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Author Topic: बाबा की यह व्यथा  (Read 229170 times)

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Offline saisewika

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Re: दिनचर्या
« Reply #165 on: December 09, 2009, 01:21:21 PM »
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  • ॐ साईं राम

    हाथ जोड वँदन करूँ
    परम दयामय नाथ
    स्व भक्तों के भाल पर
    रखना अपना हाथ


    प्रातः काल.........


    नित प्रातः वँदन करूँ
    रवि किरणों के सँग
    तेरे नाम सुनाम का
    पाऊँ मैं मकरन्द

    तेरे पूजन अर्चन से
    सुबह शुरू हो मेरी
    श्रद्धा मन में धार कर
    करूँ सुभक्ति तेरी


    दिन भर...............


    सिमर सिमर तुझे हे प्रभु
    बीते मेरा दिन
    कर्मशील बन कर रहूँ
    काटूँ मैं पलछिन्न

    दिन बीते शुभ कर्म में
    कर पाऊँ उपकार
    किसी प्राणी के लिए प्रभु
    हृदय में ना हो रार

    मेरे कारण साईं नाथ
    दुखी ना कोई होवे
    बुरा समय जो आवे तो
    मन ना आपा खोवे

    करते जगत के कार्य भी
    तुझे भजूँ हे ईश
    रसना से तव नाम मैं
    तजूँ नहीं जगदीश


    साँय काल.............


    साँय काल के समय में
    ध्याऊँ तुझे अभिराम
    सँध्या, कीर्तन, भजन में
    बीते मेरी शाम

    दिन जैसे भी बीता हो
    शान्त रहे मेरा मन
    बोझिल ना हो आत्मा
    ना बोझिल हो तन


    रात्रि काल.............


    निद्रा का जब समय हो
    ध्याऊँ तुझे हे देव
    सोते में भीतर चले
    साईं नाम सदैव

    सपने में साईं नाथ मेरे
    मैं शिरडी हो आऊँ
    सुषुप्ता अवस्था में प्रभु
    दर्शन तेरा पाऊँ

    ऐसे तेरा नाम ले
    सोऊँ, जागूँ, जीऊँ
    साईं तेरे नाम का
    अमृत प्याला पीऊँ

    जय साईं राम

    Offline saib

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    Re: बाबा की यह व्यथा
    « Reply #166 on: December 09, 2009, 11:16:42 PM »
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  • BAHUT ACCHA LIKHA SAISEWIKA JI, AGAR AISE HI DAILY ROUTINE HO, TO JEEVAN KI NAIYA
    KABHI KISI TOOOFAN MAIN NAHI DAGMAGAYEGI, SAI NAAM KI PATVAR KE SAHARE CHALTI JAYEGI, BUS CHALTI JAYEGI...........AUR APNI MANJIL KO PAYEGI!

    HAR SWAS TUMHE ARPIT HO SAI
    HAR KARM TUMHE SAPARPIT HO SAI
    JEEVAN MATR TUMARE NIMIT HO SAI
    HAR SOCH SIMIT SAI HO SAI!

    JAL ME, NABH ME, DHAR ME,
    HAR PAL ME SAI
    JEEVAN MARAN KA BHED NAHI
    SAI HAI JAB SADA  SAHAI!

    SAI KAHTE JIS ROOP ME KHOJO
    MUJKO JIS NAAM SE SOCHO
    US ROOP ME MAI AAUNGA
    DARSHAN DE VACHAN NIBHAYUNGA!

    BUS AB EK INTZAR HAI
    MAN BHI KYA BEKARAR HAI
    KABHI LAGTA EK PAL KI BAAT HAI
    KABHI LAGTA BACCHE HAJARO  SAAL HAI!

    ………..SAI KI LEELA SAI HAI JANE!

    OM SRI SAI RAM!
    om sai ram!
    Anant Koti Brahmand Nayak Raja Dhi Raj Yogi Raj, Para Brahma Shri Sachidanand Satguru Sri Sai Nath Maharaj !
    Budhihin Tanu Janike, Sumiro Pavan Kumar, Bal Budhi Vidhya Dehu Mohe, Harahu Kalesa Vikar !
    ........................  बाकी सब तो सपने है, बस साईं ही तेरे अपने है, साईं ही तेरे अपने है, साईं ही तेरे अपने है !!

