ओम साईं राम
साईं अपने हाथ की हमें कठ्पुतली बना लो
जैसे चाहे डोर खींचो, जैसे चाहे नचा लो
सब कुछ अर्पण करने की अपनी, पूरी है तैयारी
दास बनाओ या काठ बनाओ, मरज़ी है तुम्हारी
और नहीं तो साईं देवा, बस इतना ही कर दो
सांस सांस से साईं सिमरें, बस इतना ही वर दो
दे सको तो आशिश दे दो हमको, हे साईं अभिराम
साईं साईं रटते रटते हो जीवन की शाम
कृपा दृष्टि जो मिल जाये तेरी, साईं करुणा प्रेरे
तुम में आन मिलें और छूटें जन्म मरण के फेरे
जय साईं राम
साईं सेविका
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