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Author Topic: बाबा की यह व्यथा  (Read 262297 times)

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Offline Ramesh Ramnani

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Re: बाबा की यह व्यथा
« Reply #15 on: January 01, 2008, 04:11:33 AM »
  • Publish
  • ओम साईं राम

    अनु जी
    बहुत सही कहा है आपने इससे आगे और कुछ कहने को नही है-----

    आज शब्द मौन हैं
    विचार शून्य हो चुके
    क्या कहूं कैसे कहूं
    शब्द अर्थ खो चुके

    तो चलो वाणी को विश्राम दें
    श्री चरणों पर ध्यान दें
    साईं साईं रटते जाएं
    भक्ती को सोपान दें

    कुछ नहीं कहें कुछ नहीं सुने
    ये दुनियादारी रहने दें
    बस श्रद्धा से नतमस्तक हों
    और भक्ती भाव को बहनें दें

    जय साईं राम
    http://www.shirdi-sai-baba.com/sai/कविताये/आज-शब्द-मौन-हैं-t29.0.html


    JAI SAI RAM!!!

    I don't know what to say
    I never know what to say
    yet there is great power in not knowing
    knowing I can never know
    the mystery constantly deepens
    overwhelming my sense of what is
    the mystery speaks without words
    taking the breath away
    leaving no air for words
    in silence there is room for pain and bliss
    in unlimited measure...

    OM SAI RAM!!!
    अपना साँई प्यारा साँई सबसे न्यारा अपना साँई - रमेश रमनानी

    Offline saisewika

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    Re: बाबा की यह व्यथा
    « Reply #16 on: January 02, 2008, 12:19:23 PM »
  • Publish
  • ओम साईं राम

    अनु जी
    बहुत सही कहा है आपने इससे आगे और कुछ कहने को नही है-----

    आज शब्द मौन हैं
    विचार शून्य हो चुके
    क्या कहूं कैसे कहूं
    शब्द अर्थ खो चुके

    तो चलो वाणी को विश्राम दें
    श्री चरणों पर ध्यान दें
    साईं साईं रटते जाएं
    भक्ती को सोपान दें

    कुछ नहीं कहें कुछ नहीं सुने
    ये दुनियादारी रहने दें
    बस श्रद्धा से नतमस्तक हों
    और भक्ती भाव को बहनें दें

    जय साईं राम
    http://www.shirdi-sai-baba.com/sai/कविताये/आज-शब्द-मौन-हैं-t29.0.html


    JAI SAI RAM!!!

    I don't know what to say
    I never know what to say
    yet there is great power in not knowing
    knowing I can never know
    the mystery constantly deepens
    overwhelming my sense of what is
    the mystery speaks without words
    taking the breath away
    leaving no air for words
    in silence there is room for pain and bliss
    in unlimited measure...

    OM SAI RAM!!!




    OM SAI RAM

    Silence is calm and quiet
    like an empty space
    it is fullness, totality
    of a hollow place
    under the nine feet grave
    when life fails
    & deep under the sea
    silence prevails
    sun is silent,
    moon and stars
    trees are silent,
    grass and flowers
    all are flourishing
    with "silence tranquil"
    as GOD cannot be found
    in excitement and thrill
    we need silence
    to be alone with GOD
    to feel the presence
    of that heavenly abode
    a true dialogue
    if you want to start
    exchange the "silence"
    keep the words apart

    JAI SAI RAM

    Offline saisewika

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    Re: बाबा की यह व्यथा
    « Reply #17 on: January 07, 2008, 08:12:34 AM »
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  • ओम साईं राम

    मेरे मन की व्यथा


    साईं तुम बिन सब जग रीता
    क्षण क्षण साल साल सा बीता

    बिरहन का मन रहा उदासा
    मेघ बिना ज्यों चातक प्यासा

    तडप तडप के दिन को काटा
    चीत्कार करता सन्नाटा

    रात अंधेरी थी और काली
    सूनी सूनी खाली खाली

    जल बिन ज्यों मछली हो प्यासी
    सिसक सिसक कर रोई दासी

    ज्यों चंदा बिन रहे चकोर
    ऐसा था मेरे मन का मोर

    तुम बिन सूना ये जग सारा
    दरशन दे दो प्यारा प्यारा

    व्याकुल मन को आए चैन
    तुमको देखूं दिन और रैन

    जय साईं राम

    http://www.shirdi-sai-baba.com/sai/कविताये/साईं-तुम-बिन-सब-जग-रीता-t238.0.html
    « Last Edit: January 11, 2008, 08:45:57 AM by Jyoti Ravi Verma »

