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OM SAi Ram
I am sure we all have certain dreams, imaginations or wishes. In some cases these dreams remain dreams only because no body on this earth can convert them into reality. I have such a dream which I want to share with all. If you also have such dreams/imaginations, please share
काश अगर कहीं ऐसा होता
कभी कभी यूं बैठ अकेली मैं ऐसा सोचा करती
जब बाबा देह धारी थे, मैं भी होती तो क्या करती
द्वारकामाई के ठीक सामने, मैं इक छोटी कुटी बनाती
साई प्रेम के भावों से, तिनका तिनका उसे सजाती
बैठ कुटी कि खिडकी पर मैं, टुकुर टुकुर ताका करती
बाबा की इक झलक पाने को, द्वारकामाई में झाकां करती
सूरज की किरणों से पहले, मैं निसदिन ही उठ जाती
गुलाब और चंपा के फूलों से, सुंदर सा इक हार बनाती
मधुर स्वरों की कांकण आरती, सुन सुन कर जब बाबा उठते
धूप दीप फूलों की माला, नाथ कंठ में पुलक चडाती
कभी बनाती सांझा उपमा, कभी हलवा पूडी बनाती
आग्रह करके बारम्बार, बाबा को भर पेट खिलाती
भक्तों को दर्शन दे देकर, जब श्री साई थक जाते
मध्याह्न आरती गा गा कर मैं, बाबा जी के चरण दबाती
कभी वन को निकल जाती मैं, छोटी छोटी लकडियां चुनने को
सिर पर गठ्ठर लाद उन्ही का, धूनी के निमित्त मैं लाती
जिस दिन बाबा चावडी को जाते, जुलूस में मैं चांवर उठाती
होले होले धीमें धीमें, बाबा पर मैं उसे डुलाती
काश अगर कहीं ऐसा होता, जन्म अधम सफल हो जाता
बाबा ही में मिल जाती मैं, यह जीव न फिर मुडकर आता
JAI SAI RAM
saisewika
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ॐ सांई राम...
बाबा........तुम्हारे हाथ , याद आए~~~~
तुम्हारे हाथ , याद आए...जब भी हम लङखङाए ।
तुम्हारे हाथ , याद आए...जब भी सहारा छूट जाए ।
तुम्हारे हाथ , याद आए...जब भी कोई दुआ करता था ।
तुम्हारे हाथ , याद आए...जब भी कोई राह दिखाए ।
तुम्हारे हाथ , याद आए...जब भी कोई साथ निभाए ।
तुम्हारे हाथ , याद आए...जब भी कोई आँसू पोंछे ।
तुम्हारे हाथ , याद आए...जब भी ' फिर से ' हाथ बढ़ाए~~~
Saisewika ,
Sairam...
Beautiful dream & moreover Explanation of Dream~~~
Its not my Dream But...........................Its Blessings of BABA~~~~
जय सांई राम....
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HAR KISSI KO MUKAMMAL JAHAN NAHIN MILTA.KAHIN ZAMEEN TO KAHIN AASMAN NAHIN MILTA..
SAB KA MALIK EK!
Sai baba let your holy lotus feet be our sole refuge.OMSAIRAM
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OM SAI RAM
Thank you Tanaji,Dipikaji
sapane to sapane hain sach nahi hote
phir bhi hum dekhte hain jagate sote
kabhi kahin to mera khudaa suntaa hoga
mere kwaabon ki bikhri kaliyaan chunta hoga
kabhi to woh juroor mujh par taras khaayegaa
hakikat main nahi to kwaabon me juroor aayegaa
JAI SAIRAM
saisewika
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JAI SAI RAM!!!
Ik dil walon ki basti thi
Jahan chand aur suraj rehtay thay
Kuch suraj mann ka pagal tha
Kuch chand shokh aur chanchal tha
Basti Basti phirtay aur
Har pal hanstay rehtay thay
Phir ik din dono rooth gaey
Saray sapnay toot gaey
Ab chand bhi uss waqt aata hai
Suraj jab so jata hai
Badal shab se kehtay hain
Suraj uljha rehta hai
Chand k sath sitaray hain
Par suraj tanha rehta hai....
OM SAI RAM!!!
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OM SAI RAM
Us dil waloon ki basti ka koi to pata hoga
jahaan chaand suraj ik saath honge,
wahin mera khuda hoga
kyunki suraj ki garmi aur chaand ki thhandak wahi seh sakta hai
na hum reh sakte hain uske bina, na woh reh sakta hai,
isi liye ab chaand bhi hai alag aur suraj tanha.
ab ik roj to khuda ko jamin par aanaa hoga
JAI SAI RAM
saisewika
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ॐ सांई राम....
खाली झोली खाली हाथ , कुछ नहीं है मेरे पास ,
आँखो में कुछ आँसू लिए , मैं तेरे द्वारे आई हूँ ,
अर्पण करने को तुझे , मैं कुछ भी तो नहीं लाई हूँ ,
तन में कोई जोर नहीं , पर मन में प्यास जगी है ,
इन सूनी आँखों में दर्शन की प्यास जगी है ,
इक बार तू आ जा इक झलक दिखा ,
इस प्यासे मन की प्यास बुझा !!!
जय सांई राम...
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ओम साईं राम
बाबा को कुछ नहीं चाहिए, धूप दीप या फूल
प्यार भरा इक निर्मल मन, करते वो कबूल
उनके दर्शन की आंखों में, जो ये प्यास जगी है
बाबा की झलक पाने की मन में लगन लगी है
तो ये समझो तुम ही हो बाबा को सबसे प्यारी
जीवन में अब जो भी होगा, होगा मंगलकारी
जय साईं राम
साईंसेविका
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kaha chala aye mere jogi, jeewan se tu bhaag ke
kisi ek dil ke karan, yun sari duniya tyaag ke
chhod de sari duniya kisi ke liye
yeh munaasib nahin aadmi ke liye
pyaar se bhi zaroori kayi kam hain
pyaar sab kuchh nahin zindagi ke liye
chhod de sari duniya kisi ke liye
tann se tann ka milan ho na paaya to kya
mann se mann ka milan koi kam to nahin (2)
khushboo aati rahe door hi se sahi
saamne ho chaman koi kam to nahin (2)
chand milta nahin sabko sansaar mein
hai diya hi bahut roshni ke liye
chhod de sari duniya kisi ke liye
kitni hasrat se takti hain kaliyan tumhe
kyun bahaaron ko phir se bulaate nahin (2)
ek duniya ujad hi gayi hai to kya
doosra tum jahan kyun basaate nahin
dil ne chaahe bhi to saath sansaar ke
chalna padta hai sab ki khushi ke liye
chhod de sari duniya kisi ke liye
Sai baba let your holy lotus feet be our sole refuge.OMSAIRAM
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ओम साईं राम
बाबा को कुछ नहीं चाहिए, धूप दीप या फूल
प्यार भरा इक निर्मल मन, करते वो कबूल
उनके दर्शन की आंखों में, जो ये प्यास जगी है
बाबा की झलक पाने की मन में लगन लगी है
तो ये समझो तुम ही हो बाबा को सबसे प्यारी
जीवन में अब जो भी होगा, होगा मंगलकारी
जय साईं राम
साईंसेविका
ॐ सांई राम~~~
मैने कहां बाबा से ....
पल भर के लिये ही सही आप मेरे सामने आ जाओ...
बस~~~
पल भर का साथ कुछ ऐसा हो...
कि हर पल के लिये बस आप मेरे ही हो जाओ~~~
प्रीत लगी तेरे नाम की मोहे मिलो तो सांई~~~
जय सांई राम~~~
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JAI SAI RAM!!!
'Your' touch, your feel, the moments we share, all seem so surreal.
When I look into 'Your' eyes, it's Heaven that I see.
My heart whispers the feelings that 'You' inspire in me.
'Your' soul reaches out, and touches mine.
These moments we share, I will hold sacred for all time.
OM SAI RAM!!!
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ॐ सांई राम~~~
कैसे सुकून पाऊं तुम्हे देखने के बाद,
अब क्या हाल सुनाऊं तुम्हे देखने के बाद,
चारों तरफ मेरे सांई ही सांई है ,
किस तरफ सिर झुकाऊं तुम्हे देखने के बाद,
अब जो ये सिर झुका है तेरे चरणों में,
कैसे सिर उठाऊं तुम्हे देखने के बाद,
आँखों में भरी है मस्ती तेरे प्यारे से रूप की,
अब किससे नज़र मिलाऊं तुम्हे देखने के बाद~~~
जय सांई राम~~~
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JAI SAI RAM!!!
When I hear a robin sing
on the first day of spring
I think of 'You'.