    Offline saisewika

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    Re: तो साईं मिलेंगे
    « Reply #167 on: December 15, 2009, 02:17:25 PM »
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  • ओम साईं राम

    नीयत हो अच्छी
    कमाई हो सच्ची
    तो साईं मिलेंगे

    मन में उमंग हो
    दरस की तरंग हो
    तो साईं मिलेंगे

    मुख पर जाप हो
    ह्रदय नाम व्याप हो
    तो साईं मिलेंगे

    करुणा का भाव हो
    धर्म का मार्ग हो
    तो साईं मिलेंगे

    दया हो, धृत्ति हो
    सत्कार्य की वृत्ति हो
    तो साईं मिलेंगे

    हरिजन से भी प्यार हो
    भेदभाव ना स्वीकार हो
    तो साईं मिलेंगे

    प्रेम का सागर हो
    बुद्दि उजागर हो
    तो साईं मिलेंगे

    दिशा का ग्यान हो
    मार्ग की पहचान हो
    तो साईं मिलेंगे

    सुख दुख में सम भाव हो
    घमंड का अभाव हो
    तो साईं मिलेंगे

    हर हाल में आनंद हो
    ह्र्दय में परमानन्द हो
    तो साईं मिलेंगे

    दर्द से नाता हो
    याद वो विधाता हो
    तो साईं मिलेंगे 

    जय साईं राम
     

    Offline saisewika

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    Re: साईं जी की चक्की लीला
    « Reply #168 on: December 21, 2009, 02:11:56 PM »
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  • ॐ साईं राम

    एक दिवस हेमाड जी
    पहुँचे द्वारकामाई
    लीला की तैयारी करके
    बैठे थे प्रभु साईं

    कपडा एक बिछाकर प्रभु ने
    चक्की रक्खी उस पर
    गेहूँ डाला, लगे पीसने
    आटा साईं गुरूवर

    बाबा की लीला लखने को
    उमडी जनता सारी
    कोई समझ सका ना लीला
    बाबा जी की न्यारी

    चार स्त्रियाँ आगे बढकर
    पहुँची साईं के पास
    जबरन चक्की ले लेने का
    करने लगी प्रयास

    पहले क्रोधित हुए, शाँत फिर
    हो गए बाबा साईं
    पीछे हटकर बाबा ने थी
    चक्की उन्हें थमाई

    चक्की पीसते, रही सोचती
    चारों ही ये बात
    इस आटे की उनको ही
    बाबा देंगे सौगात

    घर द्वार नहीं है बाबा का
    ना वो रसोई बनाते
    पाँच घरों से माँग के भिक्षा
    बाबा काम चलाते

    यही सोचते, गाकर गीत
    सारा गेहूँ पीसा
    आपस में बाँट के आटा
    चली ले अपना हिस्सा

    उनको देख ले जाते आटा
    क्रुद्ध हो गए साईं
    एक गरजती वाणी फिर थी
    उनको पडी सुनाई

    किसकी सँपत्ति समझ कर तुम
    ले जाती हो आटा
    कर्ज़दार का माल नहीं जो
    आपस में है बाँटा

    जाओ, इस आटे को
    गाँव की सीमा पर ले जाओ
    सारे आटे की इक रेखा
    सीमा पर बिखराओ

    हुए अचँभित शिरडी वासी
    आदेश साईं का पा कर
    आटा बिखराया शिरडी की
    सीमा पर ले जा कर

    चहूँ ओर प्लेग था फैला
    छाई थी महामारी
    सुरक्षित शिरडी को करने की
    थी उनकी तैयारी

    भक्तों ने साईं लीला का
    पाया मधुर सुयोग
    रही सदा सुरक्षित शिरडी
    फैला ना कोई रोग

    हुए रोमाँचित हेमाड जी
    देख साईं की लीला
    भक्ति रस से हो गया
    उनका तन मन गीला

