी काम से बाहर गए हुए थे। उस दिन दुकान पर उनका नौकर था। उस व्यक्ति ने हमेशा की तरह उस दिन भी कुछ किताबें खरीदीं और जब कीमत देने लगा तो उसमें कुछ सिक्के खोटे थे। नौकर ने उस आदमी को भला-बुरा कहते हुए खोटे सिक्कों को वापस कर दिया।

    दूसरे दिन पंडित जी जब वापस लौटे तो नौकर ने उन्हें खोटे सिक्कों की बात बताई और कहा कि उसने उस व्यक्ति को वे सिक्के वापस कर दिए हैं। पंडित जी बोले, 'तुमने ठीक नहीं किया। तुम्हें उन सिक्कों को वापस नहीं करना चाहिए था।' नौकर बोला, 'मालिक, आप क्या कह रहे हैं। मैंने तो आपके भले के लिए ही नकली सिक्कों को वापस किया था। यदि मैंने रख लिया होता तो आप मुझ पर नाराज होते।' पंडित जी मुस्करा कर बोले, 'बेटा, तुम्हारी वफादारी पर मुझे कोई शक नहीं है। लेकिन तुम नहीं जानते कि वह आदमी मुझे हमेशा ही कुछ खोटे सिक्के देता रहता है। मैं उन्हें लेकर जमीन में गाड़ देता हूं।'

    नौकर ने आश्चर्य से पूछा, 'लेकिन आप ऐसा क्यों करते हैं?' पंडित जी बोले, 'यह उसका स्वभाव है। अपनी आदत से वह बाज तो आएगा नहीं। यदि मैं उन खोटे सिक्कों को नहीं लूंगा तो वह कहीं दूसरी जगह देगा। जमीन में इसलिए गाड़ देता हूं ताकि किसी अन्य के हाथ लग कर वे सिक्के फिर उसी प्रकार चलन में न आ जाएं।' नौकर बोला, 'मालिक आपके अकेले ऐसा करने से क्या खोटे सिक्कों का चलन बंद हो जाएगा?'

    ' बंद हो या न हो। पर किसी भी गलत चीज के खिलाफ कोशिश हर समय जारी रहनी चाहिए।' पंडित जी ने जवाब दिया।
     

    अपना सांई प्यारा सांई सबसे न्यारा अपना सांई

    ॐ सांई राम।।।
    अपना साँई प्यारा साँई सबसे न्यारा अपना साँई - रमेश रमनानी

    Offline Ramesh Ramnani

    • Member
    • Posts: 5501
    • Blessings 60
      • Sai Baba
    Re: SMALL STORIES
    « Reply #197 on: August 21, 2007, 08:44:06 AM »
  • Publish
  • जय सांई राम।।।

    इंसानियत की चिंता
     
    बहुत पुरानी बात है। अरब में नावेर नामक एक व्यक्ति रहता था, जिसके पास उत्तम नस्ल का एक घोड़ा था। नावेर उस पर जान छिड़कता था। उसका अधिकतर समय घोड़े के साथ बीतता था। उसके घोड़े पर बहुतों की नजर थी। कुछ लोग तो घोड़े के कारण ही नावेर से ईर्ष्या करने लगे थे। उनमें से एक दाहर भी था। दाहर ने कई ऊंट देकर बदले में घोड़ा लेना चाहा, पर नावेर ने मना कर दिया। लेकिन दाहर घोड़े के लिए लालायित था। वह किसी भी कीमत पर उसे हासिल करना चाहता था। उसने घोड़ा हथियाने की एक तरकीब सोची। वह बीमार फकीर का भेस बनाकर नावेर के रास्ते में बैठ गया। जब नावेर अपने घोड़े पर सवार होकर वहां से गुजरा तो उसे उस फकीर की हालत पर दया आ गई। उसने अगले गांव तक ले जाने के लिए उसे घोड़े पर बिठा लिया और खुद पैदल चलने लगा। दाहर तो इसी फिराक में था। घोड़े पर सवार होते ही उसने चाबुक मारकर घोड़े को दौड़ा लिया और नावेर से बोला 'तुमने खुशी से घोड़ा नहीं दिया तो मैंने चालाकी से इसे ले लिया। तुम हार गए।'

    नावेर ने उसे पुकार कर कहा 'तुमने मेरा घोड़ा इस तरह ले लिया कोई बात नहीं। खुशी से ले जाओ। लेकिन मेरा इतना कहना मान लो कि इस घोड़े की खूब अच्छी तरह देखभाल करना। इसे कोई तकलीफ न हो। यह मेरे लिए मेरी जान से भी प्यारा है। और हां, एक बात और ध्यान रखना। घोड़े को धोखेबाजी से लेने की बात किसी से न कहना नहीं तो लोग जरूरतमंदों की मदद करना छोड़ देंगे। इससे बहुत से दीन-दुखियों को सहायता नहीं मिल पाएगी। सोचो, फिर इंसानियत का क्या होगा।'