When I see a red rose
on the bush where it grows
I think of 'You'.
When I feel the summer heat
on the sand beneath my feet
I think of 'You'.
When I sit on a beach
another world just out of reach
I think of 'You'.
When I see the colored leaves
fall to the ground from a light breeze
I think of 'You'.
When I look to the night sky
and see the sparkle like in your eyes
I think of 'You'.
When the snow is coming down
to softly blanket the ground
I think of 'You'.
When I go to bed at night
as I turn out the light
I think of 'You'.
When I'm old and near death
and I draw my last breath
I'll think of 'You'.....
BABA Please always be in my thinking.....
OM SAI RAM!!!
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OM SAI RAM
When I see a star at night
up in the sky its twinkling light
I think of 'You'
When I see full moon in sky
and white clouds passing by
I think of 'You'
When the sun melts down at noon
and look like a big red balloon
I think of 'You'
When I see a baby smile
and hold his hand for a while
I think of 'You'
Whenever and whatever I see
with my eyes
I think of 'You' and feel
so nice
I think of 'You' day and night
I think of 'You' in fear and fright
I think of 'You' when happy and glad
I think of 'You' when down and sad
But one thing on this earth is true
Each moment of life I think of 'You'
JAI SAI RAM
saisewika
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Om Sai Ram,
Kabhi sochata Hoo Baba se itna prem kyo karta hoo
Khuda aur bhi hai jamane mai lekin mera malik to ek hai
Yeah jeevan aisa lagta hai kuchh purani yaade liye hue hai
Sai ke rehte hue no mil paane ke karan hi shaayad yeah janam liya hai
ki is jeevan mai woh meri murad puri ho jaye aur sai ke darshan paakar yeah jeevan safal ho jaye
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ॐ सांई राम~~~
भगवन बङा खिलाङी तू,
जान के अंजान बनता तू,
जब मैं आना चाहती तुझ तक,
कही भी फसा देता तू,
कभी रिश्ते कभी बच्चों में,
फिर ममता में डाल देता तू,
दूर बैठा सब देखे तमाशा,
कितना मज़ा है लेता तू,
तू कहता तू हर पल साथ है,
फिर कैसे रोते देखता तू,
जब मैं छटपटाती तो सामने क्यों नहीं आता है,
तभी तो कहती हूँ तू बङा खिलाङी,
क्या क्या नाच नचवाता है~~~
आ जाओं सांई आ जाओं प्रेम सुधा बरसा जाओं~~~
जय सांई राम~~~
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ॐ सांई राम~~~
ओ मेरे सांई ~~~ओ मेरे बाबा~~~
कोई रास्ता दिखा तू,
मेरी आँखे बंद कर,
और अपना बना तू,
फिर उसके बाद तो चाहे मौत दे दे,
पर एक बार तो अपने पास बुला तू~~~
जय सांई राम~~~
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JAI SAI RAM!!!
The Rose Within...
A certain woman planted a rose
and watered it faithfully,
and before it blossomed,
she examined it.
She saw the bud that would soon
blossom and also the thorns.
And she thought,
"How can any beautiful flower
come from a plant burdened with
so many sharp thorns?"
Saddened by this thought,
she neglected to water the rose,
and before it was ready to
bloom, it died.
So it is with many people.
Within every soul there is a rose.
The BABA-like qualities planted in us
at birth grow amid the thorns of our faults.
Many of us look at ourselves and
see only the thorns, the defects.
We despair, thinking that nothing
good can possibly come from us.
We neglect to water the good within us,
and eventually it dies.
We never realize our potential.
Some people do not see
the rose within themselves;
someone else must show it to them.
One of the greatest gifts a person
can possess is to be able to
reach past the thorns
and find the rose within others.
This is the characteristic of love,
to look at a person, and knowing his faults,
recognize the nobility in his soul,
and help him realize that he can
overcome his faults.
If we show him the rose,
he will conquer the thorns.
Then will he blossom,
blooming forth thirty, sixty,
a hundred-fold as it is given to him.
Our duty in this world is to help each others
by showing them their roses
and not their thorns.
Only then can we achieve
the love we should feel for each other;
only then can we bloom in our own garden...
OM SAI RAM!!!
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ॐ सांई राम~~~
आराम की जरूरत है तो प्यारे एक काम कर ,
बैठ शरण श्री सांई की और सांईराम,सांईराम कर~~~
जय सांई राम~~~
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ॐ सांई राम~~~
हे मेरे सांई मेरे सर्वाधार,
मेरा जीवन तेरा प्यार ,
सब कुछ मेरा तुम हो सांई ,
मैं हूँ बेटी तेरी सांई ,
हर पल तुझे बुलाती हूँ ,
दिल का हाल सुनाती हूँ ,
दुखी रहूं या सुखी रहूं ,
कोई फ़र्क नहीं पङता है ,
क्योंकि , तू मेरी ढाल है ,
तू ही मेरी निडरता है ,
डरूँ किसी से कभी ना मैं ,
क्योंकि सांई मेरे साथ है ,
तू ही मेरा सब कुछ हैं
तू ही मेरा आधार हैं~~~
जय सांई राम~~~
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ऒम सांई राम
ये जो नश्वर काया है
इसकी अद्भुत माया है
मानों तो ये सब कुछ है
जान लो तो छाया है
चाहो तो जगत मिथ्या में
तुम राग रंग में मस्त रहो
या फिर खुद को पहचानो
श्री चरणों में अलमस्त रहो
चाहो तो इस पर मान करो
इस रूप पर अभिमान करो
पर इसने तो ढल जाना है
इस सच पर थोडा ध्यान धरो
वात्त, पित्त और कफ़ से दूषित
ऐसी नश्वर काया को
साईं नाम से निर्मल करके
जानो ठगिनी माया को
तो चलो क्षणभंगुर काया को
साईं नाम कर देते हैं
अंग अंग में साईं नाम की
भक्ती को भर लेते हैं
पांच इन्द्रियां केन्द्रित हो जायें
बाबा जी के ध्यान में
पांचों प्राण बाबा जी को
मन्जिल अपनी मान लें
ह्रदय को सुह्रदय कर लो
मन को करो सुमन
फिर बाबा को अर्पण करके
पावो नाम का धन
बुद्दि को सद बुद्दि कर लो
चित्त को सत्चिदानन्द
धृत्ति धारणा धार के
पावो परमानन्द
पलक उठे जब जब भी अपने
बाबा जी का दर्शन पाये
पलक झुके तो मन मन्दिर में
बाबाजी को बैठा पाये
मुख से जब कुछ बोलें तो
साईं नाम ही दोहरायें
कानों से कुछ सुनना हो तो
साईं नाद ही सुन पायें
हाथ उठें तो जुड जायें
श्री चरणों में भक्ती से
कारज करते साईं ध्यायें
बाबा जी की शक्ती से
पांव चलें तो मन्ज़िल उनकी
बाबा जी का द्वारा हो
पांव रुकें तो ठीक सामने
मेरा साईं प्यारा हो
रसना का रस ऐसा हो जाये
साईं नाम में रस आये
बैठे, उठते, सोते, जगते
साईं जी का जस गायें
सांस सांस जब आवे जावे,
साईं का अनहद नाद हो
अंत समय जब सांस रुके तो
साईं जी की याद हो
ऐसे काया पावन होगी
मन मन्दिर हो जावेगा
साईं याद में डूबा प्राणी
साईं में मिल जावेगा
जय साईं राम
साईं सेविका
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dear saisewika ji....welldone .....
thanksss for posting this prayer ........i really enjoyed reading it ..
may baba richly bless u ....
om sai shri sai jai jai sai
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ओम साईं राम
आज साईंजी आये थे
हमसे यह लिखवाये थे
शुक्रिया उनका चले आते हैं वो
जो जी चाहे हमसे लिखवाते हैं वो
जय साईं राम
साईं सेविका
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ओम साईं राम
ये जो नश्वर काया है...........
