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Author Topic: Hare Krishna, Hare Krishna, Krishna Krishna, Hare Hare  (Read 23025 times)

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Offline my_sai

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Re: Hare Krishna, Hare Krishna, Krishna Krishna, Hare Hare
« Reply #15 on: September 27, 2007, 12:36:32 PM »
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  • रामायुध अंकित गृह सोभा बरनि न जाइ .
    नव तुलसिका बृंद तहँ देखि हरष कपिराइ .. ५ ..

    लंका निसिचर निकर निवासा . इहाँ कहाँ सज्जन कर बासा ..
    मन महुँ तरक करैं कपि लागा . तेहीं समय बिभीषनु जागा .. १ ..
    राम राम तेहिं सुमिरन कीन्हा . हृदयँ हरष कपि सज्जन चीन्हा ..
    एहि सन हठि करिहउँ पहिचानी . साधु ते होइ न कारज हानी .. २ ..
    बिप्र रूप धरि बचन सुनाए . सुनत बिभीषन उठि तहँ आए ..
    करि प्रनाम पूँछी कुसलाई . बिप्र कहहु निज कथा बुझाई .. ३ ..
    की तुम्ह हरि दासन्ह महँ कोई . मोरें हृदय प्रीति अति होई ..
    की तुम्ह रामु दीन अनुरागी . आयहु मोहि करन बड़भागी .. ४ ..

    दोहा
    तब हनुमंत कही सब राम कथा निज नाम .
    सुनत जुगल तन पुलक मन मगन सुमिरि गुन ग्राम .. ६ ..
    श्री सद्रगुरु साईनाथ.
    मेरा मन-मधुप आपके चरण कमल और भजनों में ही लगा रहे । आपके अतिरिक्त भी अन्य कोई ईश्वर है, इसका मुझे ज्ञान नहीं । मुझ पर आप सदा दया और स्नेह करें और अपने चरणों के दीन दास की रक्षा कर उसका कल्याण करें । आपके भवभयनाशक चरणों का स्मरण करते हुये मेरा जीवन आनन्द से व्यतीत हो जाये, ऐसी मेरी आपसे विनम्र प्रार्थना है ।
     श्री सद्रगुरु साईनाथार्पणमस्तु

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    Re: Hare Krishna, Hare Krishna, Krishna Krishna, Hare Hare
    « Reply #16 on: September 29, 2007, 06:47:23 AM »
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  • सुनहु पवनसुत रहनि हमारी . जिमि दसनन्हि महुँ जीभ बिचारी ..
    तात कबहुँ मोहि जानि अनाथा . करिहहिं कृपा भानुकुल नाथा .. १ ..
    तामस तनु कछु साधन नाहीं . प्रीति न पद सरोज मन माहीं ..
    अब मोहि भा भरोस हनुमंता . बिनु हरि कृपा मिलहिं नहिं संता .. २ ..
    जौं रघुबीर अनुग्रह कीन्हा . तौ तुम्ह मोहि दरसु हठि दीन्हा ..
    सुनहु बिभीषन प्रभु कै रीती . करहिं सदा सेवक पर प्रीती .. ३ ..
    कहहु कवन मैं परम कुलीना . कपि चंचल सबहीं बिधि हीना ..
    प्रात लेइ जो नाम हमारा . तेहि दिन ताहि न मिले अहारा .. ४ ..

    दोहा
    अस मैं अधम सखा सुनु मोहू पर रघुबीर .
    कीन्ही कृपा सुमिरि गुन भरे बिलोचन नीर .. ७ ..
    श्री सद्रगुरु साईनाथ.
    मेरा मन-मधुप आपके चरण कमल और भजनों में ही लगा रहे । आपके अतिरिक्त भी अन्य कोई ईश्वर है, इसका मुझे ज्ञान नहीं । मुझ पर आप सदा दया और स्नेह करें और अपने चरणों के दीन दास की रक्षा कर उसका कल्याण करें । आपके भवभयनाशक चरणों का स्मरण करते हुये मेरा जीवन आनन्द से व्यतीत हो जाये, ऐसी मेरी आपसे विनम्र प्रार्थना है ।
     श्री सद्रगुरु साईनाथार्पणमस्तु

