जय सांई राम
गड़ा हुआ धन
एक किसान ने मरते समय अपने इकलौते बेटे को पास बुला कर कहा, 'मेरा अंतिम समय आ गया है। मेरे पास जो कुछ है, वह तुम्हारा ही है और मेरी वह सम्पत्ति इन खेतों में है।' बेटा आलसी और कामचोर था, इसलिए खेती पर ध्यान नहीं देता था। उसकी फसल चौपट होने लगी। उसने सोचा कि पिता के मरने के बाद उसके घर को ग्रहण लग गया है, इसलिए फसल ठीक से नहीं हो रही है। वह एक मंदिर के पुजारी के पास गया और बोला, 'पंडित जी, पिता जी की मौत के बाद हमें गरीबी ने घेर लिया है। कोई ऐसा उपाय बताइए कि हमारे दिन फिर ठीक हो जाएं।'
पंडित जी ने कहा, 'बेटा, तुम तो बहुत भाग्यशाली हो। तुम्हारे बाप ने चोरी के डर से अपनी जमीन में बहुत सारा धन गाड़ा हुआ है। तुम अपने खेतों की खुदाई करोगे तो तुम्हें अवश्य वह धन मिलेगा। पर यह बात किसी को बताना नहीं।' अगले दिन से वह कुदाल-फावड़ा लेकर खेतों की खुदाई में जुट गया। महीनों लगा रहा, लेकिन धन नहीं मिला। बेटा फिर पुजारी के पास गया और बोला, 'बुआई का समय आ गया है, अब क्या करूं। अभी तक तो कुछ नहीं मिला।'
पंडित जी ने कहा, 'पहले गेहूं की बुआई करो। फसल कटने के बाद मैं स्वयं आऊंगा और बताऊंगा कि धन कहां गड़ा है।' उसने गेहूं की बुआई कर दी। इस साल उसकी फसल सबसे अच्छी हुई थी। गेहूं कट कर खलिहान में आ गया। तभी पंडित जी आ गए। उन्होंने पूछा, 'क्या तुम्हें कहीं से खजाना मिला?' बेटा बोला, 'खजाना तो नहीं मिला, लेकिन ऐसी फसल इसके पहले कभी नहीं हुई थी, इसलिए बहुत खुश हूं कि साल भर का खर्च आसानी से चल जाएगा।' पंडित जी बोले, 'बेटा, तुम्हें दिखाई नहीं दे रहा है। यही तुम्हारा खजाना है। तुम्हारे पिता ने ठीक कहा था कि सारा धन इन खेतों में है। खजाना कहीं से टपकता नहीं है। परिश्रम करोगे तो अन्न के रूप में खजाना अपने आप आएगा।' बेटे को अपने पिता की बात का रहस्य मालूम हो गया।
ॐ सांई राम।।।