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भक्त की निष्ठापूर्ण और निस्वार्थ भक्ति को देखकर भगवान को भी कभी-कभी झुकना पड़ता है
स्रोत : धर्म डेस्क. उज्जैन
और
श्रीमान गोपाल किशनजी
कहते हैं कि चाह अगर सच्ची हो तो मंजिल तक पहुंचने से कोई रोक नहीं सकता। जरूरत है उस तीव्र प्यास की जो सीधे आत्मा को परमात्मा से जोड़ देती है। ऐसे एक नहीं बल्कि सैकड़ों उदाहदण हैं, जो यह सिद्ध करते हैं कि मनुष्य जब कुछ पाने के लिये अपने जीवन की बाजी लगाने को तैयार हो जाता है तो अपने मकसद में कामयाबी अवश्य ही मिलती है। इस बात की हकीकत और गहराई को समझने के लिये आइये चलते हैं एक सच्चे घटना प्रसंग की ओर...
एक गांव में एक फकीर रहता था। गांव के बच्चों को सत्य, प्रेम और दूसरों की मदद करने की शिक्षा देना ही उसका प्रतिदिन का पसंदीदा कार्य था। खाली वक्त में वह किसी एकांत स्थान पर जाकर ईश्वर का ध्यान करता और जिंदगी में आए अनेक दुखों को भुलाकर भगवान को हमेशा धन्यवाद ही देता रहता। वह अपना पेट भरने के लिये गांव में घर-घर जाकर भिक्षा मांगता और पेट भरने के लिये पर्याप्त होने पर वापस लौट आता।
रोज की तरह ही एक दिन वह गांव में भिक्षा मांग रहा था। एक घर से दूसरे घर जाते हुए वह बिना देखे ही बस यही पुकारता कि- भगवान तेरी जय हो। एक घर से दूसरे की ओर जाने में वह भूल ही गया कि वह जहां खड़े होकर भिक्षा के लिये पुकार रहा है वह किसी का घर नहीं बल्कि गांव की एक मात्र बहुत पुरानी मस्जिद है। उसकी आदत थी कि वह हमेशा अपना सिर झुकाकर ही रखता था इसलिये उसे पता ही नहीं चला कि वह मस्जिद के सामने खड़ा होकर भीख मांग रहा है। उस रास्ते से गुजरते हुए व्यक्ति ने उसे देखा तो फकीर के पास आकर बोला- बाबा क्या आपको दिखाई नहीं देता कि यह किसी का घर नहीं बल्कि मस्जिद है यहां तुम्हें कौन भिक्षा देगा। जाओ- जाओ किसी के घर जाकर मांगों जो अवश्य कुछ खाने को मिल जाएगा।
उस राहगीर की बात सुनकर उस फकीर के दिमाग में अचानक बिजली सी कोंध गई। उसकी आंखों से आंसू बहने लगे। फकीर सोचने लगा कि यह मस्जिद तो खुद ईश्वर का ही घर है, क्या यहां आकर भी मेरी झोली खाली रह जाएगी। जब एक सामान्य सा मनुष्य इतनी दया दिखाता है कि कुछ न कुछ तो दे ही देता है तो क्या इस संसार के मालिक को मुझ पर दया नहीं आएगी। कहते हैं कि यही सोचता हुआ वह फकीर मस्जिद के सामने ही बैठ गया। उसकी आंखों से लगातार आंसू बहते जा रहे थे, सुबह से रात हो गई लेकिन वह फकीर अपनी जगह से हिला तक नहीं। यहां तक कि पूरे तीन दिन हो गए लोंगों ने उसे खूब समझाने की कोशिश कर ली लेकिन वह बगैर जवाब दिये बस मस्जिद के भीतर ही देखता रहता। उसकी आंखों में आंसू थे लेकिन चेहरे पर हंसी थी उसे लगा जैसे आज उसकी असली आंखें खुल गईं।
और कहते हैं कि चोथें दिन सुबह-सुबह वहां एक चमत्कार घटित हो गया। बिजली सी चमक गई एक तेज रोशनी हुई और उस फकीर को जाने ऐसा क्या मिल गया कि वह तो बस नाचने लगा, झूमने लगा। लोग कहते हैं कि उस दिन के बाद से उस फकीर में कई चमत्कारी शक्तियां आ गईं थी। उसके छूने मात्र से लोगों के दु:ख, दर्द और बीमारियां मिट जाती थीं।
जय श्री साईं राम _________सब का मालिक एक _________जय श्री साईं राम
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very nice. I always love such stories. please continue to share such stories
Sai Ram
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OM SAI RAM
VERY TRUE MEANING IT HAS...
JAI SAI RAM
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OMSAIRAM
THANKYU SO MUCH APNE AAJ MERA VISHWAS AUR PAKKA KAR DIYA ISS KAHANI SE ...SACH KAHA HAI BHAGWAN KE DAR SE KOI KHALI NAI JATI AGAR PUKAR BINA SAVARTH KE HO
SAI SAMARTH........SHRADDHA SABURI
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इस सुख का कोई अंत नहीं ..
