ॐ साईं राम
अति पुनीत है,पावन है,
है परम सुखदायी
शिरडी धाम में बाबाजी का
स्थल है द्वारकामाई
साठ बरस तक यही बनी थी
बाबा जी का द्वारा
भक्ति रस की बहती रहती
यहां निरंतर धारा
हिंदु मुस्लिम सबको आश्रय
देती मस्जिद माई
राम रहीम को जोड दिया था
साईं सर्वसहाई
कभी नमाज़ की अजान गुंजाकर
मस्जिद इसे बनाया
दीपों से कभी जगमग करके
मंदिर यहीं बनाया
रामलला का यहीं पडा था
पलना सजा सजाया
चन्दन उत्सव भकतजनों ने
हिलमिल यहीं मनाया
यहीं बैठकर बाबाजी ने
जल से दीप जलाए
लीलाधर की लीला के
सबने सुख थे पाए
यहीं साईं नाथ जी ने
श्री चरणों से गंग बहाई
धन्य किया भक्तों को,
तीरथ बन गई द्वारकामाई
चक्की पीसी, शिरडी की
सीमा पर आटा डाला
द्वारकामाई में बैठा फकीर वो
सबका है रखवाला
कर कमलों से बाबाजी ने
धूनि अलख जलाई
इसी से उपजी ऊदि की
महिमा दस दिश छाई
भक्तजनों की काशी है ये
मस्जिद माई महान
यहां पे आकर मिट जाते हैं
झंझावत तूफान
इसकी महत्ता का बाबा ने
स्वयं किया गुणगान
श्री मुख से साईं जी ने
आप दिया फरमान--
"द्वारकामाई की गोदी में
जो बैठेगा आकर
दुख दर्द सब मिट जावेंगे
होगा जीव उजागर"
"द्वारकामाई की सीढी पर
जो रख देता पांव
उसके जीवन में फिर दुख का
नहीं रहे कोई ठांव"
इसके कण कण में बसते हैं
सबके प्यारे साईं
जिसको दर्शन पाने हो
आ जाए द्वारकामाई
जय साईं