    उपजा पावन हृदय में
    अति उत्तम सुविचार
    साईं की गाथा लिखी तो
    होगा बेडा पार

    भक्तों का कल्याण करेंगी
    बाबा की लीलाएँ
    सुने गुनेगा जो कोई उसके
    पाप नष्ट हो जाएँ

    शामा जी ने करी प्रार्थना
    बाबा जी के आगे
    मिली स्वीकृति गाथा लिखने की
    भाग्य हेमाड के जागे

    ऐसे लीला रच बाबा ने
    दाभोलकर को चेताया
    माध्यम उन्हें बना कर अपना
    अमृत रस बरसाया

    मुदित हुए सब भक्त जो पाया
    सच्चरित्र का दान
    श्रद्धा प्रेम की लहर उठी तो
    मिटा घोर अज्ञान

    जय साईं राम
    « Last Edit: December 22, 2009, 05:57:58 AM by saisewika »

    Offline saisewika

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    Re: शुक्रिया साईं नाथ
    « Reply #169 on: December 23, 2009, 01:21:45 PM »
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  • ॐ साईं राम

    शुक्रिया साईं नाथ तेरा
    करूँ मैं बारम्बार
    नाम सुनाम भेंट दिया
    करने को उद्धार

    बुद्धिहीन मैं अति मलिन
    तुम सच्ची सरकार
    लेकर अपनी शरण में
    ढाँपे सभी विकार

    मन मेरा था कीच भरा
    कमल तुम्हारा नाम
    खिला जो चँचल चित्त में
    सजा तुम्हारा धाम

    जीवन के पथरीले पथ पर
    थामी मेरी बाँह
    जब जब भूली रास्ता
    करी प्रकाशित राह

    दिया सहारा भक्ति का
    डोलूँ ना चहुँ ओर
    डगमग जब विश्वास हुआ तो
    खींची मेरी डोर

    कभी परखने मन मेरा
    फेंका माया जाल
    चेतन करके फिर मुझे
    खुद ही लिया निकाल

    भक्तों की सत्सँगत का
    चखवाया सुस्वाद
    तेरा लीला गान सुना तो
    छूटे सभी विषाद

    धन्य धन्य मैं हो गई
    पा कर तुम सा नाथ
    मुझ सम अधमा को प्रभु
    जोडा अपने साथ

    धन्यवाद कैसे करूँ
    अनगिन तव उपकार
    सीमित मेरी लेखनी
    लघुतम मैं लाचार

    भाव भरा इक नमन ही
    दे सकती जगदीश
    श्रद्धामय वँदन मेरा
    स्वीकारो हे ईश

    जय साईं राम

    Offline rakesh410

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    Re: बाबा की यह व्यथा
    « Reply #170 on: December 27, 2009, 03:11:53 PM »
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  • ॐ साईं राम

    शुक्रिया साईं नाथ तेरा
    करूँ मैं बारम्बार
    नाम सुनाम भेंट दिया
    करने को उद्धार

    बुद्धिहीन मैं अति मलिन
    तुम सच्ची सरकार
    लेकर अपनी शरण में
    ढाँपे सभी विकार

    मन मेरा था कीच भरा
    कमल तुम्हारा नाम
    खिला जो चँचल चित्त में
    सजा तुम्हारा धाम

    जीवन के पथरीले पथ पर
    थामी मेरी बाँह
    जब जब भूली रास्ता
    करी प्रकाशित राह

    दिया सहारा भक्ति का
    डोलूँ ना चहुँ ओर
    डगमग जब विश्वास हुआ तो
    खींची मेरी डोर

    कभी परखने मन मेरा
    फेंका माया जाल
    चेतन करके फिर मुझे
    खुद ही लिया निकाल

    भक्तों की सत्सँगत का
    चखवाया सुस्वाद
    तेरा लीला गान सुना तो
    छूटे सभी विषाद

    धन्य धन्य मैं हो गई
    पा कर तुम सा नाथ
    मुझ सम अधमा को प्रभु
    जोडा अपने साथ

