जय सांई राम।।।
निर्मल, कोमल, कंचन हो तुम
पीपल, तुलसी, चंदन हो तुम
हवा, पानी, घटा को छोड़ो
क्या - क्या कहूँ बाबा तुम ही तुम हो .
सुख क्या सुख का सागर हो तुम
अमृत क्या अमृत गागर हो तुम
बादल, बिजली बूँदों को छोड़ो
सारे जहाँ की बारिश हो तुम .
सुबह की किरण, दिन की धूप हो तुम
चांदी, सोना, पीतल का रूप हो तुम
मंदिर, मस्जिद धर्मों को छोड़ो
हिंदु का मंदिर, मुस्लिम की मस्जिद हो तुम .
होली, राखी, बैसाखी हो तुम
दिवाली क्या बिन तेल के दिए को
जलाते हो तुम
आसार, उम्मीद क्या कहूँ तुम्हे
जो भी हो मेरी मोहब्बत की आशा हो तुम
ॐ सांई राम।।।