    नावेर की यह बात दाहर के दिल को छू गई। उसका मन बदल गया। वह बहुत शर्मिन्दा हुआ। उसने तत्काल घोड़ा नावेर को थमा दिया और उससे अपने व्यवहार के लिए माफी मांगी। नावेर ने दाहर को गले से लगा लिया और सदा के लिए उससे दोस्ती कर ली।

    अपना सांई प्यारा सांई सबसे न्यारा अपना सांई

    ॐ सांई राम।।।
    अपना साँई प्यारा साँई सबसे न्यारा अपना साँई - रमेश रमनानी

    Offline Ramesh Ramnani

    • Member
    • Posts: 5501
    • Blessings 60
      • Sai Baba
    Re: SMALL STORIES
    « Reply #198 on: August 22, 2007, 07:40:49 AM »
  • Publish
  • जय सांई राम।।।

    स्वप्न का रहस्य
     
    राजा जनक ने एक रात विचित्र स्वप्न देखा। उन्होंने देखा कि मिथिला को लूट लिया गया है और वह भिखारी बने भूख-प्यास से बेहाल जंगल में भटक रहे हैं। वे भटकते हुए एक ऐसे नगर में पहुंचे, जहां भूखों को खिचड़ी बांटी जा रही थी। जनक भी कतार में खड़े हो गए। लेकिन जब उनकी बारी आई तो खिचड़ी समाप्त हो गई। बांटने वाले ने कहा, 'पतीले के पेंदे में लगा हुआ खुरचन है। कहो तो वह दे दूं।' जनक के पास कोई चारा नहीं था। वह खुरचन लेने के लिए तैयार हो गए। बांटने वाले ने जनक को पत्तल पर खुरचन दे दी। तभी कहीं से उड़ती हुई एक चील आ पहुंची। उसने पत्तल पर झपट्टा मारा तो खुरचन जमीन पर गिर गई। तभी जनक की आंखें खुल गईं। सपने से वह काफी भयभीत हुए। सोचने लगे- मैं तो खा-पीकर सोया था। मुझे तो जरा भी भूख नहीं है। मैं सोने के पलंग पर सोया हूं। मिथिला का राजा हूं। फिर सपने में लुटा-पिटा भिखारी क्यों बना? मुझे भूख ने व्याकुल क्यों किया? इन दोनों में सच क्या है? मेरा भिखारी होना या राजा होना? आखिर इस स्वप्न का रहस्य क्या है, इसका संकेत क्या है?

    वह अपनी जिज्ञासा लेकर ऋषि अष्टावक्र के पास पहुंचे। अष्टावक्र ने इसका रहस्य समझाते हुए कहा, 'राजन, दोनों में एक भी सत्य नहीं है। बस तुम ही सत्य हो। स्वप्न में तुम भिखारी थे, मगर जागने पर तुम्हारा भिखारी होना नहीं रहा। स्वप्न में तुम्हारा राजा होना नहीं रहा, लेकिन भिखारी होने में भी तुम थे और राजा होने में भी तुम ही थे। जो मिथ्या है, वह रहता नहीं और जो सत्य है वह कभी मिटता नहीं। सत्य तीनों काल में रहता है। स्वप्न और संसार एक ही है। स्वप्न में संसार रहता है और संसार भी स्वप्न है। इसलिए न वह सच था और न यह सच है। सबसे बड़ा सत्य है कि तुम हो। तुम्हारा होना सबसे बड़ा सच है। बाकी तुम्हारे दूसरे रूपों का कोई मतलब नहीं है।' 

    अपना सांई प्यारा सांई सबसे न्यारा अपना सांई

    ॐ सांई राम।।।
    अपना साँई प्यारा साँई सबसे न्यारा अपना साँई - रमेश रमनानी

    Offline saikrupakaro

    • Member
    • Posts: 1293
    • Blessings 3
    Re: SMALL STORIES
    « Reply #199 on: August 23, 2007, 02:22:16 AM »
  • Publish
  • :-* :-* :-* :-* :-*Dear Sai Bhagat, :-* :-* :-* :-* :-* :-*

    when you see this Messge " Close your eyes and see SAI BABA  , breath inhale saying BABA BE WITH ME ALWAYS " open your eyes.

    Thanks baba is happy with you.

     :-* :-* :-* :-* :-* :-*Bolo shri Sat Guru Sainath maharaj ki JAI :-* :-* :-* :-* :-* :-*

    Sai Anamika :-* :-* :-* :-* :-* :-* :-*
    SHRI SAI BABA SAB PAR KRUPA KARO PLZZ

    Offline Ramesh Ramnani

    • Member
    • Posts: 5501
    • Blessings 60
      • Sai Baba
    Re: SMALL STORIES
    « Reply #200 on: August 23, 2007, 09:21:17 PM »
  • Publish
  • जय सांई राम।।।

    जीवन सारी ऋतुओं के लिए है
     
    एक व्यक्ति के चार बेटे थे। उसकी इच्छा थी कि उसके पुत्र जीवन में कोई भी निर्णय जल्दबाजी में लेने की गलती न करें। किसी भी परिस्थिति में वे खूब सोच-समझकर ही कोई नतीजा निकालें। इसके लिए उस व्यक्ति ने चारों बेटों को एक सबक देने की ठानी।

