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Author Topic: बाबा की यह व्यथा  (Read 228908 times)

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Offline saisewika

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बाबा की यह व्यथा
« on: December 14, 2007, 04:11:27 PM »
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  • ओम साईं राम

    कल रात मेरे सपने में
    बूढा फ़कीर इक आया
    वेशभूषा तो बाबा सी थी
    पर मुख था मुरझाया

    जीर्ण क्षीण थी बूढी काया
    दिखती थीं सब आंते
    आंखे डबडब भरी हुई थीं
    हाथ कांपते जाते

    एक हाथ टमरैल थमा था
    कंधे पर था झोला
    एक हाथ में सटका था और
    फटा हुआ था चोला

    उनकी हालत देख देख कर
    मन मेरा घबराया
    पूछा बाबा क्या कर डाला
    ये क्या हाल बनाया

    दुखी स्वरों में बाबा बोले
    तुमको क्या बतलाऊं
    क्या क्या मुझको भक्त बोलते
    बतलाते शरमाऊं

    कोई कहता मैनें उसको
    धोखा बहुत दिया है
    कोई कहता मेरे कारण
    वो पीडा में जिया है

    कोई कहता मैंने उसकी
    झोली रक्खी खाली
    कोई कहता दुखी ज़िंदगी
    मैंने है दे डाली

    कोई मर्म ना जाने मेरा
    कैसे मैं समझाऊं
    सुख दुख सब कर्मों का फल है
    कैसे मैं बतलाऊं

    फिर भी मैं कोशिश करता हूं
    उनके दुख मैं ले लूं
    उनको जो भी कष्ट भोगने
    मैं ही उनको झेलूं

    ऐसी बातें सुन सुन कर
    है फटती मेरी छाती
    दोषारोपण ऐसा पाकर
    रूह कांपती जाती

    अब मैं पछताता हूं क्यों मैं
    इस धरती पर आया
    क्यों भक्तों के पाप काटने
    तन मानव था पाया

    भक्तों ने जो घाव दिये हैं
    उनसे टूटा मन है
    पाप कर्म सब उनका ढोते
    बोझिल मेरा तन है

    देखो उनके दुख हैं मैंने
    इस झोली में डाले
    उनको ढोते ढोते मेरे
    पडे पैर में छाले

    अपने ऊपर दुख ओढता
    उफ़ ना मैं करता हूं
    मैं ही उनका दुख हरता हूं
    मैं ही सुख करता हूं

    फिर भी मेरे भक्त समझते
    मैं दोषी हूं उनका
    केवल सुख ही सुख चाहता
    हर पल हर दिन जिनका

    बाबा की यह व्यथा जानकर
    मन मेरा भी कांपा
    रोम रोम में दुख का सागर
    मुझमें भी आ व्यापा

    बाबा के चरणों में गिरकर
    फूट फूट मैं रोई
    बाबा हमको माफ करो तुम
    तुम बिन और ना कोई

    नहीं जानते हैं वो बाबा
    जो ये सब हैं कहते
    शायद वो घबरा जाते हैं
    दुख दर्द को सहते

    भक्तों के मन की आखों को
    स्वामी तुम ही खोलो
    पत्ते पत्ते में कण कण में
    भक्ती रस को घोलो

    हम तो दाता इतना चाहें
    कुछ ऐसा तुम कर दो
    जब भी हाथ पसारे
    दरशन चाहें ऐसा वर दो

    इससे कुछ ज़्यादा ना चाहें
    ना धन, यश ना मान
    देना है तो स्वामी दे दो
    श्री चरणों में स्थान

    जय साईं राम

    Admin: This poem is published on Sai Baba Blog:
    http://www.shirdi-sai-baba.com/sai/कविताये/बाबा-की-यह-व्यथा-t26.0.html
    « Last Edit: December 15, 2007, 12:44:07 AM by Jyoti Ravi Verma »

    Offline JR

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    • सांई की मीरा
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    Re: बाबा की यह व्यथा
    « Reply #1 on: December 15, 2007, 12:01:17 AM »
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  • Jai Sai Ram Saisewika Ji,

    अरे वाह दिल खुश कर दिया आपने । बहुत सही लिखा है आपने ।  सच में बाबा भी कितना कष्ट झेलते है हमारे लिये ।  फिर भी हम सभी हमेशा सिर्फ बाबा को ही दोष देते रहते है ।

    बाबा सभी का ध्यान रखते है और सदा अपने भक्तों पर इसी तरह दया बनाये रखे ।

    रक्षा करें बाबा ।

    Jai Sai Ram.


