जय सांई राम।।।
बहुत बार ऐसा लगा,
जीवन की गाड़ी,
पटरी से,
उतर जायेगी।
बाबा का शुक्र है,
कर्मों का फल है,
माता पिता के
संसकार
शायद नसीब अच्छा था,
ऐसा नहीं हुआ।
मुसीबतें आईं,
बार-बार आई,
ऐसा लगा,
मिट जाऊँगा।
जैसे-तैसे,
स्वयं को संभाला,
मेहनत की,
श्रध्दा सबूरी
विश्वास
बनाये रखा
भँवर से निकाला
बाबा साँई ने।
दुःख आयेंगे,
घुटने न टेको,
धैर्य एवं संयम
रखने से,
कट जायेंगे।
यह आसान नहीं,
अत्यंत कठिन है,
लेकिन फिर भी
नेक नियत से,
सम्भव है।
ॐ सांई राम।।।