    उस व्यक्ति ने अपने बेटों को बुलाया और कहा कि वे दूसरे राज्य में स्थित उसके नाशपाती के बाग को देखने जाएं। लेकिन साथ ही यह निर्देश भी दिया कि वे अलग-अलग ऋतुओं में वहां जाएं और फिर वापस लौटकर अपने अनुभव बताएं। पहला बेटा शीत ऋतु में, दूसरा बसंत ऋतु में, तीसरा ग्रीष्म और चौथा शरद ऋतु में पतझड़ के दौरान नाशपाती का बाग देखने रवाना हुआ। अलग-अलग वक्त पर जब वे लौट कर आए, तो पिता ने उनसे पूछा कि उन्होंने क्या-क्या देखा? शीत ऋतु में बाग देखने गए पुत्र ने कहा- नाशपाती के पेड़ बहुत भद्दे, टेढ़े-मेढ़े दिख रहे थे। उनमें फल तो क्या पत्ते तक नहीं थे। ऐसे बाग का क्या लाभ?

    बसंत ऋतु में बाग देखने पहुंचे पुत्र ने अपना अनुभव बताया। उसने कहा- नाशपाती के वृक्षों पर अच्छे फल लगने के आसार नजर आ रहे थे। उन पर कलियां और फूल दिखाई दे रहे थे। ग्रीष्म ऋतु में बाग देखने गया पुत्र अपने भाइयों से पूरी तरह सहमति नहीं था। उसने कहा, पेड़ तो बहुत ही सुंदर, खुशबूदार और फलों से लदे थे। शरद ऋतु में बाग पहुंचे पुत्र ने कहा कि उसने नाशपाती के ऐसे सुन्दर वृक्ष कभी नहीं देखे थे। नाशपाती के पेड़ पर पके हुए फलों की भरमार थी और चारों तरफ माधुर्य और मादकता दृष्टिगोचर हो रही थी।

    चारों पुत्रों के अनुभव सुनकर पिता ने कहा कि वे सभी अपनी-अपनी जगह ठीक हैं। उनके अनुभवों में अंतर इसलिए है, क्योंकि सबने नाशपाती के जीवन काल का केवल एक मौसम देखा है। नाशपाती के पेड़ के जीवन की एक ऋतु को देखकर बाकी ऋतुओं में पेड़ कैसा था, इसका अन्दाजा नहीं लगा सकते। इसी प्रकार किसी व्यक्ति से सिर्फ एक बार मिल कर उसके पूरे जीवन और व्यवहार के बारे में नहीं जाना जा सकता। पेड़ के जीवनकाल की पूरी जानकारी चारों ऋतुओं को मिलाकर जुटाई जा सकती है। इसी प्रकार किसी व्यक्ति से एक मुलाकात उसके बारे में सब कुछ नहीं बताती। और फिर पेड़ के जीवन काल की सारी ऋतुएं प्रति वर्ष खुद को दोहराती हैं, इसलिए उसकी जानकारी करना थोड़ा आसान है। लेकिन किसी व्यक्ति विशेष के बारे में पूरी जानकारी तभी मिल सकती है, जब हम उस व्यक्ति के ज्ञान, दर्शन, विचार, उसका दूसरों के प्रति आचरण, व्यवहार कैसा है- यह सब जानें। एक व्यक्ति के जीवन के बारे में कोई नतीजा सुख-दुख, प्रसन्नता, प्रेम आदि विभिन्न अवस्थाओं में उसके व्यवहार आदि का आकलन करके ही निकाला जा सकता है।

    पर यह भी ध्यान रखें कि हर ऋतु का हमारे जीवन में अपना महत्व है। अगर शीत ऋतु को देखकर कहें कि यह ऋतु कष्टदायक है, तो बसंत ऋतु से मिलने वाले सुख को खो बैठेंगे। एक ऋतु से मिलने वाले कष्ट को आधार मानकर, दूसरी ऋतुओं से मिलने वाले आनन्द को क्यों नष्ट करें, उससे क्यों वंचित हो जाएं। अगर किसी मौसम में शरीर को कुछ कष्ट होता है, तो इस पीड़ा को हम किसी व्याधि का सूचक मान सकते हैं। अपने आप को बचाने के लिए पीड़ा एक जरूरी यन्त्र है। पीड़ा से हमें यह ज्ञान होता है कि कहीं हमारे शरीर में कुछ गड़बड़ है और तब हम कुछ चिकित्सा आदि करते हैं। अगर हमारे शरीर में पीड़ा न होती, तो हमें यह भी न पता चल पाता कि कब हमारी चमड़ी जल गई या कब हमारा हाथ छिल-कट गया। इससे हमें हर परिवर्तन या घटना में सुसंबद्धता का भी पता चलता है। कहने का अभिप्राय यह है कि बेशक ऋतुएं अलग-अलग हैं, पर एक ऋतु के आगमन पर ही दूसरी ऋतु का भविष्य टिका हुआ है। अगर गर्मी न हो, तो बरसात भी नहीं होगी। वर्षा नहीं होगी, तो शीत में वह बात कहां रह जाएगी। 

