21. ऐ लोगों बन्दगी करो अपने रब की जिसने तुम्हें और तुमसे पहले के लोगों को पैदा किया, ताकि तुम बच सको,
22. वही है जिसने तुम्हारे लिए जमीन को फर्श और आकाश को छत बनाया, और आकाश से पानी उतारा, फिर उसके द्रारा हर प्रकार की पैदावार और फल तुम्हारी रोजी के लिए पैदा किए, अतः तुम जब जानते हो तो अल्लाह के समकक्ष क्यों न ठहराओ ।
23. और अगर उसके विषय में जो हमने अपने बन्दे पर उतारा है, तुम किसी सन्देह में हो तो उस जैसी कोई सूरा ले आओ और अल्लाह से हटकर अपने सहायकों को बुला लो जिनके आ मौजूद होने पर तुम्हें विश्वास है, यदि तुम सच्चे हो ।
24. फिर अगर तुम ऐसा न कर सको और तुम कदापि नहीं कर सकते, तो डरो उस आग से जसका ईंधन इनसान और पत्थर है, जो इनकार करने वालों के लिये तैयार की गई है ।
25. जो लोग ईमान लाए और उन्होंने अच्छे कर्म किए उन्हें शुभ सूचना दे दो कि उनके लिये ऐसे बाग है जिनके नीचे नहरें बह रही होंगी, जब भी उनमें से कोई फल उन्हें रोजी के रुप में मिलेगा, तो कहेंगे यह तो वही है जो पहले हमें मिला था, और उन्हें मिलता-जुलता ही (फल) मिलेगा, उनके लिए वहाँ पाक-साफ पत्नियाँ होंगी, और वे सदैव वहाँ रहेंगे ।
26. निस्संदेह अल्लाह नहीं शर्माता कि वह कोई मिसाल पेश करे चाहे वह हो मच्छर की, बल्कि उससे भी बढ़कर किसी तुच्छ चीज की । फिर जो ईमान लाए है वे तो जानते है कि वह उनके रब की ओर से सत्य है, रहे इनकार करने वाले तो वे कहते है इस मिसाल से अल्लाह का अभिप्राय क्या है । इससे वह बहुतो को भटकने देता है और बहुतो को सीधा मार्ग दिखा देता है, मगर इससे वह केवल अवज्ञाकारियों को ही भटकने देता है ।
27. जो अल्लाह की प्रतिज्ञा को उसे सुदृढ़ करने के पश्चात् भंग कर देते है और जिसे अल्लाह ने जोड़ने का आदेश दिया है उसे काट डालते है, और जमीन में बिगाड़ पैदा करतेहै, वही है जो घाटे में है ।
28. तुम अल्लाह के साथ अविश्वस की नीति कैसे अपनाते हो, जबकि तुम निर्जीव थे तो उसने तुम्हें जीवित किया, फिर वही तुम्हें मौत देता है, फिर वही तुम्हें जीवित करेगा, फिर उसी की ओर तुम्हें लौटना है ।
29. वही तो है जिसने तुम्हारे लिए जमीन की सारी चीजें पैदा की, फिर आकाश की ओर रुख किया और ठीक तौर पर सात आकाश बनाए और वह हर चीज को जानता है ।
30. और याद करो जब तुम्हारे रब ने फरिश्तों से कहा कि मैं धरती में (मनुष्य को) खलीफा (सत्ताधारी) बनाने वाला हूँ । उन्होंनें कहा, क्या उसमें उसको रखेगा, जो उसमें बिगाड़ पैदा करे और रक्तपात करे और हम तेरा गुणगान करते र तुझे पवित्र कहते है । उसने कहा मैं जानता हूँ, जो तुम नहीं जानते ।