    Offline Ramesh Ramnani

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    Re: बाबा की यह व्यथा
    « Reply #18 on: January 08, 2008, 07:51:41 AM »
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  • जय सांई राम।।।

    ज़िन्दगी कभी मुश्किल तो कभी आसान होती है...
    आंखों में कभी नमी, तो होंठों पे कभी मुस्कान होती है....
    बाबा के प्रेम की राह पे साल दर साल...
    यूंही चलते चलते....
    ना भूलना अपनी मुस्कराहट को...
    इसी से होगी हर मुश्किल आसान तेरी...

    अपना सांई प्यारा सांई सबसे न्यारा अपना सांई
    http://www.shirdi-sai-baba.com/sai/कविताये/ज़िन्दगी-कभी-मुश्किल-तो-कभी-आसान-होती-है-t239.0.html


    ॐ सांई राम।।।

    « Last Edit: January 11, 2008, 08:46:51 AM by Jyoti Ravi Verma »
    अपना साँई प्यारा साँई सबसे न्यारा अपना साँई - रमेश रमनानी

    Offline saisewika

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    Re: बाबा की यह व्यथा
    « Reply #19 on: January 08, 2008, 03:26:31 PM »
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  • ओम साईं राम

    जाग जा रे मनवा
    अब तो साईं नाम जाप कर
    होठों पर हो साईं नाम
    मन में साईं व्याप कर

    चौरासी लाख योनियों में
    भटकता ही रह गया
    काग,नाग,शूकर बनके
    ज़िल्लतों को सह गया

    अब तो जाग तूने जो ये
    मानव तन पाया है
    पुन्य तेरे जाग उठे
    भाग्य भी मुस्काया है

    आंखे खुली रख कर ना
    सोता रह भाई तू
    जीवन को सुधार ले
    कर ले कमाई तू

    रिश्ते और नातों की
    जंजीरों में तू जकडा है
    काल तेरे साथ चलता
    फिर काहे को अकडा है

    प्रेमिका है,पत्नी है
    बहना है या माता है
    कर्मों के सब बंधन हैं
    क्षण भंगुर ये नाता है

    भाई बंधु कोई तेरे
    काम नहीं आएंगे
    महल और चौबारे सब
    यहीं रह जाएंगे

    तेरे ही प्यारे तुझे
    कंधों पर उठाएंगे
    मृतक को निकालने को
    जल्दी ये मचाएंगे

    तुझसे जो हैं गले मिलते
    तुझसे छू जो जाएंगे
    अपने अपने घर जा कर
    वो ही फिर नहाएंगे

    मिट्टी का ये ढेर फिर
    मिट्टी में मिल जाएगा
    काहे नाम नाहि ध्याया
    पाछे फिर पछताएगा

    केवल एक नाता सांचा
    तेरा और साईं का
    नाम धन की गठरी बांध
    मार्ग चुन भक्ताई का

    बाबा साईं कभी तेरा
    साथ नहीं छोडेंगे
    दुनिया के उस पार भी वो
    खुद से तुझ को जोडेंगे

    तो जाग जा रे मनवा
    अब तो साईं नाम जाप कर
    होठों पर हो साईं नाम
    मन में साईं व्याप कर


    जय साईं राम


    http://www.shirdi-sai-baba.com/sai/कविताये/जाग-जा-रे-मनवा-t240.0.html
    « Last Edit: January 11, 2008, 08:47:48 AM by Jyoti Ravi Verma »

    Offline Ramesh Ramnani

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    Re: बाबा की यह व्यथा
    « Reply #20 on: January 09, 2008, 03:06:25 AM »
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  • जय सांई राम।।।

    प्यार के दीप जलाने वाले कुछ कुछ पागल होते हैं
    अपनी जान से जाने वाले कुछ कुछ पागल होते हैं
    हर पल "उनके" ख्वाब रहते हैं आँखों मे
    ख्वाबों मे मुस्कुराने वाले कुछ कुछ पागल होते हैं

    इस झूठी दुनिया मे ये हमने हमेशा देखा है
    सच्ची बात बताने वाले कुछ कुछ पागल होते हैं

