हे!दयानिधे, हे!करुणानिधान
सामस्या का मेरी करो समाधान।
साधना की ये राहें महान,
और मैं पूजा-विधि से अनजान।
क्योकर बाबा मुझेको अपनी,
ऐसी लीला दिखाते हो-
कभी आते हो पास् मेरे,
कभी बहुत दूर हो जाते हो।
न कोई मेरा गुरु है बाबा,
न कोई मेरा मार्गदर्शक।
तुम तो हो बाबा जगत्-संरक्षक,
बन जाओ मेरे पथ-प्रर्दशक।
तेरी शरण में आया सवाली,
जाता नही है कभी भी खाली।
बाबा अपना वचन निभाना,
मुझको अपने ह्रदय लगाना।