स्रोत : धर्म डेस्क. उज्जैन
और
श्रीमान गोपाल किशनजी
आम इंसान जिंदगी में अनेक तरह के सुख की कामना करता है। जिनमें स्वास्थ्य, धन, संतान, घर आदि। इन सुखों के लिए वह दिन-रात तन, मन से भरसक कोशिश करता है। इस मेहनत का फल भी उसे सुख की प्राप्ति के रूप में मिलते हैं। वहीं वह कई मौकों पर नाकाम भी होता है, जिससे दु:ख और निराशा मिलती है। किंतु जब सुख पाकर भी व्यक्ति बेचैन और परेशान दिखाई दे तो यह सवाल बनता है कि आखिर ऐसा कौन-सा सुख है, जिसको पाकर कोई व्यक्ति किसी ओर सुख की चाह ही न करे?
इस बात का जवाब छुपा है धर्मशास्त्रों में। जिनके मुताबिक जगत के सारे सुखों से भी बड़ा सुख है - भगवत या इष्ट साधना। माना जाता है कि दुनिया के हर सुख मिल जाए और भगवान और धर्म से व्यक्ति दूर हो जाए तो सभी सुख व्यर्थ हैं। इसके विपरीत सभी सुखों से वंचित रहने पर भी भगवत प्रेम प्राप्त हो जाए तो वह व्यक्ति सबसे धनी होता है।
धर्मशास्त्रों में अनेक ऐसे भक्तों के उदाहरण हैं, जिन्होंने भगवत कृपा की वह दौलत पाई, जिसने जगत को भौतिक सुखों से दूर ऐसी अंतहीन खुशी पाने की राह बताई, जिस पर चलना हर किसी के बस में है। इनमें श्रीकृष्ण के परम मित्र सुदामा और भगवान राम के भक्त श्री हनुमान प्रमुख है। लोक जीवन में कृष्णभक्त मीरा और चैतन्य महाप्रभु ने सारे भौतिक सुखों को भक्ति के आगे बौना साबित किया।
धर्मग्रंथों में श्री हनुमान द्वारा माता सीता द्वारा मोती की माला देने पर उनकों चबाकर तोड़ अपने इष्ट को ढूंढने का प्रसंग है। जिसको साबित करने के लिए हनुमान के खुशी-खुशी सीने को चीरकर राम-सीता की छबि बताना भी भगवत भक्ति का बेजोड़ उदाहरण है। वहीं शास्त्रों के परम ज्ञाता सुदामा को श्रीकृष्ण के प्रति अपार प्रेम से आध्यात्मिक नजरिए से भगवत कृपा पाने वाला सबसे वैभवशाली चरित्र माना जाता है। लोक जीवन में मीरा ने बेमिसाल भक्ति से कृष्ण को पाया तो चैतन्य महाप्रभु भक्ति में ऐसे डूबे कि माना जाता है कि वह भगवान की मूर्ति में ही समा गए।
सार यह है कि अगर वास्तविक सुख और आनंद चाहें तो व्यावहारिक जीवन में धर्म और ईश्वर से भी जुड़े। क्योंकि जब व्यक्ति भगवान को स्मरण करता है तो वह सारे दु:ख, तनावों, चिंताओं, कष्टों से परे हो गहरी मानसिक शांति और स्थिरता पाता है, जो नया आत्मविश्वास पैदा करती है। लेकिन इसकी शर्त यही है कि भगवान को आजमाने के लिए याद न करें, बल्कि श्रद्धा और विश्वास से स्मरण करें। तभी वह खुशी मिलेगी, जो हमेशा कायम रहेगी।
जय श्री साईं राम
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सब का मालिक एक
जय श्री साईं राम
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Sairam Pratapji
Bahut hee sundar story hai. Lekin ek Prashn hai, kya kisee kee tadap dekhkar Bhagwan pighalte bhee hain??
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Om sai ram
Han bilkul agar bhakt ki tadap me pura vishwas aur apne kiye gaye bure karmo ka regret ho to kyun nai pighalenge?
Jai sai ram
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SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI SAI
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Sai Ram
Sir i could not understand what you want to say . Can you elaborate your views?
SAIRAM
SORRY TO INTRUDE BUT IS THIS FOR ME OR YOU ASKING SOMEONE ELSE.
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OM SAI RAM PRATAPJI SHAIVIJI AUR TANUJI
Aapne Sawal kaa bahut sundar Uttar diyaa lekin main aapke jawaab se sehmat nahin hoon. Shaiviji aapne Maa aur Bhagwan kaa example diyaa, to yeh Statistics Maa ke baare mein yeh statistics se aap anbhigya nahin hongee kee roz 10 bacche apnee maa ke atyacharon se dam todte hain. (Links main daal sakta hoon), yeh Kaliyug hai, kaliyugu Maa kaa to main yeh maan sakta hoon ke yeh bhee Bhagwan kaa "Terrible aspect" hai. Isliye iss aspect par to main bahut clear hoon
Pratapji mujhe agar Bhagwan pighalte hotae to hamara Bharat 1000 saal se Nrushans Janwaron aur aaj to terrorists, videshi aadee keedon dwara kyun khaya jaata raha?? Guru Tegh Bahadur ko jab Aurangzeb ne tel ke kadahe mein dalvaya yaa Swami Shraddhanand ke upar churi chalee tab to kahin koi Bhagwan nahin pighlaa.
