ॐ सांई राम~~~
हम गुलाब के फूल~~~
बाहर-अंदर, कितने सुंदर
हम गुलाब के फूल!
जब देखो हँसते मुसकाते
आँगन बगिया को महकाते
हँसमुख रहते, कभी न कहते
सहते रहते शूल
हम गुलाब के फूल!
रूप हमारे रंग-बिरंगे
तन से मन से ताजे चंगे
तोड़ा जाए, फेंका जाए
हमको नहीं कबूल
हम गुलाब के फूल!
उपयोगी हैं तरह तरह से,
खुशियों का संदेश सुबह से
लगा लिया करते माथे पर
हम धरती की धूल
हम गुलाब के फूल!
-राजा चौरसिया
(1945)
जय सांई राम~~~