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Author Topic: SMALL STORIES  (Read 212365 times)

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Offline tana

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Re: SMALL STORIES
« Reply #240 on: February 29, 2008, 01:06:41 PM »
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  • ॐ सांई राम~~~

    सुनो सबकी करो मन की ~~~


    एक मर्तबा बहुत से मेंढक जंगल से जा रहे थे। वे सभी आपसी बातचीत में कुछ ज्यादा ही व्यस्त थे। तभी उनमें से दो मेंढक एक जगह एक गड्ढे में गिर पड़े। बाकी मेंढकों ने देखा कि उनके दो साथी बहुत गहरे गड्ढे में गिर गए हैं।

    गड्ढा गहरा था और इसलिए बाकी साथियों को लगा कि अब उन दोनों का गड्ढे से बाहर निकल पाना मुश्किल है।

    साथियों ने गड्ढे में गिरे उन दो मेंढकों को आवाज लगाकर कहा कि अब तुम खुद को मरा हुआ मानो। इतने गहरे गड्ढे से बाहर निकल पाना असंभव है।

    दोनों मेंढकों ने बात को अनसुना कर दिया और बाहर निकलने के लिए कूदने लगे। बाहर झुंड में खड़े मेंढक उनसे चीखकर कहने लगे कि बाहर निकलने की कोशिश करना बेकार है। अब तुम बाहर नहीं आ पाओगे। थोड़ी देर तक कूदाफाँदी करने के बाद भी जब गड्ढे से बाहर नहीं निकल पाए तो एक मेंढक ने आस छोड़ दी और गड्ढे में और नीचे की तरफ लुढ़क गया। नीचे लुढ़कते ही वह मर गया।

    दूसरे मेंढक ने कोशिश जारी रखी और अंततः पूरा जोर लगाकर एक छलाँग लगाने के बाद वह गड्ढे से बाहर आ गया। जैसे ही दूसरा मेंढकगड्ढे से बाहर आया तो बाकी मेंढक साथियों ने उससे पूछा- जब हम तुम्हें कह रहे थे कि गड्ढे से बाहर आना संभव नहीं है तो भी तुम छलाँग मारते रहे, क्यों?

    इस पर उस मेंढक ने जवाब दिया- दरअसल मैं थोड़ा-सा ऊँचा सुनता हूँ और जब मैं छलाँग लगा रहा था तो मुझे लगा कि आप मेरा हौसला बढ़ा रहे हैं और इसलिए मैंने कोशिश जारी रखी और देखिए मैं बाहर आ गया।

    यह छोटी कहानी कई बातें कहती है। पहली यह कि हमें हमेशा दूसरों का हौसला बढ़ाने वाली बात ही कहनी चाहिए। दूसरी यह कि जब हमें अपने आप पर भरोसा हो तो दूसरे क्या कह रहे हैं इसकी कोई परवाह नहीं करनी चाहिए। 

    जय सांई राम~~~
    "लोका समस्ता सुखिनो भवन्तुः
    ॐ शन्तिः शन्तिः शन्तिः"

    " Loka Samasta Sukino Bhavantu
    Aum ShantiH ShantiH ShantiH"~~~

    May all the worlds be happy. May all the beings be happy.
    May none suffer from grief or sorrow. May peace be to all~~~

    Offline Ramesh Ramnani

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    Re: SMALL STORIES
    « Reply #241 on: March 01, 2008, 01:51:59 AM »
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  • जय सांई राम।।।

    अकबर बीरबल और तीन सवाल

    महाराजा अकबर, बीरबल की हाज़िरजवाबी के बडे कायल थे. उनकी इस बात से दरबार के अन्य मंत्री मन ही मन बहुत जलते थे. उनमें से एक मंत्री, जो महामंत्री का पद पाने का लोभी था, ने मन ही मन एक योजना बनायी. उसे मालूम था कि जब तक बीरबल दरबार में मुख्य सलाहकार के रूप में है उसकी यह इच्छा कभी पूरी नहीं हो सकती.

    एक दिन दरबार में अकबर ने बीरबल की हाज़िरजवाबी की बहुत प्रशंसा की. यह सब सुनकर उस मंत्री को बहुत गुस्सा आया. उसने महाराज से कहा कि यदि बीरबल मेरे तीन सवालों का उत्तर सही-सही दे देता है तो मैं उसकी बुद्धिमता को स्वीकार कर लुंगा और यदि नहीं तो इससे यह सिद्ध होता है की वह महाराज का चापलूस है. अकबर को मालूम था कि बीरबल उसके सवालों का जवाब जरूर दे देगा इसलिये उन्होंने उस मंत्री की बात स्वीकार कर ली.

    उस मंत्री के तीन सवाल थे -

    १. आकाश में कितने तारे हैं.
    २. धरती का केन्द्र कहाँ है.
    ३. सारे संसार में कितने स्त्री और कितने पुरूष हैं.