    धन्यवाद कैसे करूँ
    अनगिन तव उपकार
    सीमित मेरी लेखनी
    लघुतम मैं लाचार

    भाव भरा इक नमन ही
    दे सकती जगदीश
    श्रद्धामय वँदन मेरा
    स्वीकारो हे ईश

    जय साईं राम


    Baap re!!! Aap to sach me sachhi sai sevika hai. You are so lucky ki aap par Sai Baba ki etni krupa hai. Kaash wo kabhi ham par bhi thode se maherba ho jaate. Main nahi dekha kabhi kisi ko Sai bhakti me is kadar duba hua. Pure ke pure sai me samai hui hai aap.

    Meri shubh kaamna e aap ke liye, aur prarthna sai baba se ki agar unka koi aashirwad mere liye hai to wo use aap ko hi de devi.

    Jai Sai Naath

    Offline saisewika

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    Re: बाबा की यह व्यथा
    « Reply #171 on: December 27, 2009, 07:01:52 PM »
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  • OM SAI RAM

    SAIRAM Rakeshji

    Bahut shukriya aap ki taarif ke liye....par jo bhi jaisa bhi hai sab SAI ki hi kripa hai....jo chahe likhwate hai....

    par itni badi baat ki agar SAI ne koi ashirwad aape liye rakha hai to......I am speechless...Baba apko hamesha sukhi rakhe.....

    JAI SAI RAM

    Offline rakesh410

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    Re: बाबा की यह व्यथा
    « Reply #172 on: December 27, 2009, 07:12:30 PM »
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  • Are logo...

    Maine suna tha ki log Sai Bhakti me Pagal hote hai, es duniya me bhagwan ke bhakt apane sai ke liye kuch bhi kar jaate hai. Par aaj es forum pe aa ke me to hakka bakka sa rahe gaya. Dil sahem sa gaya aap logo ka Sai baba ke prati pyar dek kar.

    He sai naath.... Etana to karna Swami... Kabhi hamare dil me bhi aap ke liye etna pyar ho, etni bhakti ho, etna vishvash ho, etni shraddha ho, etni saboori ho, etna apna pan ho... ki har vakt jubaan pe chahe jo bhi ho par dil me to bas aap hi naam nikale...

    Offline saisewika

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    Re: साईं तेरी प्यारी आँखें
    « Reply #173 on: December 28, 2009, 06:04:42 PM »
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  • ॐ साईं राम

    साईं तेरी प्यारी आँखें
    सब दुनिया से न्यारी आँखें

    झील से भी गहरी आँखें
    भक्त जनों की प्रहरी आँखें

    करूणा रस छलकाती आँखें
    प्रेम गंग बरसाती आँखें

    ममता भरी भरी सी आँखें
    सुन्दर और चमकीली आँखें

    दुख से बोझिल होती आँखें
    भक्तों के सँग रोती आँखें

    प्रेम पगी मुस्काती आँखें
    अँदर तक धँस जाती आँखें

    चुप रह कर भी बोलें आँखें
    अमृत रस सा घोलें आँखें

    देखें सबको हर पल आँखें
    गँगा जल सी निर्मल आँखें

    जय साईं राम

    Offline saisewika

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    Re: नव वर्ष की शुभकामना
    « Reply #174 on: December 31, 2009, 11:03:01 AM »
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  • ॐ साईं राम

    नव वर्ष की प्रथम बधाई
    तुम्हें हो साईं नाथ
    द्वितीय मेरे मात पिता को
    जिनका आशिष साथ

    फिर बाबा के भक्त जनों को
    नव वर्ष की बधाई
    सब भक्तों के अंग संग सोहे
    साईं सर्व सहाई

    अति सुखद हो मंगलमय हो
    नया चढा जो साल
    संतति विहीनों के आंगन में
    खेले बाल गोपाल

    कोई भी दुखिया ना होवे
    ना होवे लाचार
    आधि व्याधि दूर हटाएं
    साईं सर्वाधार

    पूरण हों सबकी आशाएं
    खुशियां हो बेअंत
    शुभ कर्मों की वृद्धि हो
    पापों का होवे अंत