    इससे कुछ ज़्यादा ना चाहें
    ना धन, यश ना मान
    देना है तो स्वामी दे दो
    श्री चरणों में स्थान

    जय साईं राम
    सबका मालिक एक - Sabka Malik Ek

    Sai Baba | प्यारे से सांई बाबा कि सुन्दर सी वेबसाईट : http://www.shirdi-sai-baba.com
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    Offline Ramesh Ramnani

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      • Sai Baba
    Re: बाबा की यह व्यथा
    « Reply #2 on: December 15, 2007, 01:38:49 AM »
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  • जय सांई राम।।।

    कभी कभी दर्द बयां नही होता बस आह निकलती है वही हाल अभी अभी मेरा हुआ है सुरेखा रचित बाबा की मर्म दास्तान पढ़कर। वाह सुरेखा वाह! जिस बात को मैं अक्सर टुकड़ों-टुकड़ों मे कहता था आज तुमने पिरो दिया अपने प्यार से भरे शब्दों में! बाबा से भक्ति एक व्यापार, सौदेबाज़ी सी हो गई है, बस हर कोई अपना दुखड़ा, अपना रोना लिये तैयार सा बैठा है। एक तरफ से दे - एक तरफ से ले! मानो सब छलावा सा कर रहे है मेरे भोले भाले बाबा सांई से! सच में किसी को कोई फिक्र ही नही मेरे सांई की। काश कोई समझ पाये मेरे दयालु बाबा के करूणामयी रुप को।

    अपना सांई प्यारा सांई सबसे न्यारा अपना सांई

    ॐ सांई राम।।।
    अपना साँई प्यारा साँई सबसे न्यारा अपना साँई - रमेश रमनानी

    Offline saisewika

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    Re: बाबा की यह व्यथा
    « Reply #3 on: December 15, 2007, 01:04:46 PM »
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  • ओम साईं राम

    धन्यवाद ज्योति जी, रमेश भाई जी

    बाबा की असीम कृपाओं के लिये वो शब्द ही नहीं मिलते जो उनका शुक्रिया
    अदा कर सकें. बस इतना कह सकती हूं कि -

    वो वीतरागी वो महात्यागी
    फटी कफ़नी में ज़िंदगी गुज़ार गया
    शरण उसकी जो भी आया
    उसका जीवन सुधार गया

    पर वाह रे भक्तों तुमने उनको
    कैसा सिला दिया है
    उनकी रहमतों के बदले
    सिर्फ गिला ही किया है

    फिर भी वो वैरागी बाबा
    दुख सबके लेता है
    बदले में अपने बच्चों को
    खुशियां ही देता है

    शुक्रिया ओ परम दयालु
    धन्यवाद है तेरा
    रोम रोम से शत शत प्रणाम
    बाबा तुम्हें हो मेरा

    जय साईं राम

    Admin: This poem is published on Sai Baba Blog:
    http://www.shirdi-sai-baba.com/sai/कविताये/वो-वीतरागी-वो-महात्यागी-t27.0.html
    « Last Edit: December 21, 2007, 10:23:24 AM by Jyoti Ravi Verma »

    Offline tana

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    • ~सांई~~ੴ~~सांई~
      • Sai Baba
    Re: बाबा की यह व्यथा
    « Reply #4 on: December 17, 2007, 01:54:24 AM »
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  • ॐ सांई राम~~~

    सुरेखा जी,
    सांई राम~~~

    कोई शब्द ही नहीं है क्या बोलूं....बस ये पढ़ कर आँखे नम है और दिल में ये तङप है...

    बाबा की ये व्यथा पढ़,
    मेरा दिल बङा ही तङपा,
    दिल पर चोट लगी कुछ ऐसी,
    मन से रूदन फूटा...

    कब हुआ,कैसे हुआ हम से
    इतना बाबा को तङपाया,
    ना सोचा ना समझा
    कैसे बाबा को रूलाया...

    बार बार समझाते बाबा
    सब कर्मों का फल है,
    फिर भी हर बार हमने बस
    बाबा को ही कोसा...

    ये ना दिया वो ना दिया...
    हाए....मेरे सांई...मेरे करूणामयी बाबा,
    कैसे इतना तङपाया.....
    क्यों ना समझे अब तक हम,
    बाबा के मन की व्यथा...

