जय सांई राम।।।
एक बार फिर नमन् सांई के गीतों को गुनगुनाने वालों को।
मांग रहे है लोग-मदिंरो में, मस्ज़िदों मे, गुरूद्वारों मे, शिवालयों में, प्रार्थना नही हो रही है। मंदिर-मस्ज़िद मे जाता ही गलत आदमी है। जिसे प्रार्थना करनी हो वह कंही भी कर लेगा। जिसे प्रार्थना करने का ढंग आ गया, सलीका आ गया, वो जहां भी है वहीं कर लेगा। यह सारा संसार ही उसका है, उसका ही मंदिर है, उसकी ही मस्ज़िद है। यह स्मरण आ जाए तो जब आंख बंद की, तभी मंदिर खुल गया, जब हाथ जोड़े तभी मंदिर खुल गया, जंहा सिर झुकाया वहीं उसकी प्रतिमा स्थापित हो गयी।
हर चट्टान में उसी का द्वार है।
और हर वृक्ष मे उसी की खबर है।
कहां जाना है और?
तेरे कूचे मे रहकर
मुझको मर मिटना गवारा है
मगर दैरो-हरम की खाक
अब छानी नही जाती
ॐ सांई राम।।।