साईं का नाम लेने से मरना कोई मरना नहीं है वोह तो मुक्ति है जनम और मरण के बन्धनों से. हर भक्त अपने में अजब है, हर भक्त की भक्ति ग़जब है . किसी की भी किसी के साथ कोई भी तुलना नहीं की जा सकती . कोई बस साईं साईं करना चाहता है, कोई बस साईं की ही मूरत निहारना चाहता है, कोई साईं के गुणगान ही हर पल करना चाहता है, कोई बस साईं की लीलाओं में ही खो जाना चाहता है , साईं तो अजब है ही उनके पूरण भक्त भी कम नहीं !
साईंसेविका जी, इतने अद्भुत शब्दों में अपनी प्रीत व्यक्त करते हुए आप हमें भी कुछ समय के लिए जैसे साईं के चरण कमलों से जोड़ देती है . धन्य है आपकी लेखनी . साईं आपकी सभी समरथ कामनाओं को पूरण करें, और आपके माध्यम से हमें अपनी पावन मूरत की अनुभूति कराते रहे !
ॐ श्री साईं राम!