    अकबर ने फौरन बीरबल से इन सवालों के जवाब देने के लिये कहा. और शर्त रखी कि यदि वह इनका उत्तर नहीं जानता है तो मुख्य सलाहकार का पद छोडने के लिये तैयार रहे.

    बीरबल ने कहा, “तो सुनिये महाराज”.

    पहला सवाल - बीरबल ने एक भेड मँगवायी. और कहा जितने बाल इस भेड के शरीर पर हैं आकाश में उतने ही तारे हैं. मेरे दोस्त, गिनकर तस्सली कर लो, बीरबल ने मंत्री की तरफ मुस्कुराते हुए कहा.

    दूसरा सवाल - बीरबल ने ज़मीन पर कुछ लकीरें खिंची और कुछ हिसाब लगाया. फिर एक लोहे की छड मँगवायी गयी और उसे एक जगह गाड दिया और बीरबल ने महाराज से कहा, “महाराज बिल्कुल इसी जगह धरती का केन्द्र है, चाहे तो आप स्व्यं जाँच लें”. महाराज बोले ठीक है अब तीसरे सवाल के बारे में कहो.

    अब महाराज तीसरे सवाल का जवाब बडा मुश्किल है. क्योंकि इस दुनीया में कुछ लोग ऐसे हैं जो ना तो स्त्री की श्रेणी में आते हैं और ना ही पुरूषों की श्रेणी. उनमें से कुछ लोग तो हमारे दरबार में भी उपस्थित हैं जैसे कि ये मंत्री जी. महाराज यदि आप इनको मौत के घाट उतरवा दें तो मैं स्त्री-पुरूष की सही सही संख्या बता सकता हूँ. अब मंत्री जी सवालों का जवाब छोडकर थर-थर काँपने लगे और महाराज से बोले,”महाराज बस-बस मुझे मेरे सवालों का जवाब मिल गया. मैं बीरबल की बुद्धिमानी को मान गया हूँ”.

    महाराज हमेशा की तरह बीरबल की तरफ पीठ करके हँसने लगे और इसी बीच वह मंत्री दरबार से खिसक लिया.

    अपना सांई प्यारा सांई सबसे न्यारा अपना सांई

    ॐ सांई राम।।।
    अपना साँई प्यारा साँई सबसे न्यारा अपना साँई - रमेश रमनानी

    Offline fatima

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    Re: SMALL STORIES
    « Reply #242 on: March 01, 2008, 02:20:31 AM »
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  • Lizards Have Done It

     In Japan, a man breaks open the wall to renovate his house. Japanese houses normally have a hollow space between the wooden walls, and when when tearing down the walls, he found that there was a lizard stuck there because a nail from outside had been hammered into one of its feet. The man sees this, feels pity, and at the same time is curious because upon checking the nail he realized it had been there since the house was built ten years ago.

    What happened?

    The lizard had survived in that position for ten years! In a dark wall partition for 10 years without moving, the man found this to be impossible and mind boggling. Then he wondered how this lizard survived for ten years without moving a single step--since its foot was nailed!

    So the man stopped his work and observed the lizard, what it had been doing, and what and how it has been eating. Later, not knowing from where it came, appeared another lizard... with food in its mouth. 
    Not every heart is capable of finding the secret of God's love.

    There are not pearls in every sea; there is not gold in every mine.


                                       ------Baba Farid

    Offline fatima

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    Re: SMALL STORIES
    « Reply #243 on: March 03, 2008, 05:28:13 AM »
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  • The Trouble Tree


    The carpenter I hired to help me restore an old farmhouse had just finished a rough first day on the job. A flat tire made him lose an hour of work, his electric saw quit, and now his ancient pickup truck refused to start. While I drove him home, he sat in stony silence.

    On arriving, he invited me in to meet his family. As we walked toward the front door, he paused briefly at a small tree, touching the tips of the branches with both hands. When opening the door he underwent an amazing transformation. His tanned face was wreathed in smiles and he hugged his two small children and gave his wife a kiss.

    Afterward he walked me to the car. We passed the tree and my curiosity got the better of me. I asked him about what I had seen him do earlier.

    "Oh, that's my trouble tree," he replied." I know I can't help having troubles on the job, but one thing's for sure, troubles don't belong in the house with my wife and the children. So I just hang them on the tree every night when I come home. Then in the morning I pick them up again."

    He paused. "Funny thing is," he smiled, "when I come out in the morning to pick 'em up, there ain't nearly as many as I remember hanging up the night before." 
    Not every heart is capable of finding the secret of God's love.

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    Offline fatima

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    Re: SMALL STORIES
    « Reply #244 on: March 05, 2008, 03:25:33 AM »
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  • Three Hairs

    There once was a woman who woke up one morning, looked in the mirror, and noticed she had only three hairs on her head. "Well," she said, "I think I'll braid my hair today." So she did and she had a wonderful day.

