DwarkaMai - Sai Baba Forum

Sai Literature => Sai Baba poems => Topic started by: rajiv uppal on February 23, 2008, 11:35:03 PM

Title: जन जन मंगल होय
Post by: rajiv uppal on February 23, 2008, 11:35:03 PM
जन जन मंगल होय

जन जन में जागे धरम, सुधरे जग व्यवहार ।
बैर भाव सारा मिटे, रहे प्यार ही प्यार॥

शुद्ध धर्म जैसा मिला, वैसा सब पा जायँ।
मेरे मन के शांति सुख, जन जन मन छा जायँ ॥

सुख छाए इस जगत में, दुखिया रहे न कोय।
जन जन में जागे धरम, जन जन सुखिया होय॥

शुद्ध धर्म जन में जगे, दूर होय संताप।
निर्भय हों, निर्वैर हों, सभी होयँ निष्पाप।

दुखियारा संसार है, जन- मन बसे विकार।
जन जन के मन विमल हों, सुखी होय संसार॥

ना कोई दुर्मन रहे, ना ही द्वेषी होय।
जन जन का कल्याण हो, जन जन मंगल होय॥