Join Sai Baba Announcement List


DOWNLOAD SAMARPAN - Nov 2018





Author Topic: कविता- प्रभु आ जाओ  (Read 2892 times)

0 Members and 1 Guest are viewing this topic.

Offline rajiv uppal

  • Member
  • Posts: 892
  • Blessings 37
  • ~*साईं चरणों में मेरा नमन*~
    • Sai-Ka-Aangan
कविता- प्रभु आ जाओ
« on: December 19, 2007, 10:49:51 AM »
  • Publish
  • प्रभु आ जाओ


    आज अचल नगरी जैसे,
    दुःख भरी आह को झेल रही।
    सूने जीवन की छाती पर,
    खूनी नृतक बन खेल रही॥

    पाखण्ड झूमता पर फैलाये,
    गीत-नृत्य सब झूठे राग।
    उदार नीतियाँ वर्णित तथ्य,
    डगर-डगर धोखे की आग॥

    प्रेम-शूल का रूप बन गया,
    मिटा गहन मानवता अनुराग।
    मानवता खण्डित दर्पण सम,
    धन का दंश लगाता आग॥

    सभ्यता अस्त दिनकर-दिश की,
    छिटक ज्यों छोड़ा पुष्प पराग।
    विश्व भाग्य पर फन फैलाये,
    चतुर्दिश ज्यों जहरीले नाग॥

    श्रम-शान्ति-अफसोस-भ्रान्ति,
    जीवन पर पीड़ा का दाग।
    अहंकार-उत्पीड़न भयानक,
    चतुर्दिश आज विश्व में आग॥

    कहीं व्यभिचार स्वदन्त गड़ाये,
    रक्त धार रंग लाल चढ़ाये।
    एक भेद न शुभ-अशुभ के,
    मृत्यु नृत्य नित्य छुप-छुप के॥

    आज यहाँ का धर्म अनोखा,
    जिससे प्रेम उसी से धोखा।
    अपने ही अपनो को छलते,
    उन्नति से मनुज की जलते॥

    यह गहन अन्धकार मिटाने,
    देने जीवन को अमर वरदान।
    विश्व की हर जीव शक्ति को,
    दे-दो प्रभु शुभ्रता का दान॥

    जगत का कण-कण प्रभु कुत्सित,
    प्रभु जग का उद्धार करो।
    मनुज-मनुज के रक्त का प्यासा,
    मनुज हृदय में प्यार भरो॥

    हे जीवन रक्षक! हे जीवन दीप!
    प्रभु आ जाओ! प्रभु आ जाओ!!
    हे मुकुन्द! हे सकल सृष्टि सेतु
    प्रभु आ जाओ! प्रभु आ जाओ!!

    http://www.shirdi-sai-baba.com/sai/कविताये/प्रभु-आ-जाओ-t44.0.html
    « Last Edit: December 25, 2007, 03:10:30 AM by Jyoti Ravi Verma »
    ..तन है तेरा मन है तेरा प्राण हैं तेरे जीवन तेरा,सब हैं तेरे सब है तेरा मैं हूं तेरा तू है मेरा..

     


    Facebook Comments