    The next day she woke up, looked in the mirror and saw that she had only two hairs on her head. "H-M-M, " she said, "I think I'll part my hair down the middle today." So she did and she had a grand day.

    The next day she woke up, looked in the mirror and noticed that she had only one hair on her head. "Well," she said, "Today I'm going to wear my hair in a pony tail." So she did and she had a fun, fun day.

    The next day she woke up, looked in the mirror and noticed that there wasn't a single hair on her head....

    "YEAH!" she exclaimed, "I don't have to fix my hair today!"
    Not every heart is capable of finding the secret of God's love.

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    Offline tana

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    Re: SMALL STORIES
    « Reply #245 on: March 05, 2008, 04:29:40 AM »
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  • ॐ सांई राम~~~

    सच बोलता आईना~~~

    ऐश नाम की एक छोटी सी लड़की थी। जो बात-बात पर गुस्सा हो जाया करती थी। उसकी माँ उसे समझाती रहती कि इतना गुस्सा करना अच्छी बात नहीं है, लेकिन फिर भी उसके स्वभाव में कोई बदलाव नहीं आया।

    एक बार ऐश अपना होमवर्क करने में व्यस्त थी। उसकी टेबल पर प्यारा-सा फ्लावर पॉट रखा था। तभी उसके छोटे भाई का हाथ उस फ्लावर पॉट पर चला गया। और उसके कई टुकड़े हो गए।

    ऐश गुस्से से बौखला उठी। तभी उसकी माँ ने एक आईनालाकर उसके सामने रख दिया। गुस्से में जब ऐश ने अपनी शक्ल आईने में देखी, जो गुस्से में बहुत ही बुरी लग रही थी। अपना बिगड़ा चेहरा देख्रते ही ऐश का गुस्सा छू-मंतर हो गया।

    तब उसकी माँ ने कहा कि देखा ऐश ! तुम्हारी शक्ल आईने में कितनी बुरी लगती है, क्योंकि आईना कभी झूठ नहीं बोलता।

    ऐश को पता चल गया था कि गुस्सा करना कितना बुरा होता है। उस दिन से ऐश ने गुस्सा करना छोड़ दिया।

    जय सांई राम~~~
     
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    Offline Ramesh Ramnani

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    Re: SMALL STORIES
    « Reply #246 on: March 05, 2008, 11:39:45 PM »
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  • जय सांई राम।।।

    इस संसार में हर कोई उपयोगी है?

    एक राजा था। उसने आज्ञा दी कि संसार में इस बात की खोज की जाय कि कौन से जीव-जंतु निरुपयोगी हैं। बहुत दिनों तक खोज बीन करने के बाद उसे जानकारी मिली कि संसार में दो जीव जंगली मक्खी और मकड़ी बिल्कुल बेकार हैं। राजा ने सोचा, क्यों न जंगली मक्खियों और मकड़ियों को ख़त्म कर दिया जाए।

    इसी बीच उस राजा पर एक अन्य शक्तिशाली राजा ने आक्रमण कर दिया, जिसमें राजा हार गया और जान बचाने के लिए राजपाट छोड़ कर जंगल में चला गया। शत्रु के सैनिक उसका पीछा करने लगे। काफ़ी दौड़-भाग के बाद राजा ने अपनी जान बचाई और थक कर एक पेड़ के नीचे सो गया। तभी एक जंगली मक्खी ने उसकी नाक पर डंक मारा जिससे राजा की नींद खुल गई। उसे ख़याल आया कि खुले में ऐसे सोना सुरक्षित नहीं और वह एक गुफ़ा में जा छिपा। राजा के गुफ़ा में जाने के बाद मकड़ियों ने गुफ़ा के द्वार पर जाला बुन दिया।

    शत्रु के सैनिक उसे ढूँढ ही रहे थे। जब वे गुफ़ा के पास पहुँचे तो द्वार पर घना जाला देख कर आपस में कहने लगे, "अरे! चलो आगे। इस गुफ़ा में वह आया होता तो द्वार पर बना यह जाला क्या नष्ट न हो जाता।"

    गुफ़ा में छिपा बैठा राजा ये बातें सुन रहा था। शत्रु के सैनिक आगे निकल गए। उस समय राजा की समझ में यह बात आई कि संसार में कोई भी प्राणी या चीज़ बेकार नहीं। अगर जंगली मक्खी और मकड़ी न होतीं तो उसकी जान न बच पाती। इस संसार में कोई भी चीज़ या प्राणी बेकार नहीं। हर एक की कहीं न कहीं उपयोगिता है।

    अपना सांई प्यारा सांई सबसे न्यारा अपना सांई

    ॐ सांई राम।।।
    अपना साँई प्यारा साँई सबसे न्यारा अपना साँई - रमेश रमनानी

    Offline Ramesh Ramnani

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    Re: SMALL STORIES
    « Reply #247 on: March 15, 2008, 05:35:26 AM »
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  • जय सांई राम।।।

