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Author Topic: बाबा की यह व्यथा  (Read 228932 times)

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  • साई राम اوم ساي رام ਓਮ ਸਾਈ ਰਾਮ OM SAI RAM
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Re: बाबा की यह व्यथा
« Reply #120 on: July 12, 2009, 04:30:47 PM »
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  • Sau Ram

    As usual as wonderful as SAI himself.

    Thanks a lot for sharing with devotees.

    Sai Ram

    Offline saisewika

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    Re: बाबा की यह व्यथा
    « Reply #121 on: July 14, 2009, 07:32:03 AM »
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  • SAIRAM Ravi bhai

    Thanks.... Can you please post it in the next issue of SAMARPAN.


    JAI SAI RAM


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    • साई राम اوم ساي رام ਓਮ ਸਾਈ ਰਾਮ OM SAI RAM
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    Re: बाबा की यह व्यथा
    « Reply #122 on: July 14, 2009, 09:04:00 AM »
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  • Sai Ram Ji

    it's alreday in :)

    Sai Ram

    SAIRAM Ravi bhai

    Thanks.... Can you please post it in the next issue of SAMARPAN.


    JAI SAI RAM



    Offline Ramesh Ramnani

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      • Sai Baba
    Re: बाबा की यह व्यथा
    « Reply #123 on: July 18, 2009, 08:34:00 AM »
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  • जय सांई राम।।।
     
    अति सुन्दर। बहुत खूब। शब्दों को पिरोने में ज़वाब नही अपनी सुरेखा बहन का।   

    अपना सांई प्यारा सांई सबसे न्यारा अपना सांई

    ॐ सांई राम।।।
    अपना साँई प्यारा साँई सबसे न्यारा अपना साँई - रमेश रमनानी

    Offline saikripa.dimple

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    • Om Sai Ram
    Re: बाबा की यह व्यथा
    « Reply #124 on: July 21, 2009, 02:04:43 AM »
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  • Nahi dukh unko kabhi sata paaye
    jo bhi sai sharan mein aaye

    muskraate hue yeh jeevan bitaye
    dukh toh paas bhatak bhi naa paye
     ik baar agar tu sai ko apnaaye

    bhul kar yeh duniya
    bhul kar rishtedaari
    ho ja magan , sai ki masti me
    phir dekh kya rang laati  hai
    yeh saari duniya sai ki shakti se

    bhul ja ki ye sab hai tere liye
    bhul ja ki ye zindagi teri hai
    bas yaad rakh , toh Sai ka naam
    hota hai kya, phir dekh
    Sai ki marzi se..........

    hai bahut sundar, suhana woh safar
    jisme Sai saath saath chale
    jab gire woh uthaye, kabhi humko sambhale
    jab tadpane lage, toh, gale se lagaye

    har pyar toh hume unhi se mila hai
    yeh toh duniya toh bas, dukh hi deti
    toh q naa hum bhi sai me mil jaaye
    kar le sarthak ye jeevan
    sai charno me apna sheesh jhukaye

    Jai Sai Nath
    Jai Sai Ram
    Sai teri "Kami" bhi hai, tera "Ehsaas" bhi hai....

    Sai tu "Door" bhi hai mujhse par "Paas" bhi hai......

    Khuda ne yun nwaza hai teri "Bhakti" se mujhko.....

    Kii.............

    Khuda ka "Shukr" bhi hai aur khud pe "Naaz" bhi hai..

    Offline saisewika

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    Re: बाबा की यह व्यथा
    « Reply #125 on: July 21, 2009, 03:50:03 PM »
  • Publish
  • Nahi dukh unko kabhi sata paaye
    jo bhi sai sharan mein aaye

    muskraate hue yeh jeevan bitaye
    dukh toh paas bhatak bhi naa paye
     ik baar agar tu sai ko apnaaye

    bhul kar yeh duniya
    bhul kar rishtedaari
    ho ja magan , sai ki masti me
    phir dekh kya rang laati  hai
    yeh saari duniya sai ki shakti se

    bhul ja ki ye sab hai tere liye
    bhul ja ki ye zindagi teri hai
    bas yaad rakh , toh Sai ka naam
    hota hai kya, phir dekh
    Sai ki marzi se..........

