जय सांई राम।।।
गीता का संदेश - मै योगेश्वर की वाणी हूँ।
गीता ने संदेश दिया,
अर्जुन तुम उठ जाओ।
मोह लोभ का त्याग करो,
मेरे ज्ञान को अपनाओ।
योगेश्वर की वाणी हूँ मै,
कृष्ण ही मुझमें समाये है।
मेरे विचारों से ही,
मन को शान्ति मिल पाये।
क्यों करते हो 'मै' का प्रर्दशन,
तुममे अतुलित बल है।
जब योगेश्वर है तेरे सारथी,
तब तू क्यों निश्चल है।
कर्म तेरा कहता है,
इस कुरुक्षेत्र की भूमि पर।
अपनो का ही संहार करो,
मत अपने आगे लाचार बनो।
कौरव रुपी सेना मे,
लोभ, मोह और काम के होते दर्शन।
मार के इन पापियों को,
बन्द करो इनका नर्तन।
नही समय यह सोचने का,
कि कौन द्रोण कौन भीष्म है।
क्यो प्रकृति विधान कहती है,
नियम है गेंहू संग घुन पिसने का
रण क्षेत्र मे नही है कोई भाई,
क्योंकि सब मे शत्रुता कूट कूट के समाई!
उठावो गांडीव करो टंकार,
एक बार मे करो संहार!
गीता का ज्ञान स्वंय कहता है,
जो खुद प्रयास करता है!
वो इस वसुन्धरा पर रहता है,
जो मरता है वीर गति प्राप्त करता है!
ॐ सांई राम।।।