DwarkaMai - Sai Baba Forum

Main Section => Little Flowers of DwarkaMai => Topic started by: tana on April 21, 2008, 02:10:06 PM

Title: ~~~नन्ही दुनिया के बालगीत~~~
Post by: tana on April 21, 2008, 02:10:06 PM
ॐ सांई राम~~~

चन्दा मामा दूर के~~~
   
छिप-छिप कर खाते हैं हमसे
लड्डू मोती चूर के
लम्बी-मोटी मूँछें ऍंठे
सोने की कुर्सी पर बैठे
धूल-धूसरित लगते उनको
हम बच्चे मज़दूर के
चन्दा मामा दूर के।

बातें करते लम्बी-चौड़ी
कभी न देते फूटी कौड़ी
डाँट पिलाते रहते अक्सर
हमको बिना कसूर के
चन्दा मामा दूर के।

मोटा पेट सेठ का बाना
खा जाते हम सबका खाना
फुटपाथों पर हमें सुलाकर
तकते रहते घूर के
चन्दा मामा दूर के।
-डॉ० अश्वघोष

जय सांई राम~~~
Title: Re: ~~~नन्ही दुनिया के बालगीत~~~
Post by: tana on April 21, 2008, 02:12:03 PM
ॐ सांई राम~~~

अब तो खाओ~~~

ताक धिनाधिन
ताल मिला लो
हँसते जाओ
गोरे-गोरे
थाल-कटोरे
लो चमकाओ।
चकला-बेलन
मिलकर बेले
फूल फुलकिया
अम्मां तेरी
खूब फुलाओ।
भैया आओ
मीठी-मीठी
अम्मां को भी
यहां बुलाओ
प्यारी अम्मां
सबने खाया
अब तो खाओ।

-देवेन्द्र कुमार
(1940)

जय सांई राम~~~
Title: Re: ~~~नन्ही दुनिया के बालगीत~~~
Post by: tana on April 22, 2008, 08:36:22 AM
ॐ सांई राम~~~

कहां रहेगी चिड़िया ?

आंधी आई जोर शोर से
डाली टूटी है झकोर से
उड़ा घोंसला बेचारी का
किससे अपनी बात कहेगी
अब यह चिड़िया कहाँ रहेगी ?
घर में पेड़ कहाँ से लाएँ
कैसे यह घोंसला बनाएँ
कैसे फूटे अंडे जोड़ें
किससे यह सब बात कहेगी
अब यह चिड़िया कहाँ रहेगी ?

~~महादेवी वर्मा~~

जय सांई राम~~~
Title: Re: ~~~नन्ही दुनिया के बालगीत~~~
Post by: tana on April 27, 2008, 02:40:33 AM
ॐ सांई राम~~~

ऊँट की सवारी है~~~

मेले में आई है
हाथी पे चढ़ना तो
हाथी भी आया
जल्दी करो, जल्दी करो
आज तुम पढ़ाई
मेले से पहले है
थोड़ी चढ़ाई
थोड़ी चढ़ाई
बंदर का नाच
डुग डुग डुग, डुग डुग डुग
भालू का नाच
बड़े बड़े झूले हैं
बड़े बड़े खेल
चलती है एक वहाँ
छोटी सी रेल
सुनो सुनो पड़ती है
सीटी सुनाई।

-प्रयाग शुक्ल
(1940)

जय सांई राम~~~
Title: Re: ~~~नन्ही दुनिया के बालगीत~~~
Post by: tana on April 27, 2008, 02:42:37 AM
ॐ सांई राम~~~

एक बूँद~~~

ज्यों निकल कर बादलों की गोद से
थी अभी एक बूँद कुछ आगे बढ़ी
सोचने फिर फिर यही जी में लगी
हाय क्यों घर छोड़ कर मैं यों कढ़ी
मैं बचूँगी या मिलूँगी धूल में
चू पड़ूँगी या कमल के फूल में
बह गयी उस काल एक ऐसी हवा
वो समन्दर ओर आयी अनमनी
एक सुन्दर सीप का मुँह था खुला
वो उसी में जा गिरी मोती बनी
लोग यौं ही हैं झिझकते सोचते
जबकि उनको छोड़ना पड़ता है घर
किन्तु घर का छोड़ना अक्सर उन्हें
बूँद लौं कुछ और ही देता है कर !