    श्रद्धा और सबूरी का
    मनों में हो प्रकाश
    भक्ती भाव भरपूर रहे
    और पूरा हो विश्वास

    दुनिया के सब मुल्कों में
    शांति हो समृद्धि हो
    आतंकवाद का नाश हो
    भाईचारे की वृद्धि हो

    हाथ जोड कर तुमसे विनती
    करते हम सरकार
    हर प्राणी के हृदय में
    भर दो करुणा प्यार

    जय साईं राम

    Offline saisewika

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    Re: साईं भक्तों का नव सँकल्प
    « Reply #175 on: January 02, 2010, 01:38:41 PM »
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  • ॐ साईं राम
     
    साईं के दरबार में
    शुभ आगमन नव वर्ष का
    भक्त जनों के सन्मुख आए
    समय सदैव हर्ष का
     
    हरेक मानव के हृदय में
    साईं नाम व्याप हो
    सत्कार्य की वृत्ति हो
    मुख में साईं जाप हो
     
    हर्ष हो उल्लास हो
    साईं मिलन की आस हो
    श्रद्धा का दामन ना छूटे
    मन में दृढ विश्वास हो
     
    कोई भूखा सोए ना
    दुखी ना हो कोई आत्मा
    साईं भक्त हर जन में देखें
    अँश इक परमात्मा

    रोग ना हो, शोक ना हो
    तन मन सभी के स्वस्थ हों
    कार्य शील बनें सभी
    साईं कारज में व्यस्त हों

    साईं ने कहा है जैसा
    प्रेम करें हर प्राणी से
    साईं की आज्ञा को मानें
    मन, कर्म और वाणी से
     
    साईं की महिमा कहें
    साईं की लीला सुने
    साईं सच्चरित्र के सभी
    साईं वचनों को गुनें

    जो दिया है साईं ने
    खुशी उसी में मान लें
    साईं की रज़ा में ही हम
    रज़ा अपनी जान लें
     
    मन में चिर सँतोष हो
    खुश रहें हर हाल में
    धन्यवाद आओ करें
    साईं का नए साल में
     
    नूतन वर्ष पर करें
    नव सँकल्प धारण सभी
    नहीं करेंगे साईं से
    गिले और शिकवे कभी
     
    साईं की शिक्षाओं को
    हृदय में हम धार लें
    नया चढा जो साल उसे
    साईं पर ही वार दें
     
    जय साईं राम

    Offline saisewika

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    Re: ऐसे साईं सिमरिए
    « Reply #176 on: January 05, 2010, 03:37:27 PM »
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  • ॐ साईं राम

    रे मन साईं नाम जप
    पल पल आठों याम
    लगन लगी जो नाम की
    तो होगा तव कल्याण

    ऐसे साईं सिमरिए
    ज्यों नवेली नार
    सिमरे प्रियतम प्यारे को
    भूल के सब संसार

    जैसे गढे खजाने में
    रहे कृपण का ध्यान
    धर के ऐसे ध्यान तू
    सिमर साईं भगवान

    ज्यों भूखा सिमरे सदा
    भोजन और पकवान
    सुरत लगा कर ऐसे ही
    सिमरों साईं नाम

    पाने को जल बूँद ज्यों
    चातक सिमरे मेघ
    ऐसे मन में राखिए
    साईं नाम का वेग

    दूर देश के पुत्र को
    जैसे ध्याती माता
    मनसा, वाचा, कर्मणा
    सिमरो साईं विधाता

    चलता चल संसार में
    पकड नाम की डोर
    लक्ष्य बना ले एक ही
    शुभ चरणों की ठौर

    जय साईं राम
    « Last Edit: January 05, 2010, 03:44:18 PM by saisewika »

    Offline Pearl India

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    Re: बाबा की यह व्यथा
    « Reply #177 on: January 06, 2010, 09:58:08 AM »
  • Publish
  • om sia ram

     pata nhi kaise ...is topic ko khol rhi thi....aur tabhi apneaap page 6 khul gaya...

