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Author Topic: SMALL STORIES  (Read 190010 times)

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Offline ShAivI

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  • बाबा मुझे अपने ह्र्दय से लगा लो, अपने पास बुला लो।
Re: SMALL STORIES
« Reply #360 on: April 08, 2015, 04:21:49 AM »
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  • ॐ साईं राम !!!


    एक ट्रक में मारबल का सामान जा रहा था,
    उसमे टाईल्स भी थी ,
    और भगवान की मूर्ती भी थी ...!!

    रास्ते में टाईल्स ने मूर्ती से पूछा ..
    भाई ऊपर वाले ने हमारे साथ ऐसा भेद - भाव क्यों किया है ...!!

    मूर्ती ने पूछा कैसा भेद भाव... ??

    टाईल्स ने कहा तुम भी पत्थर मै भी पत्थर ..!!

    तुम भी उसी खान से निकले , मै भी..

    तुम्हे भी उसी ने ख़रीदा बेचा , मुझे भी

    तुम भी मन्दिर में जाओगे, मै भी ...

    पर वहां तुम्हारी पूजा होगी ...
    और
    मै पैरो तले रौंदा जाउंगा ऐसा क्यों??

    मूर्ती ने बड़ी शालीनता से जवाब दिया,
    के तुम्हे जब तराशा गया ,
    तब तुमसे दर्द सहन नही हुवा ,
    और
    तुम टूट गये टुकड़ो में बंट गये ...

    और
    मुझे जब तराशा गया तब मैने दर्द सहा ,
    मुझ पर लाखो हथोड़े बरसाये गये ,
    मै रोया नही...!!

    मेरी आँख बनी , कान बने , हाथ बना, पांव बने ..
    फिर भी मैं टूटा नही .... !!

    इस तरहा मेरा रूप निखर गया ...
    और मै पूजनीय हो गया ... !!

    तुम भी दर्द सहते तो तुम भी पूजे जाते..
    मगर तुम टूट गए ...
    और
    टूटने वाले हमेशा पैरों तले रोंदे जाते है... !!

    मोरल

    भगवान जब आपको तराश रहा हो तो, टूट मत जाना ...
    हिम्मत मत हारना ... !!
    अपनी रफ़्तार से आगे बढते जाना मंजिल जरूर मिलेगी .... !!


    ॐ साईं राम, श्री साईं राम, जय जय साईं राम !!!

    JAI SAI RAM !!!

    Offline Gauri21

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    Re: SMALL STORIES
    « Reply #361 on: April 08, 2015, 07:18:12 AM »
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  • Om sai ram
    sai gauri

    Offline bhuvana j s

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    Re: SMALL STORIES
    « Reply #362 on: April 19, 2015, 11:29:41 PM »
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  • bhut achi hai ye store shaiviji 

    mujbi aisa lagra hai ye kahani padke muj bi ek na ek din bhut acha hoga kushi jarur milega na
    baba abhi meri pariksha lerahe hai

    om sai ram jai sai ram jai jai jai sai ram

    Offline bhuvana j s

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    Re: SMALL STORIES
    « Reply #363 on: April 19, 2015, 11:34:03 PM »
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  • shaivi ji apki sabi stories pade tho mind bhut relax feel hota hai realy aise kahani roz daliyega
    sab dukiyaro ko acha lagega padke

    Offline ShAivI

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    कद्दू की तीर्थ यात्रा
    « Reply #364 on: April 23, 2015, 04:51:42 AM »
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  • ॐ साईं राम !!!

    कद्दू की तीर्थ यात्रा

    एक बार तीर्थयात्रा पर जाने वाले लोगों के संघ ने
    संत तुकाराम जी के पास जाकर उनसे अपने साथ यात्रा पर
    चलने का आग्रह किया ।

    संत तुकाराम जी ने उनके साथ चलने की असमर्थता जताई,
    किन्तु उन्होंने तीर्थ यात्रियों को एक "कड़वा कद्दू " देते हुए
    कहा : " मैं तो आप लोगों के साथ नहीं आ सकता
    लेकिन आप इस कद्दू को साथ ले जाइए और
    जहाँ-जहाँ भी स्नान करें , इसे भी पवित्र जल में स्नान करा लायें।"

    लोगों ने उनके गुढ़ार्थ पर गौर किये बिना ही वह " कद्दू " ले लिया
    और जहाँ गये स्नान किया तो उसे भी दर्शन करवाया।