~~अयोध्या सिंह उपाध्याय 'हरिऔध'
(1865 - 1947)

जय सांई राम~~~

 
 
Title: Re: ~~~नन्ही दुनिया के बालगीत~~~
Post by: tana on May 07, 2008, 11:54:09 PM
ॐ सांई राम~~~

जंगल जंगल बात चली है पता चला है - तू रु रु रु
जंगल जंगल बात चली है पता चला है - तू रु रु रु
अरे
चढ़ी पहन की फूल खिला है
फूल खिला है
अरे
चढ़ी पहन की फूल खिला है
फूल खिला है
जंगल जंगल पता चला है
चढ़ी पहन के फूल खिला है
जंगल जंगल पता चला है
चढ़ी पहन के फूल खिला है
एक परिंदा था शर्मिंदा
था वो नंगा है
भाई इससे तो अण्डे के अंदर था वो चंगा
सोच राहा है बाहर आखिर क्यू निकला है
अरे .. चढ़ी पहन के फूल खिला है
जंगल जंगल बात चली है पता चला है
चढ़ी पहन के फूल खिला है
जंगल जंगल बात चली है पता चला है
चढ़ी पहेन के फूल खिला है~~~

जय सांई राम~~~
Title: Re: ~~~नन्ही दुनिया के बालगीत~~~
Post by: tana on May 12, 2008, 05:28:54 AM
ॐ सांई राम~~~

कोई लाके मुझे दे~~~

कुछ रंग भरे फूल
कुछ खट्टे-मीठे फल
थोड़ी बांसुरी की धुन
थोड़ा जमुना का जल
कोई लाके मुझे दे
एक सोना जड़ा दिन
एक रूपों भरी रात
एक फूलों भरा गीत
एक गीतों भरी बात
कोई लाके मुझे दे
एक छाता छाँव का
एक धूप की घड़ी
एक बादलों का कोट
एक दूब की घड़ी
कोई लाके मुझे दे
एक छुट्टी वाला दिन
एक अच्छी सी किताब
एक मीठा-सा सवाल
एक नन्हा-सा जवाब
कोई लाके मुझे दे
-दामोदर अग्रवाल
(1932)

जय सांई राम~~~
Title: Re: ~~~नन्ही दुनिया के बालगीत~~~
Post by: tana on May 26, 2008, 11:34:56 PM
Om Sai Ram~~~


 :) :-* :) बचपन के दिन भुला न देना~~~  :-* :) :-*


Machhali  Jal ki Rani hai
Jeewan uska paani hai
hath lagao darr jayegi
bahar nikalo mar jayegi...


Posham pa bhai posham pa
sau(100) rupay ki ghadi churayi
ab to jail mein jana padega
jail ki roti khana padega
jail ka pani peena padega
thayi thuiya thush
madari baba fushhhhhh....

Jhooth bolna paap hai
nadi kinare saanp hai
kali mai aayegi
tumko utha le jayegi...



aaj somvar hai,
chuhe ko bukhar hai
chuha gaya doctor ke pass
doctor ne lagayi sui
chula bola ooooiiiii


aalu-kachalu beta kaha gaye the
bandar ki jhopdi mein so rahe the
bandar ne laat maari ro rahe the
mummy ne paise diye has rahe the

titlee  udi,bus mein chadi
seet na mili ,to rone lagi
driver bola aaja mere pass
titlee boli "hat badmash"

chanda mama door ke
puye pakaye bhoor ke
aap khaye thali mein
munne ko de pyali mein

akkad bakkad bumbe bol
80-90 pure 100
100 mein laga dhaga
chor nikal ke bhaga...