चंचल मन इक मंदिर हो जाये
साईं का जिसमें डेरा हो
मोह माया ना होवे जिसमें
ना अग्यान अंधेरा हो
मन की डोर थमी हो मेरे
बाबा जी के हाथ में
जब जी चाहे ले जायें वो
इसको अपने साथ में
जय साईं राम
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ॐ सांई राम~~~
ये पत्तियां ये घास प्यारी,
हर कली हर डाली प्यारी,
कितने शांत मुस्कुरा रहे है,
वो कौन सा सुख है जो ये पा रहे है।
न जलन न कुढ़न,
न वैर न क्लेश है।
बस प्यार ही बरसा रहे है,
लगता है जैसे सांई गुण गा रहे है,
यूं मौन खिलखिला रहे है,
रचयिता को रिझा रहे है,
हम प्यासे है जिस प्यार के लिए,
लगता है वही प्यार ये पा रहे है~~~
जय सांई राम~~~
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ओम साईं राम
धन्य धन्य हे शिरडी धाम
जहां पधारे साईं राम
धन्य धन्य गोदावरी के तट
जहां लगा भक्तों का जमघट
धन्य धन्य हे नाथ खंडोबा
नाम पडा जहां साईं बाबा
धन्य धन्य शिरडी के वासी
साईं दरशन के अभिलाषी
धन्य धन्य हे द्वारका माई
जिसकी महिमा दस दिश छाई
धन्य धन्य हे चावडी धाम
बाबा करते थे विश्राम
धन्य धन्य हे नीम महान
बाबा जी का गुरु स्थान
धन्य धन्य हे समाधी मंदिर
भाग्य उदय हो जिसके अन्दर
धन्य शिरडी के घर द्वार
नाथ खडे थे हाथ पसार
धन्य शिरडी के पत्ते फ़ूल
पाई श्री चरणों की धूल
जय साईं राम
साईं सेविका
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ॐ सांई राम~~~
हे सांई क्या कभी ऐसा होगा ??
सिर्फ़ आप हो और मैं होऊं...
आप सामने हो मैं कुछ ना कहूं...
बस जी भर कर दर्शन करूं...
कुछ कहूं ना और सब कह जाऊं...
सारी बातें दिल की मैं आंसूओं मैं कह जाऊं...
मन का हाल सुना डालूं , कुछ भी ना छुपाऊं...
कोई ना रोके मुझको , मैं जी भर कर आंसू बहाऊं...
देख कर इन आंसूओं को , जब आप मुझे समझाएं ,
आप की उस प्यार के अम्रत में , मैं जी भर डुबकी लगाऊं...
मैं जो ऐसा हो तो उस पल पर , मैं अपना सब कुछ वार जाऊं...
पर वारूं भी क्या , सब कुछ तो है उधार ...
ये तन उधार , ये मन उधार...
यदि है कुछ मेरा अपना , तेरे लिए बस मेरा प्यार~~~मेरा प्यार~~~मेरा प्यार~~~
जय सांई राम~~~
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जय सांई राम।।।
आज गुरूपुरब के शुभ अवसर पर मेरे सभी भाई बहनों को मेरी शुभकामनायें।
अपने लिए कहीं आसरा
ढूढने से अच्छा है
हम ही लोगों के सहारा बन जाएं
किसी से प्यार मांगे
इससे अच्छा है कि
हम लोगों को अपना प्यार लुटाएं
किसी से कुछ पाने की ख्वाहिश
पालने से अच्छा है कि
हम लोगों के हमदर्द बन जाएं
जिन्दगी में सभी हसरतें पूरी नहीं होती
कुछ अपने ही हिस्से का सुख काम करते जाएं
आकाश की लंबाई से अधिक है
चाहतों के आकाश का पैमाना
सोचें दायरों से बाहर हमेशा
पर अपनी जरूरतें
दायरों में ही रखते जाएं
अपना सांई प्यारा सांई सबसे न्यारा अपना सांई
ॐ सांई राम।।।
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ओम साईं राम
अगर साईं का प्यार एक समन्दर है
तो मैं इसमें डूब जाना चाहती हूं
किनारे की कोई ललक नहीं मुझको
मैं तो लहर बनके इसमें समाना चाहती हूं
अगर साईं का प्यार एक तपता सूरज है
तो मैं इसमें झुलस जाना चाहती हूं
मैं वो शै नहीं जो आग से डरूं
मैं खुद को इसमें तपाना चाहती हूं
अगर साईं का प्यार एक रास्ता है
तो मैं इस पर चलते जाना चाहती हूं
कंकडों पत्थरों की परवाह नहीं है मुझे
मैं तो रास्ते की धूल बन जाना चाहती हूं
अगर साईं का प्यार एक मन्ज़िल है
तो मैं उस मन्ज़िल को पाना चाहती हूं
साईं मैं तेरे कदमों में आ पडी हूं
यहीं अपना आखिरी ठिकाना चाहती हूं
जय साईं राम
साईं सेविका
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जय सांई राम।।।
तुम्हारी कविताओं के लिये मेरे पास वाह के अलावा शब्द नही होते। मैं तो सिर्फ यह कह सकता हूँ कि मेरे बाबा सांई तुम्हारे जैसे भक्तों को अपने हृदय में बसा के रखते है। एक बार फिर शुक्रिया तुम्हारी नायाब कविता के लिये। ऐसे ही अपने प्यार के फूल बाबा के चरणों मे सर्मपित करते रहना।
अपना सांई प्यारा सांई सबसे न्यारा अपना सांई
ॐ सांई राम।।।
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OM SAI RAM
शुक्रिया दुआ में उठे हाथ के लिये
शुक्रिया साईं के सफ़र मे साथ के लिये
शुक्रिया बाबा से की गई फरियाद के लिये
शुक्रिया तुकबंदियों की दाद के लिये
शुक्रिया इस नाचीज़ की बडाई के लिये
शुक्रिया इस होसला अफ़ज़ाई के लिये
पर सबसे पहले शुक्रिया उस साईंनाथ का
मालिक है जो इस तमाम कायनात का
जब जी चाहे वो आकर लिखवाता है मुझसे
और जैसे चाहे तारीफ़ करवाता है तुझसे
जय साईं राम
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जय सांई राम।।।
एक बार फिर इस नाचीज़ भाई की वाह बहन सुरेखा के लिये। उसके ऊपर एक और वाह बाबा को शुक्रिया अदा करने के अंदाज़ का।
बाबा सभी बहनों की मांगें पूर्ण करे और सबके परिवार मे सुख-शांति और खुशहाली प्रदान करें।
अपना सांई प्यारा सांई सबसे न्यारा अपना सांई
ॐ सांई राम।।।
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करूं मैं तेरा शुक्रिया किस ज़ुबां से
मैं तो हर पल तेरी मर्ज़ी का बन्दा
कहां से गिराया कहां से उभारा
ज़माना अगर छोड दे बेसहारा
मुझे फ़िक्र क्या मेरे साईं तो हैं.....
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ओम साईं राम
आज सुबह सवेरे
मेरी खिडकी के परदे को सरकाकर
अन्दर आ गई वो यूं ही बल खाकर
उसकी झिलमिल रोशनी में
मेरी आखें चौंधियांयी
वो मुझे देख मुस्कुराई
लहर सी लहराई
मेरे गालों को छुआ
और ज़ोर से खिलखिलाई
मैं अधमिची उनींदी
आधी सोई आधी जागी
बिस्तर से उठी और
उसके पीछे भागी
वो नटखट सी छोटी
बाला सी इतराती
बाहर लान की हरी
घास पर छितराती
बर्ड बाथ के ठंडे
पानी पर जा बैठी
पानी में इन्द्रधनुष सा
बना कर वो ऐंठी
टुकुर टुकुर उसे ताकती
थी मैं हैरां
सोचती थी कहां से आई
है ये शैतां
यूं तो वो रोज़ सुबह
चली आती थी
पर ऐसे तो इतना
कभी ना इतराती थी
ना जाने आज इसको
क्या ऐसा हुआ है
जिसने यूं इसके
दिल के तारों को छुआ है
"सुनो" कहकर मैने
उसको जो रोका
"सूर्यकिरण" कहकर
उसे मैंने टोका
रुकी वो, थमी वो
फिर से मुस्कुराई
अपनी खुशी की उसने
वजह जो बताई
उसे सुनकर मैं भी
दिवानी हुई हूं
खुद से ही मैं खुद
बेगानी हुई हूं
वो बोली सुनो
आज सुबह सबसे पहले
साईं के दरस मैंने
पाए रुपहले
सबसे पहले शिरडी में
उतरी थी जाकर
धन्य हुई बाबा की
अनुकम्पा पाकर
समाधी मन्दिर की खिडकी पे
जाकर पडी मैं
बाबा के चरणों मे
जाकर गिरी मैं
कैसा अद्भुत सा सुंदर
अनुभव मैने पाया
पहली किरण का
आज नशा मुझपे छाया
बाबा के भक्तों को
बतला रही हूं
इसीलिए आज इतना
मैं इतरा रही हूं
जय साईं राम
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ॐ सांई राम~~~
चाहत हो तेरे दीदार की बस,
कोई और मुझे अब चाह न हो,
कुछ ऐसा करिश्मा कर दो सांई,
मुझे अपनी भी परवाह न हो,
भिखारिन हूँ तेरे दर की,
सांई खाली हाथ न जाऊँ गी,
बैठी हूँ तेरे दर पे सांई,
अब तो ले के कुछ उठूँ गी,
चाहे पत्थर बना ले अपने दर का,
चरण धूली मैं पा लूँगी,
चाहे फूल बना ले सांई मुझ्को,
तेरे आँचल की सांई मैं हवा लूँगी,
बनी रहे ये चाहत यही चाहती हूँ मैं,
तेरे दर की भिखारिन बनना चाहती हूँ मैं~~~~
जय सांई राम~~~
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ॐ सांई राम~~~
तेरी कृपा का हे सांई पारावार न अंत,
ओ मेरे प्रियतम प्यारे ओ मेरे बेअंत,
चरण परवारे सुदामा के असुअन नैन भिगोय,
विप्र सुदामा के गिरधर ने जिस पल चरण थे धोए,
टप टप टपके आँख से आँसू,जी भर के प्रभु रोए,
कितनी करूणा छिपी थी मन में कितना मीठा स्पदंन,
ये है प्रेम का बंधन,ये नहीं कोई वंदन,
तभी तो उस बेअंत के चरणों में मेरा बार बार है वंदन~~~
काश मेरे सांई~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
जय सांई राम~~~
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om sai ram Annu ji
तेरी कृपा का हे सांई पारावार न अंत,
ओ मेरे प्रियतम प्यारे ओ मेरे बेअंत,
Well said . Sai is param dayaalu, param kripalu. He is Omnipotent, Omnipresent and Omniscient.
