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आरती साईबाबा । सौख्यदातार जीवा । चरणरजातला ।घावा दासां विसांवा, भक्तां विसांवा ।। आ. धु. ।। हम साईंबाबा की आरती करें जो सभी जीवो को सुख देने वले हैं।हे बाबा, हम दासो और भक्तों को आप अपनी चरण धूलि का अश्रय दीजिये।हम साईंबाबा की आरती करें ....................माझा निजद्रव्यठेवा । तव चरणरजसेवा मागणें हेंचि आतां । तुम्हां देवाधिदेवा ।। आ0 ।। 6 ।।आपके चरणो के धूल की सेवा ही मेरी समस्त निधि हो।हे देवों के देव, अब यही मेरी कामना है।हम साईंबाबा की आरती करें ...........