DwarkaMai - Sai Baba Forum
Indian Spirituality => Philosophy & Spirituality => Topic started by: ShAivI on April 05, 2016, 10:00:51 AM
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ॐ साईं राम !!!
चप्पल बाहर क्यों उतारते हैं
मंदिर में प्रवेश नंगे पैर ही करना पड़ता है, यह नियम दुनिया के हर हिंदू मंदिर में है।
इसके पीछे वैज्ञानिक कारण यह है कि मंदिर की फर्शों का निर्माण पुराने समय से
अब तक इस प्रकार किया जाता है कि ये इलेक्ट्रिक और मैग्नैटिक तरंगों का
सबसे बड़ा स्त्रोत होती हैं। जब इन पर नंगे पैर चला जाता है तो अधिकतम
ऊर्जा पैरों के माध्यम से शरीर में प्रवेश कर जाती है।
दीपक के ऊपर हाथ घुमाने का वैज्ञानिक कारण
आरती के बाद सभी लोग दिए पर या कपूर के ऊपर हाथ रखते हैं और
उसके बाद सिर से लगाते हैं और आंखों पर स्पर्श करते हैं। ऐसा करने से
हल्के गर्म हाथों से दृष्टि इंद्री सक्रिय हो जाती है और बेहतर महसूस होता है।
मंदिर में घंटा लगाने का कारण
जब भी मंदिर में प्रवेश किया जाता है तो दरवाजे पर घंटा टंगा होता है
जिसे बजाना होता है। मुख्य मंदिर (जहां भगवान की मूर्ति होती है) में भी
प्रवेश करते समय घंटा या घंटी बजानी होती है, इसके पीछे कारण यह है कि
इसे बजाने से निकलने वाली आवाज से सात सेकंड तक गूंज बनी रहती है
जो शरीर के सात हीलिंग सेंटर्स को सक्रिय कर देती है।
भगवान की मूर्ति
मंदिर में भगवान की मूर्ति को गर्भ गृह के बिल्कुल बीच में रखा जाता है।
ऐसा माना जाता है कि इस जगह पर सबसे अधिक ऊर्जा होती है जहां सकारात्मक
सोच से खड़े होने पर शरीर में सकारात्मक ऊर्जा पहुंचती है और नकारात्मकता
दूर भाग जाती है।
परिक्रमा करने के पीछे वैज्ञानिक कारण
हर मुख्य मंदिर में दर्शन करने और पूजा करने के बाद परिक्रमा करनी होती है।
परिक्रमा 8 से 9 बार करनी होती है। जब मंदिर में परिक्रमा की जाती है तो
सारी सकारात्मक ऊर्जा, शरीर में प्रवेश कर जाती है और मन को शांति मिलती है।
मूर्ति पर फूल चढ़ाने के कारण
भगवान की मूर्ति पर फूल चढ़ाना भी एक परंपरा है।
ऐसा करने से मंदिर परिसर में अच्छी और भीनी-भीनी सी खुश्बू आती है।
अगरबत्ती, कपूर और फूलों की खुश्बू से सूंघने की शक्ति बढ़ती है और मन प्रसन्न हो जाता है।
ॐ साईं राम, श्री साईं राम, जय जय साईं राम !!!
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ॐ साईं राम !!!
चमत्कारी बजरंग बाण का अचूक प्रयोग
गूगुल की सुगन्धि देकर जिस घर में बजरंग बाण का नियमित पाठ होता है,
वहाँ दुर्भाग्य, दारिद्रय, भूत-प्रेत का प्रकोप और असाध्य शारीरिक कष्ट आ ही नहीं पाते।
ध्यान रहें कि जप के पहले यह संकल्प अवश्य लें कि आपका कार्य जब भी होगा,
हनुमानजी के निमित्त नियमित कुछ भी करते रहेंगे। शुद्ध उच्चारण से
हनुमान जी की छवि पर ध्यान केन्द्रित करके बजरंग बाण का जाप प्रारम्भ करें।
“श्रीराम–” से लेकर “– "बाधा सब हर, करैं सब काम सफल हनुमान॥”
तक एक बैठक में ही इसकी एक माला जप करनी है।
यदि किसी कारण नित्य पाठ करने में असमर्थ हो, तो प्रत्येक मंगलवार को
यह जप अवश्य करना चाहिए।
दोहा :
निश्चय प्रेम प्रतीति ते, बिनय करैं सनमान।
तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्ध करैं हनुमान॥
चौपाई :
जय हनुमंत संत हितकारी। सुन लीजै प्रभु अरज हमारी॥
जन के काज बिलंब न कीजै। आतुर दौरि महा सुख दीजै॥
जैसे कूदि सिंधु महिपारा। सुरसा बदन पैठि बिस्तारा॥
आगे जाय लंकिनी रोका। मारेहु लात गई सुरलोका॥
जाय बिभीषन को सुख दीन्हा। सीता निरखि परमपद लीन्हा॥
बाग उजारि सिंधु महँ बोरा। अति आतुर जमकातर तोरा॥