    इस तरह यात्रा पूरी करके सब वापस आए तो उन सभी यात्रियों को
    प्रीतिभोज पर आमंत्रित किया गया और यात्रियों के लिए
    विशेष रूप से "कद्दू" की सब्जी बनवाई गयी ।

    सभी यात्रियों ने खाना शुरू किया और सबने कहा कि
    यह सब्जी तो कड़वी है।

    "तुकाराम ने आश्चर्य से कहा , ये तो उसी कद्दू से बनी सब्जी है
    जो तीर्थ और स्नान कर आया है।

    बेशक ये तीर्थयात्रा के पूर्व कड़वा था, मगर तीर्थ दर्शन तथा स्नान
    के बाद भी इसमें कड़वाहट है ही।"

    यह सुनकर सभी यात्रियों को बोध हो गया कि
    'हमने सिर्फ तन का तीर्थयात्रा की है, मन का नहीं ।"

    अपने मन को एवं स्वभाव को यदि सुधारा नहीं तो
    तीर्थ यात्रा का अधिक मूल्य नहीं है।
    हम भी एक कड़वे कद्दू जैसे कड़वे रहकर ही वापस आये हैं ।

    ॐ साईं राम, श्री साईं राम, जय जय साईं राम !!!

    JAI SAI RAM !!!

    Offline ShAivI

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    • बाबा मुझे अपने ह्र्दय से लगा लो, अपने पास बुला लो।
    ॐ साईं राम !!!

    वृंदावन की एक गोपी रोज दूध दही बेचने मथुरा जाती थी,
    एक दिन व्रज में एक संत आये,गोपी भी कथा सुनने गई,
    संत कथा में कह रहे थे,भगवान के नाम की बड़ी महिमा है,
    भगवान के नाम  से बड़े बड़े संकट भी टल जाते है.
    भगवान के नाम  तो भव सागर से तारने वाला है,
    यदि भव सागर से पार होना है तो
    भगवान का नाम कभी मत छोडना.

    कथा समाप्त हुई गोपी अगले दिन फिर दूध दही बेचने चली,
    बीच में यमुना जी थी. गोपी को संत की बात याद आई,
    संत ने कहा था भगवान का नाम तो भवसागर से पार लगाने वाला है,
    जिस भगवान का नाम भवसागर से पार लगा सकता है
    तो क्या उन्ही भगवान का नाम मुझे इस साधारण सी नदी से पार नहीं लगा सकता?
    ऐसा सोचकर गोपी ने मन में भगवान के नाम का आश्रय लिया
    भोली भाली गोपी यमुना जी की ओर आगे बढ़ गई.
    अब जैसे ही यमुना जी में पैर रखा तो लगा मानो जमीन पर चल रही है
    और ऐसे ही सारी नदी पार कर गई,पार पहुँचकर बड़ी प्रसन्न हुई,
    और मन में सोचने लगी कि संत ने तो ये तो बड़ा अच्छा तरीका बताया
    पार जाने का,रोज-रोज नाविक को भी पैसे नहीं देने पड़ेगे.

    एक दिन गोपी ने सोचा कि संत ने मेरा इतना भला किया
    मुझे उन्हें खाने पर बुलाना चाहिये,अगले दिन गोपी जब दही बेचने गई,
    तब संत से घर में भोजन करने को कहा संत तैयार हो गए,
    अब बीच में फिर यमुना नदी आई.

    संत नाविक को बुलाने लगा तो गोपी बोली बाबा नाविक को क्यों बुला रहे है.
    हम ऐसे ही यमुना जी में चलेगे.

    संत बोले - गोपी! कैसी बात करती हो,
    यमुना जी को ऐसे ही कैसे पार करेगे ?

    गोपी बोली - बाबा! आप ने ही तो रास्ता बताया था,
    आपने कथा में कहा था कि भगवान के नाम का आश्रय लेकर
    भवसागर से पार हो सकते है.
    तो मैंने सोचा जब भव सागर से पार हो सकते है
    तो यमुना जी से पार क्यों नहीं हो सकते?
    और मै ऐसा ही करने लगी, इसलिए मुझे अब नाव की जरुरत नहीं पड़ती.

    संत को विश्वास नहीं हुआ बोले - गोपी तू ही पहले चल!
    मै तुम्हारे पीछे पीछे आता हूँ, गोपी ने भगवान के नाम का आश्रय लिया
    और जिस प्रकार रोज जाती थी वैसे ही यमुना जी को पार कर गई.

