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Author Topic: मन को शांत रखने के लिए अपने विचारों पर पुनर्विचार करें  (Read 2507 times)

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Offline ShAivI

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  • बाबा मुझे अपने ह्र्दय से लगा लो, अपने पास बुला लो।
विषय : मन को शांत रखने के लिए अपने विचारों पर पुनर्विचार करें!  :) ;) :D ;D

स्रोत : दादी जानकी, ब्रह्ममाकुमारीजी


मन को अन्दर की ओर मोडें
हमारे मन के विचार हमारे अपने प्रति, दूसरों के प्रति और जीवन के प्रति, अधिकतर, हमारे द्रष्टिकोण, अवधारणा तथा स्वाभाव के अनुसार ही होते है. इनसे ही हमारे सोचने, अनुभव  करने और कार्य करने के तरीके निर्धारित होते है. बेहतर परिणाम पाने के लिए हमे विचारों पर पुनर्विचार करना होता है. यह केवल सकारात्मक चिंतन तक ही नहीं बल्कि हम आत्म कल्याण की ओर अग्रसर करता है. इससे हमारा सुश्रुप्ता, आत्मा-बल और सहनशीलता पुनर्जीवित होते है और हम अपने सोचने के तरीके को बदल पाने में समर्थ होते है.
 
मन को अन्दर की ओर मोडें और आतंरिक शांति का स्पर्श करें. शांति के इस स्पर्श से विचारों में स्पष्ठता आती है और हम बेहतर तरीके से सोचना सीख जाते है. हम यह भी जान जाते है की हमे क्या करना है.
 
चुनौतियों का सामना आतंरिक शक्ति से करें
जीवन की समस्याओं और चुनौतियों के प्रति आपका व्यवहार कैसा रहता है? क्या आप राई का पहाड़ बना देते है? विश्वास रखिये, सब कुछ ठीक है, ठीक रहेगा... बातें सामने आती रहेंगी, अपने मन को कहिये, "शांत रहो" कई बार अपने समक्ष उपस्थित होने वाले द्रश्यो  को हम समझ नहीं पाते. विश्वास रखिये, समय आने पर उनकी स्पष्ट व्याख्या मिल जायेगी.
 
लोगो को और परिस्थितियों को स्वीकार कीजिये, अपने मन को कहिये, "धेर्य रखो और देखो". समस्या अधिक  अनुभवी बन ने का एक सुअवसर है. सीखने की भावना बनाये रखिये. रात्री शयन से पूर्व अपनी दिनचर्या पर दृष्टिपात कीजिये और यदि कोई भूल हुई तो जांच कीजिये और पूछिए, आज के दिन मैंने क्या सीखा? दिल और मन में बातें भरकर नहीं सोयें. इसमें रहस्य है. अन्दर से हलके रहे, बहुत हलके, किसी भी बात की चिंता न करें.
 
आत्मविश्वास के साथ
मैंने कई रोल अदा किये है और कई कार्य सम्पन्न किये है. यदि कभी स्वयं प्रति या स्वयं की योग्यता के प्रति थोडा भी संशय आया तो मुझे सदा ही मातेश्वरी जगदम्बा के वे अनमोल महावाक्य स्मरण रहे - "यदि आपको कोई सेवा सौंपी जाती है तो साथ ही आपको इसे पूरा करने की शक्ति भी प्रदान की जाती है".
 
अपने में निश्चय रखें पर अपने अहम् पर नज़र रखें. अहम् बड़ा सूक्ष्म होता है. यह सांप और सीढ़ी के खेल की तरह है. थोड़ी सी प्रशंशा पाकर आप ऊंचे चढ़ जाते परन्तु थोडा भी अपमान आपको अपसेट कर सकता है. आप ऊंचाई पर चढ़कर फिर अहंकार के मुख में जा सकते है अतः अहंकार को समाप्त कर अपनी असली योग्यता को पहचानिए.
 
आप केवल व्यस्त है या रचनात्मक भी?
में ९३ वर्ष की हूँ पर अभी सेवामुक्त होने वाली नहीं हूँ. यदि सेवानिवृत हो गयी तो भारीपन महसूस  होगा. में जीवन को समस्या नहीं बनाना चाहती क्योंकि करने के लिए बहुत कुछ है. ऐसा भी जीवन ना हो की समय को हँसते-खेलते बर्बाद कर दे. खुदसे  पूछे, "क्या में व्यस्त हूँ?" एक कार्य सम्पन्न होने के बाद, दूसरा कार्य जीवन में आ जाए और उसको करने लग जाए, उसमे व्यस्था हो जाए - यह बहुत अच्छी बात है, है की नहीं?
 
यदि आप धन प्राप्ति के लिए कार्य करेंगे तो कार्य के घंटे और पैसे की गिनती करेंगे. परन्तु प्रेम भरे दिल से सेवा करेंगे तो प्रतिदिन १६ घंटे तक सेवा करके भी आप खुश और अधिक सशक्त महसूस करेंगे.
 
पुनर्विचार के लिए पुनर्सम्भंद
अपने विचारों की गुणवत्ता को परखिये - यह कमजोर विचार है, यह व्यर्थ विचार है, यह सकारात्मक विचार है और यह दिव्य विचार है.
 
कमजोर और नकारात्मक विचार आपको बंधन में डाल देते है. चार शब्द - क्या, क्यों, कैसे, कब? मन में उथल-पुथल मचाते है.. नकारात्मक को सकारात्मक बनाईये. हम जो सोचते है, वही पाते है इसलिए सावधानीपूर्वक चयन कीजिये की आपको अपने विचार कहाँ लगाने है? दिन में बार-बार, जैसे जब आप खाते है या पीते है, एक क्षण निकालिए, फ़ोन बंद कर दीजिये, अपने विचारों को चेक  कीजिये, शांत और एकाग्र हो जाईये और अपनी आतंरिक शांति से पुनर्सम्भंद बनाईये.
 
आपके प्रति मेरा उपहार और विचार
जब हम चलते है, हमारे दोनों कदम एक-दुसरे से बंधे हुए नहीं है. वे अलग-अलग है परन्तु एक-दुसरे को सहयोग देते है. इन  कदमों की तरह हमे भी एक-दुसरे को सहयोग देने की जरूरत है पर एक-दुसरे पर आधारित नहीं होना चाहिए. मुझे इतनी शांति, ख़ुशी और दिव्यता इसलिए मिली है क्योंकि स्वयं भगवान मेरा साथी है. जब में किसी से मिलती हूँ तो उनके साथ आदान-प्रदान करना चाहती हूँ. अपने चेहरे से सेवा कीजिये, केवल मुस्कुराईये, जब आप मुस्कुराएंगे, दूसरा व्यक्ति भी अवश्य मुस्कुराएगा. 

Be Blessed!
Love & Light!
OM SAI RAM! :)

JAI SAI RAM !!!

 


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