Aapkaa shayad reply story mein hee antarnihit hai "Insaan pehle pighaltaa hai Bhagwan bahut baad mein"
My apologies in advance if I say anything wrong
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OM SAI RAM
I NEVER EXPECTED THIS FROM U... THIS IS CALLED BOOKISH KNOWLEDGE AND NOTHING ELSE...
"GLASS BHI TO PIGHLA KAR HI SUNDER SHAPE LETA HAI, AUR AGAR USKI CARE NAHI KI TO TUT KAR BIKHAR JATA HAI..."
JAI SAI RAM
OM SAI RAM PRATAPJI SHAIVIJI AUR TANUJI
Aapne Sawal kaa bahut sundar Uttar diyaa lekin main aapke jawaab se sehmat nahin hoon. Shaiviji aapne Maa aur Bhagwan kaa example diyaa, to yeh Statistics Maa ke baare mein yeh statistics se aap anbhigya nahin hongee kee roz 10 bacche apnee maa ke atyacharon se dam todte hain. (Links main daal sakta hoon), yeh Kaliyug hai, kaliyugu Maa kaa to main yeh maan sakta hoon ke yeh bhee Bhagwan kaa "Terrible aspect" hai. Isliye iss aspect par to main bahut clear hoon
Pratapji mujhe agar Bhagwan pighalte hotae to hamara Bharat 1000 saal se Nrushans Janwaron aur aaj to terrorists, videshi aadee keedon dwara kyun khaya jaata raha?? Guru Tegh Bahadur ko jab Aurangzeb ne tel ke kadahe mein dalvaya yaa Swami Shraddhanand ke upar churi chalee tab to kahin koi Bhagwan nahin pighlaa.
Aapkaa shayad reply story mein hee antarnihit hai "Insaan pehle pighaltaa hai Bhagwan bahut baad mein"
My apologies in advance if I say anything wrong
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SAI RAM TANUJI
This is not Bookish knowledge but bare facts of life.
I do not see anything so offensive in Truth
And anyway my apologies if you find it offensive
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Pratapji Mujhe really aapkaa e-mail ID PM ke through dijiye, please.
Yeh sahee hai kee iss forum kee direction alag hai, lekin Adhyatmic jagat koi life se Bhinn nahin hai. Iska matlab yeh hai kee jab iss bhagwan kee rachna mein itnee gadbad hai, to kya guarentee hai kee Adhyatmik jagat mein nahin hai???
Aur yeh bhee sahee hai kee hum Hindustaniyon ne jab bhee Bhooke Nangon ko roti daali unhone peeth mein churaa maraa. Hazaron saalon se aaj tak yehi hai, isliye Bhooke ko aann do yeh baat par vishwas sehej nahin hotaa
Doosra Law of Karma, aisaa kaun saa Punya Pratap hai jo Lakhon logon kaa murder karne waalon ko Bahut achee maze ki zindagi de raha hai??? Aur Acche Acche, Unche Unche Saints to apnee Maa ko bhee sadak par bech dene walle media, politicians se badnaam karaa raha hai??
Yada Yada hee ......????? Kidhar hai???
Yeh sab kahin Adyatmik Prashn hain
Ho sakta hain Nietze hee sahee ho "God is Dead"
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SAIRAM Shaiviji
Aap agar statistics kee baat karein, Old age Home kee to Kitne Bacche hain jinhe apnee Maa ke vajah se sadakon pe joote Polish karne padte hain, kitnon ko chai kee dukaan par kaam karna padta hai, kitnon ko Nikaal diyaa jaata hai aur railway station par pade rehte hain, kitne bacche bheekh maaange par majboor hain. Iss sabkee bhee shayad aapke Foreign Paid NGO ke paas statistics hogee.?? I have just talked of "Deaths'
Aur sorry naa mein enligtned hoon naa banna chahta hoon
इतने बड़े भारत देश के भ्रष्ठाचार को आपके ज्व्लन्सील् क्रान्तिकारी विचारो के आदान-प्रदान से क्या होने वाला है, दिमाग और सेहत बिगाड़ने का अलावा. जबकि हमारी यह भारत माता के ज्यादातर सुपुत्रों विदेश में जाकर बैठे है और भारत माता की फिक्र करते है. कैसी बेबस है हमारी भारत माता, कमान एक विदेशी के हाथ है और हमारी यह भारत माता के फिक्र करने वाले उसके सुपुत्रों विदेशी मुद्रा कमाने में तल्लीन है और अपने NRI status से खुश है.
Videsh mein baithne se kya Bharat Mata kaa lagaav khatam ho jaata hai??? Bharat mein terrorist, Videshi, Deshdrohi sab baithe hain. Aur Maaf kijiye , Madan Lal Dhingdaa, Shaheed Udham Singh, Subhash Chandra Bose, Madam Bhikaji Cama bhee NRI "Status" jaisaa aapne kaha the?? Aur Saints ko Gaali dene waale aur Videshi kee jootae chatne waale India mein hee hain shayad, NRI nahin
Yeh theek hai kee yeh Forum inn sab ke liye nahin hai,
OM SAI RAM
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Anupamji Jay Sai Ram
Aapke sampurn prashno ke uttr mai aavashy dunga per is foram me nahi. Jin sabdo ka ya bhasha ka
aana savabhik hoga wo mai is manch me nahi kar sakta na hi karna chaunga.