    आज हम सब करते वादा
    बस सांईमय हो जाए,
    रात -दिन बस सांई सांई करे
    ज़िन्दगी यूँ ही बिताए....

    सिर्फ इतना मांगे बाबा से कि
    जब भी हम इस जग से जाए
    मन से तुझे ध्याए और मूँह से सांईराम सांईराम गाए,
    हाथ सदा सिर पर हो तेरा
    तेरे चरणों में सीस नवाए,
    और बस तेरे ही हो जाए....

    अब हम सांईमय हो जाए...बस अब सांई मय हो जाए~~~~

    जय साईं राम ~~~


    http://www.shirdi-sai-baba.com/sai/कविताये/बाबा-की-ये-व्यथा-पढ़-t28.0.html
           
    « Last Edit: December 21, 2007, 10:22:29 AM by Jyoti Ravi Verma »
    "लोका समस्ता सुखिनो भवन्तुः
    ॐ शन्तिः शन्तिः शन्तिः"

    " Loka Samasta Sukino Bhavantu
    Aum ShantiH ShantiH ShantiH"~~~

    May all the worlds be happy. May all the beings be happy.
    May none suffer from grief or sorrow. May peace be to all~~~

    Offline saisewika

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    Re: बाबा की यह व्यथा
    « Reply #5 on: December 17, 2007, 12:49:46 PM »
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  • ओम साईं राम

    अनु जी
    बहुत सही कहा है आपने इससे आगे और कुछ कहने को नही है-----

    आज शब्द मौन हैं
    विचार शून्य हो चुके
    क्या कहूं कैसे कहूं
    शब्द अर्थ खो चुके

    तो चलो वाणी को विश्राम दें
    श्री चरणों पर ध्यान दें
    साईं साईं रटते जाएं
    भक्ती को सोपान दें

    कुछ नहीं कहें कुछ नहीं सुने
    ये दुनियादारी रहने दें
    बस श्रद्धा से नतमस्तक हों
    और भक्ती भाव को बहनें दें

    जय साईं राम
    http://www.shirdi-sai-baba.com/sai/कविताये/आज-शब्द-मौन-हैं-t29.0.html
    « Last Edit: December 21, 2007, 10:23:55 AM by Jyoti Ravi Verma »

    Offline Ramesh Ramnani

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      • Sai Baba
    Re: बाबा की यह व्यथा
    « Reply #6 on: December 18, 2007, 12:01:50 AM »
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  • जय सांई राम।।।

    हर बार की तरह फिर
    सुरेखा बहन जी आई हैं
    फोरम को निशब्दों का
    एक नया आयाम देने...

    बाबा सांई जिनके साथ हो
    उन मतवालों दीवानों को....

    बिना कहे सब कुछ
    कहना आ जाता है
    बिना बताये सब कुछ
    बताना आ जाता है....

    जिस तरह रोशनी
    के पास बैठो
    रोशनी खुद ब खुद
    रोऐं रोऐं को
    सर्पश कर जाये मानो...

    द्वारकामाई वाली सुगंध
    चाहे तुम्हारे नासापुट
    सक्रिय न भी हों
    तुम्हारे फेफड़ों तक पहुंच जाए...

    वाह सुरेखा वाह...

    तुम्हारे निशब्दों में भी बाबा सांई का वास हो।

    अपना सांई प्यारा सांई सबसे न्यारा अपना सांई

    ॐ सांई राम।।।

    http://www.shirdi-sai-baba.com/sai/कविताये/हर-बार-की-तरह-फिर-t31.0.html
    « Last Edit: December 21, 2007, 10:27:33 AM by Jyoti Ravi Verma »
    अपना साँई प्यारा साँई सबसे न्यारा अपना साँई - रमेश रमनानी

    Offline saisewika

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    Re: बाबा की यह व्यथा
    « Reply #7 on: December 18, 2007, 11:16:47 AM »
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  • ओम साईं राम

    बाबा जी के दोहे----------


    मन्दिर मस्जिद जोड के
    द्वारका देइ बनाय
    सबका मालिक एक है
    साईं दियो समझाय

    गोदावरी के तीर की
    महिमा दस दिस छाई
    प्रभु स्वयं ही प्रगट हुए
    नाम धराया साईं

    तीन वाडों के बीच में
    हरि करते विश्राम
    तांता भक्तों का लगा
    शिरडी बन गई धाम