    चिड़िया की शिक्षा

    राजा भानुप्रताप के विशाल महल में एक सुंदर वाटिका थी, जिसमें अंगूरों की एक बेल लगी थी। वहां रोज एक चिड़िया आती और मीठे अंगूर चुन-चुनकर खा जाती मगर अधपके और खट्टे अंगूरों को नीचे गिरा देती। माली ने चिड़िया को पकड़ने की बहुत कोशिश की पर वह हाथ नहीं आई। हताश होकर एक दिन माली ने राजा को यह बात बताई। यह सुनकर भानुप्रताप को आश्चर्य हुआ। उसने चिड़िया को सबक सिखाने की ठान ली।

    एक दिन वह वाटिका में छिपकर बैठ गया। जब चिड़िया अंगूर खाने आई तो राजा ने फुर्ती से उसे पकड़ लिया। जब राजा चिड़िया को मारने लगा, तो चिड़िया ने कहा, 'हे राजन, मुझे मत मारो। मैं आपको ज्ञान की 4 महत्वपूर्ण बातें बताऊंगी।' राजा ने कहा, 'जल्दी बता।' चिड़िया बोली, 'हे राजन, सबसे पहले तो हाथ में आए शत्रु को कभी मत छोड़ो।' राजा ने कहा, 'दूसरी बात बता।' चिड़िया ने कहा, 'असंभव बात पर भूलकर भी विश्वास मत करो और तीसरी बात यह है कि बीती बातों पर कभी पश्चाताप मत करो।' राजा ने कहा, 'अब चौथी बात भी जल्दी बता दो।' इस पर चिड़िया बोली, 'चौथी बात बड़ी गूढ़ और रहस्यमयी है। मुझे जरा ढीला छोड़ दें क्योंकि मेरा दम घुट रहा है। कुछ सांस लेकर ही बता सकूंगी।' चिड़िया की बात सुन जैसे ही राजा ने अपना हाथ ढीला किया, चिड़िया उड़कर एक डाल पर बैठ गई और बोली, 'मेरे पेट में दो हीरे हैं।'

    यह सुनकर राजा पश्चाताप में डूब गया। राजा की हालत देख चिड़िया बोली, 'हे राजन, ज्ञान की बात सुनने और पढ़ने से कुछ लाभ नहीं होता, उस पर अमल करने से होता है। आपने मेरी बात नहीं मानी। मैं आपकी शत्रु थी, फिर भी आपने पकड़कर मुझे छोड़ दिया। मैंने यह असंभव बात कही कि मेरे पेट में दो हीरे हैं फिर भी आपने उस पर भरोसा कर लिया। आपके हाथ में वे काल्पनिक हीरे नहीं आए तो आप पछताने लगे। उपदेशों को जीवन में उतारे बगैर उनका कोई मोल नहीं।'

    अपना सांई प्यारा सांई सबसे न्यारा अपना सांई

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    अपना साँई प्यारा साँई सबसे न्यारा अपना साँई - रमेश रमनानी

    Offline fatima

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    Re: SMALL STORIES
    « Reply #248 on: March 17, 2008, 05:53:39 AM »
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  • THE YOGI AND THE TWO QUEENS

    Thousands of years ago there lived in Rajasthan a yogi called Sivapremaraja, who was the chosen disciple of Sankartapasmuni. One day two queens visited the yogi. Queen Ayesha of Persia thought only of the yogi’s material comforts and gave him much money. Queen Ratna of Nepal wanted to learn the yogi’s spiritual knowledge, and so she stayed with him day and night. The yogi asked both queens who they thought he was. Queen Ayesha said that he was a poor holy man and that with her support, some ashrams could be built. The yogi agreed, but asked Queen Ayesha to think where God’s temple is. On the other hand, Queen Ratna said that only through meditation in the yogi’s presence would his identity be revealed. The yogi looked at each equally. He knew that he was only a humble devotee of Sankartapasmuni, whose spiritual powers flowed through him. Suddenly, to test the faith of both queens, the yogi took on all their karma at once and appeared to have died. Queen Ayesha lost her faith in her guru at once and had his body cremated. Queen Ratna loved her guru beyond the body and sent word to Sankartapasmuni about his disciple’s death. The old yogi replied that no disciple of his would ever fall to death prematurely and that the power of tapas would bring Sivapremaraja back to life. Queen Ayesha returned to Persia having learnt nothing. Queen Ratna sat silently chanting her guru mantra over his burnt ashes. Two months passed and nothing happened. Just then, in a dark cave, Sankartapasmuni started chanting Aum Namah Sivaya. By the power of his tapas, the old yogi called on the god to release his beloved devotee Sivapremaraja. Suddenly, in front of the meditating Queen Ratna, an explosion thundered, a trisula rose from the earth, and then a stone linga emerged. The linga split in two and by the grace of his old guru and the faith of his disciple Queen Ratna, there appeared the resurrected body of Sivapremaraja. Then Sivapremaraja told his disciple Queen Ratna that the real yogi lives by God’s power and is free from body and money attachments.