    अब जैसे ही संत ने यमुना जी में पैर रखा तो झपाक से पानी में गिर गए,
    संत को बड़ा आश्चर्य, अब गोपी ने जब देखा तो कि संत तो पानी में गिर गए है
    तब गोपी वापस आई है और संत का हाथ पकड़कर जब चली तो
    संत भी गोपी की भांति ही ऐसे चले जैसे जमीन पर चल रहे हो.

    संत तो गोपी के चरणों में गिर पड़े, और बोले - कि गोपी तू धन्य है!
    वास्तव में तो सही अर्थो में नाम का आश्रय तो तुमने लिया है
    और मै जिसने नाम की महिमा बताई तो सही
    पर स्वयं नाम का आश्रय नहीं लिया..

    ॐ साईं राम, श्री साईं राम, जय जय साईं राम !!!

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    • बाबा मुझे अपने ह्र्दय से लगा लो, अपने पास बुला लो।
    Re: SMALL STORIES
    « Reply #366 on: April 25, 2015, 11:26:52 AM »
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  • ॐ साईं राम !!!

    एक किसान के घर एक दिन उसका कोई परिचित मिलने आया।
    उस समय वह घर पर नहीं था। उसकी पत्नी ने कहा-'वह खेत पर गए हैं।
    मैं बच्चे को बुलाने के लिए भेजती हूं। तब तक आप इंतजार करें।'
    कुछ ही देर में किसान खेत से अपने घर आ पहुंचा।
    उसके साथ-साथ उसका पालतू कुत्ता भी आया।
    कुत्ता जोरों से हांफ रहा था।

     उसकी यह हालत देख, मिलने आए व्यक्ति ने किसान से पूछा-
    'क्या तुम्हारा खेत बहुत दूर है?'
    किसान ने कहा-'नहीं, पास ही है।
    लेकिन आप ऐसा क्यों पूछ रहे हैं?'
    उस व्यक्ति ने कहा-'मुझे यह देखकर आश्चर्य हो रहा है कि
    तुम और तुम्हारा कुत्ता दोनों साथ-साथ आए,
    लेकिन तुम्हारे चेहरे पर रंच मात्र थकान नहीं
    जबकि कुत्ता बुरी तरह से हांफ रहा है।'

    किसान ने कहा-'मैं और कुत्ता एक ही रास्ते से घर आए हैं।
    मेरा खेत भी कोई खास दूर नहीं है।
    मैं थका नहीं हूं।
    मेरा कुत्ता थक गया है।
    इसका कारण यह है कि मैं सीधे रास्ते से चलकर घर आया हूं,
    मगर कुत्ता अपनी आदत से मजबूर है।
    वह आसपास दूसरे कुत्ते देखकर उनको भगाने के लिए उसके पीछे दौड़ता था
    और भौंकता हुआ वापस मेरे पास आ जाता था।
    फिर जैसे ही उसे और कोई कुत्ता नजर आता,
    वह उसके पीछे दौड़ने लगता।
    अपनी आदत के अनुसार उसका यह क्रम रास्ते भर जारी रहा।
    इसलिए वह थक गया है।'

    देखा जाए तो यही स्थिति आज के इंसान की भी है।
    जीवन के लक्ष्य तक पहुंचना यूं तो कठिन नहीं है,
    लेकिन लोभ,मोह अहंकार और ईर्ष्या जीव को
    उसके जीवन की सीधी और सरल राह से भटका रही है।
    अपनी क्षमता के अनुसार जिसके पास जितना है,
    उससे वह संतुष्ट नहीं। आज लखपति, कल करोड़पति,
    फिर अरबपति बनने की चाह में उलझकर इंसान दौड़ रहा है।
    अनेक लोग ऐसे हैं जिनके पास सब कुछ है।
    भरा-पूरा परिवार, कोठी, बंगला, एक से एक बढ़िया कारें, क्या कुछ नहीं है।
    फिर भी उनमें बहुत से दुखी रहते हैं।
    बड़ा आदमी बनना, धनवान बनना बुरी बात नहीं, बनना चाहिए।
    यह हसरत सबकी रहती है।
    उसके लिए स्वस्थ प्रतिस्पर्धा होगी तो थकान नहीं होगी।
    लेकिन दूसरों के सामने खुद को बड़ा दिखाने की चाह के चलते
    आदमी राह से भटक रहा है और यह भटकाव ही इंसान को थका रहा है।

    ॐ साईं राम, श्री साईं राम, जय जय साईं राम !!!