    दिलवाले कहाँ किसी बाग की बहार को चाहते हैं
    दूसरों को महकाने वाले कुछ कुछ पागल होते हैं

    हवा मे "आप" की खुशबू ढूँढते हैं,  दिल से आहें भरते है
    आप को दिल से चाहने वाले कुछ कुछ पागल होते हैं

    अपना सांई प्यारा सांई सबसे न्यारा अपना सांई
    ॐ सांई राम।।।

    http://www.shirdi-sai-baba.com/sai/कविताये/प्यार-के-दीप-जलाने-वाले-कुछ-कुछ-पागल-होते-हैं-t241.0.html;msg241
    « Last Edit: January 11, 2008, 08:48:50 AM by Jyoti Ravi Verma »
    अपना साँई प्यारा साँई सबसे न्यारा अपना साँई - रमेश रमनानी

    Offline saisewika

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    Re: बाबा की यह व्यथा
    « Reply #21 on: January 09, 2008, 02:40:39 PM »
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  • ओम साईं राम

    मेरी ज़िंदगी की जो भी सुबह शाम होती है
    वो मेरे देवा तेरे ही नाम होती है
    तेरा ही नाम ले ले कर सूरज उगता है
    तेरा ही नाम ले कर ढल जाता है
    मेरी इस ज़िंदगी का हर काम
    तेरा नाम ले कर ही चल जाता है

    तेरे ही नाम से प्रीत लगाई है
    तेरे ही नाम की लौ जगाई है
    तेरी ही शान में सजदे करती हूं
    तेरे ही नाम का दम भरती हूं
    तेरा नाम ही मेरे वजूद की पहचान है
    इसीलिए तो साईंसेविका मेरा नाम है

    जय साईं राम

    http://www.shirdi-sai-baba.com/sai/कविताये/मेरी-ज़िंदगी-की-जो-भी-सुबह-शाम-होती-है-t242.0.html
    « Last Edit: January 11, 2008, 08:49:49 AM by Jyoti Ravi Verma »

    Offline tana

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    • ~सांई~~ੴ~~सांई~
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    Re: बाबा की यह व्यथा
    « Reply #22 on: January 09, 2008, 10:01:05 PM »
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  • ॐ सांई राम~~~

    मैं पागल मेरा मनवा पागल,
    पागल मेरी देह,
    सब जग पागल दीखे मोहे,
    मेरे पास नहीं मेरी नेह~~~

    बाबा......

    जय सांई राम~~~
           


    http://www.shirdi-sai-baba.com/sai/कविताये/मैं-पागल-मेरा-मनवा-पागल-t243.0.html
    « Last Edit: January 11, 2008, 08:50:39 AM by Jyoti Ravi Verma »
    "लोका समस्ता सुखिनो भवन्तुः
    ॐ शन्तिः शन्तिः शन्तिः"

    " Loka Samasta Sukino Bhavantu
    Aum ShantiH ShantiH ShantiH"~~~

    May all the worlds be happy. May all the beings be happy.
    May none suffer from grief or sorrow. May peace be to all~~~

    Offline saisewika

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    Re: बाबा की यह व्यथा
    « Reply #23 on: January 11, 2008, 09:06:04 AM »
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  • ओम साईं राम

    मैं नदिया तुम एक समंदर
    तुममें जो मिल जाऊं मैं
    चिर विश्रांति पाऊं मैं

    मै याचक तुम राज धिराज
    तेरे द्वारे आऊं मैं
    साईं नाम धन पाऊं मैं

    मैं मलयुत तुम निर्मल नीर
    दया दृष्टि जो पाऊं मैं
    उज्जवल स्वच्छ हो जाऊं मैं

    जय साईं राम

    http://www.shirdi-sai-baba.com/sai/कविताये/मैं-नदिया-तुम-एक-समंदर-t268.0.html
    « Last Edit: January 11, 2008, 09:27:28 AM by Jyoti Ravi Verma »

    Offline saisewika

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    Re: बाबा की यह व्यथा
    « Reply #24 on: January 14, 2008, 12:17:12 PM »
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  • ओम साईं राम

    कल रात मेरे सपने मे
    फिर से बाबा आए
    हाथ जोडकर खडी रही मैं
    जडवत शीश नवाए

    बाबा बोले प्रश्न पूछ ले
    कर ना तू संकोच
    जो भी तेरे मन में है
    सब कह दे यूं ना सोच

