ॐ साईं राम
खापर्डे शिरडी डायरी-
माननीय श्री श्रीकृष्ण खापर्डे का
शिरडी में दूसरा लँबा आवास
(६ दिसँबर १९११ से १५ मार्च १९१२)
६ दिसँबर १९११-
जैसे ही मेरा तांगा श्री दीक्षित द्वारा नवनिर्मित वाडे के पास पहुँचा पहले व्यक्ति जिनसे मेरी भेंट हुई वे थे श्री माधवराव देशपांडे | मेरे टाँगे से उतरने से पहले ही श्री दीक्षित ने आज रात मुझे रात को अपने साथ भोजन करने के लिए कहा। उसके बाद मैं माधव राव के साथ साईं महाराज को नमस्कार करने के लिए गया और थोड़ी दूर से उन्हें प्रणाम किया | उस समय वे हाथ -पैर धो रहे थे | फिर मैं स्नान और पूजा करने में व्यस्त हो गया और जब वे बाहर निकले तब उन्हें प्रणाम नहीं कर सका | बाद में हम लोग एक साथ उनके पास गए और मस्जिद में उनके पास बैठे |
उन्होंने एक ऐसे फकीर की कहानी सुनाई जिसे अच्छे पकवानों का शौक था | इस फकीर को एक बार किसी रात्रि भोज पर आमंत्रित किया गया और वो साईं महाराज के साथ वहाँ गया। निकलते समय फकीर की पत्नी ने साईं महाराज को उस भोज से कुछ खाना लाने के लिए कहा और इसके लिए एक बर्तन दिया | फकीर ने इतना जम कर खाया कि फिर उसी जगह पर सो जाने का फैसला किया | साईं महाराज रोटियाँ अपनी पीठ पर बाँधकर और रसदार भोज्य पदार्थ वाले बर्तन को अपने सर पर उठाए वापिस निकले | उन्हें रास्ता बहुत ही लंबा लगा | वे रास्ता भूल गए। कुछ देर आराम करने के लिए वे एक मांग वाड़े के पास बैठ गए | कुत्ते भौकने लगे, वे उठे और अपने गाँव लौट आए और रोटी तथा भोजन फकीर की पत्नी को दे दिया | तब तक फकीर भी लौट आया और उन सब ने एक साथ बहुत अच्छा भोजन किया। उन्होंने यह भी कहा कि एक अच्छे फकीर का मिलना बहुत कठिन है।
श्री साठे जिन्होंने वह वाड़ा बनवाया जिसमें मैं पिछले साल ठहरा था, वे भी यहाँ आए हुए हैं। मैंने उन्हें पहले मस्जिद में देखा और फिर रात्रि भोज पर। श्री दीक्षित ने बहुत सारे लोगों को भोजन कराया | उनमें श्री थोसर भी हैं, जो स्वर्गीय माधव राव गोविन्द रानाडे की बहन के पुत्र हैं | थोसर बंबई के कस्टम विभाग में कार्य करते है | वे बहुत भले आदमी हैं। हम बात करने बैठे | वहां पर एक सज्जन नासिक से हैं और अन्य कई लोग और हैं | उनमें से एक श्री टिपनीस हैं, उनकी पत्नि भी साथ हैं, और वे पुत्र-प्राप्ति की याचना के लिए आए हैं। बापूसाहेब जोग यहाँ हैं, और अब उनकी पत्नी की तबीयत ठीक हैं | श्री नूलकर अब जीवित नहीं हैं और मैं उन्हें बहुत याद करता हूँ। उनके परिवार का यहाँ कोई नहीं हैं | बाला साहेब भाटे यहाँ हैं और उनकी पत्नी ने दत्त जयन्ती के दिन एक पुत्र को जन्म दिया है। हम लोग दीक्षित वाड़े में ठहरे हैं जो बहुत सुविधाजनक है।
जय साईॅ राम