जय सांई राम।।।
विश्वविजेता की परीक्षा
सिकंदर जब विश्व विजय के बाद एथेंस लौटा तो नगरवासियों ने उसके स्वागत के लिए एक भव्य समारोह का आयोजन किया। सिकंदर के लिए एक ऊंचा मंच बनाया गया। उस पर उसके साथ उसके प्रमुख योद्धा विराजमान हुए। शहर के सारे लोग समारोह देखने के लिए उमड़ पड़े। समारोह के दौरान अचानक एक वृद्धा मंच पर चढ़ने लगी तो सिपाहियों ने उसे रोका। सिकंदर ने यह देख लिया और बुढ़िया को अपने पास बुला लिया। बुढ़िया बोली, 'बेटा, मैंने सुना है तू दुनिया जीतकर आया है। मुझे विश्वास नहीं होता। मैं तेरी परीक्षा लेना चाहती हूं।' सिकंदर तो घमंड में चूर था बोला, 'हां-हां, ले लो परीक्षा।'
बुढ़िया के हाथ में एक रूमाल था। उसने एक गांठ लगाई और सिकंदर से बोली, 'इसे खोल दे।' सिकंदर ने आव देखा न ताव झट से तलवार उठाई और रूमाल में लगी गांठ पर चला दी। बुढ़िया ने सिकंदर का हाथ थाम लिया और बोली, 'रुक जा, मैं समझ गई, तूने दुनिया को जीता नहीं काटा है। अरे मूर्ख, तू इतना भी नहीं जानता कि गांठें काटी नहीं खोली जाती हैं।' बुढ़िया की इस बात पर सिकंदर लज्जित हो गया।
ॐ सांई राम।।।