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    • बाबा मुझे अपने ह्र्दय से लगा लो, अपने पास बुला लो।
    Re: SMALL STORIES
    « Reply #367 on: April 26, 2015, 11:05:51 AM »
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  • ॐ साईं राम !!!

    एक बौद्ध भिक्षुक भोजन बनाने के लिए जंगल से लकड़ियाँ चुन रहा था
    कि तभी उसने कुछ अनोखा देखा ,“कितना अजीब है ये !”,
    उसने बिना पैरों की लोमड़ी को देखते हुए मन ही मन सोचा .

    “ आखिर इस हालत में ये जिंदा कैसे है ?”
    उसे आशचर्य हुआ , “ और ऊपर से ये बिलकुल स्वस्थ है ”

    वह अपने ख़यालों में खोया हुआ था की अचानक चारो तरफ अफरा – तफरी मचने लगी ;
    जंगल का रजा शेर उस तरफ आ रहा था .

    भिक्षुक भी तेजी दिखाते हुए एक ऊँचे पेड़ पर चढ़ गया ,
    और वहीँ से सब कुछ देखने लगा .

    शेर ने एक हिरन का शिकार किया था और
    उसे अपने जबड़े में दबा कर लोमड़ी की तरफ बढ़ रहा था ,
    पर उसने लोमड़ी पर हमला नहीं किया बल्कि
    उसे भी खाने के लिए मांस के कुछ टुकड़े डाल दिए .

    “ ये तो घोर आश्चर्य है ,
    शेर लोमड़ी को मारने की बजाये उसे भोजन दे रहा है .” ,
    भिक्षुक बुदबुदाया,उसे अपनी आँखों पर भरोसा नहीं हो रहा था इसलिए
    वह अगले दिन फिर वहीँ आया और छिप कर शेर का इंतज़ार करने लगा .
     आज भी वैसा ही हुआ , शेर ने अपने शिकार का
    कुछ हिस्सा लोमड़ी के सामने डाल दिया .

    “यह भगवान् के होने का प्रमाण है !” भिक्षुक ने अपने आप से कहा .
    “ वह जिसे पैदा करता है उसकी रोटी का भी इंतजाम कर देता है ,
    आज से इस लोमड़ी की तरह मैं भी ऊपर वाले की दया पर जीऊंगा ,
    इश्वर मेरे भी भोजन की व्यवस्था करेगा .”
    और ऐसा सोचते हुए वह एक वीरान जगह पर जाकर एक पेड़ के नीचे बैठ गया .

    पहला दिन बीता , पर कोई वहां नहीं आया , दूसरे दिन भी कुछ लोग उधर से
    गुजर गए पर भिक्षुक की तरफ किसी ने ध्यान नहीं दिया .

    इधर बिना कुछ खाए -पीये वह कमजोर होता जा रहा था .
    इसी तरह कुछ और दिन बीत गए , अब तो उसकी रही सही ताकत भी खत्म हो गयी …
    वह चलने -फिरने के लायक भी नहीं रहा .
    उसकी हालत बिलकुल मृत व्यक्ति की तरह हो चुकी थी की
    तभी एक महात्मा उधर से गुजरे और भिक्षुक के पास पहुंचे .

    उसने अपनी सारी कहानी महात्मा जी को सुनाई और बोला ,
    “ अब आप ही बताइए कि भगवान् इतना निर्दयी कैसे हो सकते हैं ,
    क्या किसी व्यक्ति को इस हालत में पहुंचाना पाप नहीं है ?”

    “ बिल्कुल है ,”, महात्मा जी ने कहा , “ लेकिन तुम इतना मूर्ख कैसे हो सकते हो ?
    तुमने ये क्यों नहीं समझे की भगवान् तुम्हे उसे शेर की तरह बनते देखना चाहते थे ,
    लोमड़ी की तरह नहीं !!!”