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    Re: Hare Krishna, Hare Krishna, Krishna Krishna, Hare Hare
    « Reply #17 on: September 30, 2007, 08:46:16 AM »
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  • जानतहूँ अस स्वामि बिसारी . फिरहिं ते काहे न होहिं दुखारी ..
    एहि बिधि कहत राम गुन ग्रामा . पावा अनिर्बाच्य विश्रामा .. १ ..
    पुनि सब कथा बिभीषन कही . जेहि बिधि जनकसुता तहँ रही ..
    तब हनुमंत कहा सुनु भ्राता . देखी चलेउँ जानकी माता .. २ ..
    जुगुति बिभीषन सकल सुनाई . चलेउ पवनसुत बिदा कराई ..
    करि सोइ रूप गयउ पुनि तहवाँ . बन असोक सीता रह जहवाँ .. ३ ..
    देखि मनहि महुँ कीन्ह प्रनामा . बैठेहिं बीति जात निसि जामा ..
    कृस तनु सीस जटा एक बेनी . जपति हृदयँ रघुपति गुन श्रेनी .. ४ ..

    दोहा
    निज पद नयन दिएँ मन राम पद कमल लीन .
    परम दुखी भा पवनसुत देखि जानकी दीन .. ८ ..

    श्री सद्रगुरु साईनाथ.
    मेरा मन-मधुप आपके चरण कमल और भजनों में ही लगा रहे । आपके अतिरिक्त भी अन्य कोई ईश्वर है, इसका मुझे ज्ञान नहीं । मुझ पर आप सदा दया और स्नेह करें और अपने चरणों के दीन दास की रक्षा कर उसका कल्याण करें । आपके भवभयनाशक चरणों का स्मरण करते हुये मेरा जीवन आनन्द से व्यतीत हो जाये, ऐसी मेरी आपसे विनम्र प्रार्थना है ।
     श्री सद्रगुरु साईनाथार्पणमस्तु

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    Re: Hare Krishna, Hare Krishna, Krishna Krishna, Hare Hare
    « Reply #18 on: October 01, 2007, 11:35:06 AM »
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  • तरु पल्लव महुँ रहा लुकाई . करइ बिचार करौं का भाई ..
    तेहि अवसर रावनु तहँ आवा . संग नारि बहु किएँ बनावा .. १ ..
    बहु बिधि खल सीतहि समुझावा . साम दान भय भेद देखावा ..
    कह रावनु सुनु सुमुखि सयानी . मंदोदरी आदि सब रानी .. २ ..
    तव अनुचरीं करेउँ पन मोरा . एक बार बिलोकु मम ओरा ..
    तृन धरि ओट कहति बैदेही . सुमिरि अवधपति परम सनेही .. ३ ..
    सुनु दसमुख खद्योत प्रकासा . कबहुँ कि नलिनी करइ बिकासा ..
    अस मन समुझु कहति जानकी . खल सुधि नहिं रघुबीर बान की .. ४ ..
    सठ सूनें हरि आनेहि मोही . अधम निलज्ज लाज नहिं तोही .. ५ ..

    दोहा
    आपुहि सुनि खद्योत सम रामहि भानु समान .
    परुष बचन सुनि काढ़ि असि बोला अति खिसिआन .. ९ ..

    श्री सद्रगुरु साईनाथ.
    मेरा मन-मधुप आपके चरण कमल और भजनों में ही लगा रहे । आपके अतिरिक्त भी अन्य कोई ईश्वर है, इसका मुझे ज्ञान नहीं । मुझ पर आप सदा दया और स्नेह करें और अपने चरणों के दीन दास की रक्षा कर उसका कल्याण करें । आपके भवभयनाशक चरणों का स्मरण करते हुये मेरा जीवन आनन्द से व्यतीत हो जाये, ऐसी मेरी आपसे विनम्र प्रार्थना है ।
     श्री सद्रगुरु साईनाथार्पणमस्तु

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    « Reply #19 on: October 02, 2007, 12:45:36 PM »
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  • सीता तैं मम कृत अपमाना . कटिहउँ तब सिर कठिन कृपाना ..
    नाहिं त सपदि मानु मम बानी . सुमुखि होति न त जीवन हानी .. १ ..
    स्याम सरोज दाम सम सुंदर . प्रभु भुज करि कर सम दसकंदर ..
    सो भुज कंठ कि तव असि घोरा . सुनु सठ अस प्रवान पन मोरा .. २ ..
    चंद्रहास हरु मम परितापं . रघुपति बिरह अनल संजातं ..
    सीतल निसित बहसि बर धारा . कह सीता हरु मम दुख भारा .. ३ ..
    सुनत बचन पुनि मारन धावा . मयतनयाँ कहि नीति बुझावा ..
    कहेसि सकल निसिचरिन्ह बोलाई . सीतहि बहु बिधि त्रासहु जाई .. ४ ..
    मास दिवस महुँ कहा न माना . तौ मैं मारबि काढ़ि कृपाना .. ५ ..