    हिन्दु हैं या यवन हैं
    बाबा नहीं बतलाए
    जैसी जाकी भावना
    तैसो दरशन पाए

    चन्दन उत्सव जोड दिया
    रामनवमी के संग
    हिन्दु मुसलिम प्रेम का
    खूब जमा फिर रंग

    पाप ताप संताप का
    करने हेतु अंत
    बाबा चक्की पीसते
    देखे हेमाडपंत

    चक्की में आटा पिसा
    मेढ दियो बिख्रराय
    शिरडी से सभी व्याधी को
    साईं दियो भगाय

    पोथी पढे नहीं होत है
    अग्यानी को ग्यान
    सदगुरु जिसके ह्रदय बसे
    ताको ग्यानी जान

    द्वारकामाई की गोद मे
    बैठो कर विश्वास
    सबके पापों का माई
    कर देती है नाश

    समाधि मंदिर की सीढी पर
    रख देते जो पांव
    उनके जीवन दुख का
    रहे ना कोई ठांव

    सब जीवों में देखे जो
    साईं राम का वास
    उसके ह्रदय में साईं
    आप ही करे निवास

    दास गणु क्यूं जात हो
    प्रयाग काशी आप
    गंगा जमना यहीं रहे
    श्री चरणों में व्याप

    तेली तुमने दिया नहीं
    साईंनाथ को तेल
    पानी से दीपक जले
    लीला के थे खेल

    चोलकर शक्कर छोड के
    जोडे पाई पाई
    अंतरयामी साईं ने
    कर दीन्ही भरपाई

    जो जन की निंदा करे
    ऐसो ही गति पाए
    जैसे कूडा ढेर से
    शूकर विष्ठा खाए

    पूजन चिन्तन मनन का
    जो करता अभ्यास
    साईं उसके साथ हैं
    साईं उसके पास

    मर्म दक्षिणा जान लो
    पूरा लो पहचान
    कर्मबन्ध के काटने
    साईं लेते दान

    नश्वर ये संसार है
    मोह माया को त्याग
    यही बताने को साईं
    ऊदी दियो परसाद

    धूप दीप का थाल ले
    जोग खडे प्रभु द्वार
    तांत्या चंवर ढुला रहे
    नाना है बलिहार

    जय साईं राम

    http://www.shirdi-sai-baba.com/sai/कविताये/बाबा-जी-के-दोहे-t32.0.html
    « Last Edit: December 21, 2007, 10:27:07 AM by Jyoti Ravi Verma »

    Offline Apoorva

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    Re: बाबा की यह व्यथा
    « Reply #8 on: December 18, 2007, 02:17:31 PM »
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  • अद्भुत, आपके ऊपर माँ सरस्वती की असीम कृपा है |
    संतचरित्र के रचेयता से परमात्मा अति प्रस्सन होते है |
    साधुचरित्र शुभ सरिस कपासू | नीरस विषद गुणमाय फल जासू ||
    जो सहि दुःख पर छिद्र दुरावा | वन्दनीय जेहि जग जस पावा ||
    -- तुलसीदास
    आपको नमन
    गुरुर्ब्रम्हा गुरुर्विष्णु गुरुर्देवो महेश्वराः |
    गुरुः साक्षात्परब्रम्ह तस्मै श्रीगुरवे नमः ||

    Offline saisewika

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    Re: बाबा की यह व्यथा
    « Reply #9 on: December 20, 2007, 10:36:20 AM »
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  • ओम साईं राम

    अपूर्वा जी

    धन्यवाद

    नमन की पात्र मैं नहीं साईं नाथ हैं. नमन के पात्र वो सभी भक्त जन हैं जिन्हें ये कविताएं इसलिये अच्छी लगती हैं क्यूंकि इनमें साईं जी की स्तुति है और वो हर साईं भक्त करना चाहता है. मुझे तो इस फ़ोरम की हर पोस्ट" गुड कर्मा" लगती है क्यूंकि उसमें साईंनाथ का नाम होता है.. चाहे अखंड साईं नाम जाप में कोई जाप करे, बाबा जी के बारे मे लेख , कविता कुछ भी लिखे हर पोस्ट गुड कर्मा है वो " नाट सो गुड पोस्ट" हो ही नही सकती क्युंकि उसमें साईं नाथ जी के प्रति भक्ती भाव जुडा है.. इसलिये नमन है इस फोरम के एक एक भक्त को..