    Queen Ayesha returned to Persia and found her kingdom suffering from a famine and a plague. She wondered why her people were being punished so cruelly. Then a blind beggar told her that for the sin of burning the Hindu holy man while in communion with God, her kingdom would have to perish. Queen Ayesha got angry and ordered the blind beggar to be jailed, but he immediately vanished from her sight. At the same time, the blind beggar came in a dream to the mountain bandit chieftain named Pelgaz Kasim. In his dream the blind man told Pelgaz Kasim that because of Queen Ayesha’s sin toward the Hindu holy man, her kingdom would collapse as soon as he attacked it. So at midnight, Pelgaz Kasim led his mountain tribes in the invasion of Queen Ayesha’s kingdom. Although heavily outnumbered, fate made Pelgaz Kasim victorious. With her army annihilated, Queen Ayesha was taken prisoner. Pelgaz Kasim told her that her crime was very great, and that she would have to choose between death or total exile from Persia. Queen Ayesha chose exile. Wherever she wandered the people cursed her and said she was the evil murderer of a holy man. After months of lonely wandering in the desert, her clothes were in rags and her beauty had vanished. Yet fate was blindly leading her to cross the Indian border into Rajasthan. Queen Ayesha was in mental agony, but she now knew that all her sufferings stemmed from her premature cremation of Sivapremaraja. The desert sun was too much for her. She collapsed totally unconscious. Then she had a dream that a flame stood burning in midair and a voice thundered saying: "I am the flame and guide of your soul and can never die." While she was still unconscious, a lady on a horse rode toward her. It was Sivapremaraja’s devotee, Queen Ratna. Queen Ayesha was put on the horse and swiftly taken to Sivapremaraja’s ashram. Her bad karma caused by ignorance was soon to end.

    Queen Ayesha awoke and looked into the eyes of the blind beggar that came to her court at Persia. Suddenly the blind beggar changed his body into that of Sivapremaraja. Queen Ayesha started crying. "Oh Guru Maharaj, you have taught me a bitter lesson by taking everything away from me so that at last you would possess only my soul to direct," she moaned. The guru replied: "Ayesha, once you realize that only your soul is real, then you can know God. The guru’s love is undying in spite of the disciple’s unfaithfulness. I forgive you, but in order for your karma to be purified, you must die tomorrow." She answered: "now I have complete faith in you and will prepare to meet death." As expected, Queen Ayesha died early next morning of a heart attack. Sivapremaraja ordered that there should be no cremation of her dead body. The guru was in control of this little game of maya. He then left his body and went into samadhi. In the realm of death, Queen Ayesha passed through many fires where people had to suffer to wipe out their evil karma. Yet she did not suffer because she now had faith in her guru’s protection. Suddenly she came face to face with Lord Siva. The god told her that by her newly acquired faith in her guru, she would be transported to experience the soul’s liberation on the heavenly plane. Queen Ayesha now experienced herself as a body made up of luminous points of light. She saw a pink lotus descend on top of a mountain. The petals unfolded and there sat her guru, Sivapremaraja. The guru said: "now I will show you the secret of divine existence." Flames shot out of his eyes and Queen Ayesha felt an electric explosion within her being. Now she was everywhere at once. Her eyes saw the world pervaded by light, her heart felt an unending warm bliss, and her mind experienced thoughtless peace. She looked at her guru Sivapremaraja and saw unending galaxies revolving in his body. "This is enough for now," said her guru as he touched her forehead. Queen Ayesha awoke back to life and remembered all that had happened. She had lost her worldly kingdom, but by her faith in her guru, she had attained entrance into the kingdom of God.
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                                       ------Baba Farid

    Offline Ramesh Ramnani

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    Re: SMALL STORIES
    « Reply #249 on: March 20, 2008, 09:03:04 AM »
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  • जय सांई राम।।।

    पुराने जमाने की बात है। एक नवयुवक ने किसी संत से ईश्वर प्राप्ति का मार्ग पूछा। संत ने पहले उसे गौर से देखा, फिर कहा, 'तुम जाओ और पहले प्रेम करना सीखकर आओ, तब मैं तुमसे बात करूंगा।' नवयुवक प्रेम की तलाश में देश भर में घूमने लगा। एक दिन वह किसी नगर से गुजर रहा था कि उसे राजमहल के झरोखे में एक अत्यंत सुंदर युवती दिखाई पड़ी। वह उस राज्य की राजकुमारी थी, जो अपने सौंदर्य के लिए दूर-दूर तक विख्यात थी। उस पर नजर पड़ते ही नवयुवक उसके प्रेम में पड़ गया। वह झरोखे की ओर देखते हुए तीन दिन तक वहीं खड़ा रहा। उसकी इस हालत की चर्चा शहर भर में होने लगी। लोग यह समझ गए कि उसकी यह हालत राजकुमारी के प्रति उसके प्रेम के कारण हुई है।