chadrakanta ki kahani
ye maana hai purani
ye purani ho kar bhi
badi lagti hai suhaani
naugarh vijaygarh main thi takrar
naugarh ka tha jo raajkumar
chandrakanta se karta tha pyar
chandrakanta se karta tha pyar...

budhe baba budhde baba
kahan jaa rahe ho
NADEE KINAARE
nadeee to ye rahi(pointing to the circle)
CHHOTI SI HAI
1 paisa daalo badi ho jaayegi
(baba 1 paisa daalta hai)
AB BHI CHHOTI HAI
1 paisa daalo aur badhi ho jaayegi

meri roti kisne khai
bhalu ne
bhalu to mere saath tha
haathi ne
haathi to mere saath tha
sher ne
sher bhi mere saath tha
hum ne..............

Ghoda jamal khayi,  
picche dekho maar khayi
raste mein chalta tha
uski chiththi gir gayi
kisi ne utha lee
laad saab ko de di
laad saab ne phaad phood ke phenk di



Jai Sai Ram~~~
Title: Re: ~~~नन्ही दुनिया के बालगीत~~~
Post by: nitinsai on May 27, 2008, 06:44:36 AM
sai ne mujhe sikhaya hain,
maa baap ke dil ko jo
dard pahuchata hain
duniya me maja karle vo
 badme narkh me jata hain.
Title: Re: ~~~नन्ही दुनिया के बालगीत~~~
Post by: tana on June 02, 2008, 01:52:05 AM
ॐ सांई राम~~~

घूम हाथी, झूम हाथी~~~

घूम हाथी, झूम हाथी, घूम हाथी, झूम हाथी!
हाथी झूम झूम झूम!
हाथी घूम घूम घूम!!
राजा झूमें रानी झूमें, झूमें राजकुमार
घोड़े झूमें फौजें झूमें, झूमें सब दरबार
झूम झूम घूम हाथी, घूम झूम झूम हाथी!
हाथी झूम झूम झूम!
हाथी घूम घूम घूम!!
राज महल में बाँदी झूमे, पनघट पर पनिहारी
पीलवान का अंकुश झूमें सोने की अम्बारी
झूम झूम घूम हाथी, घूम झूम झूम हाथी!
हाथी झूम झूम झूम!
हाथी घूम घूम घूम!!

-विद्याभूषण 'विभु`
(1892 - 1965)

जय सांई राम~~~
Title: Re: ~~~नन्ही दुनिया के बालगीत~~~
Post by: tana on June 09, 2008, 06:59:27 AM
ॐ सांई राम~~~

सच्चा दानी~~~

पेड़ किसी से नहीं पूछता
कहो, कहाँ से आए ?
वह तो बस कर देता छाया
चाहे जो सुस्ताए!
खिलते समय न फूल सोचता
कौन उसे पाएगा?
उसकी खुशबू अपनी सांसों में
भर इतराएगा!
बादल से जब सहा न जाता
अपने जल का संचय
बस, वह बरस-बरस भर देता
नदियाँ, नहर, जलाशय!
जो स्वभाव से ही दाता है
उन्हें न कोई भ्रम है
भेदभाव करते हैं वे ही
जिनकी पूजा कम है।

-बालस्वरुप राही
(1936)
 
जय सांई राम~~~
Title: Re: ~~~नन्ही दुनिया के बालगीत~~~
Post by: tana on June 12, 2008, 04:06:54 AM
ॐ सांई राम~~~

जादूगर अलबेला~~~

छू काली कलकत्ते वाली
तेरा वचन न जाए खाली
मैं हूँ जादूगर अलबेला
असली भानमती का चेला
सीधा बंगाले से आया
जहाँ जहाँ जादू दिखलाया
सबसे नामवरी है पाई
उंगली दाँतों तले दबाई
जिसने देखा, खेल निराला
जम कर खूब बजाई ताली
चाहूँ तिल का ताड़ बना दूँ
रुपयों का अंबार लगा दूँ
अगर कहो तो आसमान पर
तुमको धरती से पहुंचा दूँ
ऐसे ऐसे मंतर जानूँ
दुख संकंट छू मंतर कर दूँ
बने कबूतर, बकरी काली।

