21. जो लोग अल्लाह की आयतों का इनकार करें और नबियों को नाहक कत्ल करें और उन लोगों को कत्ल करें जोन्याय पालन करने को कहे, उनको दुखद यातना की मंगल सूचना दे दो ।
22. यही लोग है, जिनके कर्म दुनिया और आखिरत में अकारथ गए और उनका सहायक कोई भई नहीं ।
23. क्या तुमने उन लोगों को नहीं देखा जिन्हें ईश-ग्रंथ का एक हिस्सा प्रदान हुआ उन्हें अल्लाह की किताब की ओर बुलाया जाता है कि वह उनके बीच निर्णय करे, फिर भी उनका एक गिरोह (उसकी) उपेक्षा करते हुए मुँह फेर लेता है ।
24. यह इसलिये कि वे कहते है आग हमें नहीं छू सकती । हाँ, कुछ गिनेचुने दिनों (के कष्टों) की बात और है उनकी मनगढंत बातों ने, जो वे गढ़ते रहे है, उन्हें धोखे में डाल रखा है ।
25. फिर क्या हा होगा, जब हम उन्हें उस दिन इकट्ठा करेंगे, जिसके आने में कोई संदेह नहीं और प्रत्येक व्यक्ति को, जो कुछ सने कमाया होगा, पूरा पूरा मिल जाएगा, और उनके साथ कोई अन्याय न होगा ।
26. कहो ए अल्लाह, राज्य के स्वामी । तू जिसे चाहे राज्य दे और जिससे चाहे राज्य छीन ले, और जिसे चाहे इज्जत प्रदान करे और जिसको चाहे अपमानित कर दे । तेरे ही हाथ में भलाई है । निस्संदेह तुझे हर चीज की सामर्थ्य प्राप्त है ।
27. तू रात को दिन में पिरोता है और दिन को रात में पिरोता है । तू निर्जीव से सजीव को निकालता है और सजीव से निर्जीव को निकालता है और जिसे चाहता है, बेहिसाब देता है ।
28. ईमानवालों को चाहिए कि वे ईमानवालों से हटकर इनकार करने वालों को अपना मित्र न बनाए, और जो ऐसे करेगा, उसका अल्लाह से कोई संबंध नही, क्योंकि उससे सम्बन्ध यही बात है कि तुम उनसे बचो, जिस प्रकार वे तुमसे बचते है । और अल्लाह तुम्हें अपने आपसे डराताहै, और अल्लाह ही की ओर लौटता है ।
29. कह दो यदि तुम अपने दिलों की बात छिपाओ या उसे प्रकट करो, प्रत्येक दशा में अल्लाह उसे जान लेगा । और वह उसे भीजानता है, जो कुछ आकाशों में है और जो क छ धरती में है । और अल्लाह को हर चीज की सामर्थ्य प3प्त है ।
30. जिस दिन प्रत्येक व्यक्ति अपनी की हुई भलाई और अपनी की हुई बुराई को सामने मौजूद पाएगा, वह कामना करेगा कि काश । उसके और उस दिन के बीच बहुत दूर का फासला होता और ल्लाह तुम्हेंअपना भय दिलाता है, और वह अपने बन्दों के लिये अत्यन्त करुणामय है ।