ओम साईं राम
भक्त वत्सल ,दीनबंधु,दयामय हे ईश
निर्गुण न्यारे,अनुपम प्यारे,सर्वेश्वर जगदीश
चैतन्यघन,परब्रह्म,स्वामी सद्चिदानंद
मंगलमूर्ति,दीनानाथ,अपरम्पार,भगवंत
अल्लाह,ईश्वर,ईसा,नानक,रामकृष्ण भगवान
गणपति,विट्ठल,पीर मोहम्मद,साईं दयानिधान
करुणासागर,करुणामूर्ति,करुणामय,करतार
सदासमर्थ,सदाचैतन्य,सदगुरु हे सरकार
निर्मल,पावन,जग मनभावन,सीधे सच्चे संत
वीतरागी,महात्यागी, आदि तुम्ही बेअंत
राम,रहीम,कृष्ण,करीम,दुर्गा मईया प्यारी
शिव शंकर तुम,विष्णु रुप तुम, बजरंगी,अवतारी
तुम ही काली,तुम ही भैरव,नरसिंह तुम हो बाबा
गंगा,जमना,प्रयाग,काशी तुम्ही हमारा काबा
श्रवण,कीर्तन,नामस्मरण, तुम ही पादसेवन
अर्चन,वंदन,दास्य,सख्य तुम ही आत्मनिवेदन
मात पिता तुम,भाई,बहन तुम, तुम ही शिक्षक प्यारे
तुम ही सखा,तुम ही बंधु,तुम ही सर्व सहारे
तुम ही गद्य,तुम ही पद्य, तुम ही कविता छंद
तुम ही सत्य,तुम ही सुंदर,तुम ही हो मकरंद
तुम ही अंदर, तुम ही बाहर, छाये हो चहुं ओर
तुम ही तुम, बस तुम ही तुम हो, जिसका ओर ना छोर
जय साईं राम