Jai Sai Ram
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sai sevika ji,
kya kahu..........kya likhu kuch samajh nahi aa raha hai.
bas yahi keh sakta hun...............aapki poem dil ko choo gayi........................ultimate........the best..............
may sai bless you alwaysssssssssssssss.
om sai ram.
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om sai ram Annu ji
तेरी कृपा का हे सांई पारावार न अंत,
ओ मेरे प्रियतम प्यारे ओ मेरे बेअंत,
Well said . Sai is param dayaalu, param kripalu. He is Omnipotent, Omnipresent and Omniscient.
Jai Sai Ram
ॐ सांई राम~~~
शुक्रिया सुरेखा जी....
जिसे सांई ही कृपा का अनुभव हुआ है,
वही जीव दुनिया में उज्जवल हुआ है~~~
और सांई की कृपा का तो कोई अंत ही नहीं है.....
जय सांई राम~~~
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जय सांई राम।।।
काश! अगर कभी ऐसा होता....और जब भी वो हो तो सांई....
हे सांई!
बस तो, मात्र ये कामना मेरे मन की पूरी करना,
जब भस्म बन जाने का समय हो मेरा
मेरे मस्तक पर शिर्डी की 'भस्म' लगाने वाला,
हर हाल ही में, यही वरद् हस्त तो तेरा
अपना सांई प्यारा सांई सबसे न्यारा अपना सांई
ॐ सांई राम।।।
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जय सांई राम।।।
काश! अगर कभी ऐसा होता....और जब भी वो हो तो सांई....
हे सांई!
बस तो, मात्र ये कामना मेरे मन की पूरी करना,
जब भस्म बन जाने का समय हो मेरा
मेरे मस्तक पर शिर्डी की 'भस्म' लगाने वाला,
हर हाल ही में, यही वरद् हस्त तो तेरा
अपना सांई प्यारा सांई सबसे न्यारा अपना सांई
ॐ सांई राम।।।
ॐ सांई राम~~~
क्या लगन लगी दिल मगन हुआ,
उम्मीद लगी है चौखट पर,
पुर्न जन्म हो यदि मेरा,
तो हो सांई बस तेरे ही दर पर~~~
काश मेरे सांई~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
जय सांई राम~~~
-
sai sevika ji,
kya kahu..........kya likhu kuch samajh nahi aa raha hai.
bas yahi keh sakta hun...............aapki poem dil ko choo gayi........................ultimate........the best..............
may sai bless you alwaysssssssssssssss.
om sai ram.
Thanks Abhinav ji
Ramesh Bhai ji ne kyaa khoob kahaa hai. Aur yahi har Sai bhakt ke dil ki awaaj hai ki-
हे सांई!
बस तो, मात्र ये कामना मेरे मन की पूरी करना,
जब भस्म बन जाने का समय हो मेरा
मेरे मस्तक पर शिर्डी की 'भस्म' लगाने वाला,
हर हाल ही में, यही वरद् हस्त तो तेरा
JAI SAI RAM
-
ॐ सांई राम...
सिर्फ़ तुम...मेरे बाबा~~~
मेरी सोच की उङान है जहां तक,
वहां तुम ही तुम हो,
मेरी नज़र की हद है जहां तक,
वहां तुम ही तुम हो,
मेरी सेहर है जहां तक,
वहां तुम ही तुम हो,
मेरी बरसात है जहां तक,
घाट तुम ही तुम हो,
मेरी ख्वाबों का महल है जहां तक,
हर कदम पे तुम ही तुम हो,
मेरी दिल की वादी है जहां तक,
हर चेहरा तुम ही तुम हो,
मेरे चेहरे पे मुस्कराहट है जब तक,
मुस्कराहट तुम ही तुम हो,
मेरी आंखों की शरारत है जब तक,
वो शरारत तुम ही तुम हो,
मेरे प्यार की सेहर है जहां तक ,
उस् सेहर में तुम ही तुम हो,
मेरे प्यार का जादू है जहां तक,
वहां तुम ही तुम हो,
मेरी आरज़ू बिखरी है जहां तक,
वो उम्मीद तुम ही तुम हो,
मुझे सहारा है जहां तक,
वो साहेबान् तुम ही तुम हो,
मेरे दिल की खुशियाँ है जहां तक,
वो सपने तुम ही तुम हो,
मेरी नज़र में चाँदनी है जहां तक,
वो रोशनी तुम ही तुम हो,
मेरी उम्मीद की किरने है जहां तक,
वो सब रोशनियाँ तुम ही तुम हो....
~~~~~~~~~~~~~सांई राम...........तुम ही तुम हो ~~~~~~~~~~~~~~~
जय सांई राम....
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ओम साईं राम
वाह अनु जी
आपकी दिवानगी ने दिल को छू लिया
दिखता है तेरे दिल में
बाबा का वास है
जीवन में हर कदम पर
तुझे उसकी आस है
साईं नाथ देव
तेरा निगहबान है
तुम जैसे भक्तों से ही
उसकी शान है
जय साईं राम
-
ॐ सांई राम~~~
सुरेखा जी.......................शुक्रियां......
मोह की अति काली निशा,
नहीं सूझती कोई दिशा,
जब भी आँखों को चाहा खोलना,
देख अंदेरा दिल घबराया,
फिर से आँखों को बंद किया,
धोखे की चादर ओढ़ी,
फिर से मैं सो गई,
नींद में मुझे इक सपना आया,
मेरे सांई ने मुझे थप्पङ लगाया,
मुझे झंझोरा और उठाया,
कहां- पगली ये जन्म यूँ ही गंवाया,
यहाँ आ कर सो-खा गंवाया,
बोले सांई प्यारे-उठ पगली,
ये हीरा यूँ ना कर जाया,
कर सौदा कुछ ले कमा,
मैं आया हूँ तेरे लिए देख ज़रा,
फिर ना कहियों कि,
तुझे किसी ने नहीं समझाया~~~
जय सांई राम~~~
-
ओम साईं राम
अनु जी
जब साईं जी तेरे साथ हैं
फिर घबराना कैसा
रात काली हो या लंबी
डगमगाना कैसा
नाम धन अनमोल रतन है
जब उसको पाया है
जीवन में कुछ नहीं गवांया
सब कुछ ही पाया है
जय साईं राम
-
ॐ सांई राम~~~
सांई चरणों में तेरे जगह चाहती हूँ,
जानूं सांई मैं, दिल में रहने के काबिल नहीं मैं,
अपने किये पर शर्मिदां हूँ मैं,
अपने पापों से घबराती हूँ मैं,
चरण धूल भी जो मिल जाए तेरी,
तो मेरी किस्मत संवर जाएगी,
पाप सभी धुल जाएगे मेरे
जीवन सार्थक होगा मेरा,
है विश्वास यही बस मेरा !!!
