जय सांई राम।।।
मां की गोद किसी भी जन्नत से कम नहीं हैं, मां की गोद में जाते ही दुनिया के हर डर से हम परे हो जाते हैं. यह बात बिल्कुल सत्य है, शायद सबको बचपन के दिन याद हों और उन दिनों में कोई ऐसा दिन हो, जिस दिन कभी आपको कोई मारे के लिए दौड़ा हो और आप कहां जाकर छुपते थे, कहीं और नहीं, मां मां पुकारते हुए मां की गोद में जाकर छुप जाते थे क्योंकि हम सब को पता है कि बच्चा कितनी ही गलतियां क्यों न करे, मां फिर भी बच्चे का बचाव ही करती है. ऐसा नहीं कि मां कभी अपने बच्चे को मारती नहीं, मारती है, मगर जिगर के टुकड़े को पीटने के बाद दुलार भी तो मां ही करती है. मां के अहसानों का कर्ज तो इंसान मरते दम तक नहीं चुका सकता, हां मगर ईश्वरीय रूपी मां की सेवा कर अपने जीवन को सफल जरूर बना सकता है.
दुनिया में रिश्ते तो और भी हैं, मगर मां बच्चे के रिश्ते से बड़ा एवं पवित्र रिश्ता कोई और नहीं हो सकता क्योंकि अपने जिगर के टुकड़े के लिए जितने सितम एवं दर्द मां उठाती है, इतने दुख कोई भी इंसान किसी और रिश्ते में शायद ही उठाता हो. जनन पीड़ा से लेकर मां अपनी अंतिम सांस तक अपने बच्चे के भले की दुआ करती है, खुद बेशक मर मरकर जीवन बसर कर रही हो, मगर मां से बच्चे को लगी शूल का दर्द सहन नहीं होता. सब देखा होगा, पौष की ठंडी रात में जब कोई बच्चा पेशाब कर बिस्तर गीला कर देता है तो उसके साथ कच्ची नींद में सो रही मां फटाक से उठकर खुद गीली जगह पर सो कर बच्चे को सूखी जगह पर सुला देती है, तांकि उसके बच्चे को कहीं सर्दी न लग जाए, कभी बच्चा आकस्मिक खांस भी देता है तो मां के हाथों के तोते उड़ जाते हैं. तभी तो कहते हैं कि मां का दिल तो मां का दिल है.
आपको याद होगी आज से काफी साल पहले आई फिल्म ‘दीवार’ इस फिल्म में नायक अमिताभ बच्चन शशि कपूर से एक संवाद कहता है कि मेरे पास गाड़ी है, बंगला है, बैंक बैलेंस है और तुम्हारे पास क्या है. मेरे पास मां है. बेशक इस यह एक फिल्मी संवाद है, मगर हकीकत के बिल्कुल करीब है क्योंकि मां से उंची दुनिया में कोई और वस्तु नहीं, मां की ममता अनमोल है, जिसका मोल कभी नहीं किया जा सकता.
ॐ सांई राम।।।