    hai bahut sundar, suhana woh safar
    jisme Sai saath saath chale
    jab gire woh uthaye, kabhi humko sambhale
    jab tadpane lage, toh, gale se lagaye

    har pyar toh hume unhi se mila hai
    yeh toh duniya toh bas, dukh hi deti
    toh q naa hum bhi sai me mil jaaye
    kar le sarthak ye jeevan
    sai charno me apna sheesh jhukaye

    Jai Sai Nath



    very nice saikripa.dimpleji


    JAI SAI RAM

    Offline saisewika

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    Re: एक विनती
    « Reply #126 on: July 21, 2009, 03:53:54 PM »
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  • ॐ साईं राम

    बस इतना ही मांगा है
    साईं तेरी दासी ने
    पावन चरणों की धूलि ने
    शुभ दर्शन की प्यासी ने

    साईं अपने भक्त जनों में
    मुझको भी शामिल कर लो
    सच्ची भक्ति मैं कर पाऊँ
    देवा मुझको ये वर दो

    जग की कोई आशा तृष्णा
    मुझे ना विचलित करने पाए
    वैभव या कोई महा प्रलोभन
    साईं कभी ना मुझे लुभाए

    "मैं" मर जाए साईं मेरा
    अहम भाव का नाश हो
    पर निंदा कर पाऊँ किसी की
    ऐसा ना अवकाश हो

    भक्ति का दिखावा ना हो
    आडम्बर में पडूं नहीं
    जो भी तुमने शिक्षा दी है
    जीवन में बस करूँ वही

    नाम तेरे की जोत अखंड से
    मन का दूर अंधेरा हो
    ज्ञान चक्षु खुल जाएं मेरे
    जीवन मे नया सवेरा हो

    मुझमें और तुझमें हे साईं
    अब ना कोई दूरी हो
    क्षण भर भी मैं भूलूं तुझको
    ऐसी ना मजबूरी हो

    आगम, अस्तित्व, अस्त मेरा
    तुझसे ही बस जुडा रहे
    कभी किसी क्षण जीव मेरा
    तुझसे ना कभी जुदा रहे

    शांत भाव , एकांत वास में
    साईं तुझको ध्याऊँ मैं
    ध्याता तू है, ध्येय भी तू ही
    साईं तुझको पाऊँ मैं

    गत जन्मों के सारे बन्धन
    दाता अब तो तोडो तुम
    अधम जीव को पार लगा दो
    बीच भंवर ना छोडो तुम

    जय साईं राम

    Offline saisewika

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    भरोसा
    « Reply #127 on: July 27, 2009, 09:56:21 AM »
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  • ॐ साईं राम

    मुझे भरोसा है तेरा
    हे साईं अभिराम
    तपता सूरज सिर पर हो
    या ढलती हो शाम

    पूरा है विश्वास कि
    तुम हो मेरे साथ
    जो मैं गिर भी जाऊँ तो
    तुम्ही संभालो नाथ

    विपदा का चाहे समय हो
    या कष्ट हो घोर
    मुझे भरोसा है साईॅ
    तुम हो मेरी ओर

    बीच अकेला छोड दें
    सारे बंधु सुजान
    तुम ना मुझ को छोडोगे
    मेरे साईं राम

    आधि व्याधि तू हरे
    तू ही दोष निवारे
    मुझे भरोसा है साईं
    तू मुझे करे किनारे

    मुझसे पहले जान ले
    क्या हित में है मेरे
    पूर्ण भरोसा मैं करूँ
    साईं करुणाप्रेरे

    काल कराल खडा रहे
    चाहे मेरे द्वारे
    तेरे भरोसे जीवन है
    तू मारे या तारे

    मेरा भरोसा रहे अटल
    दिन दिन होवे गहरा
    इस जीवन पर सदा रहे
    श्री साईं का पहरा

    एकांत वास में बैठ कर
    सात समन्दर पार
    तेरे भरोसे मैं जिऊँ
    हे सच्ची सरकार

    जय राम साईं

    Offline saisewika

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    Re: बाबा की यह व्यथा
    « Reply #128 on: July 29, 2009, 02:02:10 PM »
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  • ॐ साईं राम