सांई चरणों में तेरे जगह चाहती हूँ~~~
जय सांई राम~~~
-
ओम साईं राम
तू जब से मेरे दिल में आ समाया है
इस दिल ने चैन रूह ने सुकूं पाया है
दुनिया की हर शै में तू ही दिखता है
तू ही मेरा हमदम मेरा सरमाया है
ग़मों की आंधियों से अब मुझे डर नहीं
तूने ही तो मुझे बेखौफ बनाया है
हर हाल में मैं खुश ही रहती हूं
मेरे सर पर तेरी रहमतों का साया है
यूं तो जीने को हर शख्स ही जी लेता है
मैने तुझमें जीने का मकसद पाया है
तुझको पाने का मुझमें जुनूं जागा है
इस जुनून को तूने ही तो जगाया है
काबिल नहीं हूं तेरे कदमों में जगह पाने को
तूने रहम की है और मुझे अपनाया है
अब पीछे तू भी हट सकता नहीं
तूने खुद ही तो अपने पास बुलाया है
जय साईं राम
-
जय सांई राम।।।
काश कभी हो ऐसा मेरे प्रियतम - मेरे सांई
सब भिन्न भिन्न बुनते है
गुलदस्तों को,
भावनाओं से,
विचारों से
मै तुम्हें बुनूँ
अपनी साँसों से....
भावनायें स्थिर हो जाएँ,
विचारधारायें भी,
होंठ भी मौन रहें -
और हर श्वास
नित तुम्हारा नाम कहे -
और तुम सुनते रहो...
एक घड़ी आएगी फिर
मेरी बंद पलको के सम्मुख
तुम निराकार साकार होगे
तुम बाहों मे अपनी
मुझे, मेरी साँसों समेत समेट लोगे...
फिर न होगा मिलना
न बिछड़ना, न जन्म-मरण,
न मैं
सिर्फ तुम ही तुम
मेरे सांई...
अपना सांई प्यारा सांई सबसे न्यारा अपना सांई
ॐ सांई राम।।।
-
ओम साईं राम
आज क्यूं फिज़ाओं में सुरूर छाया है
आज किसने ज़मीं पर अमृत बरसाया है
लगता है मेरा साईं है कहीं आस पास
उसने ही मेरे मन मयूर को थिरकाया है
आज सूरज भी कुछ ज़्यादा ही दमकता है
लगता है बाबा के मुख से इसने कुछ नूर चुराया है
आज फूलों की पंखुडियां हैं और भी कोमल
लगता है बाबा ने इन्हें प्यार से सहलाया है
आज मेरे घर के पीछे की झील का पानी है और भी निर्मल
लगता है इसने बाबा की दया दृष्टि को पाया है
आज चर्च के घंटे की आवाज़ ज़्यादा सुरीली क्यूं है
लगता है बाबा को छू कर आई हवा ने इसे बजाया है
हां मेरा साईं मेरा खुदा यकीनन मेरे पास है
उसी ने मेरे दिल के दरवाज़े को खटखटाया है
वो यहीं मेरे पास आ के बैठा है
उसी ने इन पंक्त्तियों को मेरे कानों में गुनगुनाया है
जय साईं राम
-
ॐ साईं राम~~~
मेरे बाबा, वह मेरे साथ चलते है,
मेरे साईं,मेरे साथ बातें करते है,
मेरे बाबा,मुझे बताते है कि मैं उनकी हूँ,
मेरे साईं,मुझे बताते है कि वो हर पल मेरे साथ है,
जब ये अहसास होता है मुझे,
तो सच मानों~~~
हम दोनों,मेरे बाबा और मैं बहुत ही खुश होते है~~~
बस मेरे बाबा हमेशा मेरे पास होते है~~~
जय सांई राम~~~
-
ओम साईं राम
वाह यह अहसास बडा प्यारा है
साईं ही अपने भक्तों का
सच्चा सहारा है
जब सब साथ छोडतें हैं
वो ही साथ होता है
क्योंकि यह प्यार सच्चा है
नही दुनयावी समझौता है
बाबा के साथ से बढकर
कोई खुशी हो नहीं सकती
इस संग के एह्सास में ही
समाई है सच्ची भक्ति
जय साईं राम
-
ॐ साईं राम~~~
मेरा साईं है हम सब का सहारा,
साईं का यह एहसास बङा ही प्यारा!!!
जब से साथ मिला साईं का~~~
गीत न भावे,कोई राग न भावे मोहे,
केवल साईं को सुनने की चाह~~
आँखे न मेरी चाहे कोई रंगीनियाँ देखना,
सिर्फ साईं को देखने की चाह~~
किसी के संग चलना ना चाहू मैं,
सिर्फ साईं के संग अब चलने की चाह~~
किसी से बात करना न चाहू मैं,
सिर्फ साईं संग बात करने की चाह~~
किसी संग हंसना न रोना चाहू मैं,
सिर्फ साईं संग हंसने-रोने की चाह~~
बस, अब कुछ और नहीं चाह,
बस, अब तो सिर्फ साईं संग हाथ पकङ कर चलने की चाह~~
साईं को खुद में समां लेने की चाह~~
साईं की भक्ति में डूब जाने की चाह~~~
साईं~~~~~
जय साईं राम~~~
-
ॐ सांई राम~~~
मैने कहां बाबा से~~
पल भर के लिये ही सही आप मेरे सामने आ जाओ~~~
बस~~~
पल भर का साथ कुछ ऐसा हो~~
कि हर पल के लिये बस आप मेरे ही हो जाओ~~~
जय सांई राम~~~
-
ॐ साईं राम~~~
कुछ लोग कैसे होते है,लगते तो है आम इंसान
पर कमाल की ताकत रखते है,या जादूगर वो होते है,
कर के रखते आँखे बंद,पर अंदर तक पढ़ लेते है,
हम तो खुद को नहीं जान पाते,वो दुनिया को समझ लेते है,
चाहे कुछ भी मन में हो,कभी नहीं वो जताते है,
कितनी भी इच्छाएँ हो,पर उन्हें दबाएं जाते है,
दिल में हो लाखों तूफान,पर कितने शांत वो रहते है,
दूसरों का दुख करे,इसी में शुख वो पाते है,
यही लोग है जो सच में,जीवन सार्थक बनाते है,
बिना कोई तपस्या किये,परमेश्वर को पा जाते है~~~
बाबा~~~काश~~~~~~~~~~~~~~~~~~
जय साईं राम~~~
-
ओम साईं राम
लो मैं शिरडी हो आई
सुधबुध अपनी खो आई
बाबा को मैंने देख लिया
मैं मतवाली हो आई
सोने का सिंहासन था
जिसपर बाबा साजित थे
सम्पूर्ण सृष्टि के महामहिम
शोभायमान विराजित थे
बाबा के मुख मंडल की
बडी अनोखी आभा थी
होठों की हल्की स्मित रेखा
सोने पर सुहागा थी
साईं के चोडे माथे पर
तिलक त्रिपुंडाकार था
सर पे मुकुट,कानों में कुण्डल
गले में सुन्दर हार था
रेशमी पीताम्बर वस्त्र
जगमग सितारों जडा था
ज़री का प्यारा सा शेला
कन्धों ऊपर पडा था
बाबाजी का दाहिना पैर
बायें घुटने पर टिका था
बाबा जी का अनुपम अद्भुत
रूप सुनहरा दिखा था
बायें हाथ की लम्बी अंगुलियां
दाहिने चरण पर फैली थीं
ऐसे बैठे बाबा जी की
प्रतिमा बडी रुपहली थी
अखियों के कोरों से बाबा
मंद मंद मुस्काते थे
परम प्रिय को सन्मुख पाकर
भक्त विह्वल हुए जाते थे
हाथ जोडकर मेरी काया
मानों जडवत खडी रही
काठ बनी मैं प्राण हीन सी
श्री चरणों में पडी रही
जीवन,समय और सृष्टि सारी
रुक सी गई और थमी रही
पर अंदर कुछ क्रंदन फूटा
और आंखों में नमी रही
हाथ जोडकर विनती की
साईं अब अपनाओ तुम
श्री चरणों में पडा रहन दो
अब ना यूं भटकाओ तुम
काश अगर कहीं ऐसा होता
समय वहीं पर रुक जाता
कर्म बन्ध का कर्ज़ है जितना
इस जीवन का चुक जाता
लाख चौरासी के चक्कर में
फिर फिर ना मुड कर आती
निर्मल पावन पद पंकज में
चिर विश्रांती मैं पाती
जय साईं राम
-
ॐ साईं राम~~~
अरे अरे ये सोंधी सी ,प्यार भरी खुशबूं कहां से आई??
अरे वाह ये तो मेरी सुरेखा दीदी आई~~~~
बङे दिनों बाद इस द्वारका माई में रौनक छाई,
देखो देखो रमेश भाई हमारी सुरेखा दीदी आई~~~
साईं की सेविका कहां थी अब तक??
