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Author Topic: sai baba poem  (Read 8251 times)

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Offline sumit garg

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  • om sai ram
sai baba poem
« on: March 23, 2012, 01:36:19 AM »
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  • जय सांई राम।।।

    कभी कभी दर्द बयां नही होता बस आह निकलती है वही हाल अभी अभी मेरा हुआ है सुरेखा रचित बाबा की मर्म दास्तान पढ़कर। वाह सुरेखा वाह! जिस बात को मैं अक्सर टुकड़ों-टुकड़ों मे कहता था आज तुमने पिरो दिया अपने प्यार से भरे शब्दों में! बाबा से भक्ति एक व्यापार, सौदेबाज़ी सी हो गई है, बस हर कोई अपना दुखड़ा, अपना रोना लिये तैयार सा बैठा है। एक तरफ से दे - एक तरफ से ले! मानो सब छलावा सा कर रहे है मेरे भोले भाले बाबा सांई से! सच में किसी को कोई फिक्र ही नही मेरे सांई की। काश कोई समझ पाये मेरे दयालु बाबा के करूणामयी रुप को।

    अपना सांई प्यारा सांई सबसे न्यारा अपना सांई

    ॐ सांई राम।।।
    sumit garg

     


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