जय सांई राम
ध्यान शब्द पर मत अटको। ध्यान का अर्थ इतना ही है कि तुम अपने भीतर के रस मे डूबने लगे। जब तुम रसपूर्ण होते हो, तो तुम्हारे कृत्यों में भी रस बहता है। फिर तुम जो भी करते हो उसमें भी सुगंध आ जाती है। ध्यान से भरा हुआ व्यक्ति कठोर तो नही हो सकता, करुणा सहज ही बहेगी। ध्यान से भरा हुआ व्यक्ति शोषण तो नही कर सकता, असंभव है। ध्यान से भरा हुआ व्यक्ति हिंसक तो नही हो सकता, अहिंसा और प्रेम ध्यान की छायाएं है।
अपना सांई प्यारा सांई सबसे न्यारा अपना सांई
ॐ सांई राम।।।