DwarkaMai - Sai Baba Forum

Main Section => Inter Faith Interactions => पवित्र कुरान - Quran => Topic started by: JR on September 20, 2007, 03:59:44 AM

Title: 3. सूरा आले इमरान (मदीना में उतरी - आयतें 200)
Post by: JR on September 20, 2007, 03:59:44 AM
3. सूरा आले इमरान (मदीना में उतरी - आयतें 200)

अल्लाह के नाम से जो बड़ा कृपाशील, अत्यन्त दयावान है ।

1. अलिफ0 लाम0 मीम0

2. अल्लाह ही पूज्य है, उसके सिवा कोई पूज्य नहीं ।  वह जीवन्त है, सबको सँभालने और कायम रखने वाला ।

3. उसने तुम पर हक के साथ किताब उतारी जो अपने से पहले की (किताबों की) पुष्टि करती है, और उसने तौरात और इंजील उतारी ।

4. इससे पहले लोगों के मार्गदर्शन के लिये, और उसने कसौटी भी उतारी ।  निस्संदेह जिन लोगों ने अल्लाह की आयतों का इनकार किया उनके लिए कठोर यातना है और अल्लाह प्रभुत्वशाली भी है और (बुराई का) बदला लेनेवाला भी ।

5. निस्संदेह अल्लाह से कोई चीज न धरती में छिपी है और न आकाश में ।

6. वही है जो गर्भाशयों में, जैसा चाहता है, तुम्हारा रुप देता है ।  उस प्रभुत्वशाली, तत्वदर्शी के अत्रिक्त कोई पूज्य-प्रभु नहीं ।

7. वही है जिसने तुम पर अपनी ओर से किताब उतारी, वे सुदृढ़ आयतें है जो कितां का मूल और सारगर्भित रुप है और दूसरी उपलक्षित, तो जिन लोगों के दिलों में टेढ़ है वे फितना (गुमराही) की तलाश और उसके आशय और परिणाम की चाह में उसका अनुसरण करते है जो उपलक्षित है ।  जबकि उनका परिणाम बस अल्लाह ही जानता है, और वे जो ज्ञान में पक्के है, वे कहते है, हम उस पर ईमान लाए, हर एक हमारे रब ही की ओर से है ।  और चेतते तो केवल वही है जो बुद्वि और समझ रखते है ।

8. हमारे रब ।  जब तू हमें सीधे मार्ग पर लगा चुका है तो इसके पश्चात हमारे दिलों में टेढ़ न पैदा कर और हमें अपने पास से दयालुता प्रदान कर ।  निश्चय ही तू बड़ा दाता है ।

9. हमारे रब ।  तू लोगों को एक दिन इकट्ठा करने वाला है, जिसमें कोई संदेह नहीं, निस्संदेह अल्ह अपने वचन के विरुद्व जाने वाला नहीं है ।

10. जिन लोगों ने इनकार की नीति अपनाई है अल्लाह के मुकाबले में तो न उनके माल उनके कुछ काम आएँगे और न उनकी संतान ही ।  और वही है जो आग (जहन्नम) का ईधन बनकर रहेंगे ।

Title: Re: 3. सूरा आले इमरान (मदीना में उतरी - आयतें 200)
Post by: JR on September 21, 2007, 12:52:57 AM
11. जैसे फिरऔन के लोगों और उनसे पहले के लोगों का हाल हुआ ।  उन्होंने हमारी आयतों को झुठलाया तो अल्लाह ने उन्हें उनके गुनाहों पर पकड़ लिया और अल्लाह कठोर दण्ड देने वाला है ।

12. इनकार करने वालो से कह दो,  शीघ्र ही तुम पराभूत होंगे और जहन्नम की ओर हांके जाओगे ।  और वह क्या ही बुरा ठिकाना है ।

13. तुम्हारे लिए उन दोनोंगिरोहों में एक निशानी है जो (बद्र की) लड़ाई में एक-दूसरे के मुकाबिल हुए ।  एक गिरोह अल्लाह के मार्ग में लड़रहा था जबकि दूसरा विधर्मी था ।  ये अपनी आँखों देख रहे थे कि वे उनसे दुगुने है ।  अल्लाह अपनी सहायता से जिसे चाहता है, शक्ति प्रदान करता है ।  दृष्टिवान लोगों के लिये इसमें बड़ी शिक्षा-सामग्री है ।

14. मनुष्यों को चाहत की चीजों से प्रेम शोभायमान प्रतीत होता है कि वे स्त्रियाँ, बेटे, सोने-चाँदी के ढेर और निशान लगे (चुने हुए) घोड़े है और चौपाए और खेती ।  यह सब सांसारिक जीवन की सामग्री है और अल्लाह के पास ही अच्छा ठिकाना है ।

15. कहो, क्या मैं तुम्हे इनसे उत्तम चीज का पता दूँ ।  जो लोग अल्लाह का डर रखेंगे उनके लिये उनके रब के पास बाग है, जनके नीचे नहरे बह रही होंगी ।  उनमें वे सदैव रहेंगे ।  वहाँ पाक-साफ जोड़े होंगे और अल्लाह की प्रसन्नता प्राप्त होगी ।  और अल्लाह पने बन्दों पर नजर रखता है ।

