DwarkaMai - Sai Baba Forum

Sai Literature => Sai Baba poems => Topic started by: Apoorva on January 14, 2008, 04:39:09 PM

Title: राम राज्य
Post by: Apoorva on January 14, 2008, 04:39:09 PM

दैन्य और निराशा के सागर में डूबी मानवता का करुण विलाप,
हे अधम, हे पापी, मानव के ही हाथो मानव का विनाश ,
पहले था दशानन, दस सिर किंतु सहस्त्रों पाप...............
आखिरकार राम के हाथो विनाश ...................................
परन्तु अब यह दशानन दस नही एक सिर में, हर मानव के भीतर
चारो तरफ़ अराजकता का राज, भयभीत - त्रस्त राम, हावी शैतान
उठो - चेतो, हमे अपने अन्दर के राम को जगाना है,
जिलाना है उस मानवता को जो हमारे अन्दर के रावन ने मार दी है
तभी होगा रावन का विनाश और देश में राम-राज्य का निर्माण

ॐ साईं राम
Title: Re: राम राज्य
Post by: MANAV_NEHA on January 21, 2008, 01:22:44 PM
VERY NICE APOORVA JI :)
Title: Re: राम राज्य
Post by: Apoorva on January 22, 2008, 09:55:19 AM
Thanks man! I wrote it long back, in 1996 i guess,......but it's still relevant.

Om Sai Ram