    श्री चरणों मे नत होकर मैं
    बोली मेरे स्वामी
    कुछ शंकाए मन में हैं
    सुलझाओ अंतरयामी

    कैसे करूं तुम्हारी पूजा
    साईं ये बतलादो
    विधि विधान जैसे भी हों
    भक्तों को समझा दो

    तुमको अर्पण करूं मैं बाबा
    कैसे हों वो फूल
    कोई ऐसा फूल नहीं है
    जिसमें ना हों शूल

    धूप दीप कहां से लाऊं
    जिनमें सुगंध हो पूरी
    बिना सुगंध के मेरी पूजा
    रह ना जाए अधूरी

    कैसे स्वर में मधुर आरती
    गा के तुम्हें पुकारूं
    कागा जैसी मेरी वाणी
    कैसे इसे सुधारूं

    नैवेद्य बनाऊं कैसा जो हो
    मनभावन प्रभु तेरा
    स्वीकारो तुम खुशी खुशी से
    जो चढावा हो मेरा

    इन सारे प्रश्नों को सुनकर 
    बाबा जी मुस्काए
    फिर पूजा कैसी हो इसके
    सभी भेद समझाए

    बोले मुझको नहीं चाहिए
    पुष्पों की कोई माला
    अपने मन को "सुमन" बना कर
    अर्पित कर दो बाला

    धूप दीप या बाती की
    मुझे नही दरकार
    श्रद्धा और सबूरी ही मैं
    कर लेता स्वीकार

    दे सको तो अपने सारे अवगुण
    मेरे आगे डालो
    सेवा और त्याग का मार्ग
    जीवन में अपनालो

    वाणी कर लो ऐसी कि तुम
    जब भी मुख को खोलो
    हर प्राणी से मधुर स्वरों में
    मीठी बातें बोलो

    कभी किसी का दिल ना तोडो
    कभी ना करो विवाद
    तेरे कारण किसी जीव को
    कभी ना होवे विषाद

    सीधी सच्ची भक्ति की राह
    दिखलाता हूं तुझको
    पूजा के कोई आडम्बर
    नहीं चाहिए मुझको

    पूर्ण भाव से नत हो कर के
    करो एक ही बार
    ऐसा श्रद्धामय वंदन मैं
    कर लेता स्वीकार

    जय साईं राम




    http://www.shirdi-sai-baba.com/sai/कविताये/कल-रात-मेरे-सपने-मे-t274.0.html
    « Last Edit: January 15, 2008, 11:19:42 AM by Jyoti Ravi Verma »

    Offline Ramesh Ramnani

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    Re: बाबा की यह व्यथा
    « Reply #25 on: January 14, 2008, 09:48:57 PM »
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  • जय सांई राम।।।

    अपनी सुरेखा बहन के बाबा के प्रति अगाद प्रेम को देख मेरे पास हमेशा की तरह 'वाह' के अलावा अन्य कोई शब्द नही हैं।

    अपना सांई प्यारा सांई सबसे न्यारा अपना सांई

    ॐ सांई राम।।।

    अपना साँई प्यारा साँई सबसे न्यारा अपना साँई - रमेश रमनानी

    Offline tana

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    Re: बाबा की यह व्यथा
    « Reply #26 on: January 15, 2008, 12:43:51 AM »
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  • ॐ साईं राम~~~

    सुरेखा दीदी,
    आप के बाबा के प्रति प्यार की कोई मिसाल नहीं,
    आप बेमिसाल है आप की कोई मिसाल नहीं~~~

    जय साईं राम~~~
    "लोका समस्ता सुखिनो भवन्तुः
    ॐ शन्तिः शन्तिः शन्तिः"

    " Loka Samasta Sukino Bhavantu
    Aum ShantiH ShantiH ShantiH"~~~

    May all the worlds be happy. May all the beings be happy.
    May none suffer from grief or sorrow. May peace be to all~~~

    Offline abhinav

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    • सबका मालिक एक।
    Re: बाबा की यह व्यथा
    « Reply #27 on: January 15, 2008, 11:08:57 AM »
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  • ओम साईं राम

    कल रात मेरे सपने मे
    फिर से बाबा आए
    हाथ जोडकर खडी रही मैं
    जडवत शीश नवाए