अक्षय कुमार मारि संहारा। लूम लपेटि लंक को जारा॥
लाह समान लंक जरि गई। जय जय धुनि सुरपुर नभ भई॥
अब बिलंब केहि कारन स्वामी। कृपा करहु उर अंतरयामी॥
जय जय लखन प्रान के दाता। आतुर ह्वै दुख करहु निपाता॥
जै हनुमान जयति बल-सागर। सुर-समूह-समरथ भट-नागर॥
ॐ हनु हनु हनु हनुमंत हठीले। बैरिहि मारु बज्र की कीले॥
ॐ ह्नीं ह्नीं ह्नीं हनुमंत कपीसा। ॐ हुं हुं हुं हनु अरि उर सीसा॥
जय अंजनि कुमार बलवंता। शंकरसुवन बीर हनुमंता॥
बदन कराल काल-कुल-घालक। राम सहाय सदा प्रतिपालक॥
भूत, प्रेत, पिसाच निसाचर। अगिन बेताल काल मारी मर॥
इन्हें मारु, तोहि सपथ राम की। राखु नाथ मरजाद नाम की॥
सत्य होहु हरि सपथ पाइ कै। राम दूत धरु मारु धाइ कै॥
जय जय जय हनुमंत अगाधा। दुख पावत जन केहि अपराधा॥
पूजा जप तप नेम अचारा। नहिं जानत कछु दास तुम्हारा॥
बन उपबन मग गिरि गृह माहीं। तुम्हरे बल हौं डरपत नाहीं॥
जनकसुता हरि दास कहावौ। ताकी सपथ बिलंब न लावौ॥
जै जै जै धुनि होत अकासा। सुमिरत होय दुसह दुख नासा॥
चरन पकरि, कर जोरि मनावौं। यहि औसर अब केहि गोहरावौं॥
उठु, उठु, चलु, तोहि राम दुहाई। पायँ परौं, कर जोरि मनाई॥
ॐ चं चं चं चं चपल चलंता। ॐ हनु हनु हनु हनु हनुमंता॥
ॐ हं हं हाँक देत कपि चंचल। ॐ सं सं सहमि पराने खल-दल॥
अपने जन को तुरत उबारौ। सुमिरत होय आनंद हमारौ॥
यह बजरंग-बाण जेहि मारै। ताहि कहौ फिरि कवन उबारै॥
पाठ करै बजरंग-बाण की। हनुमत रक्षा करै प्रान की॥
यह बजरंग बाण जो जापैं। तासों भूत-प्रेत सब कापैं॥
धूप देय जो जपै हमेसा। ताके तन नहिं रहै कलेसा॥
दोहा :
उर प्रतीति दृढ़, सरन ह्वै, पाठ करै धरि ध्यान।
बाधा सब हर, करैं सब काम सफल हनुमान॥
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ॐ श्री राम, जय श्री राम, जय जय श्री राम
सियापति रामचन्द्र की जय
ॐ श्री हनुमते नमः
ॐ साईं राम, श्री साईं राम, जय जय साईं राम !!!
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ॐ साईं राम !!!
बुरे सपने के अशुभ फल से बचने के लिए उपाय :-
(१)- बुरे स्वप्न को देखकर यदि व्यक्ति उठकर पुन: सो जाए अथवा
रात्रि में ही किसी से कह दे तो बुरे स्वप्न का फल नष्ट हो जाता है।
(२)- सुबह उठकर भगवान शंकर को नमस्कार कर स्वप्न फल नष्ट करने के लिए
प्रार्थना कर तुलसी के पौधे को जल देकर उसके सामने स्वप्न कह दें।
इससे भी बुरे सपनों का फल नष्ट हो जाता है।
(३)- अपने गुरु का स्मरण करने से भी बुरे स्वप्नों के फलों का नाश हो जाता है।
(४)- धर्म शास्त्रों के अनुसार रात में सोते समय अपने आराध्य का
स्मरण करने से भी बुरे सपने नहीं आते ।
(५)-चिकित्सा-विज्ञान और जीव-विज्ञान के अनुसार दु:स्वप्न या
मृत प्राणियों को सपने में देखना कोई नई बात नहीं है।
(६)-आयुर्वेद में इसकी विस्तार से चर्चा है। वात असंतुलन को इसका कारण
माना गया है और वात को संतुलित करने वाली जीवन शैली कोअपनाना
इसका इलाज माना गया है।
(७)-योगशास्त्र के अनुसार प्राणायाम, सम्मोहन, काउंसलिंग, ध्यान, योग,
जलनेति और नियमित रूप से कसरत वगैरह से दु:स्वप्न के शिकार लोगों को
काफी मदद मिलती है।
हनुमान चालीसा में एक दोहा है: भूत पिशाच निकट नहीं आवे...।
मिथकीय संदर्भ में देखें तो हनुमान को ऐसे रूप में दर्शाया गया है जिसे प्राणायाम
और उससे जुड़ी दूसरी सिद्धियों पर अधिकार प्राप्त है। दोहे का मूल अर्थ यह है कि
प्राणायाम आदि से खुद को जोड़ कर इन व्याधियों से मुक्ति पाई जा सकती है।
ॐ श्री राम, जय श्री राम, जय जय श्री राम
सियापति रामचन्द्र की जय
ॐ श्री हनुमते नमः
ॐ साईं राम, श्री साईं राम, जय जय साईं राम !!!