Rahi baat bhagwan ki rachna me khot hai to aap ko ek baat bata du ki itni buraiyo ko palne ke baad bhi ham agar saas bhi le rahe hain to wo sahi rachna hi hai jo jivit rakhe huye hai warna kya hota aap samajh hi sakte hai.
Baki ka uttr anupamji mai yaha nahi dunga kyoki aapko batane ke liye mujeh bhi kajal ki kothri me jana
hi hoga tabhi kuch la paunga.
Pratapji Mujhe really aapkaa e-mail ID PM ke through dijiye, please.
Yeh sahee hai kee iss forum kee direction alag hai, lekin Adhyatmic jagat koi life se Bhinn nahin hai. Iska matlab yeh hai kee jab iss bhagwan kee rachna mein itnee gadbad hai, to kya guarentee hai kee Adhyatmik jagat mein nahin hai???
Aur yeh bhee sahee hai kee hum Hindustaniyon ne jab bhee Bhooke Nangon ko roti daali unhone peeth mein churaa maraa. Hazaron saalon se aaj tak yehi hai, isliye Bhooke ko aann do yeh baat par vishwas sehej nahin hotaa
Doosra Law of Karma, aisaa kaun saa Punya Pratap hai jo Lakhon logon kaa murder karne waalon ko Bahut achee maze ki zindagi de raha hai??? Aur Acche Acche, Unche Unche Saints to apnee Maa ko bhee sadak par bech dene walle media, politicians se badnaam karaa raha hai??
Yada Yada hee ......????? Kidhar hai???
Yeh sab kahin Adyatmik Prashn hain
Ho sakta hain Nietze hee sahee ho "God is Dead"
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शैविजी जय साई राम
जो बात आप मुझे कह रही है शायद आपने गौर नहीं किया की मै उसी बात को लगातार कहता आ रहा हूँ की इस फोरम मे इस विषय पर
बात नहीं करना चाहिये . आप केवल क्रोधावश मेरी बातो को न समझते हुये मुझे लगातार सम्पूर्ण विवादों का दोषी ठहरा रही है या
प्रयास कर रही है.
मैं अनुपमजी को इस विषय को यहाँ ही समाप्त करने की दरख्वास कर चूका हूँ . क्योकि वो नहीं मान रहे थे इसलिए मैंने उनको निवेदन
किया की आप अगर इस विषय पर बात करना चहेते है तो मेरे मेल पर कीजियेगा ,इस फोरम मे नहीं .
आप बताइए कहा मेने गलती की है ? क्या अनुपमजी का direction बदलना अपराध था मेरा ? मैंने केवल एक गलती की है वो आपके
एक विचार पर असमर्थता दिखा के . फोरम एक वो स्थान है जहा ये तो संभव नहीं है की सभी के विचार एक सामान ही होंगे . विचारो
के अलग -अलग होना भी सवाभिक है .
मुझे खुद को अपराधी बोध मत कराइए. छमा चाहता हूँ भविष्य मे आपके विचारो पर असमर्थतता नहीं दिखने की भूल करूँगा .
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साई राम आदरनिये विशेषजी
मैंने अनजाने मे एक बड़ा सा गुनाह कर दिया है . बाबा के वचनों को भूलकर किसी का दिल
दुखाया है . मैं सबसे पहले अपना सर उनके चरणों मे रखकर क्षमा की याचना करता हूँ फिर
बाबा से मुझे क्षमा करने की गुहार लगता हूँ . सम्पूर्ण रूप से मे अंजान था .न मुझे कुछ पता
था पर फिर भी गलती तो गलती ही कहलाती है और उसका प्राश्चित भी क्षमा मांग के ही किया
जा सकता है. मै इस फोरम के माध्यम से क्षमा की याचना करता हूँ .वो अगर इस फोरम मे
आये तो आवश्य मेरी इस याचना पे ध्यान दे .
आज बाबा ने एक नया ज्ञान दिया की अति भावुकता भी कभी-कभी दूसरो और अपने लिये
बहुत ही दुखदाई हो जाती है.
मेरी मनः स्थिति अभी आशान्त है इसलिए मै केवल आदरनिये विशेष से क्षमा की याचना फिर से
करता हूँ. उनका क्षमा करना मेरे लिये बाबा ने मुझे क्षमा किया समझूंगा .
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साईं राम
माँ -द्वारकामाई के चरणों मे प्रणाम
सर्वप्रथम मै आदरणीय श्री .............जी का शुक्रिया अदा करना चाहता हूँ कि उन्होंने बहुत बड़ा हृदय रखते हए
मुझे माफ़ी के काबिल समझा और मुझे क्षमा करदिया . मैं अब जाके बहुत ही शांति का अनुभव कर रहा हूँ .
बाबा का भी लाख-लाख शुक्रिया अदा करता हूँ कि उनके क्षमा करते ही बाबा ने भी क्षमा अवश्य कर दिया है ,ऐसा मुझे
महसूस कर रहा हूँ वरना इतनी मानसिक शांति मुझे नहीं रहती.
बाबा ने अपनी लीला से मुझे इस संसार का सबसे बेहतरीन उपहार भी दिया है जिसके लिये मैं बाबा का आभारी हूँ.