    बात राजा तक पहुंची। उसने नवयुवक को दरबार में बुलाया। लोगों को लगा कि शायद राजा उस नवयुवक को मृत्युदंड दें। लेकिन राजा ने ऐसा नहीं किया। उसने नवयुवक के सामने यह शर्त रखी कि अगर वह राजकुमारी से सच्चा प्रेम करता है तो परकोटे से कूदकर दिखाए। यदि वह ऐसा करने में सफल रहता है तो उसकी शादी राजकुमारी से करवा दी जाएगी। नवयुवक प्रेम में डूबा हुआ था, सो कूदने के लिए तैयार हो गया। उसने परकोटे की ओर भागकर छलांग लगा दी।

    नीचे संत ने कपड़ों से भरी एक झोली लगा रखी थी। नौजवान उसमें ही गिरा और उसकी जान बच गई। सब लोग नीचे उतरे तो राजा ने उसे राजकुमारी से विवाह करने को कहा। पर नवयुवक ने इससे इनकार कर दिया। राजा के साथ सभी लोग हैरत में पड़ गए। वे समझ नहीं पा रहे थे कि विवाह के लिए ही जब इसने इतना कुछ किया तो अब यह इनकार क्यों कर रहा है। नवयुवक ने संत की ओर देखकर कहा, 'मैं तो बस प्रेम सीखने के लिए आया था और वह मुझे आ गया।' यह कहकर वह संत के साथ चला गया।

    अपना सांई प्यारा सांई सबसे न्यारा अपना सांई

    ॐ सांई राम।।। 
    अपना साँई प्यारा साँई सबसे न्यारा अपना साँई - रमेश रमनानी

    Offline Ramesh Ramnani

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    Re: SMALL STORIES
    « Reply #250 on: March 23, 2008, 05:53:42 AM »
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  • जय सांई राम।।।

    यह कहानी के रुप मे मैनें कभी पढा था, कि जो व्यक्ति अपनी इच्छा के विपरित जाता है और अधिक से अधिक पाना चाहता है, उस का क्या हाल होता है।,

    लालची

    एक बार एक भिखमंगा, सड़क पर भीख मांग रहा था,  और हर आने जाने वाले के बारे मे सोचता, देखो इस के पास कितना है फ़िर भी इस का पेट नही भरता.. वगेरा वगेरा.  तभी उसे लक्ष्मी जी के दर्शन हुये,  लक्ष्मी जी ने उस भिखारी से कहा मांगो क्या मांगते हॊ,  लेकिन सोच कर मांगना,  तुम्हारी एक ही इच्छा पूरी होगी, भिखारी ने कहां मेरी झोली सोने से भर दो मां,  लक्ष्मी देवी ने कहा ठीक है,  लेकिन एक भी सोने की ईट जमींन पर नही गिरनी चहिये, अगर एक भी सोने की ईट जमींन पर गिरी तो सब मिट्टी बन जायेगा,  खोलो झोली अब भिखारी बाबा की झोली तो पहले ही फ़टी हुई थी,  सो बाबा ने एक कोने को झोली का रुप दिया ओर झोली फ़ेला दी,  अब सोने की कुछ ईटे झोली मे गिरी, मां ने कहा बेटा बस करो,  नही तो ईटे नीचे गिर जायेगी,  भिखारी बाबा को भी हम सब की तरह लालच आ गया, बोला मां थोडी ओर फ़िर से सोना बरसने लगा,  मां ने फ़िर कहा बेटा बस करो, न ही तो तुम्हारी झोली फ़ट जायेगी, लेकिन बाबा का लालाच तो ओर भी बढ गया, बोला मां ओर दो, फ़िर से ईटो का आना शुरु हो गया झोली तो पहले ही फ़टी हुई थी,  ओर छोटी थी,  तभी १,२ ईटे जमींन पर गिरी,  और बाबा की झोली में मिट्टी ही मिट्टी भरी थी, बाबा बोले हे मां एक बार फ़िर से थोडी सी ईटे दे दो बस. लेकिन लक्ष्मी मां तो कब की जा चुकी थी,

    अपना सांई प्यारा सांई सबसे न्यारा अपना सांई

    ॐ सांई राम।।।
    अपना साँई प्यारा साँई सबसे न्यारा अपना साँई - रमेश रमनानी

    Offline Ramesh Ramnani

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    « Reply #251 on: March 27, 2008, 09:51:45 AM »
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    अहंकार

