OM SAi Ram
I am sure we all have certain dreams, imaginations or wishes. In some cases these dreams remain dreams only because no body on this earth can convert them into reality. I have such a dream which I want to share with all. If you also have such dreams/imaginations, please share
काश अगर कहीं ऐसा होता
कभी कभी यूं बैठ अकेली मैं ऐसा सोचा करती
जब बाबा देह धारी थे, मैं भी होती तो क्या करती
द्वारकामाई के ठीक सामने, मैं इक छोटी कुटी बनाती
साई प्रेम के भावों से, तिनका तिनका उसे सजाती
बैठ कुटी कि खिडकी पर मैं, टुकुर टुकुर ताका करती
बाबा की इक झलक पाने को, द्वारकामाई में झाकां करती
सूरज की किरणों से पहले, मैं निसदिन ही उठ जाती
गुलाब और चंपा के फूलों से, सुंदर सा इक हार बनाती
मधुर स्वरों की कांकण आरती, सुन सुन कर जब बाबा उठते
धूप दीप फूलों की माला, नाथ कंठ में पुलक चडाती
कभी बनाती सांझा उपमा, कभी हलवा पूडी बनाती
आग्रह करके बारम्बार, बाबा को भर पेट खिलाती
भक्तों को दर्शन दे देकर, जब श्री साई थक जाते
मध्याह्न आरती गा गा कर मैं, बाबा जी के चरण दबाती
कभी वन को निकल जाती मैं, छोटी छोटी लकडियां चुनने को
सिर पर गठ्ठर लाद उन्ही का, धूनी के निमित्त मैं लाती
जिस दिन बाबा चावडी को जाते, जुलूस में मैं चांवर उठाती
होले होले धीमें धीमें, बाबा पर मैं उसे डुलाती
काश अगर कहीं ऐसा होता, जन्म अधम सफल हो जाता
बाबा ही में मिल जाती मैं, यह जीव न फिर मुडकर आता
JAI SAI RAM
saisewika