well i dont know the original writer of this poem but its very inspirational may baba bless him whomsoever has written it............
मेरे बाबा सांई आज अवकाश पर है इसलिये मन्दिर की घंटी न बजाइये,
जो बैठा है बूढा अकेला पार्क में, हो सके तो साथ समय उसके बिताइये ,
मेरे बाबा सांई है पीड़ित परिवार के साथ, जो अस्पताल में परेशान है,
उस पीड़ित परिवार की मदद कर आइये,
जो मर गया हो किसी के परिवार में कोई,
उस परिवार को सांत्वना दे आइये,
एक चौराहे पर खड़ा युवक काम की तलाश में,
उसे रोजगार के अवसर दिलाइये,
मेरे बाबा सांई आज अवकाश पर है इसलिये आज मन्दिर की घंटी न बजाइये ,
मेरे बाबा सांई है चाय कि दुकान पर उस अनाथ बच्चे के साथ,
जो कप प्लेट धो रहा है, पाल सकते हैं, पढ़ा सकते हैं, तो पढाइये,
एक बूढी औरत है जो दर - दर भटक रही है,
एक अच्छा सा लिबास दिलाइये,
हो सके तो नारी आश्रम छोड़ आईये,
मेरे बाबा सांई आज अवकाश पर है,
इसलिये आज मन्दिर की घंटी न बजाइये