ॐ जय साई नाथ, जय साई नाथ ,
आदि न अंत तुम्हारा, तुम्हे श्रद्धा नमन हमारा |
मेरु समान विशाल व्रक्षिस्थल और भुजदंड दिशाएं
उन्नत भाल, विशाल सुलोचन, पद बैकुंठ लजाये ||
ईश्वरीय अवतार लिया प्रभु मानव रूप धरे हो,
चमत्कार ही चमत्कार से तुम सम्पूर्ण भरे हो |
सौ भाग्य जुडे, तब दर्शन का, सौभाग्य मिले सुखकारा
ॐ जय साई नाथ, जय साई नाथ ,
आदि न अंत तुम्हारा, तुम्हे श्रद्धा नमन हमारा ||