एक नया ज्ञान भी प्राप्त हुआ कि भावनाओ मे बहकर भावावेश मे किया या बोला गया कार्य या सब्द न दुसरे के लिया
अच्छा होता है न ही अपने लिये. पीड़ा का एहसास दोनों तरफ ही रहता है.
साई राम
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साई राम
बहुत -बहुत शुक्रिया , आपके आशीर्वाद को तहें दिल से ग्रहण करता हूँ .
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SAIRAM Paratapji
Jaane Anjaane agar kisee kaa dil dukha to uss Vyakti Visesh se main Heartfelt Maafi maangta hoon. Pratapji mere pass naa to unkaa ID hai naa mujhe pata hain wo sajjan kaun hain Atah kripya meri taraf se bhee unse Maafi maang lijiyega
Aapse interact karke bahut accha laga lekin mujhe lagta hai kee jab kisee kee mental peace, yaa forum kee Garima (dubbed Krantikari Vichar??) disturb ho to main isse BABA kaa ishara samajhta hoon kee pareshani naa paida karoon. Lekin mujhe aapse Baat karke bahut accha laga. Thanks a lot to you. Aapka tahe dil se shukriya hai
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ॐ श्री साईनाथाय: नमः :
क्या है सबसे बड़ा त्याग या पूर्ण आत्म बलिदान ?
श्रोत : अंग्रेजी से हिंदी मे अनुवादित
निवेदन : अंग्रेजी से हिंदी मे अनुवादित करते वक्त ये सम्भव है की मुझसे आपार गलतियाँ हुई होंगी ,इसलिए पूर्व ही माफ़ी की दरखास्त करता हूँ .
पूर्ण आत्म बलिदान क्या है इसे एक लघु प्रेणनादायक कहानी के माध्यम से दर्शाने की कोशिस की जा रही है .............................. ......
महाभारत के युद्ध के समाप्ति के पश्च्यात पाण्डवो ने एक विशाल समारोह का आयोजन किया और अपने महान त्याग को दर्शाने का प्रदर्शन भी किया एवंग गरीबों को बहुत ही कीमती से कीमती उपहार भेट किये. सभी व्यक्तिओ ने बहुत ही विश्मयता के साथ् पाण्डवो की महानता और समृद्धि की प्रशंसा की और कहा की ऐसा न कभी संसार मे हुआ है न ही कभी होगा. लेकिल समारोह समाप्ति के कुछ क्षण पहले एक छोटा सा नेवला आया जिसका आधा शारीर का हिस्सा सोने का था ओर आधा हिस्सा भुरा था। वह् समारोह स्थल मे जमीन पेर एक तरफ़् से दुसरी तरफ़् लोटने मे लगा हुआ था.
वो विस्मय से पाण्डवो को केहने लग की आप सबलोग सबसे बडे मिथ्यावादी हो,यह कोइ त्याग य बलिदान थोडे ही है ।
पाण्डवो ने आस्चर्य्चकित हो के कहा की क्या केहते हो । तुमेः क्या मालुम है की कितने बेसकिमति हिरे,मोती,सोने,चांदी ओर न जाने कितनी अमूल्य चिज़े यहा गरिबो को दान मे दी गयी हैं । सभी गरिब् बहुत ही खुस हैं ओर सभी बहुत धन्वान् बन गये हैं। ये दुनिय का सबसे बडा ओर सबसे सफ़ल् त्याग का महा समारोह है।
नेवला मानने को तैयार नही था ओर पाण्डव उसको मनवाने की बहुत ही कोशिस कर रहे थे। आखिर पाण्डव ने इस कथन का प्रमाण देने को कहा।
तब् नेवले ने अपने कथन की पुष्टि एक छोटी सी कहिनी बतलाकार पाण्डवो को समझाई.................................