इतने दिनों से राह तके हम सब...
अब आई हो अब मत जाना,
हम सब को रोज़ साईं से मिलवाना~~~
सुंदर दर्शन साईं के पा कर तुम हो आई,
हम सब के मन में साईं मिलन की प्यास जगाई,
तुम्हारे शब्दों को पङ कर हम सब धन्य हो गए,
यूँ लगा मुझको में तो खुद ही शिर्डी हो आई~~~
शुक्रिया मेरी प्यारी दी~~~
जय साईं राम~~~
-
जय सांई राम।।।
ये भी कोई बात हुई
बिन बताये अपने बाबा
से अकेले अकेले मिल आई
और हम यंहा उदास मन
हर दिन राह तकते थकते
रह रह द्वारकामाई के
द्वार खटखटाते
देखते अन्दर बाहर
बैचेन से रहे इतने दिन
अब मानो जान में जान आई
अपनी प्यारी बहना वापस जो आई
बाबा के नये गीत
सन्देश सुहावने लाई
अब के ये वादा करना होगा
जब भी कंही जाना
सन्देश अपना ज़रूर छोड़ जाना
माना कि बाबा का बुलावा
कोई ठुकरा सकता नही
लेकिन फिर भी अगर
मालूम होता द्वारकामाई के
मेरे भाई बहनों को
तो शायद वो भी
थमाते अपनी प्रियतम
बेसुध मतवाली बहना को
कुछ सन्देश फरमान अपने भी
कोई बात नही अप्रेल भी
कोई दूर नही
जब ये भाई भी जायेगा
बाबा संग रामनवमी मनाने
एक बार फिर हम सब
चलेगें 'सांई रसोई' टोली के संग,
सजेगी पालकी अपने बाबा की
मचेगी शिरडी की गलियों मे फिर से धूम
फिर चढ़ेगे छप्पन भोग अपने बाबा को
फिर द्वारकामाई के लोभान की
खुशबूओं में डूबेगा अपना भी अंर्तमन
अपना सांई प्यारा सांई सबसे न्यारा अपना सांई
ॐ सांई राम।।।
-
ओम साईं राम
जा रही थी किसी ओर
किसी ओर मुड गई
डगर मेरे सफ़र की
शिरडी से जुड गई
अचानक ही जैसे मेरे
बाबा को याद आया
बस संदेशा दे भेजा
और मुझको बुलवाया
जो जानती पहले से
उन मंज़र सुहानों को
सौ बार कह के जाती
बाबा के दिवानों को
पर मेरे मालिक ने
कुछ और ही था सोचा
उडा कहीं को पंछी
कहीं और ही जा पहुंचा
मेरे खुदा ने मुझ पर
कृपा अपार कर दी
मायूसियों की झोली
दरशनों से भर दी
अब भी इन आंखों में
ताज़ा है वो नज़ारा
मेरे सामने खडा है
मेरा साईंनाथ प्यारा
जय साईं राम
-
ॐ साईं राम~~~
हे साईं तुझे पकड़ना होगा मेरा हाथ
तुझे देना होगा हर पल मेरा साथ
तेरे सिवा नहीं चाहती मैं किसी का भी साथ
क्योंकि बाकी दुनिया क्या करनी,जब तूं है मेरे साथ!
बाबा मैं कैसी भी हूँ,पर हूँ तो तेरी डास
आप का हाथ रहे सिर पर एक यही मेरी अरदास
दुनिया के नज़ारे देख देख कर मैं तो हुई उदास
आँखों में रहती है हर पल तेरी झलक ही प्यास,
जब चाँहू मैं दर्शन पाना,दिल में आती ये बात
क्या मैं हूँ एस लायक,जो हो पूरी ये मेरी आस,
पर फिर बाबा ये भी तो है कि
बच्चा हो कितना मैला
पर जब चाहे वो गोद में आना
माँ कभी नहीं करती निराश,
बस यही सोच मैं खुश हो जाऊं,बंध जाती फिर आस
कि बाबा आप रखेगी मेरे सिर पर हाथ
भुझे गी मेरी भी दर्शन की प्यास~~~
जय साईं राम~~~
-
ओम साईं राम
जिंदगी के गुलिस्तां में
कई फूल खिल गए
टूट कर बिखरने को थे
कि साईं तुम मिल गए
इल्ज़ाम दिए जा रहे थे
सरे आम हमको सभी
उन सभी हमराहिओं के
होंठ जैसे सिल गए
साईं तुम मिल गए
पत्थर समझ कर फेंक दिया
जिन्होंने ने हमे राह पर
उन सभी पर्वतों के
दिल भी जैसे हिल गए
साईं तुम मिल गए
कांटो का गलीचा बिछाया
जिन्होने इन कदमों तले
चले हम, पर उन रकीबों
के दिल भी छिल गए
साईं तुम मिल गए
किनारा करके बैठे थे
हमसे ही जो हम सफर
आज गल बहियां डाल
हमसे ही हिलमिल गए
साईं तुम मिल गए
तुम मिले तो मिल गया
जैसे हमें सारा जहां
ज़िन्दगी के आसमां पर
तारे से झिलमिल गए
साईं तुम मिल गए
जय साईं राम
-
ॐ सांई राम~~~
तेरी तस्वीर देखूतो जी चाहे कि बातें करूं,
जब बाते करूं तो जवाब भी चाहूं ,
तेरे तो आँख,हाथ सब बातें करते है,
होठ यूँ लगते है कि बस अभी खुले है,
ये शांत मुस्कान मुझे अधीर करे है,
तू बोल ,क्यों नहीं बोलता है,
तेरी तस्वीर में इतनी कशिश है,
तो तेरा नूर कैसा होगा,
सोच के दिल में कुछ होता है,
हे सांई तू कैसा होगा......
हर पल कृपा बरसाता है पर दिखाई क्यों नहीं देता है,
तू मेरे पास है पल पल,सब मुझे बताता है,
पर सामने क्यों नहीं आता है~~~
जय सांई राम~~~
-
ओम साईं राम
जब दीवानगी हद से गुज़र जाती है
आशिक की हर बात में नज़र आती है
आंखे ढूंढती हैं तुझको ही हर तरफ
रूह भी चैन नहीं पाती है
दिल तडपता है और आह सी निकलती है
हर आह तुझे पैगाम ही पहुंचाती है
क्या होगा गर तेरा ना दीदार मिला
मर जाएंगे वो यूं भी वो जज़्बाती हैं
जय साईं राम
-
जय सांई राम।।।
ज़िन्दगी के ख्वाब सजाते रहिये
मुश्किल आये भी तो सदा मुस्कराते रहिये।
अपने हाल का इल्म ना होने दें औरों को
बुरे हालात को इस कदर छुपाते रहिये
ख्वाब के सारे जनाने डूबे फिर भी
अपने आप को निराशा से बचाते रहिये
जब कभी तन्हा दिल हो आपका
अपने दिल को औरों के बदले अपने बाबा से बहलाते रहिये
आपकी राहों में फूल हों ना हों फिर भी
औरों की राहों के काँटे हटाते रहिये
क्या बुरा है इस ज़माने में कहें मेरे बाबा
गम उठाकर भी खुशिया लुटाते रहिये
अपना सांई प्यारा सांई सबसे न्यारा अपना सांई
ॐ सांई राम।।।
-
ओम साईं राम
साईं जो साथ हों तो
मुशकिलों में मुस्कुराने का हौसला आ जाता है
वो जो हाथ पकडे तो
भटका हुआ भी राह अपनी पा जाता है
हम क्या कहें हम कोई वाइज तो नहीं
साईं से जुड के ये हुनर खुद ही आ जाता है
जय साईं राम
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ओम साईं राम
काश अगर कहीं ऐसा होता
रात अंधेरी में जग सोता
दबे पांव से धीरे धीरे
आती गोदावरी के तीरे
महक जहां है तेरी समाई
सांसों में भर लेती साईं
जल की बूंदों को छू कर के
अंजली में पानी को भर के
तुमको देती मैं आवाज़
भक्ती सुर का सुन कर साज़
आ जाते तुम मेरे ईश
दर्शन पा कर हे जगदीश
धन्य धन्य हो जाती दासी
ये अखियां ना रहती प्यासी
काश अगर तुम आ जाते
नैनो की प्यास बुझा जाते
जय साईं राम
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ॐ सांई राम~~~
ओ मेरे बाबा,मेरे प्राणधार,मेरे सर्वाधार...