    अपना सांई प्यारा सांई सबसे न्यारा अपना सांई

    ॐ सांई राम।।।
    अपना साँई प्यारा साँई सबसे न्यारा अपना साँई - रमेश रमनानी

    Offline Ramesh Ramnani

    • Member
    • Posts: 5501
    • Blessings 60
      • Sai Baba
    Re: SMALL STORIES
    « Reply #201 on: August 25, 2007, 04:26:32 AM »
  • Publish
  • जय सांई राम।।।

    क्रोध का त्याग
     
    किसी गांव में एक फकीर पहुंचा। उसके हाथ में एक डफली थी, जिसे बजाता हुआ वह गा रहा था। उसकी आवाज जो भी सुनता मंत्रमुग्ध हो जाता। इसी गांव में अत्यंत क्रोधी स्वभाव का एक व्यक्ति रहता था। लोगों ने उसका नाम ही गुस्सैल रख दिया था। फकीर को भजन गाते सुन किसी ने कहा, 'महाराज, आप कृपा करके यहां भजन मत गाइए। अगर उस गुस्सैल ने सुन लिया और उसे अच्छा नहीं लगा तो वह आप पर ही अपना क्रोध उतार बैठेगा।'

    इस पर फकीर ने कहा, 'थोड़ा सा गुड़ लाकर मेरी पीठ पर लगा दो, मगर इतना ध्यान रखना कि वह दिखे नहीं।' फकीर की बात सुन कर उस व्यक्ति को आश्चर्य तो हुआ पर उसने वैसा ही किया। पीठ पर गुड़ लगवाने के बाद फकीर गुस्सैल के घर पर पहुंचा। उसने देखा कि एक व्यक्ति द्वार के पास चारपाई पर बैठा मूंछें ऐंठ रहा है। फकीर ने विनम्रतापूर्वक पूछा 'श्रीमान्, क्या आप ही गृह स्वामी हैं?' गुस्सैल ने रौब से कहा, 'नहीं तो क्या आप हैं?' फकीर ने प्यार से कहा, 'मैं तो एक फकीर हूं और आपसे सहायता मांगने आया हूं।' गुस्सैल बोला, 'बोलो क्या चाहिए?' फकीर ने कहा, 'मेरी पीठ पर कुछ मक्खियां बैठ रही हैं, वे मेरे भजन-कीर्तन में बाधा डाल रही हैं। आप इनसे मेरा पीछा छुड़ा दें।'  गुस्सैल पहले तो हंसा, फिर फकीर की पीठ की ओर जाकर मक्खियां उड़ाने की कोशिश करने लगा। जब बार-बार उड़ाने के बाद भी मक्खियां फकीर की पीठ पर बैठती ही रहीं तो उसे गुस्सा आ गया और उसने फकीर को डांटकर कहा- 'यह क्या मजाक है?'

    फकीर ने कहा, 'भैया आप मुझ पर क्रोध क्यों करते हैं? आपसे जब एक मक्खी भयभीत नहीं होती तो फिर और कौन डरेगा।' गुस्सैल को फकीर की बात समझ में आ गई। वह अपने किए पर शर्मिंदा हो फकीर से माफी मांगने लगा। तब फकीर ने समझाया, 'क्रोध में आदमी अंधा हो जाता है। क्रोधवश व्यक्ति कोई पाप भी कर सकता है, इसलिए क्रोध का त्याग करो।' 

    अपना सांई प्यारा सांई सबसे न्यारा अपना सांई

    ॐ सांई राम।।।
    अपना साँई प्यारा साँई सबसे न्यारा अपना साँई - रमेश रमनानी

    Offline Ramesh Ramnani

    • Member
    • Posts: 5501
    • Blessings 60
      • Sai Baba
    Re: SMALL STORIES
    « Reply #202 on: August 29, 2007, 09:25:28 AM »
  • Publish
  • जय सांई राम।।।

    भूल का ज्ञान
     
    एक सेठ ने एक संन्यासी से निवेदन किया, 'स्वामी जी, आप कृपया मेरे घर भोजन के लिए पधारें। आप आएंगे तो कुछ धर्म चर्चा भी होगी। मेरे ज्ञान में थोड़ी वृद्धि होगी।' संन्यासी ने सोचा अगर इसे कुछ लाभ हो जाए तो उनका जाना ही उचित है। वह भोजन के लिए सेठ के घर पहुंचे।

    सेठ ने संन्यासी के सामने स्वादिष्ट व्यंजन परोसे और फिर अपनी उपलब्धियों की चर्चा करने लगा। उसने कहा, 'मेरे पास सैंकड़ों एकड़ जमीन है। मेरा कारोबार देश भर में फैला है। मैंने धर्म के प्रचार के लिए क्या-क्या नहीं किए हैं। मैंने एक नहीं सैंकड़ों धर्मशालाएं बनवाई हैं। मैने शहर में कई जगहों पर ऐसी व्यवस्था की है कि वहां पहुंचने वाले हर भिखारी को एक-एक किलो खिचड़ी अवश्य मिले। मेरे लड़के भी मेरी ही तरह योग्य हैं। उनका भी व्यापार चारों तरफ फैला है। ' संन्यासी ने देखा कि सेठ का चेहरा घमंड से फूला हुआ है। वह अपनी हर बात पर गदगद हो रहा था। संन्यासी ने उसका ध्यान दीवार पर टंगे एक नक्शे की ओर आकृष्ट करते हुए कहा, 'यह विश्व का नक्शा है। इसमें पूरा संसार समाहित है। अब बताओ इसमें हमारा देश कहां है?'