एक गांव मे एक निर्धन गरिब् ब्रह्मन् अपनी पत्नी,बेटे ओर बहु के साथ् रेह्ता था। वह् उपदेश ओर शिक्षा बाटके जो धन संग्रह करता था उसी से उसके परिवार् का भरन -पोषन हो रहा था . अभग्यवस लगातार तीन वर्षो तक उस गांव मे आकाल पडा ओर गरिब् ब्रह्मन् की हालत पेहले से भी अधिक खराब् हो गयी । लगातार कई दिनो तक परिवार् भूखे रेहने के बाद गरिब् ब्रह्मन् कुछ जौ का आटा घर लाने मे सक्षम हो गया ओर उसने चार सामान -सामान हिस्सो मे उसको बाट दिया ओर सबको उनका हिस्सा दे दिया । सभी ने उससे भोजन बनाया ओर जैसे ही वो भोजन ग्रेहन करने के लिये जानेवाले ही थे की दरवाजे पर किसी को दस्तक देते सुना ।
पिता ने दरवाजा खोला ओर पाया की एक व्यक्ति बहुत ही थका हारा हुआ सामने खडा हुआ है । हमारे भारत देश मे आथिति को भगवान समझा जाता है। इसलिये ब्रह्मन् ने बडे ही आदर के साथ् अन्दर आके आसन ग्रहन करने को कहा । आथिति घर से भूखा लौट जाये ये पाप होगा सोचकर ब्रह्मन् ने आपने हिस्से का भोजन आथिति को खाने को दिया । आथिति ने शिग्रःता से भोजन खतम कर दिया ओर कहने लगा कि महोदय आपने तो मुज्हे मार ही दिया । मै दस दिनो से भूखा हु ओर इतन कं भोजन देकर आपने मेरी भूख ओर बडा दी। ब्रह्मन् कि पत्नी ने कहा कि आप मेरा हिस्सा आथिति को भोजन के लिये देदे । ब्रह्मन् ने कहा की एसा नही हो सकता। पत्नी ने अपने पति को कहा की गृहस्वामियों होने के नाते इस गरीब को भोजन देना हमारा कर्तव् है और आपकी पत्नी होने के नाते जा मै देख रही हूँ कि आपना भोजन देने के बाद आपके पास और कुछ देने को नहीं है तो पत्नी का कर्तव् निभाते हुये मै अपना भोजन इस गरीब को देती हूँ . अथिति भोजन समाप्त करने के बाद फिर से कहता है कि इससे मेरी भूख और भी बढ गई .तब बेटे ने अपने हिस्से का भोजन देते हुये
अथिति को कहा कि आप ये ग्रहण करें क्योकि बेटे का फ़र्ज़ होता है कि पिता के कर्तवो का निर्वाह करे. अतिथि ने उसे भी खाने के पश्च्यात कहा कि मुझे अभी भी संतुष्टि नहीं मिली . बहू ने भी अपना हिस्सा का भोजन भी अथिति को दे दिया. भोजन करने के बाद अतिथि बहुत ही प्रशन्य हुआ और ढेरो आशीर्वाद देकर चला गया .
उसी रात भूख के आग्नि ने उन चारो को निगल लिया . भूख के कारण उन सबकी मौत हो गई . कुछ जौ के दाने जमीन मे पड़े हुये थे और जैसे ही मैंने उन दानो के उपर लोटना शुरू किया. मेरा आधा सरीर सोने का हो गया ,जो आपलोग देख रहे हो . उसके बाद से मैं सम्पूर्ण संसार मे घूमता फिर रहा कि मुझे कोई ऐसा ही त्याग (बलिदान) देखनो को मिले जिससे मेरा बचा हुआ आधा सरीर भी सोने का हो सके . पांडवो की और देखते हुये उसने कहा की इसी वजह से मैं कह रहा था की ये कोई त्याग नहीं है.
ॐ साई राम ॐ साई राम ॐ साई राम ॐ साई राम ॐ साई राम ॐ साई राम ॐ साई राम ॐ साई राम ॐ साई राम ॐ साई राम
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SAIRAM Paratapji
Jaane Anjaane agar kisee kaa dil dukha to uss Vyakti Visesh se main Heartfelt Maafi maangta hoon. Pratapji mere pass naa to unkaa ID hai naa mujhe pata hain wo sajjan kaun hain Atah kripya meri taraf se bhee unse Maafi maang lijiyega
Aapse interact karke bahut accha laga lekin mujhe lagta hai kee jab kisee kee mental peace, yaa forum kee Garima (dubbed Krantikari Vichar??) disturb ho to main isse BABA kaa ishara samajhta hoon kee pareshani naa paida karoon. Lekin mujhe aapse Baat karke bahut accha laga. Thanks a lot to you. Aapka tahe dil se shukriya hai
अनुपमजी जय साई राम
मुझे भी बहुत ही अच्छा लगता है आपसे बात करके . अनुपमजी ये बाबा का संकेत अवश्य है की हमलोग अपने पे नियंत्रण रखे पर ये नहीं है की फोरम को ही त्याग दे. त्यागने की बात से याद आया की मैंने आज ही एक अंग्रेजी मे कही गई कहानी को हिंदी मे अनुवाद करके फोरम मे पोस्ट किया है ,इस त्याग और बलिदान पर ही . अनुपमजी हर चीज़ का एक समय निर्धारित है और वो तबही ही फलीभूत होता है . रही बात फोरम की शांति और गरिमा को बनाये रखने की तो मुझे नहीं लगता की आपने कोई ऐसा कार्य किया है जिससे फोरम की कोई हानि पहुची हो .हां मुझसे और आपसे केवल एक ही गुना हुआ है की इन विचारो पर बात करते वक़्त भावावेश मे अन्य सदशो को अपने सब्दो से दुखी किया.मेरा आपसे अनुरोध है की फोरम छोड़ने की बात तो सोचिये भी नहीं. मैंने एक दिन आपसे कहा था की किनारे पर नाव तो सभी चला लेते है पर बहुत कम होते है जो नाव को तूफान मे बीच मजधार मे ले जाते है . आपकी बातो से नहीं लगता की आप किनारे पर नाव चलने वालो मेसे हो.