    यह एक पौराणिक कथा है। कुबेर तीनों लोकों में सबसे धनी थे। एक दिन उन्होंने सोचा कि हमारे पास इतनी संपत्ति है, लेकिन कम ही लोगों को इसकी जानकारी है। इसलिए उन्होंने अपनी संपत्ति का प्रदर्शन करने के लिए एक भव्य भोज का आयोजन करने की बात सोची। उस में तीनों लोकों के सभी देवताओं को आमंत्रित किया गया।

    भगवान शिव उनके इष्ट देवता थे, इसलिए उनका आशीर्वाद लेने वह कैलाश पहुंचे और कहा, प्रभो! आज मैं तीनों लोकों में सबसे धनवान हूं, यह सब आप की कृपा का फल है। अपने निवास पर एक भोज का आयोजन करने जा रहा हूँ, कृपया आप परिवार सहित भोज में पधारने की कृपा करे।

    भगवान शिव कुबेर के मन का अहंकार ताड़ गए, बोले, वत्स! मैं बूढ़ा हो चला हूँ, कहीं बाहर नहीं जाता। कुबेर गिड़गिड़ाने लगे, भगवन! आपके बगैर तो मेरा सारा आयोजन बेकार चला जाएगा। तब शिव जी ने कहा, एक उपाय है। मैं अपने छोटे बेटे गणपति को तुम्हारे भोज में जाने को कह दूंगा। कुबेर संतुष्ट होकर लौट आए। नियत समय पर कुबेर ने भव्य भोज का आयोजन किया।

    तीनों लोकों के देवता पहुंच चुके थे। अंत में गणपति आए और आते ही कहा, मुझको बहुत तेज भूख लगी है। भोजन कहां है। कुबेर उन्हें ले गए भोजन से सजे कमरे में। सोने की थाली में भोजन परोसा गया। क्षण भर में ही परोसा गया सारा भोजन खत्म हो गया। दोबारा खाना परोसा गया, उसे भी खा गए। बार-बार खाना परोसा जाता और क्षण भर में गणेश जी उसे चट कर जाते।

    थोड़ी ही देर में हजारों लोगों के लिए बना भोजन खत्म हो गया, लेकिन गणपति का पेट नहीं भरा। वे रसोईघर में पहुंचे और वहां रखा सारा कच्चा सामान भी खा गए, तब भी भूख नहीं मिटी। जब सब कुछ खत्म हो गया तो गणपति ने कुबेर से कहा, जब तुम्हारे पास मुझे खिलाने के लिए कुछ था ही नहीं तो तुमने मुझे न्योता क्यों दिया था? कुबेर का अहंकार चूर-चूर हो गया।

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    « Reply #252 on: March 31, 2008, 07:58:23 AM »
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    तीन मजदूर....

    एक बार एक राहगीर सड़क के किनारे से गुजर रहा था तों उसने वहाँ कुछ मजदूरों को काम करते देखा। वहाँ पर काम कर रहे एक मजदूर से उसने पूछा कि  'भाई!  तुम क्या कर रहे हो?   यह क्या हो रहा है?  'उसके यह पूछते ही उसने बहुत गुस्से भरे आवाज में चिल्लाकर बोला'   दिखाई नही देता कि मैं पत्थर तोड़ रहा हूँ' ।

    वह राहगीर फिर कुछ आगे बढ़ा और वही काम करते हुए दूसरे मजदूर से पूछा 'भाई!  तुम क्या कर रहे हो?  यह क्या हो रहा है? 'उस मजदूर ने बडा उदासीन होकर जबाब दिया,  'बस रोजी-रोटी कमा रहा हूँ।'

    वह राहगीर फिर कुछ आगे बढा और तीसरे मजदूर से पूछा 'भाई!  तुम क्या कर रहे हो?  यह सुनते ही उसके चेहरे पर मानो चमक सी आ गयी वो मजदूर बहुत प्रसन्न होकर बोला ' भाई मैं तों यहाँ भगवान् का मंदिर बना रहा हूँ ।
    तीनो मजदूर एक ही काम को कर रहे थे पर तीनो का जबाब अलग-अलग था। पहला गुस्से में पत्थर तोड़ रहा था,दूसरा रोजी-रोटी कमा रहा था,  तीसरा भगवान का मंदिर बना रहा था ।

    गौरतलब :  ठीक जिन्दगी के प्रति भी कुछ लोगो का नज़रिया ऐसा ही होता है.. कुछ लोग हमेशा गुस्से में भरे रहते है, कुछ लोग हर समय बिना वजह भविष्य की चिन्ताओ को लेकर उदास रह्ते है,  और कुछ लोग उस तीसरे मजदूर कि तरह होते है जो हर परस्थिति में जिन्दगी को जिन्दादिली से जीते है।

    आप कौन से मज़दूर है? मनन कीजिये।

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    « Reply #253 on: April 02, 2008, 07:25:51 AM »
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    दो बीज...