    सेठ ने तुरत उंगली रखकर भारत को दर्शाया। संन्यासी ने कहा, 'अब अपना राज्य और गांव ढूंढकर दिखाओ।' सेठ ने राज्य तो खोज लिया पर गांव न खोज सका। संन्यासी ने कहा, 'जब तेरे गांव का पता नहीं है तो तेरी उस जमीन का पता कैसे लगेगा जिस पर तू इतना घमंड कर रहा है। संसार में तेरे से अधिक धनवान हैं और उनसे भी अधिक धनवान हैं। उनके सामने तेरा वैभव कुछ भी नहीं है। फिर इतना अभिमान क्यों? जिस समृद्धि पर तू इतना फूल रहा है वह स्थायी नहीं है। नश्वर वैभव की चकाचौंध में तू आत्मा को भूल गया है। तूने मुझे बुलाया था धर्म चर्चा के लिए पर तू तो केवल अपनी चर्चा में लगा रहा। संभल जा। अपने को पहचान।'

    सेठ को अपनी भूल का अहसास हो गया। उसने संन्यासी से क्षमा मांगी। 
     
    अपना सांई प्यारा सांई सबसे न्यारा अपना सांई

    ॐ सांई राम।।।
    अपना साँई प्यारा साँई सबसे न्यारा अपना साँई - रमेश रमनानी

    Offline Ramesh Ramnani

    • Member
    • Posts: 5501
    • Blessings 60
      • Sai Baba
    Re: SMALL STORIES
    « Reply #203 on: September 10, 2007, 03:33:47 AM »
  • Publish
  • जय सांई राम।।।

    जादू और हकीकत
     
    एक बार किसी जादूगर से एक युवक ने कहा, 'मैं आपको अपना गुरु बनाना चाहता हूं।' जादूगर ने पूछा, 'किसलिए?' युवक ने कहा 'मैं आपसे जादू सीखना चाहता हूं।' जादूगर ने फिर पूछा, 'तुम जादू क्यों सीखना चाहते हो?' युवक ने उत्तर दिया, 'मैं अपनी इच्छित वस्तुएं पाना चाहता हूं।' जादूगर ने समझाया, 'तुम अपनी इच्छित वस्तुओं के लिए आवश्यकतानुसार कर्म करो, वे तुम्हें प्राप्त हो जाएंगी।' युवक ने कहा, 'नहीं, मैं जादू से इच्छित वस्तुएं पाकर लोगों को आश्चर्यचकित करना चाहता हूं।'

    जादूगर बोला, 'ठीक है, मैं तुम्हें एक मंत्र लिखकर देता हूं। तुम्हें इसे याद करना होगा। लेकिन तुम यह मंत्र उस समय मेरे पास बैठकर याद करोगे जब मैं खेल दिखाता रहूंगा।'

    युवक मंत्र याद करने के लिए तैयार हो गया। जादूगर ने एक कागज पर मंत्र लिखकर युवक को दे दिया और जादू दिखाने लगा। उसका जादू इतना आकर्षक था कि लोग बार-बार तालियां बजा-बजाकर उसका उत्साहवर्धन कर रहे थे। लगभग पंद्रह मिनट में उसने खेल समाप्त किया और युवक के हाथ से पर्चा वापस लेकर उससे मंत्र सुनाने को कहा। युवक मंत्र सुनाने में असमर्थ रहा। जादूगर ने पूछा, 'तुम्हें मंत्र याद क्यों नहीं हुआ?' युवक ने कहा, 'क्षमा करें बहुत प्रयास करने पर भी मेरा मन आपके आकर्षक जादू की ओर खिंचा जा रहा था। मैं चाहकर भी मंत्र याद नहीं कर पाया। यदि आप आज्ञा दें तो मैं एकांत में जाकर इस मंत्र को याद कर लेता हूं।' जादूगर ने कहा 'नहीं जादू की सिद्धि कोई हंसी खेल नहीं है, उसमें तो इससे भी अधिक बाधाएं आती हैं। जब तुम अपने मन को ही वश में नहीं कर सकते तो दूसरी वस्तुओं को अपने वश में कैसे करोगे? सच तो यह है कि मैं जादू जानने के बाद भी कोई वस्तु अपनी इच्छा से नहीं पा सकता, बल्कि जादू दिखाकर रोटी के लिए एक-एक पैसा इकट्ठा करता फिरता हूं। जिंदगी को जादू या सपनों से मत जोड़ो। परिश्रम करो, क्योंकि जादू और हकीकत में फर्क होता है।' 