अनुपमजी पराधीन भारत और स्वाधीन भारत की परिस्थियाँ ,सोच ,लोगो की समाज और देश के प्रति निष्ठा ,निस्वाथ सेवा और त्याग की भावना इत्यादि सबका अभी भी क्या एक सामान ही है .नहीं सम्पूर्ण रूप से बदल चुकी है . "आपना काम निकलता तो भाड़ मे जाये जनता " वाला सिधांत है. हर तरफ बलि के बकरे की तलाश है . ये नेता, देश के दलाल ,क्रन्तिकारी के ठेकेदार या पैसो के पिसाच सबका मकसद हम और आप जैसे बकरे की बलि चढ़ाके आपना मकसद पूरा करना होता है नाकि देश का. इनको पता है ये जनता है भेड़ की तरह ही है ,एक जिधर चलेगी सब उसी तरफ चलने लगेंगी . क्यों अपने को बकरा बना रहे है हम . बलि पे चढ़ जायेगे तो इनका ही फायदा होगा न की देश का .केवल नुकसान तो हमारे घरवालो का ही होगा. माँ को बेटा खोना होगा ,बहन को भाई ,पत्नी को पति और बच्चो को पिता . कोई नहीं याद रखता किसी को . एक बात और भी सोचने की है की क्या हमारा इनके प्रति भी कोई कर्तव् नहीं बनता है.जब हमारे जिन्दा रहते हुये भी कोई अपने को पूरी तरह से सुरक्षित नहीं महसूस करता है तो न रहने पर क्या होगा . आपने देखा होगा चौहराए पे बड़े -बड़े कर्न्तिकरियो की प्रतिमा लगी हुई है और केवल एक दिन छोड़कर साल भर कौए,कबूतर और अन्य पंछी उसपर बीट करते रहते हैं. जन्मदिन या मरणदिन के दिन कुछ देर पहले सफाई होती है ,नेता आते है फूल-माला गले मे डालते है ,एक दो सुंदर सुंदर सी बाते बोले है ,तालिया बजती है और सब घर को .एक साल के लिये छुट्टी भालू का जैसे नाच हुआ तालिया बजी और तमाशा ख़तम .
अनुपमजी यहाँ रहकर भी बहुत से सामाजिक कार्य आप कर सकते है . अगर सही मे आप जागरूक है और चहेते है की कुछ सामाजिक कार्य करे तो जहा चाह वहा राह . आप क्या समझते है की आध्यात्मिक जगत मे कोई गड़बड़ी नहीं है . बहुत सारी खामिया है जो इंसानों द्वारा रची गई है नाकि भगवान के द्वारा . एक जागरूक इंसान जो आप है क्यों नहीं यही से शरू करते है अपना कार्य.मैं आपको सहयोग करूँगा.अकेले चले थे मंजिल को,लोग आते गये कारवां बनता गया . क्या न आप इसको शुरू करे और धीरे धीरे सम्पूर्ण समाज मे पहलाये. आध्यामिक समाज भी हमारे समाज का एक विशेष अंग है.
अंत मे केवल यही कहूँगा की किसी के कहने पर कोई चीज़ न आपने जाती है न ही छोड़ी जाती है . आप की सोच ही आपको आपनाने या छोड़ने की इजाज़ाद देती है . फोरम मे रहना न रहना ये आप की अपनी सोच है पर एक बात तो अवश्य कहूँगा अनुपमजी हरिबंस राइ बच्चन की एक लाइन याद आ गई .
"मन का हुआ तो अच्छा ,अगर नहीं हुआ तो और भी अच्छा"
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OM SAI RAM!
Thank you very much for sharing such an inspirational story with us Pratap ji .
निवेदन : अंग्रेजी से हिंदी मे अनुवादित करते वक्त ये सम्भव है की मुझसे आपार गलतियाँ हुई होंगी ,इसलिए पूर्व ही माफ़ी की दरखास्त करता हूँ .
मेरे बेटे से जब भी में मेरे हिंदी भाषा में मेरी गलतियों की बात करती थी वोह हमेशा कहा करता था की "माँ शब्दों को नहीं भावना को देखो" अतः आपके लिए भी यह उत्तर है प्रताप जी.
Be Blessed!
Love & Light!
Om Sai Ram! :)
ॐ श्री साईनाथाय: नमः :
क्या है सबसे बड़ा त्याग या पूर्ण आत्म बलिदान ?
श्रोत : अंग्रेजी से हिंदी मे अनुवादित
निवेदन : अंग्रेजी से हिंदी मे अनुवादित करते वक्त ये सम्भव है की मुझसे आपार गलतियाँ हुई होंगी ,इसलिए पूर्व ही माफ़ी की दरखास्त करता हूँ .
पूर्ण आत्म बलिदान क्या है इसे एक लघु प्रेणनादायक कहानी के माध्यम से दर्शाने की कोशिस की जा रही है .............................. ......
महाभारत के युद्ध के समाप्ति के पश्च्यात पाण्डवो ने एक विशाल समारोह का आयोजन किया और अपने महान त्याग को दर्शाने का प्रदर्शन भी किया एवंग गरीबों को बहुत ही कीमती से कीमती उपहार भेट किये. सभी व्यक्तिओ ने बहुत ही विश्मयता के साथ् पाण्डवो की महानता और समृद्धि की प्रशंसा की और कहा की ऐसा न कभी संसार मे हुआ है न ही कभी होगा. लेकिल समारोह समाप्ति के कुछ क्षण पहले एक छोटा सा नेवला आया जिसका आधा शारीर का हिस्सा सोने का था ओर आधा हिस्सा भुरा था। वह् समारोह स्थल मे जमीन पेर एक तरफ़् से दुसरी तरफ़् लोटने मे लगा हुआ था.
