ओम साई राम
Tanaji, Rameshji
मैं इक अधम पापी प्राणी तन मन भरा विकार
ना सपने में साई आते, ना करते स्वीकार
आप सरीखे भक्त जनों से शायद मैं कुछ पाऊं
झांक सकूं कभी अपने भीतर ऐसी क्षमता लाऊं
मोह माया में फंसी पडी मैं, इतना भी ना जानू
अन्तर्मन में साई बैठे, कैसे उन्हें पहचानू
हे साई जी कृपा करो अब, अधम जीव को तारो
जैसी भी हूं तेरी ही हूं, अब तो मुझे स्वीकारो
परम दयालु दया करो अब, मेरे सपने में आओ
तुमको अन्दर बैठा देखूं, चमत्कार दिखलाओ
JAI SAI RAM
saisewika
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