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Author Topic: Why God gave us problems !!!  (Read 1502 times)

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Offline ShAivI

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  • बाबा मुझे अपने ह्र्दय से लगा लो, अपने पास बुला लो।
Why God gave us problems !!!
« on: June 15, 2011, 12:07:16 AM »
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  • Why God gave us problems     :) ;) :D

    *~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~

    5 Reasons, As To Why God Uses Problems

    The problems that you face, will either defeat you or develop you,
    depending on how, you respond to them. Unfortunately, most people
    fail to see, as to how God wants to use problems, for good causes,
    in their respective lives. They react foolishly, and resent their problems,
    rather than pausing to consider, as to what benefits, they might bring.

    Here are five ways, that God wants to use the problems in your life:-

    1.God Uses Problems, To DIRECT You

    Sometimes, God must light a fire under you, to get you moving. Problems
    often point us, in new directions, and motivate us, to change. Is God trying,
    to get your attention? Sometimes it takes a painful situation to make us
    change our ways.

    2. God Uses Problems, To INSPECT You

    People, are like tea bags. If you want to know, as to what is inside them,
     just drop them, into hot water! Has God tested your faith with a problem?
    What do problems reveal, about you? When you have many kinds of troubles,
    you should be full of joy; because you know that these troubles test your faith;
    and this will give you, patience."

    3. God Uses Problems, To CORRECT You

    Some lessons we learn only through pain and failure.
    It's likely that as a child your parents told you not to touch a hot stove.
    But you probably learned by being burned. Sometimes we only learn
    the value of something... health, money, a relationship. ..
    by losing it. "It was the best thing that could have happened to me,
    for it taught me to pay attention to your laws."

    4. God Uses Problems To PROTECT you

    A problem can be, a blessing in disguise, if it prevents you from
    being harmed, by something more serious. Last year, a friend of mine
    was fired from his job, only for having refused to do, something unethical,
    that his boss had asked him to do. That friend's unemployment was a problem,
    but that itself saved him, from being convicted and sent to prison, a year
    later; when the actions of the Management of his previous office, were
    eventually discovered. "You intended to harm me, but God intended it for good...

    5. God Uses Problems, To PERFECT You

    Problems, when responded to correctly, are character builders.
    God, is far more interested in your character, than in your comfort.
    Your relationship with God and your character are the only two
    things that you are going to take with you, into eternity.
    "We can rejoice, when we run into problems. They help us learn,
    to be patient. Patience develops strength of character in us; and helps
    us trust God more, each time that we use it, until finally our hope and faith,
    are strong and steady."

    God, is at work in your life, even when you do not recognize it, or
    understand it. But it is much easier and more profitable, when you cooperate
    with Him.

    "Success can be measured, not only in achievements, but in lessons learned,
     lives touched, and moments shared, along the way"

    Be blessed!
    Love & Light!
    Om Sai Ram!  :)

    JAI SAI RAM !!!

    Offline Pratap Nr.Mishra

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    • राम भी तू रहीम भी तू तू ही ईशु नानक भी तू
    Re: Why God gave us problems !!!
    « Reply #1 on: March 18, 2012, 05:31:33 AM »
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  • ॐ श्री साईं नाथाय नमः

    शैविजी जय साईं राम

    आपके इस पोस्ट को पढके मुझे बेहद प्रसंयता एवंग सत्यता का अनुभव हो रहा है. इसी सत्यता से मेरा बाबा ने इस गुरुवार को परिचय/अनुभव करवाया . मै पुनः उस अनुभव को आपके इस पोस्ट के साथ बंटाना चाहता हूँ . जिस परेशानियों से मै पीड़ित था, बाबा ने उसका समाधान मेरे मन को सत्यता का बोध करके एक क्षण में दूर कर दिया. मुझे इसके पूर्व इस सत्य को उजाकर करते हुए अन्य पोस्ट भी पढने को मिले और मैंने उसमे अपने इस अनुभव को सभी साईं प्रेमियों से बंटाना उचित समझा कारण कभी कभी सत्य से अनजान होने की वजह से भी हमलोग कई तरह के दुखों का सामना करते हैं एवंग सत्य का ज्ञान होने पे क्षण में उससे मुक्ति मिल जाती है .


    साईं सदैव हमारे साथ है .

