जय सांई राम।।।
एक गांव में एक वृद्धा रहती थी। कहने को तो उसके दो पुत्र थे, लेकिन दोनों ही उसे गांव में अकेली मरने के लिए छोड़कर दूर शहर में जा बसे थे। वृद्धा दिन भर घूम-फिर कर इधर-उधर से भोजन इकट्ठा करती और किसी तरह अपना पेट भर लेती। उसे अपना जीवन निरर्थक लगने लगा था।
वृद्धा जिस गली में रहती थी, उसके नुक्कड़ पर एक छोटा सा नाला था, जिसकी वजह से वहां कीचड़ हो जाता था। बरसात में तो और भी बुरा हाल हो जाता। एक रात वहां एक राहगीर का पैर फिसल गया। उसे काफी चोट लगी। वृद्धा ने देखा तो वह राहगीर को सहारा देकर घर ले आई और उसकी देखभाल करने लगी। वह ठीक हो गया। उस दिन से वृद्धा बाबा का एक दीपक जलाकर नुक्कड़ पर रखने लगी जिससे वहां रोशनी हो जाती और राहगीर बचकर निकल जाते। वृद्धा रोजाना ऐसा करने लगी। उसे जीने की एक राह मिल गई। यही उसके जीवन का मकसद बन गया।
अपना सांई प्यारा सांई सबसे न्यारा अपना सांई
ॐ सांई राम।।।
जय सांई राम।।।
विश्वविजेता की परीक्षा
सिकंदर जब विश्व विजय के बाद एथेंस लौटा तो नगरवासियों ने उसके स्वागत के लिए एक भव्य समारोह का आयोजन किया। सिकंदर के लिए एक ऊंचा मंच बनाया गया। उस पर उसके साथ उसके प्रमुख योद्धा विराजमान हुए। शहर के सारे लोग समारोह देखने के लिए उमड़ पड़े। समारोह के दौरान अचानक एक वृद्धा मंच पर चढ़ने लगी तो सिपाहियों ने उसे रोका। सिकंदर ने यह देख लिया और बुढ़िया को अपने पास बुला लिया। बुढ़िया बोली, 'बेटा, मैंने सुना है तू दुनिया जीतकर आया है। मुझे विश्वास नहीं होता। मैं तेरी परीक्षा लेना चाहती हूं।' सिकंदर तो घमंड में चूर था बोला, 'हां-हां, ले लो परीक्षा।'
बुढ़िया के हाथ में एक रूमाल था। उसने एक गांठ लगाई और सिकंदर से बोली, 'इसे खोल दे।' सिकंदर ने आव देखा न ताव झट से तलवार उठाई और रूमाल में लगी गांठ पर चला दी। बुढ़िया ने सिकंदर का हाथ थाम लिया और बोली, 'रुक जा, मैं समझ गई, तूने दुनिया को जीता नहीं काटा है। अरे मूर्ख, तू इतना भी नहीं जानता कि गांठें काटी नहीं खोली जाती हैं।' बुढ़िया की इस बात पर सिकंदर लज्जित हो गया।
अपना सांई प्यारा सांई सबसे न्यारा अपना सांई
ॐ सांई राम।।।
जय सांई राम।।।
विश्वविजेता की परीक्षा
सिकंदर जब विश्व विजय के बाद एथेंस लौटा तो नगरवासियों ने उसके स्वागत के लिए एक भव्य समारोह का आयोजन किया। सिकंदर के लिए एक ऊंचा मंच बनाया गया। उस पर उसके साथ उसके प्रमुख योद्धा विराजमान हुए। शहर के सारे लोग समारोह देखने के लिए उमड़ पड़े। समारोह के दौरान अचानक एक वृद्धा मंच पर चढ़ने लगी तो सिपाहियों ने उसे रोका। सिकंदर ने यह देख लिया और बुढ़िया को अपने पास बुला लिया। बुढ़िया बोली, 'बेटा, मैंने सुना है तू दुनिया जीतकर आया है। मुझे विश्वास नहीं होता। मैं तेरी परीक्षा लेना चाहती हूं।' सिकंदर तो घमंड में चूर था बोला, 'हां-हां, ले लो परीक्षा।'
बुढ़िया के हाथ में एक रूमाल था। उसने एक गांठ लगाई और सिकंदर से बोली, 'इसे खोल दे।' सिकंदर ने आव देखा न ताव झट से तलवार उठाई और रूमाल में लगी गांठ पर चला दी। बुढ़िया ने सिकंदर का हाथ थाम लिया और बोली, 'रुक जा, मैं समझ गई, तूने दुनिया को जीता नहीं काटा है। अरे मूर्ख, तू इतना भी नहीं जानता कि गांठें काटी नहीं खोली जाती हैं।' बुढ़िया की इस बात पर सिकंदर लज्जित हो गया।
अपना सांई प्यारा सांई सबसे न्यारा अपना सांई
ॐ सांई राम।।।
SAIRAM BHAIJI
IT IS REALLY WONDERFUL STORY ... Hmmm.. JAB GHATE KHULATI HAI TAB DUNIYA BIKHARTI NAHIN EK HOO JAATI AUR DOSRA MAT AGAR GATH KHUL BHI JAATI TAU BHI LOG KO BADHAN SE MUKTI JAROOR HOTI MAGAR EK VISHAL VISHWA HOTA ,VISHAL SUCH HOTI , SAHI HAI SIKANDER NE GANTHE KHOOL HI NAHIN PAYA SAB TUDATA GAYA ||
sai sai sai
जय सांई राम।।।
विश्वविजेता की परीक्षा
सिकंदर जब विश्व विजय के बाद एथेंस लौटा तो नगरवासियों ने उसके स्वागत के लिए एक भव्य समारोह का आयोजन किया। सिकंदर के लिए एक ऊंचा मंच बनाया गया। उस पर उसके साथ उसके प्रमुख योद्धा विराजमान हुए। शहर के सारे लोग समारोह देखने के लिए उमड़ पड़े। समारोह के दौरान अचानक एक वृद्धा मंच पर चढ़ने लगी तो सिपाहियों ने उसे रोका। सिकंदर ने यह देख लिया और बुढ़िया को अपने पास बुला लिया। बुढ़िया बोली, 'बेटा, मैंने सुना है तू दुनिया जीतकर आया है। मुझे विश्वास नहीं होता। मैं तेरी परीक्षा लेना चाहती हूं।' सिकंदर तो घमंड में चूर था बोला, 'हां-हां, ले लो परीक्षा।'
बुढ़िया के हाथ में एक रूमाल था। उसने एक गांठ लगाई और सिकंदर से बोली, 'इसे खोल दे।' सिकंदर ने आव देखा न ताव झट से तलवार उठाई और रूमाल में लगी गांठ पर चला दी। बुढ़िया ने सिकंदर का हाथ थाम लिया और बोली, 'रुक जा, मैं समझ गई, तूने दुनिया को जीता नहीं काटा है। अरे मूर्ख, तू इतना भी नहीं जानता कि गांठें काटी नहीं खोली जाती हैं।' बुढ़िया की इस बात पर सिकंदर लज्जित हो गया।
अपना सांई प्यारा सांई सबसे न्यारा अपना सांई
ॐ सांई राम।।।