Welcome,
Guest
. Please
login
or
register
.
Did you miss your
activation email
?
December 10, 2024, 09:03:07 PM
Home
Help
Gallery
Facebook
Login
Register
DwarkaMai - Sai Baba Forum
»
Indian Spirituality
»
Sai Baba Books Archive
»
शिव का हर रूप मनोहर
Join Sai Baba Announcement List
DOWNLOAD SAMARPAN - Nov 2018
« previous
next »
Print
Pages: [
1
]
Go Down
Author
Topic: शिव का हर रूप मनोहर (Read 15287 times)
0 Members and 1 Guest are viewing this topic.
PiyaSoni
Members
Member
Posts: 7719
Blessings 21
ੴ ਸਤਿ ਨਾਮੁ
शिव का हर रूप मनोहर
«
on:
July 25, 2012, 03:38:59 AM »
Publish
महादेव शिव के हर रूप में छिपे हैं अनेक अर्थ..
अर्द्धनारीश्वर :
शिव के अर्द्धनारीश्वर रूप में देव संस्कृति का दर्शन जीवंत हो उठता है। ईश्वर के इस साक्षात शरीर का सिर से लेकर पैर तक आधा भाग शिव का और आधा पार्वती का होता है। यह प्रतीक इस बात को स्पष्ट करता है कि नारी और पुरुष एक ही आत्मा हैं। राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर के अनुसार, अर्द्धनारीश्वर केवल इस बात का प्रतीक नहींहै कि नारी और नर जब तक अलग हैं, तब तक दोनों अधूरे हैं, बल्कि इस बात का भी द्योतक है जिसमें नारीत्व अर्थात संवेदना नहीं है, वह पुरुष अधूरा है। जिस नारी में पुरुषत्व अर्थात अन्याय के विरुद्ध लड़ने का साहस नहीं है, वह भी अपूर्ण है।
शिवलिंग :
शिवलिंग वस्तुत: प्रकाश स्वरूप परमात्मा के प्रतीक ज्योति का ही मूर्तिमान स्वरूप है। ज्योतिर्रि्लग शब्द इसका प्रमाण है। प्रारंभ में उपासना स्थलों पर अनवरत जलते हुए दीप रखने का प्रावधान था, लेकिन इस दीये का संरक्षण कतई आसान नहींथा। इसके चलते दीप को मूर्तिमान स्वरूप दिया गया, जिसका नाम बाद में ज्योतिर्रि्लग पड़ गया। देश के विभिन्न कोनों में स्थापित बारह ज्योतिर्रि्लग आज भी श्रद्धा के विराट केंद्र हैं। पुराणों में शिवलिंग से जुड़ी अनेक कथाओं का प्रतीकात्मक वर्णन है, जिनके पीछे दार्शनिक सत्य छिपे हुए हैं।
नटराज :
शिव के नृत्य करते रूप को नटराज कहते हैं। शिव का यह नृत्य प्रलय का प्रतीक माना जाता है। जब अधर्म अपने चरम पर होता है और कोई उपाय नहीं बचता है, तब शिव को तांडव नृत्य के लिए विवश होना पड़ता है। विनाश के इस रूप में ही सृजन का भाव भी छिपा रहता है। रामायण एवं महाभारत के युद्ध के बिना कहां नई व्यवस्था आरंभ हो सकती थी? शैवागमों का कथन है कि शिव एक सौ एक मुद्राओं में नृत्य करते हैं। हर मुद्रा में शिव के चेहरे पर विभिन्न भाव आते हैं, जिनका कला में भी सुंदर प्रयोग किया गया है।
!! ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय !!
Logged
"नानक नाम चढदी कला, तेरे पहाणे सर्वद दा भला "
PiyaSoni
Members
Member
Posts: 7719
Blessings 21
ੴ ਸਤਿ ਨਾਮੁ
शिवरात्रि की रात
«
Reply #1 on:
February 27, 2014, 12:57:37 AM »
Publish
"शिवरात्रि की रात में पूजा विशेष फलदायी "
प्रत्येक महीने की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मास शिवरात्रि कहा जाता है। इन शिवरात्रियों में सबसे प्रमुख है फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी जिसे महाशिवरात्रि के नाम से जाना जाता है। शास्त्रों में कहा गया है कि महाशिवरात्री की रात में देवी पार्वती और भगवान भोलेनाथ का विवाह हुआ था इसलिए यह शिवरात्रि वर्ष भर की शिवरात्रि से उत्तम है।
महाशिवरात्रि के विषय में मान्यता है कि इस दिन भगवान भोलेनाथ का अंश प्रत्येक शिवलिंग में पूरे दिन और रात मौजूद रहता है। इस दिन शिव जी की उपासना और पूजा करने से शिव जी जल्दी प्रसन्न होते हैं। शिवपुराण के अनुसार सृष्टि के निर्माण के समय महाशिवरात्रि की मध्यरात्रि में शिव का रूद्र रूप प्रकट हुआ था।
सृष्टि में जब सात्विक तत्व का पूरी तरह अंत हो जाएगा और सिर्फ तामसिक शक्तियां ही रह जाएंगी तब महाशिवरात्रि के दिन ही प्रदोष काल में यानी संध्या के समय ताण्डव नृत्य करते हुए रूद्र प्रलय लाकर पूरी सृष्टि का अंत कर देंगे। इस तरह शास्त्र और पुराण कहते हैं कि महाशिवरात्रि की रात का सृष्टि में बड़ा महत्व है। शिवरात्रि की रात का विशेष महत्व होने की वजह से ही शिवालयों में रात के समय शिव जी की विशेष पूजा अर्चना होती है।
ज्योतिष की दृष्टि से भी महाशिवरात्रि की रात्रि का बड़ा महत्व है। भगवान शिव के सिर पर चन्द्रमा विराजमान रहता है। चन्द्रमा को मन का कारक कहा गया है। कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी की रात में चन्द्रमा की शक्ति लगभग पूरी तरह क्षीण हो जाती है। जिससे तामसिक शक्तियां व्यक्ति के मन पर अधिकार करने लगती हैं जिससे पाप प्रभाव बढ़ जाता है। भगवान शंकर की पूजा से मानसिक बल प्राप्त होता है जिससे आसुरी और तामसिक शक्तियों के प्रभाव से बचाव होता है।
रात्रि से शंकर जी का विशेष स्नेह होने का एक कारण यह भी माना जाता है कि भगवान शंकर संहारकर्ता होने के कारण तमोगुण के अधिष्ठिता यानी स्वामी हैं। रात्रि भी जीवों की चेतना को छीन लेती है और जीव निद्रा देवी की गोद में सोने चला जा जाता है इसलिए रात को तमोगुणमयी कहा गया है। यही कारण है कि तमोगुण के स्वामी देवता भगवान शंकर की पूजा रात्रि में विशेष फलदायी मानी जाती है।
!! ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय !!
Logged
"नानक नाम चढदी कला, तेरे पहाणे सर्वद दा भला "
Print
Pages: [
1
]
Go Up
« previous
next »
DwarkaMai - Sai Baba Forum
»
Indian Spirituality
»
Sai Baba Books Archive
»
शिव का हर रूप मनोहर
Facebook Comments