    दोहा
    भवन गयउ दसकंधर इहाँ पिसाचिनि बृंद .
    सीतहि त्रास देखावहिं धरहिं रूप बहु मंद .. १० ..

    श्री सद्रगुरु साईनाथ.
    मेरा मन-मधुप आपके चरण कमल और भजनों में ही लगा रहे । आपके अतिरिक्त भी अन्य कोई ईश्वर है, इसका मुझे ज्ञान नहीं । मुझ पर आप सदा दया और स्नेह करें और अपने चरणों के दीन दास की रक्षा कर उसका कल्याण करें । आपके भवभयनाशक चरणों का स्मरण करते हुये मेरा जीवन आनन्द से व्यतीत हो जाये, ऐसी मेरी आपसे विनम्र प्रार्थना है ।
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    « Reply #20 on: October 03, 2007, 12:59:31 PM »
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  • त्रिजटा नाम राच्छसी एका . राम चरन रति निपुन बिबेका ..
    सबन्हौ बोलि सुनाएसि सपना . सीतहि सेइ करहु हित अपना .. १ ..
    सपनें बानर लंका जारी . जातुधान सेना सब मारी ..
    खर आरूढ़ नगन दससीसा . मुंडित सिर खंडित भुज बीसा .. २ ..
    एहि बिधि सो दच्छिन दिसि जाई . लंका मनहुँ बिभीषन पाई ..
    नगर फिरी रघुबीर दोहाई . तब प्रभु सीता बोलि पठाई .. ३ ..
    यह सपना मैं कहउँ पुकारी . होइहि सत्य गएँ दिन चारी ..
    तासु बचन सुनि ते सब डरीं . जनकसुता के चरनन्हि परीं .. ४ ..

    दोहा
    जहँ तहँ गईं सकल तब सीता कर मन सोच .
    मास दिवस बीतें मोहि मारिहि निसिचर पोच .. ११ ..

    श्री सद्रगुरु साईनाथ.
    मेरा मन-मधुप आपके चरण कमल और भजनों में ही लगा रहे । आपके अतिरिक्त भी अन्य कोई ईश्वर है, इसका मुझे ज्ञान नहीं । मुझ पर आप सदा दया और स्नेह करें और अपने चरणों के दीन दास की रक्षा कर उसका कल्याण करें । आपके भवभयनाशक चरणों का स्मरण करते हुये मेरा जीवन आनन्द से व्यतीत हो जाये, ऐसी मेरी आपसे विनम्र प्रार्थना है ।
     श्री सद्रगुरु साईनाथार्पणमस्तु

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    Re: Hare Krishna, Hare Krishna, Krishna Krishna, Hare Hare
    « Reply #21 on: October 05, 2007, 12:32:44 PM »
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  • त्रिजटा सन बोलीं कर जोरी . मातु बिपति संगिनि तैं मोरी ..
    तजौं देह करु बेगि उपाई . दुसह बिरहु अब नहिं सहि जाई .. १ ..
    आनि काठ रचु चिता बनाई . मातु अनल पुनि देहु लगाई ..
    सत्य करहि मम प्रीति सयानी . सुनै को श्रवन सूल सम बानी .. २ ..
    सुनत बचन पद गहि समुझाएसि . प्रभु प्रताप बल सुजसु सुनाएसि ..
    निसि न अनल मिल सुनु सुकुमारी . अस कहि सो निज भवन सिधारी .. ३ ..
    कह सीता बिधि भा प्रतिकूला . मिलिहि न पावक मिटिहि न सूला ..
    देखिअत प्रगट गगन अंगारा . अवनि न आवत एकउ तारा .. ४ ..
    पावकमय ससि स्रवत न आगी . मानहुँ मोहि जानि हतभागी ..
    सुनहि बिनय मम बिटप असोका . सत्य नाम करु हरु मम सोका .. ५ ..
    नूतन किसलय अनल समाना . देहि अगिनि जनि करहि निदाना ..
    देखि परम बिरहाकुल सीता . सो छन कपिहि कलप सम बीता .. ६ ..