    saisewikaji....
    ye bhav pad ke bas....maza aa gaya.

    jai sai ram
    EK HAI IS DUNIYA KA DAATA,JAANE SABKE MANN KI
    MANN MEIN HAI VISHWAS TO BANDE, BHAKTI MEIN HAI SHAKTI

    Offline Ramesh Ramnani

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      • Sai Baba
    Re: बाबा की यह व्यथा
    « Reply #178 on: January 24, 2010, 12:09:35 AM »
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  • om sia ram

     pata nhi kaise ...is topic ko khol rhi thi....aur tabhi apneaap page 6 khul gaya...

    saisewikaji....ye bhav pad ke bas....maza aa gaya.

    jai sai ram

     
    जय सांई राम।।।
     
    उसकी महफिल मे मस्ती जाम भरती हूँ
    उसकी मय पीने पिलाने का काम करती हूँ
    साज़ मेरे दिल का जो छेड़ दिया है उसने
    बस उसके नग्में गाने का काम करती हूँ
    गर किसी दिल मे तस्वीर बसी हो उसकी
    कदमों पे उसी के अपने मुकाम करती हूँ
    गर उस दीवाने का हाथ पकड़ मे आए
    थाम कर चूम लेने का काम करती हूँ
    नूर आता हो नज़र उसका आंखों मे कहीं
    उसके दीदार मे उमर तमाम करती हूँ
    उसके रस मे डूबा मिल जाए मस्त कोई
    ज़िंदगी अरे खुद की उसके नाम करती हूँ
    जो नाचे गाए-सांई वही है बंदा
    सदके जाती हूँ उसे सलाम करती हूँ
    उसकी महफिल मे मस्ती का जाम भरती हूँ
    उसकी मय पीने पिलाने का काम करती हूँ।।

    ऐसी है हमारी सुरेखा बहन। इनके बारे में जितना भी कहा जाये उतना कम है। उनके बाबा के प्रति प्रेम के आगे हम बहुत फीके है सलाम बहन सलाम नमन है मेरा आपको....

    अपना सांई प्यारा सांई सबसे न्यारा अपना सांई
    ॐ सांई राम।।।
    अपना साँई प्यारा साँई सबसे न्यारा अपना साँई - रमेश रमनानी

    Offline saisewika

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    Re: मैं बस तेरी सेविका
    « Reply #179 on: February 05, 2010, 09:25:59 AM »
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  • ॐ साईं राम

    कोई साज़ नहीं है हाथ मेरे
    महिमा तेरी गाऊँ कैसे
    कागा जैसे स्वर में बाबा
    तुमको गीत सुनाऊँ कैसे

    ना मैं मीरा, ना मैं राधा
    ना मैं मुक्ताबाई,
    ना मैं शौनक, ना मैं नरहरि,
    ना मैं सजन कसाई

    प्रहलाद के जैसा तप ना जानूँ
    ना ध्यानूँ सा ध्यान
    नारद जैसा जप ना जानूँ
    नहीं जनक सा ज्ञान

    नहीं लेखनी मेरे हाथ में
    हेमाडपंत के जैसी
    जैसी दासगणु की थी
    नहीं मेरी वाणी वैसी

    मैं बस तेरी सेविका
    अति मलिन, गुणहीन
    तुम हो स्वामी परब्रह्म
    मैं विरहिन अतिदीन

    पूजन अर्चन मनन के
    नियम नहीं मैं जानूँ
    भाव भरी प्रीति करूँ
    लक्ष्य तुम्हीं को मानूँ

    तेरी प्रेम उपासना
    करूँ पडी दिन रैन
    तेरे दर्शन को तरसें
    मेरे चँचल नैन

    तेरी कमली बनके मैं
    घूमूँ जग के बीच
    मन के चक्षु खोल कर
    तन की आँखें मीच

    तुझे रिझाने को साईं
    बस इतना कर सकती
    तेरा नाम ले कर जिऊँ
    तेरा नाम ले मर सकती

    जय साईं राम
    « Last Edit: February 05, 2010, 10:10:17 AM by saisewika »

     


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