DwarkaMai - Sai Baba Forum
Main Section => Little Flowers of DwarkaMai => Topic started by: JR on April 08, 2007, 11:44:48 PM
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चीता कैसे बना तेज धावक
एक बार ईश्वर ने यह तय किया कि यह जाना जाए कि उनके बनाए इतने सारे तरह तरह के जीव जन्तुओं में सबसे तेज कौन दौड़ता है । बहुत सारी रेस हुई और सेमिफाइनल, से फाईनल में पहुँचते पहुँचते बस दो जानवर बचे एक तो चीता और दूसरा बारहसिंघा जो कि सारी हिरणों और एन्टोलोप्स की प्रजाति में तेज गति वाला था । चीता को एहसास हुआ कि उसके पंजे तो मुलायम और गद्देदार है । जो कि उबड़ खाबड़ मैदान की दौड़ के लिये उपयुक्त नहीं थे । उसने अपने एक मित्र जंगली कुत्ते से कड़े पंजों का जोड़ा उधार ले लिया ।
रेस शुरु हुई एक ऊँचे तार के वृक्ष से । ईश्वर स्वंय रेस के जज बने और उन दोनों प्रतियोगियों को मैदान से होकर पहाड़ी के दूसरे छोर पर एक खास जगह पहुँचने के लिये कहा गया था । सारे जानवर इकटठे हुए । दौड़ के अन्त वाले स्थान पर शेर और उसके साथियों को जज करने के लिये खड़ा कर दिया गया । और फिर इन दोनों को खड़ा करके आदेश दिया गया रेस शुरु करो । दौड़ो........
सारे जानवर उत्साह में चिल्लाने लगे । कोई चीते के साथ था तो कोई बारहसिंघा के साथ । बारहसिंघा कुछ दूर दौड़कर आगे हो गया........लग रहा था कि वस वही जीतेगा । तभी बारहसिंघा के रास्ते में एक पत्थर आ गया और वह उससे टकरा गया और अपना पैर तुड़ालिया । अब क्या ।
किन्तु अच्छे स्वभाव वाले चीता ने रेस बीच में ही छोड़ दी । और बारहसिंघा की सहायता को चला आया । उसे उठाया, लेकर पीछे लौटा जहाँ ईश्वर और बाकी जानवर थे ।
ईश्वर ने यह सब देखा और वह चीता के इस निःस्वार्थ सेवा से बहुत प्रसन्न हुये । और उन्होंने ऐलान किया कि चीता न जीत कर भी जीता है । अतः उसे पृथ्वी पर सबसे तेज धावक होने का वरदान दिया और उसे जंगली कुत्ते के रख लेने की भी इजाजत दे दी गई ।
बस तभी से ही चीता सबसे तेज दौड़ने वाला जीव है धरती पर ।