जय सांई राम।।।
चिंतन परिश्रम
आज का विचार हम जाने अन्जाने मे ही अपने बच्चो का बुरा कर बेठते हे, ओर जब आखं खुलती हे तो बहुत देर हो चुकी होती हे, आज का विचार कुछ ऎसा ही हे..जो मां बाप बच्चो के लिये मेहनत कर के, सही गलत काम कर के बचत करते हे, कि हमारा बेटा बडा हो कर किसी मुश्किल मे ना पडे, भुख से ना तडफ़े, धन के लिये ना भटके आदि आदि... ओर अपने प्यारे बेटे के लिये मकान, ज्यदाद,बेकं बेलेंस, प्लाट ले ले कर रखते हे, ताकि उस का आने वाला जीवन सुखी रहे... लेकिन होता इस से उलटा हे, क्योकि जिसे सब कुछ बना बनाया मिलेगा वो....
चिंतन...
एक आदमी एक दिन मुर्गियो के दबडे के पास बेठा कुछ अण्डो को देख रहा था,तभी उन अण्डॊ मे हरकत हुई, उस ने देखा एक अण्डा थोडा टुट गया हे तभी उस अण्डे मे से एक चोंच सी निकली, ओर जो भी चुजा अन्दर था बहुत कोशिश कर रहा था बाहर आने की लेकिन अण्डा टुट ही नही रहा था, तभी उस आदमी ने एक लकडी के टुकडे से बह अण्डा तोड दिया ओर चुजा झट से बाहर आ गया ओर चीं चीं कर के खुली हवा मे खेलने लगा, लगता था बहुत खुश हे, उस आदमी ने भी एक निशान उस पर लगा दिया स्याही से, ताकि कल उसे पहचान पाये तभी दुसरे अण्डो मे भी हरकत हुई,
अब इस भलेमानष ने उन अण्डो को बिलकुल भी नही छुया, ओर बाकी चुजो का तमाशा देखता रहा, काफ़ी मशकत के बाद सभी चुजे भी अपने अपने अण्डे तोड कर बाहर आ गये, ओर नयी दुनिया मे इधर उधर खुशी मे भागने लगे,अब उस आदमी को काफ़ी समय हो गया सो वह चला गया, शाम को फ़िर देखा सभी चुजे अब ओर भी मस्ती से खेल रहे थे,
तीसरे दिन वह आदमी फ़िर से उन चुजो को देखने गया, तो क्या देखता हे सभी चुजे खुब बडे ओ गये हे ओर खुब मस्ती मे भाग दोड मचा रहे हे, बस एक चुजा कुछ सुस्त सा एक कोने मे बेठा हे, ओर वह आदमी अपना निशान देख कर झट पहचान गया कि यह तो बही चुजा हे, जिस की उस ने मदद की थी, यानि जो बिना मेहनत के दुसरो के सहारे ही अण्डे से बाहिर आ गया था, ओर जॊ मेहनत करके आये सभी चुस्त थे, थोडी ही देर बाद बह चुजा मर गया, तो उस आदमी को अपने पर बहुत गुस्सा आया की उस ने क्यो उस की मदद कर के उसे इतना कमजोर बनाया,यानि जो मेहनत खुद करते हे वह ही हर हालात से लडना जानते हे, ओर जिन्हे मां बाप की कमाई बिरासत मे मिले जिन्होने मेहनत ही नही की वह बुरे समय मे किस हालात से लडे गे,
ॐ सांई राम।।।