ॐ सांई राम।।।
मैं बहुत ज़्यादा कुछ कह नही सकता क्योंकि मेरा कहना अभी इस हालत में तुम कुछ समझ नही पाओगी। थोड़ा शांत होकर श्रदा-सबूरी के साथ बाबा के सम्पर्क में रहो। परीक्षा की घड़ी है। विश्वास रखो। बाबा का अपना तरीका है समस्याओं को सुलझाने का।
आस्था रखो
आस्था रखो हवा पर
बहती अभी चाहे निराशा की हो,
अन्ततः आशा भी तो
इसी हवा पर
हो के सवार आएगी |
आस्था रखो धूप पर
क्यो न हो चाहे अभी
दुख की चिलचिलाती धूप,
अन्ततः उदासी के ठंडे दिनो मे
सुख यही धूप ही तो
लेकर आएगी |
आस्था रखो छाया पर
ग़म की काली छाया ही क्यो न हो,
अन्ततः चिलचिलाती दुख की धूप मे
झुलसती तुम्हारी आत्मा
खुशी के साये मे ही ठंडक पाएगी |
आस्था रखो मौसम पर
मौसम हो चाहे बुरे वक्त का,
अन्ततः बदलती रुत
अच्छा मौसम भी तो लाएगी |
आस्था रखो बस आस्था
अनास्था से
मानव जाति कब जी पायी है, जी पाएगी।
ॐ सांई राम।।।