    दोस्तों , हमारे जीवन में भी ऐसा कई बार होता है कि हमें चीजें जिस तरह
    समझनी चाहिए उसके विपरीत समझ लेते हैं. ईश्वर ने हम सभी के अन्दर
    कुछ न कुछ ऐसी शक्तियां दी हैं जो हमें महान बना सकती हैं ,
    ज़रुरत हैं कि हम उन्हें पहचाने , उस भिक्षुक का सौभाग्य था की
    उसे उसकी गलती का अहसास कराने के लिए महात्मा जी मिल गए पर
    हमें खुद भी चौकन्ना रहना चाहिए की कहीं हम शेर की जगह लोमड़ी तो नहीं बन रहे हैं.

    ॐ साईं राम, श्री साईं राम, जय जय साईं राम !!!

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    • बाबा मुझे अपने ह्र्दय से लगा लो, अपने पास बुला लो।
    Re: SMALL STORIES
    « Reply #368 on: April 27, 2015, 07:09:56 AM »
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  • ॐ साईं राम !!!

    एक बार भगवान बुद्ध अपने शिष्यों के साथ कही जा रहे थे ।
    उनके प्रिय शिष्य आनंद ने मार्ग में उनसे एक प्रश्न पूछा -
    ‘भगवान! जीवन में पूर्ण रूप से कभी शांति नहीं मिलती,
    कोई ऐसा मार्ग बताइए कि जीवन में सदा शांति का अहसास हो ।

    बुद्ध आनंद का प्रश्न सुनकर मुस्कुराते हुए बोले,
    ’ तुम्हे इसका जबाब अवश्य देगे किन्तु अभी हमे प्यास लगी है,
    पहले थोडा जल पी ले । क्या हमारे लिए थोडा जल लेकर आओगे?

    बुद्ध का आदेश पाकर आनंद जल की खोज में निकला तो
    थोड़ी ही दूरी पर एक झरना नजर आया । वह जैसे ही करीब पंहुचा
    तब तक कुछ बैलगाड़िया वहां आ पहुची और झरने को पार करने लगी ।
    उनके गुजरने के बाद आनंद ने पाया कि झील का पानी बहुत ही
    गन्दा हो गया था इसलिए उसने कही और से जल लेने का निश्चय किया ।
    बहुत देर तक जब अन्य स्थानों पर जल तलाशने पर जल
    नहीं मिला तो निराश होकर उसने लौटने का निश्चय किया ।

    उसके खाली हाथ लौटने पर जब बुद्ध ने पूछा तो उसने सारी बाते बताई
    और यह भी बोला कि एक बार फिर से मैं किसी दूसरी झील की
    तलाश करता हूँ जिसका पानी साफ़ हो । यह कहकर आनंद जाने लगा
    तभी भगवान बुद्ध की आवाज सुनकर वह रुक गया ।

    बुद्ध बोले-‘दूसरी झील तलाश करने की जरुरत नहीं, उसी झील पर जाओ’ ।

    आनन्द दोबारा उस झील पर गया किन्तु
    अभी भी झील का पानी साफ़ नहीं हुआ था ।
    कुछ पत्ते आदि उस पर तैर रहे थे ।
    आनंद दोबारा वापिस आकर बोला इस झील का पानी अभी भी गन्दा है ।
    बुद्ध ने कुछ देर बाद उसे वहाँ जाने को कहा ।
    थोड़ी देर ठहर कर आनंद जब झील पर पहुंचा तो अब झील का पानी
    बिलकुल पहले जैसा ही साफ़ हो चुका था ।
    काई सिमटकर दूर जा चुकी थी, सड़े- गले पदार्थ नीचे बैठ गए थे
    और पानी आईने की तरह चमक रहा था ।

    इस बार आनंद प्रसन्न होकर जल ले आया जिसे बुद्ध पीकर
    बोले कि ‘आनंद जो क्रियाकलाप अभी तुमने किया,
    तुम्हारा जबाब इसी में छुपा हुआ है ।

    बुद्ध बोले -‘ हमारे जीवन के जल को भी विचारों की बैलगाड़ियां
    रोज गन्दा करती रहती है और हमारी शांति को भंग करती हैं ।

    कई बार तो हम इनसे डर कर जीवन से ही भाग खड़े होते है,
    किन्तु हम भागे नहीं और मन की झील के शांत होने कि
    थोड़ी प्रतीक्षा कर लें तो सब कुछ स्वच्छ और शांत हो जाता है ।
    ठीक उसी झरने की तरह जहाँ से तुम ये जल लाये हो ।

    यदि हम ऐसा करने में सफल हो गए तो जीवन में
    सदा शान्ति के अहसास को पा लेगे’।

    ॐ साईं राम, श्री साईं राम, जय जय साईं राम !!!