    बाबा बोले प्रश्न पूछ ले
    कर ना तू संकोच
    जो भी तेरे मन में है
    सब कह दे यूं ना सोच

    श्री चरणों मे नत होकर मैं
    बोली मेरे स्वामी
    कुछ शंकाए मन में हैं
    सुलझाओ अंतरयामी

    कैसे करूं तुम्हारी पूजा
    साईं ये बतलादो
    विधि विधान जैसे भी हों
    भक्तों को समझा दो

    तुमको अर्पण करूं मैं बाबा
    कैसे हों वो फूल
    कोई ऐसा फूल नहीं है
    जिसमें ना हों शूल

    धूप दीप कहां से लाऊं
    जिनमें सुगंध हो पूरी
    बिना सुगंध के मेरी पूजा
    रह ना जाए अधूरी

    कैसे स्वर में मधुर आरती
    गा के तुम्हें पुकारूं
    कागा जैसी मेरी वाणी
    कैसे इसे सुधारूं

    नैवेद्य बनाऊं कैसा जो हो
    मनभावन प्रभु तेरा
    स्वीकारो तुम खुशी खुशी से
    जो चढावा हो मेरा

    इन सारे प्रश्नों को सुनकर 
    बाबा जी मुस्काए
    फिर पूजा कैसी हो इसके
    सभी भेद समझाए

    बोले मुझको नहीं चाहिए
    पुष्पों की कोई माला
    अपने मन को "सुमन" बना कर
    अर्पित कर दो बाला

    धूप दीप या बाती की
    मुझे नही दरकार
    श्रद्धा और सबूरी ही मैं
    कर लेता स्वीकार

    दे सको तो अपने सारे अवगुण
    मेरे आगे डालो
    सेवा और त्याग का मार्ग
    जीवन में अपनालो

    वाणी कर लो ऐसी कि तुम
    जब भी मुख को खोलो
    हर प्राणी से मधुर स्वरों में
    मीठी बातें बोलो

    कभी किसी का दिल ना तोडो
    कभी ना करो विवाद
    तेरे कारण किसी जीव को
    कभी ना होवे विषाद

    सीधी सच्ची भक्ति की राह
    दिखलाता हूं तुझको
    पूजा के कोई आडम्बर
    नहीं चाहिए मुझको

    पूर्ण भाव से नत हो कर के
    करो एक ही बार
    ऐसा श्रद्धामय वंदन मैं
    कर लेता स्वीकार

    जय साईं राम




    thank you saisewika ji,

    your post has solved one of my confusion..............thanks.

    om sai ram
    मी पापी-पतित धीमंद । 
    तारणें मला गुरुनाथा, झडकरी ।।
    मुझसा कोई पापी तेरे दर पे ना आया होगा।
    और जो आया होगा, खाली लौटाया ना होगा॥
    ॐ साई राम          اوم ساي رام          ਓਮ ਸਾਈ ਰਾਮ          OM SAI RAM          ॐ साई राम          اوم ساي رام          ਓਮ ਸਾਈ ਰਾਮ          OM SAI RAM          ॐ साई राम          اوم ساي رام          ਓਮ ਸਾਈ ਰਾਮ          OM SAI RAM          ॐ साई राम          اوم ساي رام          ਓਮ ਸਾਈ ਰਾਮ          OM SAI RAM

    Offline Ramesh Ramnani

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      • Sai Baba
    Re: बाबा की यह व्यथा
    « Reply #28 on: January 16, 2008, 08:26:38 AM »
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  • जय सांई राम।।।

    उससे प्यार तो कभी भी किया नहीं जा सकता। उससे प्यार तो अपने आप हो जाता है। दिन और रात... धरती और आसमान,  एक दूसरे के बिना सब अधूरे हैं। सन-सन करती हवाएं,  सुन्दर नजारे,  फूलों की खुशबू ... सभी में छिपा होता है उसका प्यार... कुछ तो प्यार में हारकर भी जीत जाते हैं,  तो कुछ जीतकर भी अपना प्यार हार जाते हैं। लेकिन उसके प्यार में ऐसा नशा है जिसमें जो डूबता है वो ही पार होता है। प्यार पर किसी का वश नहीं होता.... अगर आप भी प्यार महसूस करना चाहते हैं तो डूबिये उसके प्यार में ... दुनिया की सबसे बड़ी नेमत है ढाई आखर का प्यार... जब आप भी मेरे बाबा को चाहने लगेंगे तो उसके दूर होने पर भी आपको उसको अपने नजदीक होने का अहसास होने लगेगा,  हर चेहरे में आप उसका चेहरा ढूंढने की असफल कोशिश करने लगेंगे,  कोई पल ऐसा न गुजरेगा जब उसका नाम आपके होठों पर न रहे... यही तो होता है उसके प्यार में... सुन्दर, सुखद , निश्छल और पवित्र अहसास। पूरी दुनिया के सुख इस प्रेम में समाए हुए हैं। क्यों करेंगे ना उससे प्रेम?  आओ मेरे सांई आपका इन्तज़ार कर रहे है