    जय साईं राम

    Offline saisewika

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    Re: बाबा की यह व्यथा
    « Reply #10 on: December 24, 2007, 07:21:59 AM »
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  • ओम साईं राम

    शिरडी नाम का छोटा सा
    एक गांव है प्यारा
    उसके अंदर समाधी मंदिर
    अद्भुत अनुपम न्यारा

    उसके अंदर साईं बैठे
    मंद मंद मुस्काएं
    जिनको उनसे मिलना है
    वो शिरडी धाम को आए

    समाधी मंदिर में बैठे बाबा
    देख रहे हैं राह
    भक्तों से मिलने की
    भगवन भी रखते हैं चाह

    द्वारका माई में बैठे बाबा
    ताप रहे हैं सेक
    श्री चरणों में शीश झुकाकर
    माथा तुम लो टेक

    चावडी में बैठे बाबा
    करते हैं विश्राम
    नैनों को शीतल करने को
    पहुंचो शिरडी धाम

    नीम तले हैं बैठे बाबा
    देखो आंखे मूंद
    भक्ती रस की चख लो आकर
    हर इक पावन बूंद

    पालकी में बैठे बाबा
    देख रहे चहुं ओर
    बाबा की अद्भुत लीला का
    पावे ना कोई छोर

    बाबा जा रहे हैं करने
    लैंडी बाग की सैर
    जल्दी जल्दी कदम बढाओ
    पकडो उनके पैर

    अहोभाग्य हमारा हमने
    दर्शन पाये न्यारे
    जितने भी थे पूरे हो गये
    नैनों के सपने प्यारे


    जय साईं राम

    http://www.shirdi-sai-baba.com/sai/कविताये/शिरडी-नाम-का-छोटा-सा-t42.0.html

    « Last Edit: December 24, 2007, 11:51:28 PM by Jyoti Ravi Verma »

    Offline saisewika

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    Re: बाबा की यह व्यथा
    « Reply #11 on: December 29, 2007, 01:32:00 PM »
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  • ओम साईं राम

    ये शोर क्यूं मचा है
    ये बवंडर क्यूं उठा है
    ये कैसा है विवाद
    ये कैसा है फ़साद 

    क्या दुनिया में ऐसा
    पहली बार हुआ है
    कि इश्क ने किसी आशिक के
    दिल को छुआ है

    एक सोने के सिंहासन को
    मुद्दा बना डाला
    एक बेमानी सवाल को
    बेमतलब ही उछाला

    जो स्वामी है सारे जग का
    राजाओं का है राजा
    वो महामहिम है दाता
    धन्वन्तरी महाराजा

    मोहताज नहीं यकीनन
    वो ऐसी सौगातों का
    पर है ख़्याल रखता
    भक्तों के जज़्बातों का

    कर लेता है कबूल
    जो भी करो तुम अर्पण
    बस भक्ती भाव हो पूरा
    और पूर्ण हो समर्पण

    अगर वो ना चाहे
    तो पत्ता तक ना हिलता
    ना धरती अम्बर होता
    ना मानव जीवन मिलता

    फिर क्यूं हम खुद ही
    इस बहस को बढाएं
    भक्ती के सिंहासन में
    विवादों के जोडें पाये

    बाबा के साथ कृप्या
    ना राजनीति जोडें
    रहने दें ज़ोर आज़माइश
    ये रस्साकशी छोडें

    बाबा को अपने मन के
    सिंहासन पर बैठाएं
    मालिक वो सारे जग का
    उस से ही लौ लगाएं

    जय साईं राम

    Offline saisewika

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    Re nav varsh ki badhai
    « Reply #12 on: December 31, 2007, 02:50:53 PM »
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  • ओम साईं राम



    नव वर्ष की प्रथम बधाई
    तुमको हो साईं नाथ
    द्वितीय मेरे मात पिता को
    जिनका आशिष साथ

    फिर बाबा के भक्त जनों को
    नव वर्ष की बधाई
    सब भक्तों के अंग संग
    सोहे सर्व सहाई

    अति सुखद हो मंगलमय हो
    नया चढा जो साल
    संतति विहीनों के आंगन में
    खेले बाल गोपाल

    कोई भी दुखिया ना होवे
    ना होवे लाचार
    आधि व्याधि दूर हटाएं
    साईं सर्वाधार

    पूरण हों सबकी आशाएं
    खुशियां हो बेअंत
    शुभ कर्मों की वृद्धि हो
    पापों का होवे अंत

    श्रद्धा और सबूरी का
    मनों में हो प्रकाश
    भक्ती भाव भरपूर रहे
    और पूरा हो विश्वास