मेरा जीवन तो बस तेरा प्यार,
सब कुछ तुम हो मेरे सांई,
मैं हूँ बेटी तेरी बाबा,
हर पल तुझे बुलाती बाबा,
दिल का हाल सुनाती बाबा,
खुश रहूं या उदास रहूं कोई फर्क न पङता मुझको,
क्योंकि तुम हो हर पल मेरे साथ,
तुम ही मेरी निडरता हो,
तुम हो मेरी ढ़ाल,
डरूं कभी ना किसी से मैं ,
कयोकिं जानू तुम हो हर पल मेरे साथ,
बाबा तुम ही मेरे सब कुछ हो,
तुम ही मेरा आधार,ओ मेरी सच्ची सरकार,
बस मेरे बाबा एक बार तुम आजाओ,
सूनी अखियों की प्यास बुझा जाओ,
अब मन की तङप बुझा जाओ,
एक बार बाबा तुम आजाओ~~~एक बार तुम बाबा आजाओ~~~
जय सांई राम~~~
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ओम साईं राम
तेरे ही भरोसे जिए जा रहे हैं
खुद पर ये करम हम किए जा रहे हैं
कभी तेरी चर्चा, कभी तेरी याद
कभी तुझसे मिलने को दिल बैताब
कभी ख्वाबों में तुझसे मिलना मिलाना
ख्यालों में उडके तेरे दर पे हो आना
कभी घंटो बैठे तुझसे बातें ही करना
तेरा नाम लिख कोरे पन्नों को भरना
ना दिन में कभी ना ही रातों में सोना
अकेले में यूं ही कभी बैठे रोना
तुझे याद करके कभी मुस्कुराना
कभी बे बात ही गुम सुम हो जाना
लगता है कोई गहरा रोग लगा है
साईं हमें तेरा वियोग लगा है
पर नहीं चाहिए कोई इलाज दवाई
प्रेम रोग की खुद दवा तुम हो साईं
तुझे याद करके हम जीते रहेंगे
दर्दे मोहब्बत हम पीते रहेंगे
आ सको कभी सामने आ तुम जाना
जीने का हमको मिलेगा बहाना
जय साईं राम
-
जय सांई राम।।।
हां जी इन दिनों हम
भी 'किसी' के प्यार
में हैं सदा खोये
दीवाने से लगते है
अब यह मत पूछिएगा कि
'किसके'?
हवाओं के चांदनी के?
या रेत के?
बस प्यार है और इसलिये हम
लिखते चले जा
रहे हैं 'वो' ही नाम
जहां तहां
इधर उधर चारों ओर
उसके आजू बाजू
लिख दे रहे हैं पवित्र
मासूम निर्दोष की तरह
और यह भी सोचते नहीं कि कंही
कोई जान ने ले
पहचान न ले
उसे ज़ाहिर न कर दे
डर है कि कंही कोई
इसका इलाज ना सुझा दे
वियोग के इस रोग
को संझों के रखने में ही
है फायदा कि
अब ये समझ आ गई
कि इससे बड़ी कोई दवा
है नही कोई
इस जगत में
याद करके हम जीते रहेंगे
दर्दे मोहब्बत हम पीते रहेंगे
मुझे मालूम कि 'वो' सामने
आये ना आये
इसकी भी कोई
अब ज़रूरत नही लगती
क्योंकि हर वक्त हर लम्हें में
'वो' ही 'वो' तो है समाया
'उसकी' याद जो है
सदा अपने संग...
फिर काहे का ग़म....
अपना सांई प्यारा सांई सबसे न्यारा अपना सांई
ॐ सांई राम।।।
-
जय सांई राम।।।
काश़ कंही ऐसा होता कोई रासायनिक सपना भी अपना होता
कितना अच्छा होता !
अगर - ज़िंदगी के समीकरण भी
कुछ वैसे ही होते;
जैसे रसायन शास्त्र के,
रासायनिक समीकरण।
जिससे हमें पता चल जाता -
परिणाम का,
दो विचारों के मिक्स होने के पहले ही
काश,
हम सेट कर पाते -
अपनी उद्विग्न सोच को -
पहले से ही -
उचित "ताप और दाब" पर... ।
और हम कर पाते -'
बैलेंस -
ज़िंदगी के उलझे, कठिन-
समीकरणों को -
परिणाम और निष्पत्ति के बाद भी.
काश़!
अपना सांई प्यारा सांई सबसे न्यारा अपना सांई
ॐ सांई राम।।।
-
ओम साईं राम
ज़िंदगी में कुछ उलझा है
तो सुलझाएंगे साईं
भक्तों को थामने खुद
आएंगे साईं
रसायन शास्त्र सा ना
जीवन बन पाए
ऐसी कोई राह
दिखाएंगे साईं
सोच और विचार को हम
करें साईं अर्पण
ताप और दाब का भी
कर दें समर्पण
निज हाथ में हम ना
थामें ये जीवन
साईं बदल देंगे
सब बैलेंस उसी क्षण
जय साईं राम
-
ओम साईं राम
कल मेरे चंचल से चित्त ने
फिर से भरी उडान
जिस आंगन में जाकर उतरा
ना था वो अन्जान
जो भी इसने देखा सोचा
उसे स्वप्न ही कह लो
संग संग मेरे ख्वाब देख लो
भक्ती भाव में बह लो
मैंने देखा मै पहुंची हूं
बाबा जी के धाम
भक्त जनों से घिरे हुए थे
साईं जी अभिराम
बापू जोग जी कर रहे थे
आरती की तैयारी
द्वारकामाई में उमडी थी
शिरडी की जनता सारी
तात्या बैठे बाबा जी के
दबा रहे थे पांव
भागो जी छाते से करते
सिर पर ठंडी छांव
म्हालसापति ने उनके मुख में
बीडा पान का डाला
बूटी जी ने उन्हें ओढाने
शेला एक निकाला
शामा जी कुछ परेशान से
दिखते थे गंभीर
बाबा थके हैं यही सोच कर
होते थे वो अधीर
हाथ जोडकर शीश नवाए
मैं भी वहीं खडी थी
एकाएक बाबा की दृष्टि
मुझ पर आन पडी थी
बाबा जी ने नाम मेरा ले
मुझको पास बुलाया
कानों में कुछ शहद सा टपका
रोम रोम लहराया
धीरे से मैं कदम बढाती
चली साईं की ओर
मन मयूर मेरा खुश था इतना
जिसका ओर ना छोर
आंखो से गिरते थे आंसू
काया कांप रही थी
सच है या सपना है कोई
इसको भांप रही थी
बाबा जी के पास पहुंच कर
मैंने शीश नवाया
आशिश मुद्रा में बाबा ने
अपना हाथ उठाया
आंखे बंद थीं हाथ जुडे थे
मुख पर था साईं नाम
डर था आंख खुली तो
ओझल ना हों साईं राम
जाने कितनी देर रही मैं
वैसे आंखे मीचे
साईं के पद पंकज मैनें
इन अंसुअन से सींचे
सपना है तो इसको सपना
रहने दो करतार
नहीं जागना मुझे नींद से
हे मेरे सरकार
हे साईं रहने दो मुझको
निज चरणों के पास
हर क्षण दरशन तेरा पाऊं
पूरी कर दो आस
जय साईं राम
-
ओम साईं राम
हम मौसम तो नहीं
जो बदल जाएंगे
समय भी नहीं
जो लौट कर ना आएंगे
नदिया के पानी सी
रवानी नहीं हममें
जो एक बार कहीं से गुज़रें
तो फिर मुड ना सकें
हम तो तेरे दीवाने हैं साईं
तेरे दर पे बार बार आएंगे
जय साईं राम
-
ओम साईं राम
साईं तुझसे प्यार का पौधा
निसदिन मैने सींचा है
जितना प्यार भरा मेरे अंदर
अंजलि भर भर उलीचा है
याद मुझे है आज भी वो दिन
तस्वीर तुम्हारी देखी थी
उसी समय मेरे नन्हें चित्त में
प्रेम की कोंपल फूटी थी
जैसे जैसे बढी हुई मैं
प्रेम का पौधा संग बढा
सब भक्तों पर चढता जैसे
मुझ पर तेरा रंग चढा
उस पौधे में कोपल फूटी
जब जब तेरा नाम लिया
जडें जमीं मेरे मन के अंदर
जब जब तुझको याद किया
कभी जो मेरे इस जीवन में
आंधी और झंझावत आए
आहत ना हो प्रेम का पौधा
ढांप लिया आंचल फैलाए
प्रेमाश्रु की खाद पडी तो
बढ बढ कर वो पेड बना
शीतल छाया मुझको देकर
इस जीवन की मेढ बना
अब मैं और मेरा साईं अक्सर
इसके नीचे आते हैं
जीवन का हर दुख भूलते
पुलकित हो हर्षाते हैं
जय साईं राम
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ॐ सांई राम~~~
काश, इक ऐसा रिश्ता हो,जिसका कोई नाम न हो,
भले ही वो पास न हो,पर धङकन तक पहचानता हो,
मेरी आँखों में जो आए आँसू,उसका वहां पर दिल घबराए,
जो मैं कभी हो जाऊं उदास,तो उससे भी रहा न जाए,
जब मैं करूं उसको जो याद,उसको भी फिर चैन न आए,
जब भी मैं उसको पुकारूं,झट से वो मेरे सामने आए,
मैं उससे कुछ भी न कहूँ,बिना कहे वो सब जान जाए,
मैं उससे कुछ भी न छुपाऊं,वो भी मुझसे कुछ भी न छुपाएं,
यदि ऐसा प्यारा रिश्ता हो जाए,इसके बाद फिर क्या रह जाए,
ख्वाइश शांति से जीवन गुजारने की,उसी पल पूरी हो जाए!!!