    दोहा
    कपि करि हृदयँ बिचार दीन्हि मुद्रिका डारि तब .
    जनु असोक अंगार दीन्ह हरषि उठि कर गहेउ .. १२ ..

    श्री सद्रगुरु साईनाथ.
    मेरा मन-मधुप आपके चरण कमल और भजनों में ही लगा रहे । आपके अतिरिक्त भी अन्य कोई ईश्वर है, इसका मुझे ज्ञान नहीं । मुझ पर आप सदा दया और स्नेह करें और अपने चरणों के दीन दास की रक्षा कर उसका कल्याण करें । आपके भवभयनाशक चरणों का स्मरण करते हुये मेरा जीवन आनन्द से व्यतीत हो जाये, ऐसी मेरी आपसे विनम्र प्रार्थना है ।
     श्री सद्रगुरु साईनाथार्पणमस्तु

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    Re: Hare Krishna, Hare Krishna, Krishna Krishna, Hare Hare
    « Reply #22 on: October 06, 2007, 08:12:46 AM »
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  • तब देखी मुद्रिका मनोहर . राम नाम अंकित अति सुंदर ..
    चकित चितव मुदरी पहिचानी . हरष विषाद हृदयँ अकुलानी .. १ ..
    जीति को सकइ अजय रघुराई . माया तें असि रचि नहिं जाई ..
    सीता मन बिचार कर नाना . मधुर बचन बोलेउ हनुमाना .. २ ..
    रामचंद्र गुन बरनैं लागा . सुनतहिं सीता कर दुख भागा ..
    लागीं सुनैं श्रवन मन लाई . आदिहु तें सब कथा सुनाई .. ३ ..
    श्रवनामृत जेहिं कथा सुहाई . कही सो प्रगट होति किन भाई ..
    तब हनुमंत निकट चलि गयऊ . फिरि बैठीं मन बिसमय भयऊ .. ४ ..
    राम दूत मैं मातु जानकी . सत्य सपथ करुनानिधान की ..
    यह मुद्रिका मातु मैं आनी . दीन्हि राम तुम्ह कहँ सहिदानी .. ५ ..
    नर बानरहि संग कहु कैसें . कही कथा भई संगति जैसें .. ६ ..

    दोहा
    कपि के बचन सप्रेम सुनि उपजा मन बिस्वास .
    जाना मन क्रम बचन यह कृपासिंधु कर दास .. १३ ..
    श्री सद्रगुरु साईनाथ.
    मेरा मन-मधुप आपके चरण कमल और भजनों में ही लगा रहे । आपके अतिरिक्त भी अन्य कोई ईश्वर है, इसका मुझे ज्ञान नहीं । मुझ पर आप सदा दया और स्नेह करें और अपने चरणों के दीन दास की रक्षा कर उसका कल्याण करें । आपके भवभयनाशक चरणों का स्मरण करते हुये मेरा जीवन आनन्द से व्यतीत हो जाये, ऐसी मेरी आपसे विनम्र प्रार्थना है ।
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    Re: Hare Krishna, Hare Krishna, Krishna Krishna, Hare Hare
    « Reply #23 on: October 07, 2007, 12:32:52 PM »
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  • हरिजन हानि प्रीति अति गाढ़ी . सजल नयन पुलकावलि बाढ़ी ..
    बूड़त बिरह जलधि हनुमाना . भयहु तात मो कहुँ जलजाना .. १ ..
    अब कहु कुसल जाउँ बलिहारी . अनुज सहित सुख भवन खरारी ..
    कोमलचित कृपाल रघुराई . कपि केहि हेतु धरी निठुराई .. २ ..
    सहज बानि सेवक सुख दायक . कबहुँक सुरति करत रघुनायक ..
    कबहुँ नयन मम सीतल ताता . होइहहिं निरखि स्याम मृदु गाता .. ३ ..
    बचनु न आव नयन भरे बारी . अहह नाथ हौं निपट बिसारी ..
    देखि परम बिरहाकुल सीता . बोला कपि मृदु बचन बिनीता .. ४ ..
    मातु कुसल प्रभु अनुज समेता . तव दुख दुखी सुकृपा निकेता ..
    जनि जननी मानहु जियँ ऊना . तुम्ह ते प्रेमु राम कें दूना .. ५ ..