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    Re: SMALL STORIES
    « Reply #369 on: April 28, 2015, 06:17:50 AM »
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    There is a very famous sufi story about a great king who was dying.
    He had three sons and all were very wise and he was very worried
    about whom to choose to be his successor. They were all the same
    age so age could not be the deciding factor, and they were all beautiful,
    all healthy and all intelligent. It was almost impossible to decide
    so he asked a very old aged man, his old advisor, what to do.
    The old advisor said, 'I will do a sort of a test.'

    He called all the three boys and gave to each a palace and a certain
    amount of money, a very small amount of money, and told them,
    'With this amount of money you have to fill your palace completely;
    it should not be empty.' It was difficult. The palaces were very big
    and the money was only a very small amount.

    The first young man thought and thought and brooded. It was impossible
    to fill that empty palace with such a small amount of money! He could
    not get any furniture; even curtains were not possible. Paintings, chandeliers,
    impossible; so what to do? He could only think of one thing -- that rubbish
    could be used with that amount of money.

    So he filled the whole palace with rubbish, because the man had not said
    with what to fill it but just that it should be full. So he said, 'Perfectly logical.'

    The second boy thought very much but could not find a way. Up to the
    last moment he thought and contemplated but it was impossible. He was
    not ready to fill it with rubbish and there was no other thing that could be
    purchased with that amount of money, so the palace remained empty.

    The third boy purchased a few small earthen lamps, incense, a few flowers.
    He burned the incense and the whole palace was full of the perfume.
    And he burned those small earthen, very cheap lamps and the whole house
    was full of light. And when the king came to see all the three palaces,
    there was just a small garland for him and a few flowers, that was all.

    They rejected the first house because the condition was fulfilled -- the man had
    filled his house -- but with rubbish. The second was a failure because the house
    was empty and full of darkness because the boy had not been able to decide
    what to do. The third was chosen as the successor because with such a small
    amount of money he managed to fill the house -- and not only to fill it;
    it was overfull, flowing. Light was going outside on the road and the perfume
    was going with the winds.
     
    Your house right now is like the second boy's palace -- empty. It was like the
    first boy's palace before, but now the junk, the rubbish has been thrown out.

    It is like the second man's house.
     
    Wait! Just the fragrance of love and the light of meditation will do. Your palace
    will become full again, and full with something which is tremendously valuable --
    and of course, it costs nothing.

    OM SAI RAM, SHRI SAI RAM, JAI JAI SAI RAM !!!

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    Re: SMALL STORIES
    « Reply #370 on: April 29, 2015, 11:07:28 AM »
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  • ॐ साईं राम !!!

    एक व्यक्ति गोकुल जानेके लिए निकला ।
    उसे नावमें बैठकर यमुना नदी पार करनी थी; परंतु वह भांगके नशेमें था ।
    वह नावमें बैठा और पतवार चलाने लगा ।
    उसने पूरी रात नाव चलाई, सवेरा हो गया ।
    मथुरासमान दूसरा कौनसा गांव आया है,
    यह जाननेके लिए उसने वहां एक व्यक्तिसे पूछा, तो वह मथुराही थी ।
    तब उसके ध्यानमें आया कि उसने नावको बांधी गई रस्सी खोली ही नहीं थी ।
    नशेमें होनेके कारण वह नावसे बंधी रस्सी खोलना ही भूल गया था ।
    पूरी रात पतवार चलानेपर भी वह व्यक्ति वहींपर था ।

    सीख : यदि हमने भी जीवनरूपी नावसे यात्रा करते समय
    वासनारूपी रस्सी नहीं छोडी तो भगवानके पास नहीं पहुंच पाएंगें ।

    ॐ साईं राम, श्री साईं राम, जय जय साईं राम !!!

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    Re: SMALL STORIES
    « Reply #371 on: May 01, 2015, 11:00:47 AM »
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  • ॐ साईं राम !!!

    एक दिन यमराज एक लड़के के पास आये और बोले -
    "लड़के, आज तुम्हारा आखरी दिन है!"

    लड़का : "लेकिन मैं अभी तैयार नही हुँ ".

    यमराज : "ठिक है लेकिन सूची मे तुम्हारा नाम पहला है".

