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Indian Spirituality => Philosophy & Spirituality => Topic started by: sai ji ka narad muni on July 05, 2016, 11:05:12 AM

Title: भगवान से कैसे बात करे? कुछ आसान तरीके
Post by: sai ji ka narad muni on July 05, 2016, 11:05:12 AM
ॐ साईं राम

हम सभी अपने ईष्ट के भाव , इच्छा ,आज्ञा जानने के इच्छुक रहते हैं। और भगवन भी समय समय पर अनेक प्रकार से अपनी इच्छा प्रकट करते हैं यही तो हैं भक्त और भगवान के परस्पर प्रेम का सौन्दर्य।
यूं तो भगवान से संवाद करने के अनेक तरीके हैं । हम सभी अपने अपने स्तर के अनुसार उनसे वार्तालाप करते हैं  , पर्ची से पूछना भी काफी पुराना तरीका हैं जो की अब साईं भक्त उपयोग में लाते हैं।
ऐसा ही एक पुराना तरीका मुझे पता लगा। यह पर्ची वाले से भी अधिक सुंदर, आनन्ददायी और प्रेम पूर्ण हैं। मेरे वेदान्त से सम्बन्धित प्रश्न जिसका शायद ही कोई समाधान कर पाता  ऐसे प्रश्नों के उत्तर भी मुझे इस तरीके से मिले। भविष्य से लेकर बाबा का प्रेम भरा आश्वासन भी मुझे मिला और भी जो समय के अभाव के कारण बताया नही जा सकता वो सब मेरे श्री हरी करुनानिधान मेरे स्वामी नारायण भगवान् ने कहा।
पर्ची में तो बस हाँ या न मिलती हैं परन्तु इस उपाय में तो भगवान् ही उतर कर मानो आपके पास आगया हो ऐसा लगता हैं। परन्तु इसमें कुछ guarantee नही ली जा सकती की सभी को उत्तर मिलेगा क्यू की पर्ची से भी हर किसी को उत्तर नही मिलता। परन्तु जिससे बाबा पर्ची या अन्य तरीको से बात करते हैं उन्हें तो मिल ही जायेंगे उत्तर। वह हैं छोटे बच्चो के द्वारा वार्ता , पता नही हर बच्चे से इतने उत्तर मिल सकते हैं या नही कभी try नही किया थोड़ा बहुत तो कभी पुछा था अन्य बच्चो से परन्तु मेरी बहन के चार वर्षीय पुत्र के साथ मेरा यह अनुभव मै भुला नही पाता क्यू की वह थोड़ा elaborative था , वह बालक स्वाभाविक रूप से सदैव मुग्ध और अन्तर्मुखी रहता हैं ।बाबा की आज्ञा होनेपर , मैंने उसे कुट्टू का आटा दिखाकर कहा की यह इसमें काला काला खाने लायक हैं या चींटी हैं? और मेने हाथ में जो भी चीज़ छिपाकर उसका रंग पूछा और ऐसे जो भी प्रश्न पूछे उसने सभी उत्तर सही दिय तो मुझे विश्वास हो गया की बाबा अब मुझसे स्वयं वार्तालाप करने के लिय तैयार हैं तब मैंने जो भी अंतरंग सवाल पूछे मुझे उनके बहुत ही खूबसूरत जवाब मिले जो की उस बच्चे की बुद्धि से बोला जाना असंभव था । पर कुछ बाते ध्यान देने योग्य हैं जैसे शब्दावली, कल का अर्थ yesterday नही , उसका अर्थ भविष्य होने की सम्भावना हैं ऐसी ही अन्य बातें।
अब यह सुखद अनुभव न जाने फिर कब मिलेगा ।


जय साईं राम