    मै हजारो कोस दूर एक अन्य देश में जीविकोपार्जन करने हेतू साईं की कृपा से आया हुआ हूँ . मै कभी भी अपना देश, परिवार एवंग संगे साथीयो को छोडके नहीं आना चाहता था पर साईं की मर्जी कुछ अलग ही थी . उन्होंने ऐसी परिस्थितियाँ पैदा कर दी मेरे सम्मुख कि मुझे अपने देश से मेरे अनुसार अच्छी नौकरी छोडके बाध्यता मूलक यहाँ आना पड़ा . मुझे नहीं मालूम साईं की इसके पीछे क्या लीला है पर मुझे ये दृढ विस्वास अवश्य है कि बाबा की हर लीला के पीछे कोई न कोई मकसद अवश्य अन्तर्निहित रहता है .

    सबकुछ प्रारंभ में सही चल रहा था पर दुसरे साल से मुसीबते आने लगी . सहपाठियों और डिपार्टमेंटल राजनीती और षड्यंत्र का शिकार होने लगा. अनजान लोग और अनजान देश में बिलकुल खुद को असहाय सा महसूस कर रहा था . केवल साईं ही है जो मुझे समस्या से लड़ने की शक्ति प्रदान करते रहे और करते आ रहे हैं . हररोज नौकिरी जाने का भय मेरी मानसिक शांति को तोड़ देता था . मेरा परिवार मुझ पर सम्पूर्ण आश्रित है और अगर जीविकोपार्जन का साधन ही नहीं रहा तो सम्पूर्ण परिवार का क्या होगा ऐसे विचार स्वता ही मेरे मन में आकर मुझे लगातार एक अंधकारमय जीवन का भय दिखाते रहते थे .

    मै इससे निजात पाने के लिए ध्यान एवंग साईं का स्मरण भी करते रहता हूँ पर माया की असीम शक्ति के आगे रोज घुटने टेक देता हूँ . ध्यान में बेठता हूँ तो कुछ क्षणों के पश्चात ही फिर भय घेर लेता है और ध्यान भंग हो जाता है . सत्य तो या है की बाबा के सम्मुख हतास होके केवल रोता ही रहता था और प्रश्नों की झड़ी लगा देता था कि बाबा

    क्या मुझे ये पीड़ा ऐसे ही सहते रहनी पड़ेगी ?
    क्या  मै जिस ज्ञान की खोज में निकला हूँ वो अधुरा ही रहेगा ?
    क्या अधात्मिक जगत एवंग आपके ज्ञान से मै वंचित ही रहूँगा ?
    क्या मेरी कुछ जानने एवंग प्राप्त करने की जिज्ञासा यही समाप्त हो जाएगी ?
    क्या मै अपने पारिवारिक कर्तव्यों का पालन करने में असफल रहूँगा ?
    क्या परिवार को मेरी ही तरह पीड़ा का सामना करना होगा ?

    ऐसे ही कई प्रश्नों की झड़ी बाबा के सम्मुख मैंने आज अर्थात गुरुवार अबसे कुछ समय पहले लगा दी थी और उसके पश्चात श्री साईं सत्चरित को आंखे बंधकर खोला एवंग 23  वां अध्धाय खुलकर आया . मैंने पढना शुरू किया और जब समाप्ति तक पहुंचा तो जैसे मेरे सब प्रश्नों का यथोचित उत्तर मुझे बाबा ने दे दिया. मेरे आँखों से स्वता ही आंसू प्रवावित होने लगे और मन सम्पूर्ण शांति को प्राप्त हुआ . जिस भय से मै कुछ क्षण पहले व्यकुल हो रहा था वो एकदम गायब हो गया है . एक असीम उत्साह और आत्मबल मिला है . जिस पीड़ा से मै कई दिनों से पीड़ित था आज जैसे पता नहीं कहाँ बाबा की कृपा से गायब हो गई है.

    मै साईं के संकेतो का वर्णन नहीं कर रहा हूँ पर साईं प्रेमियों से अवश्य अनुरोध है कि आप स्वयम इस अध्धाय का पठन करिए और बाबा की लीला का आनंद उठाइए. मेरे उदेश्य केवल इतना ही है की मेरे तरह ही अन्य साईं प्रेमी भी असहनिये पीड़ा को भोग रहे होंगे उनको श्री साईं चरणों में ओर भी दृढ़ता और आत्मबल मिलेगा .

    ॐ साईं राम

     


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