    दोहा
    रघुपति कर संदेसु अब सुनु जननी धरि धीर .
    अस कहि कपि गदगद भयउ भरे बिलोचन नीर .. १४ ..
    श्री सद्रगुरु साईनाथ.
    मेरा मन-मधुप आपके चरण कमल और भजनों में ही लगा रहे । आपके अतिरिक्त भी अन्य कोई ईश्वर है, इसका मुझे ज्ञान नहीं । मुझ पर आप सदा दया और स्नेह करें और अपने चरणों के दीन दास की रक्षा कर उसका कल्याण करें । आपके भवभयनाशक चरणों का स्मरण करते हुये मेरा जीवन आनन्द से व्यतीत हो जाये, ऐसी मेरी आपसे विनम्र प्रार्थना है ।
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    Re: Hare Krishna, Hare Krishna, Krishna Krishna, Hare Hare
    « Reply #24 on: October 08, 2007, 12:28:39 PM »
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  • कहेउ राम बियोग तव सीता . मो कहुँ सकल भए बिपरीता ..
    नव तरु किसलय मनहुँ कृसानू . कालनिसा सम निसि ससि भानू .. १ ..
    कुबलय बिपिन कुंत बन सरिसा . बारिद तपत तेल जनु बरिसा ..
    जे हित रहे करत तेइ पीरा . उरग स्वास सम त्रिबिध समीरा .. २ ..
    कहेहू तें कछु दुख घटि होई . काहि कहौं यह जान न कोई ..
    तत्व प्रेम कर मम अरु तोरा . जानत प्रिया एकु मनु मोरा .. ३ ..
    सो मनु सदा रहत तोहि पाहीं . जानु प्रीति रसु एतनेहि माहीं ..
    प्रभु संदेसु सुनत बैदेही . मगन प्रेम तन सुधि नहिं तेही .. ४ ..
    कह कपि हृदयँ धीर धरु माता . सुमिरु राम सेवक सुखदाता ..
    उर आनहु रघुपति प्रभुताई . सुनि मम बचन तजहु कदराई .. ५ ..

    दोहा
    निसिचर निकर पतंग सम रघुपति बान कृसानु .
    जननी हृदयँ धीर धरु जरे निसाचर जानु .. १५ ..
    श्री सद्रगुरु साईनाथ.
    मेरा मन-मधुप आपके चरण कमल और भजनों में ही लगा रहे । आपके अतिरिक्त भी अन्य कोई ईश्वर है, इसका मुझे ज्ञान नहीं । मुझ पर आप सदा दया और स्नेह करें और अपने चरणों के दीन दास की रक्षा कर उसका कल्याण करें । आपके भवभयनाशक चरणों का स्मरण करते हुये मेरा जीवन आनन्द से व्यतीत हो जाये, ऐसी मेरी आपसे विनम्र प्रार्थना है ।
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    Re: Hare Krishna, Hare Krishna, Krishna Krishna, Hare Hare
    « Reply #25 on: October 09, 2007, 12:45:05 PM »
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  • जौं रघुबीर होति सुधि पाई . करते नहिं बिलंबु रघुराई ..
    राम बान रबि उएँ जानकी . तम बरूथ कहँ जातुधान की .. १ ..
    अबहिं मातु मैं जाउँ लवाई . प्रभु आयसु नहिं राम दोहाई ..
    कछुक दिवस जननी धरु धीरा . कपिन्ह सहित अइहहिं रघुबीरा .. २ ..
    निसिचर मारि तोहि लै जैहहिं . तिहुँ पुर नारदादि जसु गैहहिं ..
    हैं सुत कपि सब तुम्हहि समाना . जातुधान अति भट बलवाना .. ३ ..
    मोरें हृदय परम संदेहा . सुनि कपि प्रगट कीन्हि निज देहा ..
    कनक भूधराकार सरीरा . समर भयंकर अतिबल बीरा .. ४ ..
    सीता मन भरोस तब भयऊ . पुनि लघु रूप पवनसुत लयऊ .. ५ ..

    दोहा
    सुनु मात साखामृग नहिं बल बुद्धि बिसाल .
    प्रभु प्रताप तें गरुड़हि खाइ परम लघु ब्याल .. १६ ..