    अपना सांई प्यारा सांई सबसे न्यारा अपना सांई

    ॐ सांई राम।।।
    अपना साँई प्यारा साँई सबसे न्यारा अपना साँई - रमेश रमनानी

    Offline saisewika

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    Re: बाबा की यह व्यथा
    « Reply #29 on: January 16, 2008, 10:26:02 AM »
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  • ओम साईं राम

    कल रात मेरे सपने मे
    फिर से बाबा आए
    हाथ जोडकर खडी रही मैं
    जडवत शीश नवाए

    बाबा बोले प्रश्न पूछ ले
    कर ना तू संकोच
    जो भी तेरे मन में है
    सब कह दे यूं ना सोच

    श्री चरणों मे नत होकर मैं
    बोली मेरे स्वामी
    कुछ शंकाए मन में हैं
    सुलझाओ अंतरयामी

    कैसे करूं तुम्हारी पूजा
    साईं ये बतलादो
    विधि विधान जैसे भी हों
    भक्तों को समझा दो

    तुमको अर्पण करूं मैं बाबा
    कैसे हों वो फूल
    कोई ऐसा फूल नहीं है
    जिसमें ना हों शूल

    धूप दीप कहां से लाऊं
    जिनमें सुगंध हो पूरी
    बिना सुगंध के मेरी पूजा
    रह ना जाए अधूरी

    कैसे स्वर में मधुर आरती
    गा के तुम्हें पुकारूं
    कागा जैसी मेरी वाणी
    कैसे इसे सुधारूं

    नैवेद्य बनाऊं कैसा जो हो
    मनभावन प्रभु तेरा
    स्वीकारो तुम खुशी खुशी से
    जो चढावा हो मेरा

    इन सारे प्रश्नों को सुनकर 
    बाबा जी मुस्काए
    फिर पूजा कैसी हो इसके
    सभी भेद समझाए

    बोले मुझको नहीं चाहिए
    पुष्पों की कोई माला
    अपने मन को "सुमन" बना कर
    अर्पित कर दो बाला

    धूप दीप या बाती की
    मुझे नही दरकार
    श्रद्धा और सबूरी ही मैं
    कर लेता स्वीकार

    दे सको तो अपने सारे अवगुण
    मेरे आगे डालो
    सेवा और त्याग का मार्ग
    जीवन में अपनालो

    वाणी कर लो ऐसी कि तुम
    जब भी मुख को खोलो
    हर प्राणी से मधुर स्वरों में
    मीठी बातें बोलो

    कभी किसी का दिल ना तोडो
    कभी ना करो विवाद
    तेरे कारण किसी जीव को
    कभी ना होवे विषाद

    सीधी सच्ची भक्ति की राह
    दिखलाता हूं तुझको
    पूजा के कोई आडम्बर
    नहीं चाहिए मुझको

    पूर्ण भाव से नत हो कर के
    करो एक ही बार
    ऐसा श्रद्धामय वंदन मैं
    कर लेता स्वीकार

    जय साईं राम




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    your post has solved one of my confusion..............thanks.

    om sai ram



    ओम साईं राम

    अगर इस दुनिया में कोई
    किसी की उलझन को सुलझाता है
    तो सच जानिये अभिनव भाई
    मेरा साईं ही सुलझाता है

    वो बात और है कि हर बार
    वो खुद सामने नहीं आता है
    किसी भी शख्स को अपना जरिया बनाता है
    उसका हाथ पकडता है और मनचाहा लिखवाता है

    ऐसे वो अपने प्यारे भक्तों की
    गुत्थियों को सुलझाता है
    क्योंकि वो ही परम दयालु है
    करुणा सागर है, दीनों का दाता है

    जय साईं राम

     


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