16. ये वे लोग है जो कहते है, हमारे रब, हम ईमान लाए है ।  अतः हमारे गुनाहों को क्षमा कर दे और हमें आग (जहन्नम) की यातना से बचा ले ।

17. ये लोग धैर्य से काम लेने वाले, सत्यवान और अत्यन्त आज्ञाकारी है, (अल्लाह के मार्ग में) खर्च करते और रात की अंतिम घड़ियों में क्षमा की प्रार्थना करते है ।

18. अल्लाह ने गवाही दी कि उसके सिवा कोई पूज्य नही, और फरिश्तों और उन लोगों ने भी जो न्याय और संतुलन स्थापित करने वाली एक सत्ता को जानते है ।  उस प्रभुत्वशाली, तत्वदर्शी के सिवा कोई पूज्य नहीं है ।

19. दीन (धर्म) तो अल्लाह की दृ,टि में इस्लाम ही है ।  जिन्हें किताब दी गई थी, उन्होंने तो इसमें इसके पश्चात विभेद किया कि ज्ञान उनके पास आ चुका था ।  ऐसा उन्होंने परस्पर दुराग्रह के कारण किया ।  जो अल्लाह की आयतों का इनकार करेगा तो अल्लाह भी जल्द हिसाब लेने वाला है ।

20. अब यदि वे तुमसे झगड़े तो कह दो, मैंने और मेरे अनुयायियो ने तो अपने आपको अल्लाह के हवाले कर दिया है ।  और जिन्हें किताब मिली थी और जिनके पास किताब नहीं है, उनसे कहो, क्या तुम भी इस्लाम को अपनाते हो ।  फिर यदि वे इस्लाम को अंगीकार कर लें तो सीधा मार्ग पा गए ।  और यदि मुँह मोड़े तो तुम पर केवल (संदेश) पहुँचा देने की जिम्मेदारी है ।  और अल्लाह स्वयं बन्दों को देख रहा है ।

Title: Re: 3. सूरा आले इमरान (मदीना में उतरी - आयतें 200)
Post by: JR on April 22, 2008, 01:06:48 AM
21. जो लोग अल्लाह की आयतों का इनकार करें और नबियों को नाहक कत्ल करें और उन लोगों को कत्ल करें जोन्याय  पालन करने को कहे, उनको दुखद यातना की मंगल सूचना दे दो ।

22. यही लोग है, जिनके कर्म दुनिया और आखिरत में अकारथ गए और उनका सहायक कोई भई नहीं ।

23. क्या तुमने उन लोगों को नहीं देखा जिन्हें ईश-ग्रंथ का एक हिस्सा प्रदान हुआ उन्हें अल्लाह की किताब की ओर बुलाया जाता है कि वह उनके बीच निर्णय करे, फिर भी उनका एक गिरोह (उसकी) उपेक्षा करते हुए मुँह फेर लेता है ।

24. यह इसलिये कि वे कहते है आग हमें नहीं छू सकती ।  हाँ, कुछ गिनेचुने दिनों (के कष्टों) की बात और है उनकी मनगढंत बातों ने, जो वे गढ़ते रहे है, उन्हें धोखे में डाल रखा है ।

25. फिर क्या हा होगा, जब हम उन्हें उस दिन इकट्ठा करेंगे, जिसके आने में कोई संदेह नहीं और प्रत्येक व्यक्ति को, जो कुछ सने कमाया होगा, पूरा पूरा मिल जाएगा, और उनके साथ कोई अन्याय न होगा ।

26. कहो ए अल्लाह, राज्य के स्वामी ।  तू जिसे चाहे राज्य दे और जिससे चाहे राज्य छीन ले, और जिसे चाहे इज्जत प्रदान करे और जिसको चाहे अपमानित कर दे ।  तेरे ही हाथ में भलाई है ।  निस्संदेह तुझे हर चीज की सामर्थ्य प्राप्त है ।

27. तू रात को दिन में पिरोता है और दिन को रात में पिरोता है ।  तू निर्जीव से सजीव को निकालता है और सजीव से निर्जीव को निकालता है और जिसे चाहता है, बेहिसाब देता है ।

28. ईमानवालों को चाहिए कि वे ईमानवालों से हटकर इनकार करने वालों को अपना मित्र न बनाए, और जो ऐसे करेगा, उसका अल्लाह से कोई संबंध नही, क्योंकि उससे सम्बन्ध यही बात है कि तुम उनसे बचो, जिस प्रकार वे तुमसे बचते है ।  और अल्लाह तुम्हें अपने आपसे डराताहै, और अल्लाह ही की ओर लौटता है ।

29. कह दो यदि तुम अपने दिलों की बात छिपाओ या उसे प्रकट करो, प्रत्येक दशा में अल्लाह उसे जान लेगा ।  और वह उसे भीजानता है, जो कुछ आकाशों में है और जो क छ धरती में है ।  और अल्लाह को हर चीज की सामर्थ्य प3प्त है ।

30. जिस दिन प्रत्येक व्यक्ति अपनी की हुई भलाई और अपनी की हुई बुराई को सामने मौजूद पाएगा, वह कामना करेगा कि काश ।  उसके और उस दिन के बीच बहुत दूर का फासला होता और ल्लाह तुम्हेंअपना भय दिलाता है, और वह अपने बन्दों के लिये अत्यन्त करुणामय है ।