    बहुत कुछ कहना है तुमसे बाबा
    पर कह नही पाती हूँ
    अक्सर शब्दों का पीछा करते करते
    थक सी जाती हूँ

    बैठ जाती हूँ फिर यूँ ही
    चुपचाप, गुमसुम
    तभी होले से,पीछे से
    आ जाते हो तुम

    कुछ नईं पँक्तियां
    मेरे कानों मे गुनगुनाते हो
    शब्दों के ताने बाने
    मुझे तुम सुनाते हो

    थमा देते हो लेखनी
    फिर मेरे हाथों में
    चढ जाते हैं कई शब्द
    ज़िन्दगी के खातों में

    तुम्हारी मीठी सी महक लेकर
    फिर नई कविता उभर आती है
    बस यूँ ही तेरे ख्यालों में
    ये उम्र गुज़री जाती है

    जय साईं राम

    Offline Ramesh Ramnani

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    Re: बाबा की यह व्यथा
    « Reply #129 on: July 30, 2009, 07:55:34 AM »
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  • जय सांई राम।।।
     
    एक बार फिर लाजवाब कृति। अति सुन्दर। बहुत खूब। बाबा की प्यारी दुलारी लाडली अपनी सुरेखा बहन। बाबा सदा कृपा बनाये रखें। 

    अपना सांई प्यारा सांई सबसे न्यारा अपना सांई

    ॐ सांई राम।।।
    अपना साँई प्यारा साँई सबसे न्यारा अपना साँई - रमेश रमनानी

    Offline saisewika

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    Re: HAPPY FRIENDSHIP DAY
    « Reply #130 on: August 01, 2009, 04:46:18 PM »
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  • ॐ साईं राम

    सखा भाव से कीजिेए
    साईं हमें स्वीकार
    मित्र रूप में दीजिए
    हमको अपना प्यार

    दोस्त बना लो हमको साईं
    जैसे भक्त थे शामा
    तुम्हीं हमारे कृष्ण हो साईं
    समझो हमें सुदामा

    योग्य बना दो,क्षमता दे दो
    तुम्हें दोस्त हम कह लें
    एक दिवस तो संग में तेरे
    सखा रूप में रह लें

    तुमसे दिल की बातें कर लें
    सारे सुख दुख बांटे
    इस मित्र दिवस को साईं
    आओ ऐसे काटें

    जय साईं राम

    Offline Ramesh Ramnani

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      • Sai Baba
    Re: बाबा की यह व्यथा
    « Reply #131 on: August 01, 2009, 11:19:10 PM »
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  • जय सांई राम।।।
     
    दोस्त रूप में
    साथ ही तो हूँ सदा तुम्हारे
    बोलता भी हूँ
    तुम सुनते भी हो
    लेकिन, निश्चय ही अभी समझ
    नही पाते हो
    एक द्वार है नया
    आयाम है अपरिचित
    भाषा है अनजान
    पर धैर्य रखो
    धीरे धीरे सब समझ पाओगे
    शब्दहीन संवाद मे दीक्षा दे रहा हूँ
    मौन हो सुनते रहो
    समझने की अभी चिन्ता ही न करो
    क्योंकि उससे भी मौन भंग होता है
    और, मन गति करता है
    अभी तो बस सुनो ही
    क्योंकि मनमीत
    हो मेरे सदा
    भेद नही है तुममें
    मुझमे

    अपना सांई प्यारा सांई सबसे न्यारा अपना सांई

    ॐ सांई राम।।।
    अपना साँई प्यारा साँई सबसे न्यारा अपना साँई - रमेश रमनानी

    Offline saisewika

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    Re: तेरे नाम का तराना
    « Reply #132 on: August 07, 2009, 06:35:11 AM »
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  • ॐ साईं राम

    इस देह में हे साईं
    जो सांसें आती जाती हैं
    संग संग में मेरे देवा
    बस तुझको ही ध्याती हैं

    हर श्वास श्वास मेरी
    साईं तुझको है पुकारे
    तू खुद ही आ के सुन ले
    मेरे मीत मेरे प्यारे

    हाँ मुझमें गूँजता है
    तेरे नाम का तराना
    मेरी साँसे गाती रहती
    हैं तेरे नाम का ही गाना