-चन्द्रपाल सिंह यादव 'मयंक`
(1925 - 2000)

जय सांई राम~~~
Title: Re: ~~~नन्ही दुनिया के बालगीत~~~
Post by: tana on June 23, 2008, 05:55:22 AM
ॐ सांई राम~~~

बाबा जी की छींक~~~

घर - भर को चौंकाने वाली
बाबा जी की छींक निराली।।
लगता यहीं कहीं बम फूटा
या कि तोप से गोला छूटा
या छूटी बन्दूक दुनाली
बाबा जी की छींक निराली।।
सोया बच्चा जगा चौंक कर
झबरा कुत्ता भगा भौंक कर
झन्ना उठी कांस की थाली
बाबा जी की छींक निराली।।
दिन में दिल दहलाने वाली
गहरी नींद हटाने वाली
बाबा जी की छींक निराली।।
कभी कभी तो हम डर जाते
भग कर बिस्तर में छिप जाते
हँस कर कभी बजाते ताली
बाबा जी की छींक निराली।।

-रमापति शुक्ल
(1909)

जय सांई राम~~~
Title: Re: ~~~नन्ही दुनिया के बालगीत~~~
Post by: tana on June 30, 2008, 11:40:03 PM
ॐ सांई राम~~~

साल शुरू हो, साल खत्म हो !

साल शुरू हो दूध दही से
साल खत्म हो शक्कर घी से
पिपरमैंट, बिस्कुट मिसरी से
रहें लबालव दोनों खीसे
मस्त रहें सड़कों पर खेलें
ऊधम करें मचाएँ हल्ला
रहें सुखी भीतर से जी से।
सांझ, रात, दोपहर, सवेरा
सबमें हो मस्ती का डेरा
कातें सूत बनाएँ कपड़े
दुनिया में क्यों डरें किसी से
पंछी गीत सुनाये हमको
बादल बिजली भाये हमको
करें दोस्ती पेड़ फूल से
लहर लहर से नदी नदी से
आगे पीछे ऊपर नीचे
रहें हंसी की रेखा खींचे
पास पड़ौस गाँव घर बस्ती
प्यार ढेर भर करें सभी से।

-भवानी प्रसाद मिश्र
(1913 - 1985)

जय सांई राम~~~
Title: Re: ~~~नन्ही दुनिया के बालगीत~~~
Post by: tana on July 05, 2008, 06:42:25 PM
ॐ सांई राम~~~

एक सवाल~~~

आओ, पूछें एक सवाल
मेरे सिर में कितने बाल ?
कितने आसमान में तारे ?
बतलाओ या कह दो हारे
नदिया क्यों बहती दिन रात ?
चिड़ियाँ क्या करती हैं बात ?
क्यों कुत्ता बिल्ली पर धाए ?
बिल्ली क्यों चूहे को खाए ?
फूल कहाँ से पाते रंग ?
रहते क्यों न जीव सब संग ?
बादल क्यों बरसाते पानी ?
लड़के क्यों करते शैतानी ?
नानी की क्यों सिकुड़ी खाल ?
अजी, न ऐसा करो सवाल
यह सब ईश्वर की है माया
इसको कौन जान है पाया !