    श्री सद्रगुरु साईनाथ.
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    « Reply #26 on: October 10, 2007, 11:46:13 AM »
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  • मन संतोष सुनत कपि बानी . भगति प्रताप तेज बल सानी ..
    आसिष दीन्हि रामप्रिय जाना . होहु तात बल सील निधाना .. १ ..
    अजर अमर गुननिधि सुत होहू . करहुँ बहुत रघुनायक छोहू ..
    करहुँ कृपा प्रभु अस सुनि काना . निर्भर प्रेम मगन हनुमाना .. २ ..
    बार बार नाएसि पद सीसा . बोला बचन जोरि कर कीसा ..
    अब कृतकृत्य भयउँ मैं माता . आसिष तव अमोघ बिख्याता .. ३ ..
    सुनहु मातु मोहि अतिसय भूखा . लागि देखि सुंदर फल रूखा ..
    सुनु सुत करहिं बिपिन रखवारी . परम सुभट रजनीचर भारी .. ४ ..
    तिन्ह कर भय माता मोहि नाहीं . जौं तुम्ह सुख मानहु मन माहीं .. ५ ..

    दोहा
    देखि बुद्धि बल निपुन कपि कहेउ जानकीं जाहु .
    रघुपति चरन हृदयँ धरि तात मधुर फल खाहु .. १७ ..

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    « Reply #27 on: October 11, 2007, 11:08:03 AM »
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  • चलेउ नाइ सिर पैठेउ बागा . फल खाएसि तरु तौरैं लागा ..
    रहे तहां बहु भट रखवारे . कछु मारेसि कछु जाइ पुकारे .. १ ..
    नाथ एक आवा कपि भारी . तेहिं असोक बाटिका उजारी ..
    खाएसि फल अरु बिटप उपारे . रच्छक मर्दि मर्दि महि डारे .. २ ..
    सुनि रावन पठए भट नाना . तिन्हहि देखि गर्जेउ हनुमाना ..
    सब रजनीचर कपि संघारे . गए पुकारत कछु अधमारे .. ३ ..
    पुनि पठयउ तेहिं अच्छकुमारा . चला संग लै सुभट अपारा ..
    आवत देखि बिटप गहि तर्जा . ताहि निपाति महाधुनि गर्जा .. ४ ..

    दोहा
    कछु मारेसि कछु मर्देसि कछु मिलएसि धरि धूरि .
    कछु पुनि जाइ पुकारे प्रभु मर्कट बल भूरि .. १८ ..

    श्री सद्रगुरु साईनाथ.
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    Offline saisumiran

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    « Reply #28 on: November 29, 2007, 10:54:46 PM »
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    Hare Krishna, Hare Krishna, Krishna Krishna, Hare Hare
    Hare Rama, Hare Rama, Rama Rama, Hare Hare"
    Hare Krishna, Hare Krishna, Krishna Krishna, Hare Hare
    Hare Rama, Hare Rama, Rama Rama, Hare Hare"
    Hare Krishna, Hare Krishna, Krishna Krishna, Hare Hare
    Hare Rama, Hare Rama, Rama Rama, Hare Hare
    have mercy on me

    Offline tana

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    Re: Hare Krishna, Hare Krishna, Krishna Krishna, Hare Hare
    « Reply #29 on: December 10, 2007, 01:55:53 AM »
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  • ॐ सांई राम ~~~

    आओ आओ सर्व जन ~~~
    करो बाबा को वंदन ~~~
    गणु कहे बाबा सांई ~~~
    देदो चरण शरण सुख दायी ~~~
    देदो चरण शरण सुख दायी ~~~

    हरे राम हरे राम, राम राम सांई हरे~~~
    हरे कृष्ण हरे कृष्ण, कृष्ण कृष्ण सांई हरे~~~
    हरे राम हरे राम, राम राम सांई हरे~~~
    हरे कृष्ण हरे कृष्ण, कृष्ण कृष्ण सांई हरे~~~
    हरे राम हरे राम, राम राम सांई हरे~~~
    हरे कृष्ण हरे कृष्ण, कृष्ण कृष्ण सांई हरे~~~

    जय सांई राम ~~~


    "लोका समस्ता सुखिनो भवन्तुः
    ॐ शन्तिः शन्तिः शन्तिः"

    " Loka Samasta Sukino Bhavantu
    Aum ShantiH ShantiH ShantiH"~~~

    May all the worlds be happy. May all the beings be happy.
    May none suffer from grief or sorrow. May peace be to all~~~

     


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