    अपना सांई प्यारा सांई सबसे न्यारा अपना सांई

    ॐ सांई राम।।।
    अपना साँई प्यारा साँई सबसे न्यारा अपना साँई - रमेश रमनानी

    Offline Ramesh Ramnani

    • Member
    • Posts: 5501
    • Blessings 60
      • Sai Baba
    Re: SMALL STORIES
    « Reply #204 on: September 15, 2007, 11:06:30 PM »
  • Publish
  • जय सांई राम।।।

    आत्म कल्याण की एक साधना है दान
     
    यक्ष ने धर्मराज युधिष्ठिर से प्रश्न किया- मृत्यु के समय सब यहीं छूट जाता है, सगे-संबंधी, मित्र कोई साथ नहीं दे पाते, तब उसका साथी कौन होता है, कौन उसका साथ देता है? युधिष्ठिर ने कहा- मृत्यु प्राप्त करने वाले का मित्र दान है, वही उसका साथ दे पाता है। यक्ष का अगला प्रश्न था- श्रेष्ठ दान क्या है? उत्तर था-जो श्रेष्ठ मित्र की भूमिका निभा सके। फिर प्रश्न था-दान किसे दिया जाए? उत्तर था- दान सुपात्र या सही व्यक्ति को दिया जाए। जो प्राप्त दान को श्रेष्ठ कार्य में लगा सके, उसी को दिया गया दान श्रेष्ठ होता है। वही पुण्य फल देने में समर्थ होता है।

    दान को धर्म में एक जरूरी और उत्तम कार्य बताया गया है। अथर्ववेद में स्पष्ट कहा गया है कि सैकड़ों हाथों से कमाओ और हजारों हाथों से बांट दो। शास्त्रकारों ने कहा है कि जो सम्पन्न व्यक्ति अपनी सम्पत्ति का भोग बिना दान के करता है, वह अच्छे लोगों की श्रेणी में नहीं माना जा सकता। वह निंदनीय है।

    कबीर ने कहा है कि अर्थ की शुद्धि के लिए दान आवश्यक है। जिस प्रकार बहता हुआ पानी शुद्ध रहता है उसी तरह धन भी गतिशील रहने से शुद्ध होता है। धन कमाना और उसे शुभ कामों में लगा देना अर्थ शुद्धि के लिए आवश्यक है। यदि धन का केवल संग्रह होता रहे तो संभव है एक दिन वह उसी नाव की तरह मनुष्य को डुबो देगा, जिसमें पानी भर जाता है। नाव का पानी उलीचा न जाए तो निश्चय ही वह डूब जाएगी। पानी की टंकी से जब तक पानी निकलता रहता है तभी तक टंकी में ताजा जल आने की गुंजाइश रहती है। धन के संग्रह से अनेक व्यक्तिगत और सामाजिक बुराइयां भी पैदा हो जाती हैं जिससे बोझिल होकर मनुष्य कल्याण पथ से भटक जाता है, जीवन की राह से फिसल जाता है। इसीलिए कमाने के साथ-साथ धन को दान के माध्यम से परमार्थ में लगाना चाहिए ताकि दुनिया के अभावग्रस्त लोगों का भला हो सके।

    स्वामी रामतीर्थ ने कहा था, 'दान देना ही आमदनी का एकमात्र द्वार है। जहां दिया नहीं जाता, खर्च नहीं किया जाता, वहां धीरे-धीरे आमदनी की संभावना भी कम हो जाती है। आय का स्त्रोत उन्मुक्त भाव से उन्हीं के लिए खुला रहता है जो दान करते हैं, उसे समाज के लिए खर्च करते हैं।'

    दान व्यावहारिक जीवन में एक ऐसी साधना पद्धति है जिसके माध्यम से हम अपने भीतर अनेक आध्यात्मिक, मानसिक तथा चारित्रिक गुण और विशेषताएं विकसित कर सकते हैं। विक्टर ह्यूगो ने कहा था, 'ज्यों-ज्यों धन की थैली दान में खाली होती जाती है, त्यों-त्यों दिल भरता जाता है।' दान से मिलने वाले संतोष और प्रसन्नता का महत्व कम नहीं है। जीवन में इनकी महत्वपूर्ण भूमिका है।

    स्वामी विवेकानंद अमेरिका में थे। एक दिन वह ज्यों ही अपना भोजन बनाकर खाने के लिए बैठे कि बच्चों की एक टोली हंसते-खेलते वहां आ पहुंची। स्वामी जी से नहीं रहा गया। उन्होंने बच्चों को पास बैठा कर बड़े प्यार से सारा भोजन खिला दिया। एक अन्य सज्जन जो यह सब देख रहे थे बोले, ' स्वामी जी आप तो अब भूखे ही रह जाएंगे।' स्वामी जी ने कहा, 'इन बच्चों को भोजन करा कर जो तृप्ति और संतोष मुझे हुआ है, वह उस भोजन से नहीं हो सकता था।'

    दूसरों को देकर आत्मसंतोष, प्रसन्नता और आंतरिक सुख प्राप्त होता है। दान एक बहुत बड़े सामाजिक कर्त्तव्य की पूर्ति भी है। किसी भी समाज में सभी तो कमाने की स्थिति में नहीं होते पर दान समाज के दुर्बल अंग को जीवन देता है। यदि संसार में चल रही दान व्यवस्थाएं बंद कर दी जाएं तो मानव समान के एक बड़े हिस्से के नष्ट हो जाने की आशंका बढ़ जाएगी।   

