जय सांई राम।।।
आत्मविश्वास
बस तू ही तू तो है तेरे सिवाय दुनिया मे रखा ही क्या है। तेरी आंखों के सिवा दुनिया मे रखा क्या है। तू ही तो है सब देखने वाला, सूंघने वाला, सुनने वाला, तू ही तो है माया का जाल, तू ही तो है मेरी आंसुओं की धारा, तू ही तो है मेरी इंद्रियों का स्पर्श, तू ही तो है मेरी भूख, तू ही तो है माँ की बनी रोटी की खुशबु, तू ही तो है बारिश के बाद मिट्टी की भीनी भीनी खुशबू, तू ही तो है गुरु का ज्ञान, तू ही तो है मेरा समर्पण, तू ही तो है मेरे ह्रदय मे प्रेम का बीज, तू ही तो है मेरे दिल का चैन, तू ही तो है मेरे भक्ति का सकून, तू ही तो है मेरे जीने का सहारा। जंहा दिखे सब तेरा ही कमाल दिखे।
बाबा न जाने क्यों फिर भी तेरे बच्चे इन तेरे सब चमत्कारों के बदले मानव कृत 'उन' चमत्कारों को देखने की दिलचस्पी क्यों रखते है? क्यों प्रेम की परिभाषाओं को बन्धनों मे बांधते रहते है।
ॐ सांई राम।।।