-ठाकुर श्रीनाथ सिंह
(1901 - 1996)


जय सांई राम~~~

Title: Re: ~~~नन्ही दुनिया के बालगीत~~~
Post by: tana on July 29, 2008, 12:35:00 AM
ॐ सांई राम~~~

कहां रहेगी चिड़िया~~~महादेवी वर्मा~~                  
 
कहां रहेगी चिड़िया ?
आंधी आई जोर शोर से
डाली टूटी है झकोर से
उड़ा घोंसला बेचारी का
किससे अपनी बात कहेगी
अब यह चिड़िया कहाँ रहेगी ?
घर में पेड़ कहाँ से लाएँ
कैसे यह घोंसला बनाएँ
कैसे फूटे अंडे जोड़ें
किससे यह सब बात कहेगी
अब यह चिड़िया कहाँ रहेगी ?


जय सांई राम~~~

Title: Re: ~~~नन्ही दुनिया के बालगीत~~~
Post by: tana on August 19, 2008, 08:49:43 PM
ॐ सांई राम~~~

कंतक थैयां~~~

कंतक थैयां
घुनूँ मनइयाँ
चंदा भागा पइयां पइयां ~~

यह चन्दा हलवाहा है
नीले नीले खेत में
बिल्कुल सेंत मेंत में
रत्नों भरे खेत में
किधर भागता लइयां पइयां
कंतक थैयां
घुनूं मनैयां...!!

मिट्टी के महलों के राजा
ताली तेरी बढ़िया बाजा
छोटा छोटा छोकरा
सिर पर रखे टोकरा
राम बनाये डोकरा
बने डोकरा करूँ बलैयां
कंतक थैयां
घुनूं मनैयां...!!


-डॉ० राष्ट्र बंधु

जय सांई राम~~~

Title: Re: ~~~नन्ही दुनिया के बालगीत~~~
Post by: tana on August 28, 2008, 05:08:43 AM
ॐ सांई राम~~~

टिन्नी जी!

टिन्नी जी! ओ टिन्नी जी
ये लो एक चवन्नी जी
बज्जी से प्यारा-प्यारा
लाना छोटा गुब्बारा
ऊपर उसे उड़ाएँगे
आसमान पहुँचाएँगे !
टिन्नी जी! ओ टिन्नी जी
ये लो एक चवन्नी जी
बज्जी से ताजी-ताजी
लाना पालक की भाजी
घर पर उसे पकाएँगे
साथ बैठ कर खाएँगे !
टिन्नी जी! ओ टिन्नी जी
ये लो एक चवन्नी जी
जल्दी से बज्जी जाना
एक डुगडुगी ले आना
डुगडुग उसे बजाएँगे
मिल कर गाने गाएँगे!

-रमेश तैलंग
(1946)


जय सांई राम~~~

Title: Re: ~~~नन्ही दुनिया के बालगीत~~~
Post by: tana on September 03, 2008, 04:41:41 AM
ॐ सांई राम~~~

हम गुलाब के फूल~~~

बाहर-अंदर, कितने सुंदर
हम गुलाब के फूल!
जब देखो हँसते मुसकाते
आँगन बगिया को महकाते
हँसमुख रहते, कभी न कहते
सहते रहते शूल
हम गुलाब के फूल!
रूप हमारे रंग-बिरंगे
तन से मन से ताजे चंगे
तोड़ा जाए, फेंका जाए
हमको नहीं कबूल
हम गुलाब के फूल!
उपयोगी हैं तरह तरह से,
खुशियों का संदेश सुबह से
लगा लिया करते माथे पर
हम धरती की धूल
हम गुलाब के फूल!

-राजा चौरसिया
(1945)



जय सांई राम~~~

Title: Re: ~~~नन्ही दुनिया के बालगीत~~~
Post by: tana on October 05, 2008, 11:00:20 PM
ॐ सांई राम~~~

राजा-रानी~~~

एक था राजा
एक थी रानी
दोनों करते थे
मन मानी
राजा का तो
पेट बड़ा था
रानी का भी
पेट बड़ा था
खूब वे खाते थे
छक छक कर
फिर सो जाते थे
थक थक कर
काम यही था
बक-बक, बक-बक
नौकर से बस
झक-झक, झक-झक।

-जयप्रकाश भारती
(1936 - 2005)

जय सांई राम~~~