    अपना सांई प्यारा सांई सबसे न्यारा अपना सांई

    ॐ सांई राम।।।
    अपना साँई प्यारा साँई सबसे न्यारा अपना साँई - रमेश रमनानी

    Offline Ramesh Ramnani

    • Member
    • Posts: 5501
    • Blessings 60
      • Sai Baba
    Re: SMALL STORIES
    « Reply #205 on: September 17, 2007, 11:29:50 PM »
  • Publish
  • जय सांई राम।।।

    सुख का मार्ग
     
    बचपन में मुनि कपिल बहुत शैतानी करते थे। उनकी शरारत से परेशान होकर उनके पिता मुनि कर्दम और माता देवहुति ने उन्हें गुरुकुल भेज दिया। एक दिन गुरुकुल के गुरुजी मुनि कर्दम के पास आकर बोले, 'मुनिवर, क्षमा करें, मैं आपके पुत्र को शिक्षा नहीं दे सकता।' मुनि कर्दम ने सोचा कि कपिल वहां भी शरारत करते होंगे। उन्होंने पूछा, 'क्या कपिल ने वहां भी कोई शरारत की है?'

    ' नहीं मुनिवर, ऐसी कोई बात नहीं है। आपके पुत्र को किसी तरह की शिक्षा की जरूरत नहीं है। वह हमसे ज्यादा बुद्धिमान और तेजस्वी है। वेद-पुराण, उपनिषद तक उसे याद हैं। मैं उसे क्या शिक्षा दे पाऊंगा?'

    बेटे की प्रशंसा सुन कर मुनि कर्दम बहुत खुश हुए। उन्होंने सोचा कि अब कपिल अपनी माता के साथ आश्रम को ठीक से चला लेगा, इसलिए उन्होंने संन्यास धारण कर लिया और हिमालय चले गए। बाद में देवहुति का मन भी इस संसार से उचाट होने लगा। एक दिन उन्होंने कपिल को बुला कर कहा, 'बेटा, अब तुम आश्रम ठीक से चला रहे हो, इसलिए मैं सांसारिक बंधनों से मुक्त होना चाहती हूं, लेकिन पुत्र मोह मुझे छोड़ नहीं रहा है। सोचती हूं मेरे जाने पर तुम्हारा क्या होगा।'

    कपिल ने कहा, 'मेरी मृत्यु के डर से अपने सुखी जीवन को नरक मत बनाओ। इस संसार में न तो कुछ मेरा है, न तेरा। जो कुछ है प्रभु का है। न कोई अपनी इच्छा से जीवित रह सकता है और न ही मर सकता है। फिर पुत्र मोह क्यों? मेरी चिंता छोड़ कर सांसारिक बंधनों से मुक्त होना ही आपके लिए एकमात्र सुख का मार्ग है। '

    उसके बाद देवहुति ने भी संन्यास धारण कर लिया। मां के जाने के बाद एक शिष्य ने कपिल से पूछा, 'क्या आपको मां का मोह नहीं लगा जो उन्हें जाने दिया?' कपिल ने कहा 'मां का मोह किसे नहीं होगा। लेकिन अपने सुख के लिए मैं मां का सुख नहीं छीनना चाहता।' मुनि कपिल ने अपनी मां को जो ज्ञान दिया वही बाद में सांख्य योग के नाम से प्रसिद्ध हुआ। 

    अपना सांई प्यारा सांई सबसे न्यारा अपना सांई

    ॐ सांई राम।।।
    अपना साँई प्यारा साँई सबसे न्यारा अपना साँई - रमेश रमनानी

    Offline tana

    • Member
    • Posts: 7074
    • Blessings 139
    • ~सांई~~ੴ~~सांई~
      • Sai Baba
    Re: SMALL STORIES
    « Reply #206 on: September 23, 2007, 11:52:58 PM »
  • Publish
  • Om Sai Ram~~~

     
    Worth~~~

    Horror gripped the heart of a World War-I soldier, as he saw his lifelong friend fall in battle. The soldier asked his Lieutenant if he could go out to bring his fallen comrade back.


    "You can go," said the Lieutenant," but don't think it will be worth it.


    Your friend is probably dead and you may throw your life away."


    "The Lieutenant's words didn't matter, and the soldier went anyway.


    Miraculously, he managed to reach his friend, hoisted him onto his shoulder and brought him back to their company's trench. The officer checked the wounded soldier, then looked kindly at his friend.


    "I told you it wouldn't be worth it," he said. "Your friend is dead and you are mortally wounded."


    "It was worth it, Sir," said the soldier.


    "What do you mean by worth it?" responded the Lieutenant. "Your friend is dead."


    "Yes Sir," the soldier answered,


    "but it was worth it because when I got to him, he was still alive and I had the satisfaction of hearing him say....


    " Jim...I knew you'd come."



    ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~


    Many times in life, whether a thing is worth doing or not, really depends on how u look at it.


    Take up all your courage and do something your heart tells you to do so that you may not  regret not doing it later in your life........


    Jai Sai Ram~~~
    "लोका समस्ता सुखिनो भवन्तुः
    ॐ शन्तिः शन्तिः शन्तिः"

    " Loka Samasta Sukino Bhavantu
    Aum ShantiH ShantiH ShantiH"~~~

    May all the worlds be happy. May all the beings be happy.
    May none suffer from grief or sorrow. May peace be to all~~~

    Offline tana

    • Member
    • Posts: 7074
    • Blessings 139
    • ~सांई~~ੴ~~सांई~
      • Sai Baba
    Re: SMALL STORIES
    « Reply #207 on: September 26, 2007, 10:11:17 PM »
  • Publish
  • Om Sai Ram~~~

    MIND YOUR OWN BUSINESS~~~

    A crow was sitting on a tree, doing nothing all day.

    A small rabbit saw the crow, and asked him, "Can I also sit like you and do nothing all day long?"

    The crow answered: "Sure, why not."

    So, the rabbit sat on the ground below the crow, and rested. All of a sudden, a fox appeared,

    jumped on the rabbit and ate it.

    Moral~~~
    To be sitting and doing nothing, you must be sitting very, very high up.


    Jai Sai Ram~~~
    "लोका समस्ता सुखिनो भवन्तुः
    ॐ शन्तिः शन्तिः शन्तिः"

    " Loka Samasta Sukino Bhavantu
    Aum ShantiH ShantiH ShantiH"~~~

    May all the worlds be happy. May all the beings be happy.
    May none suffer from grief or sorrow. May peace be to all~~~

    Offline tana

    • Member
    • Posts: 7074
    • Blessings 139
    • ~सांई~~ੴ~~सांई~
      • Sai Baba
    Re: SMALL STORIES
    « Reply #208 on: September 29, 2007, 02:08:31 AM »
  • Publish
  • Om Sai Ram~~~

    Sense of Humor ~~~

    Interviewer said, "I shall either ask you ten easy questions or one really difficult question. Think well before you make up your mind!"


    Interviewer said, " I shall either ask you ten easy questions or one really difficult question. Think well before you make up your mind!"


    The candidate thought for a while and said, " My choice is one really difficult question."


    " Well, good luck to you, you have made your own choice!" said the interviewer.


    Here is your question: " What comes first, Day or Night?"


    The boy was jolted into reality as his admission depended on the correctness of the answer to that one question. He thought for a while and said, " It's DAY sir!"


    " How?" the interviewer asked.


    " Sorry sir, you promised me that you will not ask me a SECOND difficult question!"


    Moral : Technical Skill is the mastery of complexity, while Creativity is the mastery of simplicity

     
    Jai Sai Ram~~~
    "लोका समस्ता सुखिनो भवन्तुः
    ॐ शन्तिः शन्तिः शन्तिः"

    " Loka Samasta Sukino Bhavantu
    Aum ShantiH ShantiH ShantiH"~~~

    May all the worlds be happy. May all the beings be happy.
    May none suffer from grief or sorrow. May peace be to all~~~

    Offline Ramesh Ramnani

    • Member
    • Posts: 5501
    • Blessings 60
      • Sai Baba
    Re: SMALL STORIES
    « Reply #209 on: October 03, 2007, 11:02:05 PM »
  • Publish

  • जय सांई राम।।।

    1. सुकर्म करने वाले लोग कभी भी, भोग, योग और पत्र (रुपया-पैसा) का संचय नहीं करते वो लोग महान कहलाते हैं। इसी कारण उनका सुयश सर्वत्र फैलता है वो चाहे विक्रमादित्य हों या भगवान श्री कृष्ण सब अपने अपने सकर्मों के लिए प्रसिद्ध हैं पर इनमें से किसी ने भी भोग, योग और धन को केवल अपने पास ही तक सीमित नहीं रखा। अपने सत्कर्मों से अर्जित फल को पूरे समाज में बाँटा। मधु मक्खियों को देखो कितने परिश्रम से वह मधु को एकत्रित करती हैं यह जानते हुए भी कि इसे कोई तोड़ कर ले जायेगा। इस प्रकार से परोपकार के कारण ही लोगों का सुयश बना रहता है।

    2.सुयश के लिए सुकर्म आवश्यक है। बिना सुकर्म के सुयश नहीं मिलता। सुकर्म रूपी दुग्ध से ही सुयश रूपी नवनीत निकलती है। सुकर्म ही सुकर्म का जन्मदाता है।

    3.जो पाखंडी होता है वह दूसरों के काम बिगाड़ता है, धनी द्वेष करने वाला ऊपर से मणि पर भीतर से क्रूर होती है वह मार्जर कहलाता है। बिल्ली में भी लगभग इसी प्रकार के स्वभाव होते हैं।

    अपना सांई प्यारा सांई सबसे न्यारा अपना सांई

    ॐ सांई राम।।।
    अपना साँई प्यारा साँई सबसे न्यारा अपना साँई - रमेश रमनानी

     


    Facebook Comments