    दुनिया के सब मुल्कों में
    शांति हो समृद्धि हो
    आतंकवाद का नाश हो
    भाईचारे की वृद्धि हो

    हाथ जोड कर तुमसे विनती
    करते हम सरकार
    हर प्राणी के हृदय में
    भर दो करुणा प्यार

    जय साईं राम


    Offline SaiServant

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      • Sai Baba
    Re: Re nav varsh ki badhai
    « Reply #13 on: December 31, 2007, 03:51:58 PM »
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  • ओम साईं राम



    नव वर्ष की प्रथम बधाई
    तुमको हो साईं नाथ
    द्वितीय मेरे मात पिता को
    जिनका आशिष साथ

    फिर बाबा के भक्त जनों को
    नव वर्ष की बधाई
    सब भक्तों के अंग संग
    सोहे सर्व सहाई

    अति सुखद हो मंगलमय हो
    नया चढा जो साल
    संतति विहीनों के आंगन में
    खेले बाल गोपाल

    कोई भी दुखिया ना होवे
    ना होवे लाचार
    आधि व्याधि दूर हटाएं
    साईं सर्वाधार

    पूरण हों सबकी आशाएं
    खुशियां हो बेअंत
    शुभ कर्मों की वृद्धि हो
    पापों का होवे अंत

    श्रद्धा और सबूरी का
    मनों में हो प्रकाश
    भक्ती भाव भरपूर रहे
    और पूरा हो विश्वास

    दुनिया के सब मुल्कों में
    शांति हो समृद्धि हो
    आतंकवाद का नाश हो
    भाईचारे की वृद्धि हो

    हाथ जोड कर तुमसे विनती
    करते हम सरकार
    हर प्राणी के हृदय में
    भर दो करुणा प्यार

    जय साईं राम





    Jai Sai Ram!!

    Sai bhaktoan ko nav varsh ki badhai!! Saisewika ji ki rachna bahut sunder hai. Iss ke liye unka bahut dhanyawaad!!

    Happy New Year to dear brothers and sisters! May Baba be with us always!!

    Om Sai Ram!!

     :) :) :) :) :)





    Offline tana

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      • Sai Baba
    Re: Re nav varsh ki badhai
    « Reply #14 on: December 31, 2007, 11:07:18 PM »
  • Publish
  • ओम साईं राम



    नव वर्ष की प्रथम बधाई
    तुमको हो साईं नाथ
    द्वितीय मेरे मात पिता को
    जिनका आशिष साथ

    फिर बाबा के भक्त जनों को
    नव वर्ष की बधाई
    सब भक्तों के अंग संग
    सोहे सर्व सहाई

    अति सुखद हो मंगलमय हो
    नया चढा जो साल
    संतति विहीनों के आंगन में
    खेले बाल गोपाल

    कोई भी दुखिया ना होवे
    ना होवे लाचार
    आधि व्याधि दूर हटाएं
    साईं सर्वाधार

    पूरण हों सबकी आशाएं
    खुशियां हो बेअंत
    शुभ कर्मों की वृद्धि हो
    पापों का होवे अंत

    श्रद्धा और सबूरी का
    मनों में हो प्रकाश
    भक्ती भाव भरपूर रहे
    और पूरा हो विश्वास

    दुनिया के सब मुल्कों में
    शांति हो समृद्धि हो
    आतंकवाद का नाश हो
    भाईचारे की वृद्धि हो

    हाथ जोड कर तुमसे विनती
    करते हम सरकार
    हर प्राणी के हृदय में
    भर दो करुणा प्यार

    जय साईं राम



    ॐ सांई राम~~~

    नव वर्ष की मंगल बेला पर मागें यही वरदान,
    हर कर्त्तव्य करे हम पूरा,
    बस रटते हुए सांई राम ,सांई राम,
    जिंदगी यूँ ही बीते हमारी जपते तेरा नाम....
    सुख शांति सब को मिले पूर्ण हो सब के काम...



    जय सांई राम~~~
    « Last Edit: December 31, 2007, 11:14:24 PM by tana »
    "लोका समस्ता सुखिनो भवन्तुः
    ॐ शन्तिः शन्तिः शन्तिः"

    " Loka Samasta Sukino Bhavantu
    Aum ShantiH ShantiH ShantiH"~~~

    May all the worlds be happy. May all the beings be happy.
    May none suffer from grief or sorrow. May peace be to all~~~

     


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