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Indian Spirituality => Philosophy & Spirituality => Topic started by: sai ji ka narad muni on March 16, 2016, 11:18:33 AM

Title: आइये जाने वे पाप जो हम भक्तो से भी हो जाते हैं
Post by: sai ji ka narad muni on March 16, 2016, 11:18:33 AM
जाने अनजाने हमसे पाप होते रहते हैं। अन्य युगों में खूब तपे हुए भक्त ही भक्त कहलाते थे उनके जैसा धर्म पालन हमलोगों के लिय तो  सोच से भी परे हैं। इसिलिय कलयुग में थोड़ा बहुत मन्दिर जाने वाले को भी लोग भक्त कह देते हैं ।किसी के माला झोली हाथ में लेने से या दान करने से देखने वाले संसारियो को बहुत चिढ होती हैं परन्तु
अब इस फोरम पर ये बताया जाए की भक्तो से मत चिढो, मर्डर , मत करो तो सब कहेंगे की हम ऐसे पाप नही करते , क्यू की यहा आएगा ही वह जो स्वयं के कल्याण के प्रति सजग हैं अत:
जो निषिद्ध कार्य तथाकथित भक्तो से भी हो जाते हैं यहा उनका वर्णन हैं
 
  हमसे कुछ पाप हो और बाबा को उसे व्यर्थ करने के लिय श्रम न करना पड़े ऐसा सोचकर हमे पापाचरण से बचना चाहिए। प्रस्तुत पाठ शिव पुराण में से हैं और एक पृष्ठ अवधुतोपाख्यां , एक्नाठी का।।। स्वयं पढ़े और सभी को पढाये ताकि हम उनसे बच सके।।।




जय साईं राम
Title: Re: आइये जाने वे पाप जो हम भक्तो से भी हो जाते हैं
Post by: sai ji ka narad muni on March 16, 2016, 11:20:00 AM
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Title: Re: आइये जाने वे पाप जो हम भक्तो से भी हो जाते हैं
Post by: sai ji ka narad muni on March 16, 2016, 11:21:05 AM
एक्नाथी