    लड़का : "ठिक है , फिर क्युं ना हम जाने से पहले साथ मे बैठ कर चाय पी ले ?

    यमराज : "सहि है".

    लड़के ने चाय मे नीद की गोली मिला कर यमराज को दे दी.

    यमराज ने चाय खत्म की और गहरी नींद मे सो गया.

    लड़के ने सूची मे से उसका नाम शुरुआत से हटा कर अंत मे लिख दिया.

    जब यमराज को होश आया तो वह लड़के से बोले -
    "क्युंकी तुमने मेरा बहुत ख्याल रखा इसलिये मे अब सूची अंत से चालू करूँगा"..!

    सीख :

    "किस्मत का लिखा कोई नही मिटा सकता"

    अर्ताथ - जो तुम्हारी किस्मत मे है वह कोई नही बदल सकता
    चाहे तुम कितनी भी कोशिश कर लो .

    इसलिये भगवत गीता मे श्री कृष्ण ने कहा है -

    "तू करता वही है जो तू चाहता है,
    पर होता वही है जो मैं चाहता हुँ
    तू कर वह जो मैं चाहता हुँ
    फिर होगा वही जो तू चाहता हैं"

      ..^..
    ,(-_-),
    '\'''''.\'='-.
    \/..\\,'
     //"")
    (\ /
     \ |,
    ,,; ',

    ॐ साईं राम, श्री साईं राम, जय जय साईं राम !!!
    « Last Edit: May 01, 2015, 11:03:33 AM by ShAivI »

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    Re: SMALL STORIES
    « Reply #372 on: May 08, 2015, 04:16:09 AM »
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  • ॐ साईं राम !!!

    पवित्रता का अर्थ

    कबीर दास ने किनारे पर स्नान कर रहे ब्राह्मण
    को अपना लोटा देते हुए कहा कि आप इस लोटे
    की सहायता से आराम से स्नान कर लीजिए।
    ब्राह्मण ने माथे पर बल डालते हुए कहा - रहने दे !
    ब्राह्मण जुलाहे के लोटे से स्नान करके अपवित्र हो
    जाएगा।

    कबीर ने हंसते हुए कहा -- लोटा तो पीतल का है,
    जुलाहे का नहीं। रही अपवित्र होने की बात तो
    मिट्टी से साफ कर कई बार गंगा के पानी से धोया।
    यदि यह अब तक अपवित्र है तो दुर्भावनाओं से भरा
    मनुष्य क्या गंगा जल में नहाने से पवित्र हो जायेगा ?

    ॐ साईं राम, श्री साईं राम, जय जय साईं राम !!!

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    Re: SMALL STORIES
    « Reply #373 on: May 22, 2015, 07:22:54 AM »
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  • OM SAI RAM !!!

    A poor man asked the Buddha,

    “Why am I so poor?”

    The Buddha said, “you do not learn to give.”

    So the poor man said, “If I’m not having anything?”

    Buddha said: “You have a few things,

    The Face, which can give a smile;

    Mouth: you can praise or comfort others;

    The Heart: it can open up to others;

    Eyes: who can look the other with the eyes of goodness;

    Body: which can be used to help others.”

    So, actually we are not poor at all, poverty of spirit is the real poverty.

    "Who is poor, who is not willing to absorb the grace and warmth inherent
    in giving intangible and sharing the tangibles, we sometimes do the opposite".




    OM SAI RAM, SHRI SAI RAM, JAI JAI SAI RAM !!!

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    Re: SMALL STORIES
    « Reply #374 on: May 23, 2015, 03:36:26 AM »
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  • OM SAI RAM !!!

    FAITH

    A very poor woman with a small family called-in to a radio station
    asking for help from God.

    A non-believer man who was also listening to this radio program decided to
    make fun of the woman.

    He got her address, called his secretary and ordered her to buy a large
    amount of foodstuffs and take to the woman.

    However, he sent it with the following instruction:

    "When the woman asks who sent the food, tell her that its from the devil.

    '' When the secretary arrived at the woman's house, the woman was
    so happy and grateful for the help that had been received.

    She started putting the food inside her small house.

    The Secretary then asked her, ''Don't you want to know who sent the food?''

    The woman replied, ''No, I don't even care because when GOD orders, even the devil obeys!


    OM SAI RAM, SHRI SAI RAM, JAI JAI SAI RAM !!!

    JAI SAI RAM !!!

     


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