जय सांई राम~~~
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ओम साईं राम
धरती और अम्बर के बीच
होती कोई जगह ऐसी
जैसी मेरे मन ने सोची
अद्भुत सुन्दर बिलकुल वैसी
कोई वाहन यूं ही ऐसे
वहां नहीं पहुंच पाता
लेकिन सच्चे मन से चाह कर
हर कोई वहां पहुंच जाता
मेरे साईं वहीं रहते
अपने सब भक्तों के संग
दासगणु जी के कीर्तन का
खूब जमा रहता वहां रंग
बाबा जी का पूजन अर्चन
होता रहता दिन और रैन
सन्मुख साईंनाथ को पाकर
धन्य धन्य हो जाते नैन
सावधान हो सुन लो होती
एक अजब वहां बात
भक्ति भाव ज़रा सा कम
या कम होते जज़्बात
पलक झपकते ही मिट जाता
सुन्दर सभी नज़ारा
ना ही अद्भुत जगह वो दिखती
ना ही साईं प्यारा
केवल सच्चे भक्तों का
वहां आना जाना होता
भक्ति भाव की गंगा में
लगता निशदिन ही गोता
काश अगर कहीं ऐसा होता
हे साईं त्रिपुरारी
सन्मुख दर्शन पाते नित्त नित्त
तज के माया सारी
जय साईं राम
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ॐ सांई राम~~~
सांई , जब मैं देखू आप के हाथ,
लंबी उगलियां प्यारे हाथ,
इन हाथों में कैसी बरकत ,
जब सिर पर आ जाए इक बार ,
भर जाता उस का भंडार ,
धन का भडारं तो सब भर देते,
ये भरते मन का भंडार ,
इन हाथों का अजब करिश्मा ,
मैं जो महसूस करती हर बार ,
जब ये मुझको छू जाते ,
आँखों में भर जाता नीर ,
रूह तक काँप उठती मेरी ,
बस में नहीं रहता मेरा शरीर ,
यूँ लगता सब कुछ मिल गया ,
मिट जाती मन की हर पीर ~~~
जय सांई राम~~~
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ओम साईं राम
दबे पांव जो दिन चढा
कतरा कतरा ढल गया
तुम बिन जितना बीता जीवन
साईं रूह को खल गया
कुछ हंसने में बीता जीवन
कुछ रोने में चला गया
जिन राहों से गुज़रा जीवन
दे कर कुछ हलचल गया
नाम जपा ना देह धारकर
वक्त यूं ही बर्बाद किया
पाया था जो शुभ कर्मों से
ये जीवन निष्फल गया
बस उतना ही जीया जीवन
जिसमें तुमको याद किया
बाकी तो बस व्यर्थ हुआ
बीत यूं ही हर पल गया
जय साईं राम
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ॐ सांई राम~~~
सुख दुःख मैं सब दू बिसराएँ~~
तेरी लगन की अलख जगाए~~~
जिधर देखूं उधर मेरे सांई बस तू ही तू नज़र आए~~~
बस तू ही तू नज़र आए~~~
बस तू ही तू नज़र आए~~~
बस तू ही तू नज़र आए~~~
बस तू ही तू नज़र आए~~~
जय सांई राम~~~
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ॐ साईं राम
साईं मेरे
करुणाप्रेरे
तुम पारस
हम लोहा
संग लगाकर
मोल बढ़ा दो
अधम जीव का देवा
साईं स्वामी
अन्तर्यामी
तुम पानी
हम मीन
दूर करो ना
ख़ुद से देवा
मर जाएँगे दींन
साईं दाता
परम विधाता
हम थके पिथक
तुम तरुवर
चरण शरण में
दे दो स्थान
दया करो हे गुरुवर
दत्त दिगंबर
पीर पैगम्बर
हम चातक
तुम बादल
भक्ती रस की
बूँद गिरा दो
खड़े फैलाये आँचल
दया निधान
पुरुष महान
हम मलयुत
तुम गंगा
निर्मल कर दो
पावन कर दो
हे श्री सिच्च्दान्न्दा
जय साईं राम
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ॐ सांई राम~~~
ये पत्तियां ये घास प्यारी,
हर कली हर डाली प्यारी,
कितने शांत मुस्कुरा रहे है,
वो कौन सा सुख है जो ये पा रहे है।
न जलन न कुढ़न,
न वैर न क्लेश है।
बस प्यार ही बरसा रहे है,
लगता है जैसे सांई गुण गा रहे है,
यूं मौन खिलखिला रहे है,
रचयिता को रिझा रहे है,
हम प्यासे है जिस प्यार के लिए,
लगता है वही प्यार ये पा रहे है~~~
जय सांई राम~~~
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ॐ साईं राम
कई बार ऐसा होता है
बिलख बिलख कर दिल रोता है
मैं ख़ुद पर ही झल्लाती हूँ
मन मार कर रह जाती हूँ
क्यूँ ना हो पाया ये साईं
तुम ही कह दो सर्वसहाई
जब तुम देह में थे हे दाता
तब क्यूँ ना जन्मी मैं विधाता
जो मैं शिर्डी वासी होती
तुम्हें निरख कर हंसती रोती
तव चरणों की रज मैं पाती
दर्शन करते नहीं अघाती
सुप्रभात होती या रैन
तक तक तुम्हें ना थकते नैन
सरल साधारण सादा जीवन
क्यूँ ना मिल पाया सहचर धन
सुवचन नित्त सुनती तव मुख से
जीवन कट जाता अति सुख से
सुभक्तों की संगत पाकर
धन्य धन्य हो जाती चाकर
मैं भी तुमको चंवर ढुलाती
अपनी किस्मत पर इतराती
पश्चाताप बड़ा है भारी
क्यूँ अब जन्मी साईं मुरारी
काश मैं यंत्र ऐसा कोई पाऊँ
समय चक्र को पुन: घुमाऊं
आ पहुंचू मैं तेरे द्वारे
साक्षात दर्शन हों न्यारे
हाथ थाम लूँ साईं तेरा
जनम सफल हो जाए मेरा
जय साईं राम
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Aao aaj hum sab milkar ye Vaada kare khudse
Kii
Jis haal me rakhe Sai , Us haal me khushi se rahenge Hum
Sukh ho ya Dukh , Naam unka japenge har pal
Chahe bhatkaye ye zamana
Chahe maare jag taana
Magar Sai Sai kahte kahte
Jeevan gujarenge Hum
Kuch kahna hoga gar Sai se
Toh Shukriya hi karenge Hum
mila hai ye jeevan toh den hai usi ki
Usi ke liye jeevan nyochhavar karenge Hum
Nahi hume haq rulane ka kissi ko
Nahi hume haq satane ka kissi ko
Gar nh kar paaye kisi ki madad toh
Rasta use Sai Dar ka dikhlayenge Hum
Joh bhatak gaye hai zindagi se apni
Joh naraz hai har khushi se apni
Joh anjaan hai Sai ki shakti se
Unhe jeevan jeena sikhayenge Hum
Nahi phir Sai ka dil kabhi dukhayenge Hum
Kabhi na karenge shikwa unse
Sada musakuraayenge Hum
Hai yakeen mera musakurata hume dekh kar
Sai ki Vyadha ko kam kar paynge hum
Do Sai Aashirwaad prann ko hamare
Saari duniyaa ko Sai se milana Chahate hai Hum
Diya hai Jeevan Ye aapne
Aapko hi samarpit ye jeevan karte hai hum
Karo aisi kripa apne bachcho par
Aa kar paas tumhare
tumhare hi ho le Hum
Na bhule kabhi dil Sai ko apne
Sote Jagte Sai Japte rahe Hum
OM SAI RAM