    मेरे दिल की धडकनें भी
    हर पल है ताल देती
    हाथों से बजती ताली
    सुर लय का काम देती

    जय साईं राम कह कर
    मैं झूम सी हूँ जाती
    तेरा नाम ले के देवा
    हर सुख मैं हूँ पाती

    बन के मेरा सहारा
    साईं गीत बन गया है
    मैं गुनगुनाती रहती हूँ
    वो संगीत बन गया है

    ये अरज है तुमसे बाबा
    ये लय ना मेरी टूटे
    चलता रहे तराना
    जब तक ये सांस छूटे

    जय साईं राम

    Offline Ramesh Ramnani

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      • Sai Baba
    Re: बाबा की यह व्यथा
    « Reply #133 on: August 08, 2009, 08:06:28 AM »
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  • जय सांई राम।।।

    एक बार फिर नमन् सांई के गीतों को गुनगुनाने वालों को।

    मांग रहे है लोग-मदिंरो में, मस्ज़िदों मे, गुरूद्वारों मे, शिवालयों में, प्रार्थना नही हो रही है। मंदिर-मस्ज़िद मे जाता ही गलत आदमी है। जिसे प्रार्थना करनी हो वह कंही भी कर लेगा। जिसे प्रार्थना करने का ढंग आ गया,  सलीका आ गया, वो जहां भी है वहीं कर लेगा। यह सारा संसार ही उसका है,  उसका ही मंदिर है, उसकी ही मस्ज़िद है। यह स्मरण आ जाए तो जब आंख बंद की, तभी मंदिर खुल गया, जब हाथ जोड़े तभी मंदिर खुल गया, जंहा सिर झुकाया वहीं उसकी प्रतिमा स्थापित हो गयी।

    हर चट्टान में उसी का द्वार है।
    और हर वृक्ष मे उसी की खबर है।
    कहां जाना है और?
    तेरे कूचे मे रहकर
    मुझको मर मिटना गवारा है
    मगर दैरो-हरम की खाक
    अब छानी नही जाती

    अपना सांई प्यारा सांई सबसे न्यारा अपना सांई

    ॐ सांई राम।।।

    « Last Edit: August 08, 2009, 08:13:47 AM by Ramesh Ramnani »
    अपना साँई प्यारा साँई सबसे न्यारा अपना साँई - रमेश रमनानी

    Offline saisewika

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    Re: श्रद्धा और सबुरी
    « Reply #134 on: August 10, 2009, 07:28:24 AM »
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  • ॐ साईं राम


    साईॅ खडे हैं द्वार पे
    देखो हाथ पसार
    दो पैसे की दक्षिणा
    मांग रहे सरकार

    पहला पैसा श्रद्धा का
    भक्ति भाव भरपूर
    लेशमात्र भी कम हो तो
    लेंगे नहीं हुजूर

    श्रद्धा पूरी चाहिए
    ज्यों पूर्णिमा चन्द्र
    कष्ट ताप संताप से
    होवे ना जो मंद

    पर्वत जैसा अटल रहे
    भक्तों का विश्वास
    भ्रम संशय तो हो नहीं
    ना होवे कोई आस

    श्रद्धा से भक्ति बढे
    जगे प्रेम का भाव
    घट घट देखे साईं को
    चढे मिलन का चाव

    दूजी दक्षिणा सबुरी की
    धीरज धरती जैसा
    साईं भक्त से मांग रहे
    यही दूसरा पैसा

    कष्ट देखकर सामने
    धैर्य ना डगमग होवे
    सब्र करे, ना विचलित हो
    भक्ति भाव ना खोवे

    झंझावत तूफान हो
    या दुख का हो सागर
    छलक छलक कर गिरे नहीं
    भक्ति रस की गागर

    सब्र संपदा अति सुखद
    साईं की अति प्यारी
    जिसकी गाँठ ये संपदा
    साईं प्रेम अधिकारी

    धृति धारणा धैर्य धर
    मन निर्मल हो जावे
    जिसके हृदय सबुरी हो
    वही साईं को पावे

    सारे जग के दाता की
    भक्तों से दरकार
    श्रद्धा और सबुरी ही
    मांगे देवनहार

    जय साईॅ राम

     


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