    दो बीज वसंत के मौसम में उपजाऊ मिट्टी मे पास-पास पड़े थे।

    पहले बीज ने कहा,  'में उगना चाहता हूँ! में अपनी जड़े जमींन की गहराई में भेजना चाहता हूँ और अपने अंकुरों को जमींन के परत के ऊपर धकेलना चाहता हूँ...वसंत के आगमन की घोषणा करने के लिए मैं अपनी कोमल कलियों को झंडो की तरह लहराऊंगा.. अपने चेहरे पर सूरज की गर्मी और अपनी पंखुडियों पर सुबह की ओस महसूस करना चाहता हूँ'

    इसलिए वह बीज उग गया ।

    दूसरे बीज ने कहा,

    'मुझे डर लग रहा है,  अगर मैंने अपनी जड़े जमींन के नीचे भेजी, तों क्या पता अंधेरे में वहां क्या मिलेगा?  अगर मैंने अपने ऊपर की कठोर जमीं में अपने अंकुर गड़ाये तो हो सकता है की मेरे नाजुक अंकुरों को नुकसान हो जाए ... अगर मैंने कलियाँ खोली,  और कही घोंघे ने उन्हें खाने की कोशिश की,  तो क्या होगा?  अगर मैंने अपनी फूल की पंखुडिया खोली तो कोई भी छोटा बच्चा मुझे उखाड़ सकता है। नही, अच्छा यही रहेगा की मैं सब कुछ सुरक्षित होने तक यही इंतजार करूं।

    इसलिए वह बीज इन्तजार करता रहा
     
    एक दिन एक मुर्गी मैदान में खाना खोज रही थी, तभी उसे वह बीज दिखायी दे गया और उसने झट से उसे खा लिया।

    गौरतलब :  डरना किसी चीज का हल नही है। आप अन्धेरें में जाने से डरेंगे तो हो सकता है की बिजली की कड़क भी आपको भरी रौशनी में नष्ट करने को तैयार मिले।
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    « Reply #254 on: April 06, 2008, 12:11:17 AM »
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    इस दुनिया में किसकी संख्या अधिक है, जो देख सकते हैं या जो अंधे हैं?...

    एक दिन अकबर ने बीरबल से पूछा, बीरबल ज़रा बताओ कि इस दुनिया में किसकी संख्या अधिक है, जो देख सकते हैं या जो अंधे हैं ?

    बीरबल बोले, इस समय तुरंत तो आपके इस सवाल का जबाब देना मेरे लिए सम्भव नहीं है लेकिन मेरा विश्वास है की अंधों की संख्या अधिक होगी वजाय देख सकने वालों के।

    बादशाह ने कहा की तुम्हे अपनी बात सिद्ध करके दिखानी होगी, बीरबल ने बादशाह की चुनौती स्वीकार कर ली

    अगले दिन बीरबल बीच बाज़ार में एक बिना बुनी हुई चारपाई लेकर बैठ गए और उसे बुनना शुरू कर दिया, उसके अगल-बगल दो आदमी कागज़-कलम लेकर बैठे हुए थे।

    थोडी ही देर मे वहाँ भीड़ इक्कठी हो गई यह देखने के लिए कि क्या हो रहा है, वहाँ मौजूद हर व्यक्ति ने बीरबल से एक ही सवाल पूछा "बीरबल तुम क्या कर रहे हो? "

    बीरबल के अगल-बगल बैठे दोनों आदमी ऐसा सवाल करने वालों का नाम पूछ पूछ कर लिखते जा रहे थे, जब बादशाह के कानो तक ये बात पहुँची कि बीच बाज़ार बीरबल चारपाई बुन रहे हैं तो वो भी वहाँ जा पहुंचे और वही सवाल किया "यह तुम क्या कर रहे हो?"

    कोई जबाब दिए बिना बीरबल ने अपने बगल मे बैठे एक आदमी से बादशाह अकबर का भी नाम लिख लेने को कहा
    तभी बादशाह ने आदमी के हाथ मे थमा कागज़ का पुलिंदा ले लिया उस पर लिखा था "अंधे लोगों की सूची"
    बादशाह ने बीरबल से पूछा इसमे मेरा नाम क्यों लिखा है? बीरबल ने कहा "जहाँपनाह, आपने देखा भी कि मैं चारपाई बुन रहा हूँ, फ़िर भी आपने सवाल पूछा कि मैं क्या कर रहा हूँ"

    बादशाह ने देखा उन लोगों की सूची मे एक भी नाम नहीं था जो देख सकते थे, लेकिन अंधे लोगों की सूची का पुलिंदा बेहद भारी था !

    बीरबल ने कहा "हुजुर, अब तो आप मेरी बात से सहमत होगें कि दुनिया मे अंधों की तादाद ज्यादा है" बीरबल की इस चतुराई पर बादशाह मंद मंद मुस्करा दिए

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