वो विस्मय से पाण्डवो को केहने लग की आप सबलोग सबसे बडे मिथ्यावादी हो,यह कोइ त्याग य बलिदान थोडे ही है ।
पाण्डवो ने आस्चर्य्चकित हो के कहा की क्या केहते हो । तुमेः क्या मालुम है की कितने बेसकिमति हिरे,मोती,सोने,चांदी ओर न जाने कितनी अमूल्य चिज़े यहा गरिबो को दान मे दी गयी हैं । सभी गरिब् बहुत ही खुस हैं ओर सभी बहुत धन्वान् बन गये हैं। ये दुनिय का सबसे बडा ओर सबसे सफ़ल् त्याग का महा समारोह है।
नेवला मानने को तैयार नही था ओर पाण्डव उसको मनवाने की बहुत ही कोशिस कर रहे थे। आखिर पाण्डव ने इस कथन का प्रमाण देने को कहा।
तब् नेवले ने अपने कथन की पुष्टि एक छोटी सी कहिनी बतलाकार पाण्डवो को समझाई.................................
एक गांव मे एक निर्धन गरिब् ब्रह्मन् अपनी पत्नी,बेटे ओर बहु के साथ् रेह्ता था। वह् उपदेश ओर शिक्षा बाटके जो धन संग्रह करता था उसी से उसके परिवार् का भरन -पोषन हो रहा था . अभग्यवस लगातार तीन वर्षो तक उस गांव मे आकाल पडा ओर गरिब् ब्रह्मन् की हालत पेहले से भी अधिक खराब् हो गयी । लगातार कई दिनो तक परिवार् भूखे रेहने के बाद गरिब् ब्रह्मन् कुछ जौ का आटा घर लाने मे सक्षम हो गया ओर उसने चार सामान -सामान हिस्सो मे उसको बाट दिया ओर सबको उनका हिस्सा दे दिया । सभी ने उससे भोजन बनाया ओर जैसे ही वो भोजन ग्रेहन करने के लिये जानेवाले ही थे की दरवाजे पर किसी को दस्तक देते सुना ।
पिता ने दरवाजा खोला ओर पाया की एक व्यक्ति बहुत ही थका हारा हुआ सामने खडा हुआ है । हमारे भारत देश मे आथिति को भगवान समझा जाता है। इसलिये ब्रह्मन् ने बडे ही आदर के साथ् अन्दर आके आसन ग्रहन करने को कहा । आथिति घर से भूखा लौट जाये ये पाप होगा सोचकर ब्रह्मन् ने आपने हिस्से का भोजन आथिति को खाने को दिया । आथिति ने शिग्रःता से भोजन खतम कर दिया ओर कहने लगा कि महोदय आपने तो मुज्हे मार ही दिया । मै दस दिनो से भूखा हु ओर इतन कं भोजन देकर आपने मेरी भूख ओर बडा दी। ब्रह्मन् कि पत्नी ने कहा कि आप मेरा हिस्सा आथिति को भोजन के लिये देदे । ब्रह्मन् ने कहा की एसा नही हो सकता। पत्नी ने अपने पति को कहा की गृहस्वामियों होने के नाते इस गरीब को भोजन देना हमारा कर्तव् है और आपकी पत्नी होने के नाते जा मै देख रही हूँ कि आपना भोजन देने के बाद आपके पास और कुछ देने को नहीं है तो पत्नी का कर्तव् निभाते हुये मै अपना भोजन इस गरीब को देती हूँ . अथिति भोजन समाप्त करने के बाद फिर से कहता है कि इससे मेरी भूख और भी बढ गई .तब बेटे ने अपने हिस्से का भोजन देते हुये
अथिति को कहा कि आप ये ग्रहण करें क्योकि बेटे का फ़र्ज़ होता है कि पिता के कर्तवो का निर्वाह करे. अतिथि ने उसे भी खाने के पश्च्यात कहा कि मुझे अभी भी संतुष्टि नहीं मिली . बहू ने भी अपना हिस्सा का भोजन भी अथिति को दे दिया. भोजन करने के बाद अतिथि बहुत ही प्रशन्य हुआ और ढेरो आशीर्वाद देकर चला गया .
उसी रात भूख के आग्नि ने उन चारो को निगल लिया . भूख के कारण उन सबकी मौत हो गई . कुछ जौ के दाने जमीन मे पड़े हुये थे और जैसे ही मैंने उन दानो के उपर लोटना शुरू किया. मेरा आधा सरीर सोने का हो गया ,जो आपलोग देख रहे हो . उसके बाद से मैं सम्पूर्ण संसार मे घूमता फिर रहा कि मुझे कोई ऐसा ही त्याग (बलिदान) देखनो को मिले जिससे मेरा बचा हुआ आधा सरीर भी सोने का हो सके . पांडवो की और देखते हुये उसने कहा की इसी वजह से मैं कह रहा था की ये कोई त्याग नहीं है.
ॐ साई राम ॐ साई राम ॐ साई राम ॐ साई राम ॐ साई राम ॐ साई राम ॐ साई राम ॐ साई राम ॐ साई राम ॐ साई राम